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रविवार, 30 जून 2013

खोया और पाया

   जिस दिन तक मुझे "ढूँढ" नहीं लिया गया, मुझे पता ही नहीं था कि मैं "खोई" हुई हूँ!

   मेरा जीवन सामन्य रीति से चल रहा था, मैं अपने कार्य में व्यस्त रहती थी, ज़िम्मेदारियाँ और दिनचर्या पूरी करती थी, कभी कभी कुछ मौज मस्ती भी कर लेती थी। फिर एक दिन मुझे एक ई-मेल मिला जिसका शीर्षक था "शायद आप मेरे रिश्तेदार हैं।" मैंने वह सन्देश पढ़ा तो पाया कि वह एक महिला द्वारा भेजा गया है, जो अपने एक अन्य रिश्तेदार के साथ मिलकर पिछले 10 वर्ष से एक पुराने परिवार की मेरी तरफ के परिवार जनों की शाखा को खोज रही है क्योंकि उन्होंने अपने पिता से उनकी मृत्युशैया पर यह वायदा किया था कि वे परिवार की इस खोई हुई शाखा के लोगों को अवश्य ही ढूँढ निकालेंगे।

   मुझे "खो जाने" के लिए कुछ भी तो नहीं करना पड़ा था, मैं तो अपने जन्म से ही "खोई" हुई थी; इसी प्रकार मुझे ढूँढे जाने के लिए भी कुछ नहीं करना पड़ा सिवाय इसके कि मैं स्वीकार कर लूँ कि मैं उस खोई हुई परिवार शाखा की सदस्या हूँ, शेष कार्य तो मुझे ढूँढने वालों ने स्वयं ही पहले से ही कर लिया था। क्योंकि परिवार के उन सदस्यों के साथ मेरा कोई व्यक्तिगत संपर्क नहीं था इसलिए मुझे उन से दूर और "खोए हुए" होने का एहसास भी नहीं था और ना ही इस बात की जानकारी कि कोई मुझे ढूँढ रहा है।  यह जानकर कि मुझे ढूँढने के लिए उन्होंने इतनी मेहनत करी, इतना समय लगाया मुझे बहुत अच्छा लगा और आभास हुआ कि मैं कुछ विशिष्ट हूँ।

   इस घटना पर विचार करते हुए मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल के लूका 15 अध्याय में प्रभु यीशु द्वारा दीये तीन "खोए और पाए" दृष्टांतों का स्मरण हो आया -  खोई हुई भेड़, खोया हुआ सिक्का और खोया हुआ पुत्र। जब कभी हम परमेश्वर पिता से भटक जाते हैं, चाहे जानबूझ कर उस खोए हुए पुत्र के समान, या अनजाने में उस खोई हुई भेड़ के समान - परमेश्वर हमें "ढूँढने" और लौटा लाने के प्रयास में लग जाता है। चाहे हमें यह आभास ना भी हो कि हम खोए हुए हैं, किंतु यदि परमेश्वर के साथ हमारा व्यक्तिगत सम्पर्क और संबंध नहीं है तो हम खोए हुए ही हैं और हमारे जीवन का पाप हमें परमेश्वर के साथ सही संबंध बनाने नहीं देता। इसलिए पाप में अपने खोए हुए होने को स्वीकार करना और परमेश्वर द्वारा प्रभु यीशु में उस पाप के निवारण को स्वीकार कर लेना ही ढूँढे जाने की ओर पहला कदम है।

   परमेश्वर ने तो एक बड़े प्रयास और कीमत के चुकाए जाने के द्वारा संसार के हर पाप में खोए हुए व्यक्ति के वापस उसके पास लौट आने और स्वर्गीय परिवार में स्वीकार होने का मार्ग तैयार कर के दे दिया है। हमें केवल प्रभु यीशु से पापों की क्षमा माँगकर अपना जीवन उसे समर्पण करना है और उसकी आज्ञाकारिता में चलना है। वह प्रेमी स्वर्गीय पिता संसार और पाप में खोई हुई अपनी सन्तानों को बड़ी लालसा और प्रेम से वापस घर लौट आने को बुला रहा है; क्या आज आप उसकी इस पुकार को सुन कर स्वीकार करेंगे और उसके पास लौट आएंगे? - जूली ऐकैरमैन लिंक


ढूँढे जाने की आशीषों को पाने के लिए अपने खोया हुआ होने की दशा को स्वीकार करना अनिवार्य है।

क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है। - लूका 19:10 

बाइबल पाठ: लूका 15:1-10
Luke 15:1 सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें।
Luke 15:2 और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।
Luke 15:3 तब उसने उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा।
Luke 15:4 तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे?
Luke 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है।
Luke 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे कर के कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।
Luke 15:7 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्नानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।
Luke 15:8 या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिस के पास दस सिक्के हों, और उन में से एक खो जाए; तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहार कर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे?
Luke 15:9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी कर के कहती है, कि मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्‍का मिल गया है।
Luke 15:10 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्‍वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 17-19 
  • प्रेरितों 10:1-23


शनिवार, 29 जून 2013

परमेश्वर के अतिरिक्त

   अपनी पुस्तक Through the Valley of the Kwai में स्कॉटलैंड के एक सेना अधिकारी, 6 फुट 2 इन्च कद के एर्नेस्ट गौर्डन, ने दूसरे विश्वयुद्ध में कैदी बनाए जाने के अपने संस्मरण लिखे हैं। युद्ध बंदी बनाए जाने के समय गौर्डन एक नास्तिक था। बन्दीयों को रखने की दशा के कारण उसे मलेरिया, डिप्थीरिया, टायफाइड, बेरीबेरी, डाय्सेन्ट्री, शरीर के घाव आदि बिमारियों से होकर गुज़रना पड़ा। बिमारियों से उत्पन्न कमज़ोरी, कठिन परिश्रम और भोजन की कमी के कारण उसका वज़न शीघ्र ही घटकर 50 किलो से भी कम रह गया।

   युद्ध बन्दीयों के अस्पताल में व्याप्त गन्दगी के कारण गौर्डन ने आग्रह किया कि उसे एक ऐसे स्थान पर रखा जाए जहाँ कुछ सफाई होती है - वहाँ का मुर्दाघर। उस मुर्दाघर की ज़मीन पर लेटा हुआ वह प्रतिदिन अपनी मृत्यु की बाट जोहता था। लेकिन रोज़ एक साथी युद्ध बन्दी, डस्टी मिलर, उसके पास आकर उसके घावों को साफ करता, उसे आशा बन्धाता और मिलने वाले भोजन को स्वीकार करने के लिए समझाता, यहाँ तक कि डस्टी अपने भोजन में से भी गौर्डन को खाने के लिए दे देता। शांत और विनम्र स्वभाव का डस्टी उसकी मरहम-पट्टी करते समय गौर्डन से परमेश्वर में अपने दृढ़ विश्वास के बारे में बातें करता और बताता कि इस क्लेष में भी उसे एक अलौकिक आशा है।

   जिस आशा की बात परमेश्वर का वचन बाइबल करती है वह कोई अस्पष्ट, अनिश्चित, काल्पनिक आशावाद नहीं है। इसके विपरीत बाइबल में वर्णित आशा एक मज़बूत और निश्चयपूर्ण उम्मीद है कि जो कुछ परमेश्वर ने अपने वचन में वायदा किया है उसे वह अवश्य ही पूरा भी करेगा। बाइबल हमें यह भी सिखाती है कि परमेश्वर पर विश्वास करने और उसमें आशा बनाए रखने वालों के लिए क्लेष अकसर एक उत्प्रेरक का कार्य करते हैं और उनके चरित्र में धीरज तथा खराई को बढ़ाकर उन्हें और भी अधिक निखार देते हैं (रोमियों 5:3-4)।

   एक कठोर और कष्टदायक युद्ध बन्दीगृह में, 70 वर्ष पूर्व, एर्नेस्ट गौर्डन ने व्यक्तिगत अनुभव से परमेश्वर के वचन में दिया आशा का यह पाठ सीखा, और कल के उस नास्तिक का आज यह कहना है कि "सच्चा विश्वास वहीं पनपता और बढ़ता है जहाँ परमेश्वर के अतिरिक्त कोई आशा नहीं होती।" (रोमियों 8:24-25)। - सिंडी हैस कैस्पर


मसीह यीशु विश्वासी की आशा की अटूट और स्थिर चट्टान है।

आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्या करेगा? परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जोहते भी हैं। - रोमियों 8:24-25

बाइबल पाठ: रोमियों 5:1-5
Romans 5:1 ​सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
Romans 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें।
Romans 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज।
Romans 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है।
Romans 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 14-16 
  • प्रेरितों 9:22-43


शुक्रवार, 28 जून 2013

दृष्टिकोण

   विश्व के दो महाशक्तियों अमेरिका और उसके साथी देश, तथा रूस और उसके साथी देशों के बीच 1947 से 1991 तक एक लंबा शीत युद्ध चला जिसमें दोनों ही एक दूसरे से बढ़कर सैन्य क्षमता रखने वाले और एक दूसरे से बलवन्त रहने के प्रयास में लगे रहे। एक दूसरे पर शीर्षता पाने के लिए विकसित किए जाने वाले उनके हथियारों में प्रमुख स्थान था परमाणु हथियारों का। इस होड़ के दौरान प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक एल्बर्ट आईन्सटाइन ने एक बहुत अर्थपूर्ण बात कही जो आज तक भी बहुत प्रसिद्ध और उद्धरित होने वाली बात रही है; उन्होंने कहा, "मैं यह तो नहीं जानता कि तीसरा विश्वयुद्ध किस प्रकार के हथियारों से लड़ा जाएगा, लेकिन चौथा विश्वयुद्ध अवश्य ही लाठियों और पत्थरों से लड़ा जाएगा।" आईन्स्टाइन के लिए परमाणु हथियारों से युद्ध लड़े जाने के परिणामों का यह एक स्पष्ट भावी दृष्टिकोण का क्षण था। वह भलि-भाँति यह समझ सके कि चाहे परमाणु युद्ध लड़ने के कारण कोई भी हों, परिणाम संसार भर के लिए अति भीष्ण और अति विध्वंसकारी होंगे।

   दुर्भाग्यवश हम साधारणतया इतने स्पष्ट भावी दृष्टिकोण के साथ आते समय और परिणामों की ओर नहीं देखते। कभी कभी हमारे द्वारा किए गए चुनाव और निर्णयों के संभावित परिणाम आंकना कठिन होता है, और कभी कभी हम केवल अपने वर्तमान के बारे में ही सोच रहे होते हैं ना कि दूरगामी परिणामों के बारे में।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक महानायक मूसा के विषय में इब्रानियों 11:24-26 में लिखी बात दिखाती है कि मूसा ने अपने निर्णय के लिए भावी दृष्टिकोण रखा और होने वाले संभावित परिणामों को ध्यान में रखते हुए अपने जीवन के लिए निर्णय लिया: "विश्वास ही से मूसा ने सयाना हो कर फिरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्कार किया। इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा। और मसीह के कारण निन्‍दित होने को मिसर के भण्‍डार से बड़ा धन समझा: क्योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं" (इब्रानियों 11:24-26)।

   मूसा के लिए यह चुनाव सरल नहीं था लेकिन वह अपने उस चुनाव की खराई और सार्थकता को पहचान सका और इसीलिए उसने आते अनन्त समय के सुखद प्रतिफलों के लिए वर्तमान में दुख उठाना अधिक भला समझा। उसके भावी दृष्टिकोण ने ही उसे वर्तमान के कष्ट सहने में सहायता करी। क्या आज हम जो मसीही विश्वासी कहलाते हैं, मूसा के समान ऐसा ही भावी दृष्टिकोण रखते हुए, मसीह यीशु के लिए निंदित होने के लिए तैयार हैं? क्या परमेश्वर के साथ बिताए जाने वाले उस आते जीवन के अनन्त सुख के लिए हम वर्तमान जीवन में मसीह यीशु के कष्टों में संभागी होने के लिए सहमत हैं? पौलुस प्रेरित ने रोम के विश्वासीयों को लिखी अपनी पत्री में स्पष्ट लिखा है "... जब कि हम उसके साथ दुख उठाएं कि उसके साथ महिमा भी पाएं" (रोमियों 8:17)।

   आज आपका दृष्टिकोण और चुनाव क्या है? - बिल क्राऊडर


यदि हम हर बात के लिए मसीह यीशु पर निर्भर रहेंगे तो हर बात को सहने की सामर्थ भी पाते रहेंगे।

यह बात सच है, कि यदि हम उसके साथ मर गए हैं तो उसके साथ जीएंगे भी। - 2 तिमुथियुस 2:11

बाइबल पाठ: इब्रानियों 11:23-31
Hebrews 11:23 विश्वास ही से मूसा के माता पिता ने उसको, उत्पन्न होने के बाद तीन महीने तक छिपा रखा; क्योंकि उन्होंने देखा, कि बालक सुन्‍दर है, और वे राजा की आज्ञा से न डरे।
Hebrews 11:24 विश्वास ही से मूसा ने सयाना हो कर फिरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्कार किया।
Hebrews 11:25 इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा।
Hebrews 11:26 और मसीह के कारण निन्‍दित होने को मिसर के भण्‍डार से बड़ा धन समझा: क्योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं।
Hebrews 11:27 विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डर कर उसने मिसर को छोड़ दिया, क्योंकि वह अनदेखे को मानों देखता हुआ दृढ़ रहा।
Hebrews 11:28 विश्वास ही से उसने फसह और लोहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करने वाला इस्त्राएलियों पर हाथ न डाले।
Hebrews 11:29 विश्वास ही से वे लाल समुद्र के पार ऐसे उतर गए, जैसे सूखी भूमि पर से; और जब मिस्रियों ने वैसा ही करना चाहा, तो सब डूब मरे।
Hebrews 11:30 विश्वास ही से यरीहो की शहरपनाह, जब सात दिन तक उसका चक्कर लगा चुके तो वह गिर पड़ी।
Hebrews 11:31 विश्वास ही से राहाब वेश्या आज्ञा ने मानने वालों के साथ नाश नहीं हुई; इसलिये कि उसने भेदियों को कुशल से रखा था।


एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 11-13 
  • प्रेरितों 9:1-21


गुरुवार, 27 जून 2013

उपनाम

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा फिलिप्पी की मसीही मण्डली को लिखी पत्री में एक नाम आता है "इपफ्रदीतुस"। इपफ्रदीतुस एक युनानी व्यक्ति था जिसने मसीही विश्वास को अपनाया था और मसीह यीशु का अनुयायी हो गया था। वह पौलुस का भी एक निकट सहयोगी था और मसीही प्रचार के लिए करी गई पौलुस की यात्राओं में उसने पौलुस की बहुत अच्छी सेवा करी थी। इस पत्री में पौलुस अपने इस मित्र के लिए कुछ उपनाम प्रयुक्त करता है: "पर मैं ने इपफ्रदीतुस को जो मेरा भाई, और सहकर्मी और संगी योद्धा और तुम्हारा दूत, और आवश्यक बातों में मेरी सेवा टहल करने वाला है, तुम्हारे पास भेजना अवश्य समझा" (फिलिप्पियों 2:25)।

   पौलुस के लिए इपफ्रदीतुस आत्मिक रीति से एक भाई, एक विश्वासयोग्य सहकर्मी, मसीही विश्वास के प्रचार में एक कर्मठ संगी योद्धा और पौलुस द्वारा फिलिप्पियों की मण्डली को लिखी इस प्रेर्णादायक पत्री का पत्रवाहक था। इपफ्रदीतुस का जीवन भाईचारे, निष्ठा, आत्मिक सहनशक्ति और सेवाभाव का नमूना था। इपफ्रदीतुस वास्तव में एक सम्मान योग्य व्यक्तित्व था जिसने अपने जीवन से प्रगट रूप में जी कर दिखाया कि अब वह किसी काल्पनिक देवी-देवता पर नहीं वरन जीवते और सच्चे परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास रखता था और उसके लिए जीवन जीता था। पौलुस प्रेरित द्वारा रोम के मसीही विश्वासीयों को लिखी पत्री के अन्त में हम एक लंबी सूची पाते हैं उन लोगों की जिन्होंने पौलुस के साथ मसीही सेवकाई में कार्य किया और सहयोग दिया (रोमियों 16)। पौलुस उन सब के नाम के साथ उनके कार्य तथा सहयोग के अनुरूप कुछ उपनाम जोड़ देता है, जो आज भी हमें उन लोगों के मसीही सेवकाई के कार्यों के बारे में बताते हैं।

   हम मसीही विश्वासीयों के लिए हमारे नाम से भी अधिक हमारे वे मसीही विश्वास संबंधित गुण हैं जो हम अपने आस-पास के लोगों और समाज के सामने प्रदर्शित करते हैं, जैसे विश्वासयोग्य, ध्यान रखने और देखभाल करने वाले, प्रोत्साहित करने और उभारने वाले, सदबुद्धि से कार्य करने वाले इत्यादि। आज यदि आपके नाम के साथ, आपके व्यावाहरिक मसीही विश्वास को दिखाने के लिए कोई उपनाम लगाए, तो वह उपनाम क्या होगा? वह उपनाम आपके लिए सम्मान का कारण होगा या शर्मिंदगी का? - डेनिस फिशर


यदि हम अपने चरित्र का ध्यान रखें तो हमारी ख्याति स्वतः ही बन जाएगी।

पर मैं ने इपफ्रदीतुस को जो मेरा भाई, और सहकर्मी और संगी योद्धा और तुम्हारा दूत, और आवश्यक बातों में मेरी सेवा टहल करने वाला है, तुम्हारे पास भेजना अवश्य समझा। - फिलिप्पियों 2:25

बाइबल पाठ: रोमियों 16:1-15
Romans 16:1 मैं तुम से फीबे की, जो हमारी बहिन और किंख्रिया की कलीसिया की सेविका है, बिनती करता हूं।
Romans 16:2 कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उसको तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है।
Romans 16:3 प्रिसका और अक्विला को जो मसीह यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्कार।
Romans 16:4 उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं।
Romans 16:5 और उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उन के घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहिला फल है, नमस्कार।
Romans 16:6 मरियम को जिसने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया, नमस्कार।
Romans 16:7 ​अन्द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे, और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझ से पहिले मसीह में हुए थे, नमस्कार।
Romans 16:8 अम्पलियातुस को, जो प्रभु में मेरा प्रिय है, नमस्कार।
Romans 16:9 उरबानुस को, जो मसीह में हमारा सहकर्मी है, और मेरे प्रिय इस्तखुस को नमस्कार।
Romans 16:10 अपिल्लेस को जो मसीह में खरा निकला, नमस्कार। अरिस्तुबुलुस के घराने को नमस्कार।
Romans 16:11 मेरे कुटुम्बी हेरोदियोन को नमस्कार। नरकिस्सुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उन को नमस्कार।
Romans 16:12 त्रूफैना और त्रूफोसा को जो प्रभु में परिश्रम करती हैं, नमस्कार। प्रिया परसिस को जिसने प्रभु में बहुत परिश्रम किया, नमस्कार।
Romans 16:13 रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उस की माता को जो मेरी भी है, दोनों को नमस्कार।
Romans 16:14 असुंक्रितुस और फिलगोन और हिर्मास ओर पत्रुबास और हर्मेस और उन के साथ के भाइयों को नमस्कार।
Romans 16:15 फिलुलुगुस और यूलिया और नेर्युस और उस की बहिन, और उलुम्पास और उन के साथ के सब पवित्र लोगों को नमस्कार।


एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 8-10 
  • प्रेरितों 8:26-40


बुधवार, 26 जून 2013

विश्राम स्थान

   मैं कुछ लोगों के साथ एक समूह में व्यायाम करने जाया करती थी। मेरे लिए उस व्यायाम सत्र का सबसे आकर्षक भाग होता था सत्र के अन्तिम पाँच मिनिट; उन पाँच मिनिटों में हम चटाई पर सुस्ताने के लिए अपनी पीठ के बल लेट जाते थे और रौशनी धीमी कर दी जाती थी जिससे हम विश्राम कर सकें। ऐसे ही एक सत्र के अन्त में, उस विश्राम समय के दौरान हमारे प्रशिक्षक ने धीमी आवाज़ में एक बहुत गंभीर बात कही, "कोई ऐसा अन्तःस्थान भी ढूंढें जहाँ आप विश्राम के लिए छुप सकें।"

   मैं अपने प्रशिक्षक की बात पर विचार करने लगी और क्लेलैण्ड बी० मैकैफी द्वारा लिखित भजन "Near to the Heart of God" (परमेश्वर के हृदय के निकट) के बोल मुझे स्मरण हो आए:
एक शांत विश्राम का स्थान है, 
परमेश्वर के हृदय के निकट, 
एक ऐसा स्थान जहाँ पाप परेशान नहीं कर सकता, 
परमेश्वर के हृदय के निकट, 
हे यीशु महान मुक्तिदाता, 
परमेश्वर के हृद्य से भेजे गए, 
हमें जो तेरे सम्मुख ठहरे हुए हैं थाम कर रख, 
परमेश्वर के हृदय के निकट.

   यह भजन क्लेलैण्ड बी० मैकैफी ने 1901 में अपने भाई और उसके परिवार के लिए परमेश्वर में आशा बनाए रखने तथा परमेश्वर की देखभाल के प्रति आश्वस्त रहने के लिए लिखा था। उस समय भजन लेखक की दो भतीजीयों की डिप्थीरीया रोग से मृत्यु हो गई थी, और रोग को संक्रमण द्वारा फैलने से रोकने के लिए उस परिवार और घर को संगरोधित कर दिया गया था जिससे कोई वहाँ से निश्चित समय तक अन्दर या बाहर नहीं हो सकता था। ऐसे में उसके चर्च के लोगों ने इस भजन को उसके भाई के घर के बाहर खड़े होकर उनके लिए गाया था।

   प्रेरित पौलुस बताता है कि परमेश्वर का हृद्य हमारे प्रति प्रेम से परिपूर्ण है (रोमियों 8:31-39); और कुछ भी - क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार, या मृत्यु, या स्वर्गदूत, या प्रधानताएं, या अधिकार, या ऊँचाई, या गहराई - हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग कर सकती है; "... यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?" (रोमियों 8:31)

   हमारे कष्ट या चिंताएं कुछ भी हों, परमेश्वर का हृदय ही हमारे लिए वह विश्राम का स्थान है जहाँ हम कभी भी, हर हाल तथा परिस्थिति में प्रवेश करके शांति और विश्राम पा सकते हैं। इसीलिए प्रेरित पतरस ने अपनी पत्री में लिखा है: "और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है (1 पतरस 5:7)। - ऐने सेटास


जब आप जीवन के संघर्षों में थक जाएं तो परमेश्वर के हृद्य में अपना विश्राम पाएं

हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28 

बाइबल पाठ: रोमियों 8:31-39
Romans 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Romans 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Romans 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
Romans 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
Romans 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Romans 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Romans 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
Romans 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Romans 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।


एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 5-7 
  • प्रेरितों 8:1-25


मंगलवार, 25 जून 2013

पुनःआँकलन

   मैं अपने मित्र के साथ उसकी कार में एक लंबी सड़क यात्रा पर निकला था। प्रतिदिन की अपनी यात्रा को तय करने के लिए हम उसके जी०पी०एस० अर्थात मार्ग और दिशा निर्देश देने वाले यन्त्र की सहायता लेते रहते थे। जब हम किसी बस्ती या शहर में से होकर निकलते तो उस यन्त्र से एक आवाज़ हमें बताती कि हमें कौन सी सड़क लेनी है और कौन से मोड़ पर मुड़ना है। यदि हम उस यन्त्र द्वारा बताए गए मार्ग से हटकर किसी अन्य मार्ग पर हो लेते, जानबूझकर अथवा गलती से, तो वह आवाज़ कहती, "पुनःआँकलन किया जा रहा है" और फिर हमारी वर्तमान स्थिति से गन्तव्य स्थान के लिए मार्ग का पुनःआँकलन करके वह आवाज़ हमें फिर से सही मार्ग पर आने के निर्देश देना आरंभ कर देती।

   जीवन यात्रा में प्रत्येक मसीही विश्वासी के लिए परमेश्वर का वचन बाइबल भी ऐसा ही मार्ग तथा दिशा निर्देशक यन्त्र है। प्रेरित पौलुस द्वारा तिमुथियुस को लिखी अपनी दूसरी पत्री में पौलुस ने तिमुथियुस को समझाया: "हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है" (2 तिमुथियुस 3:16)। मार्गदर्शन तथा दिशा निर्देशन से संबंधित परमेश्वर के वचन की चार योग्यताएं पौलुस ने यहाँ गिनाई हैं:
  • उपदेश - अर्थात वह निर्धारित मार्ग जिस पर हमें चलना है।
  • समझाना - अर्थात मार्ग से भटक जाने पर मिलने वाली सूचना और संबंधित सलाह।
  • सुधारना - अर्थात सही मार्ग पर लौट आने के निर्देश।
  • धर्म की शिक्षा - अर्थात सही मार्ग पर बने रहने से संबंधित शिक्षाएं।

   हमें परमेश्वर के मार्ग से दूर ले जाने वाली हमारी गलतियों या चुनावों को हमें हलके में नहीं लेना चाहिए, वरन गंभीरता पूर्वक उन पर विचार करके उन्हें फिर से ना दोहराने के सार्थक प्रयास करने चाहिएं। गलती सामान्यतः अन्तिम नहीं होती और निर्णय भी बदले जा सकते हैं, इसलिए परमेश्वर के पवित्र आत्मा की आवाज़ के प्रति, जो परमेश्वर की ओर से प्रत्येक नया जन्म पाए मसीही विश्वासी को दिया गया है, हमें संवेदनशील रहना चाहिए क्योंकि सही मार्ग से भटकते ही वह हमें बताना आरंभ कर देता है कि हम पथ से हट गए हैं और हमारे लिए वहाँ से सही मार्ग पर लौटने के मार्ग का पुनःआँकलन करके उसके बारे में हमें बताने लगता है।

   क्या आप परमेश्वर द्वारा दिए गए सही मार्ग पर चल रहे हैं? कहीं परमेश्वर किसी रीति से आपका ध्यान अपनी ओर खींच कर आपकी गलती के बारे में आपको बताने के प्रयास तो नहीं कर रहा? आज कहीं आप अपने आप को परमेश्वर के मार्ग से भटका हुआ और सही मार्ग तो खोजते हुए तो नहीं पाते? परमेश्वर और उसके वचन बाइबल की ओर लौट आईए, उसने आपके लिए लौटने के मार्ग का पुनःआँकलन कर रखा है; आपको बस उसके निर्देशों का पालन मात्र ही करना है। - डेविड मैक्कैसलैंड


सही दिशा में बढ़ने के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल के निर्देशों का पालन करते रहिए।

क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है। - इब्रानियों 4:12 

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 3:10-17
2 Timothy 3:10 पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
2 Timothy 3:11 और ऐसे दुखों में भी जो अन्‍ताकिया और इकुनियुम और लुस्‍त्रा में मुझ पर पड़े थे और और दुखों में भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
2 Timothy 3:12 पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
2 Timothy 3:13 और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
2 Timothy 3:14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
2 Timothy 3:15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
2 Timothy 3:16 हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
2 Timothy 3:17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए।


एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 3-4 
  • प्रेरितों 7:44-60


सोमवार, 24 जून 2013

प्रेम का कारण

   एक दिन मेरा तीन वर्षीय बेटा अचानक ही बोल उठा, "माँ मैं आपसे बहुत प्रेम करता हूँ।" मुझे सुनकर अच्छा तो लगा लेकिन साथ ही जानने का कौतहूल भी हुआ कि एक तीन वर्षीय बालक को ऐसा क्या अच्छा लगता है जिसके कारण उसने यह भाव व्यक्त किया। जानने के लिए मैंने अपने बेटे से पूछा कि वह क्यों मुझसे प्रेम करता है, तो तुरंत ही बड़े स्वाभाविक भाव से उसने उत्तर दिया, "क्योंकि आप मेरे साथ खेलते हो!" कारण सुनकर मुझे थोड़ी सी निराशा हुई इसलिए मैंने फिर पूछा, "बस इसी कारण या और कुछ भी है?" उसी साधारण और उनमुक्त भाव से वह बोला, "नहीं, बस इतना ही।" उसका यह उत्तर सुनकर मैं मुस्कुराई तो सही, लेकिन मुझे परमेश्वर के साथ अपने संबंध का भी ध्यान आया। क्या परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम का कारण केवल मुझे भली लगने वाली वे बातें हैं जो परमेश्वर मेरे लिए करता है? यदि मेरी मनपसन्द बातें कल ना हों तब मेरा प्रेम परमेश्वर के प्रति कैसा होगा?

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक अय्युब को ऐसी ही परीक्षा से निकलना पड़ा। अय्युब एक बहुत ही धर्मी और परमेश्वर का भय मानने वाला और बहुत धनी व्यक्ति था। अचानक ही उसका परिवार, मकान, संपत्ति और स्वास्थ्य, सब शैतान द्वारा बरबाद कर दिए गए, और उसकी पत्नि ने उसकी दयनीय दशा देखकर सलाह दी: "तब उसकी स्त्री उस से कहने लगी, क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा" (अय्युब 2:9 )। लेकिन अय्युब का अपनी पत्नि को प्रत्युत्तर था: "उसने उस से कहा, तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया" (अय्युब 2:10)। उसके साथ सांत्वना दिखाने आए उसके मित्र भी उसी पर दोषारोपण करने लगे कि अवश्य ही उसके जीवन में कुछ पाप होगा जिसके कारण उसे यह सब भोगना पड़ रहा है; अय्युब स्वयं भी परमेश्वर से प्रश्न करता रहा कि क्यों उसे यह सब सहना पड़ रहा है, लेकिन उसने परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को नहीं छोड़ा और उसके प्रति आशावान रहा। अन्ततः परमेश्वर से उसने केवल जितना उसने गंवाया था उससे दोगुनी आशीष ही नहीं पाई वरन परमेश्वर के नए और गहरे दर्शन तथा समझ-बूझ भी प्राप्त करी।

   अय्युब का परमेश्वर के प्रति प्रेम और श्रद्धा का कारण उसके जीवन की खुशहाली या समस्याओं का समाधान नहीं था वरन वह परमेश्वर से परमेश्वर के व्यक्तित्व और जो कुछ वह है और करता है के कारण प्रेम करता था। परमेश्वर के प्रति अय्युब का दृष्टिकोण था "वह बुद्धिमान और अति सामथीं है: उसके विरोध में हठ कर के कौन कभी प्रबल हुआ है?" (अय्युब 9:4)

   क्या आज परमेश्वर के प्रति आपका भी अय्युब के समान ही दृष्टिकोण है? विचार कीजिए कि परमेश्वर के प्रति आपके प्रेम का कारण क्या है? यदि आप किसी परेशानी में पड़ जाएं और आपकी सुख समृद्धि जाती रहे तो क्या आप फिर भी परमेश्वर से वैसा ही प्रेम बनाए रखेंगे? - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर के व्यक्तित्व और चरित्र पर ध्यान केंद्रित रखने से हम परिस्थितियों से ध्यान हटाए रहते हैं।

उसने उस से कहा, तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया। - अय्युब 2:10

बाइबल पाठ: अय्युब 2
Job 2:1 फिर एक और दिन यहोवा परमेश्वर के पुत्र उसके साम्हने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी उसके साम्हने उपस्थित हुआ।
Job 2:2 यहोवा ने शैतान से पूछा, तू कहां से आता है? शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, कि इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ।
Job 2:3 यहोवा ने शैतान से पूछा, क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है कि पृथ्वी पर उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय मानने वाला और बुराई से दूर रहने वाला मनुष्य और कोई नहीं है? और यद्यापि तू ने मुझे उसको बिना कारण सत्यानाश करने को उभारा, तौभी वह अब तक अपनी खराई पर बना है।
Job 2:4 शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, खाल के बदले खाल, परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है।
Job 2:5 सो केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियां और मांस छू, तब वह तेरे मुंह पर तेरी निन्दा करेगा।
Job 2:6 यहोवा ने शैतान से कहा, सुन, वह तेरे हाथ में है, केवल उसका प्राण छोड़ देना।
Job 2:7 तब शैतान यहोवा के साम्हने से निकला, और अय्यूब को पांव के तलवे से ले सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों से पीड़ित किया।
Job 2:8 तब अय्यूब खुजलाने के लिये एक ठीकरा ले कर राख पर बैठ गया।
Job 2:9 तब उसकी स्त्री उस से कहने लगी, क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा।
Job 2:10 उसने उस से कहा, तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया।
Job 2:11 जब तेमानी एलीपज, और शूही बिलदद, और नामाती सोपर, अय्यूब के इन तीन मित्रों ने इस सब विपत्ति का समाचार पाया जो उस पर पड़ी थीं, तब वे आपस में यह ठान कर कि हम अय्यूब के पास जा कर उसके संग विलाप करेंगे, और उसको शान्ति देंगे, अपने अपने यहां से उसके पास चले।
Job 2:12 जब उन्होंने दूर से आंख उठा कर अय्यूब को देखा और उसे न चीन्ह सके, तब चिल्लाकर रो उठे; और अपना अपना बागा फाड़ा, और आकाश की ओर धूलि उड़ाकर अपने अपने सिर पर डाली।
Job 2:13 तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे, परन्तु उसका दु:ख बहुत ही बड़ा जान कर किसी ने उस से एक भी बात न कही।


एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 1-2 
  • प्रेरितों 7:22-43


रविवार, 23 जून 2013

भिन्न

   स्वर्ग के जिस राज्य की स्थापना के लिए प्रभु यीशु इस धरती पर आए थे उसकी मान्यताएं और मूल्य उनके आगमन के समय भी और आज भी संसार में प्रचलित मूल्यों से बहुत भिन्न और विलक्षण हैं। प्रभु यीशु के पृथ्वी पर रहने के दिनों में धर्म के अगुवे और शिक्षक लोगों की भीड़, उस भीड़ द्वारा आदर और अभिवादन, तथा अपने आप को ऊँचा दिखाना बहुत पसन्द करते थे; और आज भी यही प्रवृति देखने को मिलती है।

   प्रभु यीशु ने एक नीतिकथा द्वारा अपने शिष्यों को इस प्रवृति से बच कर रहने को समझाया; यह नीतिकथा परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 14 में मिलती है। इस नीतिकथा में कुछ लोगों के बारे में उल्लेख है जो एक विवाह के भोज में आमंत्रित थे और वहाँ पर उन्होंने अपने लिए सबसे सम्मानित स्थान चुन लिए। लेकिन जब भोज का मेज़बान उन स्थानों पर बैठाने के लिए उन लोगों को लाया जिनके लिए वे स्थान तैयार किए गए थे और इन लोगों से स्थान खाली करने को कहा, तो इन्हें बड़ी शर्मिंदगी के साथ उठकर पीछे के नीचे स्थानों पर जाना पड़ा। साथ ही प्रभु यीशु ने शिष्यों को यह भी समझाया कि उन्हें अपनी दावत में कैसे लोगों को आमंत्रित करना चाहिए और क्यों: "परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्‍डों, लंगड़ों और अन्‍धों को बुला। तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा" (लूका 14:13-14)।

   क्या आप इस बात से निराश हैं कि समाज, पड़ौसियों और चर्च में आपको ऊँचा दर्जा नहीं दिया जाता है? क्या आप इस बात को लेकर कुँठित हैं कि आपकी योग्यता और स्थान की सही पहचान नहीं हुई है और आपको वह स्थान नहीं मिल रहा है जिसके योग्य आप अपने आप को समझते हैं? ज़रा प्रभु यीशु की बात पर ध्यान दीजिए: "जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा" (लूका 14:11)।

   परमेश्वर के राज्य का यह एक वह भिन्न मूल्य है जो संसार में आपको कहीं नहीं मिलेगा - यदि परमेश्वर से आदर और उसके द्वारा उन्नत स्थान चाहते हैं तो संसार में अपने आप को दीन और नम्र कर दें तथा संसार और संसार के लोगों से कुछ भी आशा ना रखें। परमेश्वर की नज़रों में दीन बनें और उचित समय तथा परिस्थिति के द्वारा वह आपको संसार में भी आदरणीय बना देगा। - डेव एगनर


मसीह यीशु के राज्य में दीनता सदा ही घमण्ड पर विजयी रही है और रहती है।

प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा। - याकूब 4:10 

बाइबल पाठ: लूका 14:7-14
Luke 14:7 जब उसने देखा, कि नेवताहारी लोग क्योंकर मुख्य मुख्य जगहें चुन लेते हैं तो एक दृष्‍टान्‍त देकर उन से कहा।
Luke 14:8 जब कोई तुझे ब्याह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो, कि उसने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो।
Luke 14:9 और जिसने तुझे और उसे दोनों को नेवता दिया है: आकर तुझ से कहे, कि इस को जगह दे, और तब तुझे लज्ज़ित हो कर सब से नीची जगह में बैठना पड़े।
Luke 14:10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सब से नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिसने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे कि हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ; तब तेरे साथ बैठने वालों के साम्हने तेरी बड़ाई होगी।
Luke 14:11 और जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।
Luke 14:12 तब उसने अपने नेवता देने वाले से भी कहा, जब तू दिन का या रात का भोज करे, तो अपने मित्रों या भाइयों या कुटुम्बियों या धनवान पड़ोसियों को न बुला, कहीं ऐसा न हो, कि वे भी तुझे नेवता दें, और तेरा बदला हो जाए।
Luke 14:13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्‍डों, लंगड़ों और अन्‍धों को बुला।
Luke 14:14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा।


एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 9-10 
  • प्रेरितों 7:1-21


शनिवार, 22 जून 2013

भय और विश्वास

   माँ ने अपने पाँच वर्षीय पुत्र जौनी से कहा कि गोदाम में जाकर टमाटर के सूप का एक डब्बा ले आए। लेकिन जौनी ने यह कहते हुए, "लेकिन वहाँ तो अन्धेरा है" जाने से मना कर दिया। माँ ने जौनी को फिर आश्वस्त किया, "वहाँ पर डरने की कोई बात नहीं है, और फिर यीशु तो वहाँ भी है।" जौनी आशंका से भरा हुआ और बड़े अनमने मन से गोदाम तक गया, धीरे से गोदाम का दरवाज़ा खोला और अन्दर के अन्धकार को देखकर बाहर ही से ऊँची आवाज़ में बोला, "यीशु, मुझे ज़रा यहाँ टमाटर सूप का एक डब्बा तो पकड़ना।"

   यह मज़ाकिया कहानी मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक गिदोन की याद दिलाती है। परमेश्वर ने गिदोन को दर्शन दिए और उसे "हे शूरवीर सूरमा" कहकर संबोधित भी किया (न्यायियों 6:12) और फिर उसे इस्त्राएलियों को मिदियानी आताताईयों के हाथों से छुड़ाने को कहा (पद 14)। लेकिन गिदोन अपने भय से आगे नहीं देख सका और इस ज़िम्मेदारी से बचने का मार्ग ढूँढते हुए, "उसने कहा, हे मेरे प्रभु, बिनती सुन, मैं इस्राएल को क्योंकर छुड़ाऊँ? देख, मेरा कुल मनश्शे में सब से कंगाल है, फिर मैं अपने पिता के घराने में सब से छोटा हूं" (न्यायियों 6:15 )। परमेश्वर ने गिदोन को फिर आश्वस्त किया कि वह परमेश्वर की सहायता से मिदियानियों को हराने पाएगा (पद 16), लेकिन गिदोन का भय नहीं गया। फिर अपने आप को और आश्वस्त करने तथा अपने साथ परमेश्वर की उपस्थिति को जाँचने के लिए गिदोन ने परमेश्वर से दो बार चिन्ह माँगे (पद 17, 36-40), और परमेश्वर ने उन चिन्हों को भी पूरा किया। जब गिदोन इतना भयभीत और सन्देहकारी था तो फिर परमेश्वर ने उसे "हे शूरवीर सूरमा" कहकर क्यों संबोधित किया? इसलिए, क्योंकि परमेश्वर जानता था कि अपनी ही नज़रों में तुच्छ और कमज़ोर यह व्यक्ति आगे चलकर परमेश्वर की सहायता से कैसे महान कार्य करेगा और इस्त्राएल में क्या बन जाएगा।

   आज अपने हालात और संसार की परिस्थितियों से घबराकर हम भी अपनी योग्यताओं और सामर्थ पर शक कर सकते हैं, अपने को कमज़ोर और लाचार मान सकते हैं। लेकिन हम यह कभी नहीं भूलें कि जब हम परमेश्वर पर विश्वास रखेंगे और उसके आज्ञाकारी रहेंगे तो वह अपनी सामर्थ से हमें परिपूर्ण करके हमारे द्वारा क्या कुछ नहीं कर सकता। जो गिदोन का परमेश्वर था वही आज हम मसीही विश्वासियों का भी परमेश्वर है। उसकी योजनाएं आज भी वैसी ही अद्भुत और उसका साथ वैसा ही सामर्थ प्रदान करने तथा जयवंत बनाने वाला है। जीवन अपनी कमज़ोरियों के भय से नहीं, परमेश्वर में विश्वास की सामर्थ से बिताएं। - एलबर्ट ली


जब हम इस बात से आश्वस्त हैं कि परमेश्वर प्रभु यीशु हमारे साथ है तो हम किसी भी भय का सामना कर सकते हैं।

उसको यहोवा के दूत ने दर्शन देकर कहा, हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है। - न्यायियों 6:12 

बाइबल पाठ: न्यायियों 6:11-23
Judges 6:11 फिर यहोवा का दूत आकर उस बांजवृक्ष के तले बैठ गया, जो ओप्रा में अबीएजेरी योआश का था, और उसका पुत्र गिदोन एक दाखरस के कुण्ड में गेहूं इसलिये झाड़ रहा था कि उसे मिद्यानियों से छिपा रखे।
Judges 6:12 उसको यहोवा के दूत ने दर्शन देकर कहा, हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है।
Judges 6:13 गिदोन ने उस से कहा, हे मेरे प्रभु, बिनती सुन, यदि यहोवा हमारे संग होता, तो हम पर यह सब विपत्ति क्यों पड़ती? और जितने आश्चर्यकर्मों का वर्णन हमारे पुरखा यह कहकर करते थे, कि क्या यहोवा हम को मिस्र से छुड़ा नहीं लाया, वे कहां रहे? अब तो यहोवा ने हम को त्याग दिया, और मिद्यानियों के हाथ कर दिया है।
Judges 6:14 तब यहोवा ने उस पर दृष्टि कर के कहा, अपनी इसी शक्ति पर जा और तू इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाएगा; क्या मैं ने तुझे नहीं भेजा?
Judges 6:15 उसने कहा, हे मेरे प्रभु, बिनती सुन, मैं इस्राएल को क्योंकर छुड़ाऊँ? देख, मेरा कुल मनश्शे में सब से कंगाल है, फिर मैं अपने पिता के घराने में सब से छोटा हूं।
Judges 6:16 यहोवा ने उस से कहा, निश्चय मैं तेरे संग रहूंगा; सो तू मिद्यानियों को ऐसा मार लेगा जैसा एक मनुष्य को।
Judges 6:17 गिदोन ने उस से कहा, यदि तेरा अनुग्रह मुझ पर हो, तो मुझे इसका कोई चिन्ह दिखा कि तू ही मुझ से बातें कर रहा है।
Judges 6:18 जब तक मैं तेरे पास फिर आकर अपनी भेंट निकाल कर तेरे साम्हने न रखूं, तब तक तू यहां से न जा। उसने कहा, मैं तेरे लौटने तक ठहरा रहूंगा।
Judges 6:19 तब गिदोन ने जा कर बकरी का एक बच्चा और एक एपा मैदे की अखमीरी रोटियां तैयार कीं; तब मांस को टोकरी में, और जूस को तसले में रखकर बांजवृक्ष के तले उसके पास ले जा कर दिया।
Judges 6:20 परमेश्वर के दूत ने उस से कहा, मांस और अखमीरी रोटियों को ले कर इस चट्टान पर रख दे, और जूस को उण्डेल दे। उसने ऐसा ही किया।
Judges 6:21 तब यहोवा के दूत ने अपने हाथ की लाठी को बढ़ाकर मांस और अखमीरी रोटियों को छूआ; और चट्टान से आग निकली जिस से मांस और अखमीरी रोटियां भस्म हो गई; तब यहोवा का दूत उसकी दृष्टि से अन्तरध्यान हो गया।
Judges 6:22 जब गिदोन ने जान लिया कि वह यहोवा का दूत था, तब गिदोन कहने लगा, हाय, प्रभु यहोवा! मैं ने तो यहोवा के दूत को साक्षात देखा है।
Judges 6:23 यहोवा ने उस से कहा, तुझे शान्ति मिले; मत डर, तू न मरेगा।


एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 6-8 
  • प्रेरितों 6


शुक्रवार, 21 जून 2013

अनपेक्षित अशीष

   परमेश्वर के वचन बाइबल के प्रथम खण्ड - पुराने नियम में एक पुस्तक है "रूत"। यह पुस्तक एक बड़ी ही अद्भुत लेकिन सच्ची कहानी कहती है, एक गैरइस्त्राएली स्त्री रूत की। कहानी का आरंभ होता है एक इस्त्राएली स्त्री नाओमी के परिवार से, जो इस्त्राएल में पड़े अकाल से बचने के लिए गैरइस्त्राएली मोआब के इलाके में चला जाता है। वहाँ रहते हुए नाओमी के दोनो बेटे मोआबी स्त्रीओं, ओर्पा और रूत से ब्याह कर लेते हैं। कुछ समय पश्चात ही पहले नाओमी के पति का फिर उसके दोनो पुत्रों का भी देहाँत हो जाता है। ऐसे में ये तीन विधवाएं बड़ी कठिन परिस्थितियों में आ जाती हैं।

   तब नाओमी को पता चलता है कि इस्त्राएल अब अकाल से निकल आया है और वह अपने देश, घर और ज़मीन में लौट जाने का निर्णय लेती है। उसकी दोनों विधवा बहुएं भी उसके साथ चलना चाहती हैं, लेकिन नाओमी उन्हें साथ आने से मना करती है क्योंकि उसे लगता है कि परमेश्वर ने उसे छोड़ दिया है और वह उनसे अपने ही लोगों और परिवार जनों में रहने के लिए समझाती है, "तौभी क्या तुम उनके सयाने होने तक आशा लगाए ठहरी रहतीं? और उनके निमित्त पति करने से रुकी रहतीं? हे मेरी बेटियों, ऐसा न हो, क्योंकि मेरा दु:ख तुम्हारे दु:ख से बहुत बढ़कर है; देखो, यहोवा का हाथ मेरे विरुद्ध उठा है" (रूत 1:13)। ओर्पा तो नाओमी की बात मानकर पीछे रह जाती है लेकिन रूत अपनी सास द्वारा परमेश्वर पर रखे कमज़ोर विश्वास से हताश नहीं होती वरन अपने ससुराल के लोगों और उनके परमेश्वर के प्रति एक बड़े अद्भुत विश्वास और समर्पण का परिचय देती है: "तब वे फिर से उठीं; और ओर्पा ने तो अपनी सास को चूमा, परन्तु रूत उस से अलग न हुई। तब उसने कहा, देख, तेरी जिठानी तो अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट गई है; इसलिये तू अपनी जिठानी के पीछे लौट जा। रूत बोली, तू मुझ से यह बिनती न कर, कि मुझे त्याग वा छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी; जहां तू टिके वहां मैं भी टिकूंगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा; जहां तू मरेगी वहां मैं भी मरूंगी, और वहीं मुझे मिट्टी दी जाएगी। यदि मृत्यु छोड़ और किसी कारण मैं तुझ से अलग होऊं, तो यहोवा मुझ से वैसा ही वरन उस से भी अधिक करे। जब उसने यह देखा कि वह मेरे संग चलने को स्थिर है, तब उसने उस से और बात न कही" (रूत 1:14-18)।

   यह कहानी आरंभ होती है बड़ी निराशाजनक परिस्थितियों - अकाल, मृत्यु और कठिन हालात के साथ, आगे बढ़ती है एक अद्भुत विश्वास द्वारा, एक नया मोड़ लेती है अनपेक्षित करुणा और दया के व्यवहारों से - रूत का नाओमी के प्रति (रूत 1:16-17; 2:11-12) और फिर नाओमी के दूर के रिश्तेदार बोआज़ का रूत के प्रति (रूत 2:13-14)। इस विलक्षण किंतु सच्ची कहानी में कुछ विचित्र से लोग हैं - दो विधवाएं, जिनमें से एक वृद्ध इस्त्राएली है और दूसरी एक जवान गैर इस्त्राएली, एक समृद्ध व्यक्ति बोआज़ जो एक वैश्या की सन्तान है (यहोशु 2:1, मत्ती 1:5)। इसका कथानक आधारित है एक अजीब से "संयोग" - रूत का बोआज़ के खेत में कटाई के बाद ज़मीन पर पड़ी रह गई अन्न की बालों को बीनने जाने पर (रूत 2:3), जिसके कारण रूत बोआज़ के संपर्क में आती है और फिर बोआज़ उसे ब्याह कर अपने घर ले आता है।

   इस कहानी का यही सुखद अन्त नहीं है। कहानी का अन्त एक अद्भुत और कलपना से भी परे आशीष के साथ है; बोआज़ और रूत से उत्पन्न पुत्र ओबेद इस्त्राएल के राजा दाऊद का दादा हुआ और राजा दाऊद के वंश में आगे चलकर संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह ने जन्म लिया।

   दुखदायी परिस्थितियाँ, परमेश्वर पर कमज़ोर टूटता हुआ विश्वास, बहुत ही साधारण से तथा तुच्छ समझे जाने वाले लोग, कुछ दया और करुणा के प्रकट भाव और इन सब के साथ परमेश्वर का हर बात तथा परिस्थिति को अपने वश में एवं नियंत्रित रखना; नतीजा - संसार के लिए पापों से मुक्ति तथा उद्धार का मार्ग!

   क्या आप अपने जीवन की परिस्थितियों से निराश और परेशान हैं? क्या परमेश्वर पर आपका विश्वास डगमगा रहा है या उठ गया है? क्या जीवन के हालात बिलकुल अनेपक्षित और समझ से बाहर हैं? अपना जीवन परमेश्वर को समर्पित करके सब कुछ परमेश्वर के हाथों में सौंप दीजिए, उसपर भरोसा बनाए रखिए और उसे अपने जीवन में कार्य करने दीजिए; नतीजा ऐसी अनेपक्षित और विलक्षण आशीष होगी जिसकी आप अभी कलपना भी नहीं कर सकते। - जूली ऐकैरमैन लिंक


मसीही विशवासी के जीवन के हर गतिरोध में परमेश्वर एक अद्भुत आनन्द की योजना का निर्माण कर रहा है। - जॉन पाइपर

...क्योंकि तेरी बहू जो तुझ से प्रेम रखती और सात बेटों से भी तेरे लिये श्रेष्ट है उसी का यह बेटा है। - रूत 4:15 

बाइबल पाठ: रूत 2:11-23; 4:13-17
Ruth 2:11 बोअज ने उत्तर दिया, जो कुछ तू ने पति मरने के पीछे अपनी सास से किया है, और तू किस रीति अपने माता पिता और जन्मभूमि को छोड़कर ऐसे लोगों में आई है जिन को पहिले तू ने जानती थी, यह सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है।
Ruth 2:12 यहोवा तेरी करनी का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों के तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे
Ruth 2:13 उसने कहा, हे मेरे प्रभु, तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर बनी रहे, क्योंकि यद्यपि मैं तेरी दासियों में से किसी के भी बराबर नहीं हूं, तौभी तू ने अपनी दासी के मन में पैठनेवाली बातें कहकर मुझे शान्ति दी है।
Ruth 2:14 फिर खाने के समय बोअज ने उस से कहा, यहीं आकर रोटी खा, और अपना कौर सिरके में बोर। तो वह लवने वालों के पास बैठ गई; और उसने उसको भुनी हुई बालें दी; और वह खाकर तृप्त हुई, वरन कुछ बचा भी रखा।
Ruth 2:15 जब वह बीनने को उठी, तब बोअज ने अपने जवानों को आज्ञा दी, कि उसको पूलों के बीच बीच में भी बीनने दो, और दोष मत लगाओ।
Ruth 2:16 वरन मुट्ठी भर जाने पर कुछ कुछ निकाल कर गिरा भी दिया करो, और उसके बीनने के लिये छोड़ दो, और उसे घुड़को मत।
Ruth 2:17 सो वह सांझ तक खेत में बीनती रही; तब जो कुछ बीन चुकी उसे फटका, और वह कोई एपा भर जौ निकला।
Ruth 2:18 तब वह उसे उठा कर नगर में गई, और उसकी सास ने उसका बीना हुआ देखा, और जो कुछ उसने तृप्त हो कर बचाया था उसको उसने निकाल कर अपनी सास को दिया।
Ruth 2:19 उसकी सास ने उस से पूछा, आज तू कहां बीनती, और कहां काम करती थी? धन्य वह हो जिसने तेरी सुधि ली है। तब उसने अपनी सास को बता दिया, कि मैं ने किस के पास काम किया, और कहा, कि जिस पुरूष के पास मैं ने आज काम किया उसका नाम बोअज है।
Ruth 2:20 नाओमी ने अपनी बहू से कहा, वह यहोवा की ओर से आशीष पाए, क्योंकि उसने न तो जीवित पर से और न मरे हुओं पर से अपनी करूणा हटाई! फिर नाओमी ने उस से कहा, वह पुरूष तो हमारा कुटुम्बी है, वरन उन में से है जिन को हमारी भूमि छुड़ाने का अधिकार है।
Ruth 2:21 फिर रूत मोआबिन बोली, उसने मुझ से यह भी कहा, कि जब तक मेरे सेवक मेरी कटनी पूरी न कर चुकें तब तक उन्हीं के संग संग लगी रह।
Ruth 2:22 नाओमी ने अपनी बहु रूत से कहा, मेरी बेटी यह अच्छा भी है, कि तू उसी की दासियों के साथ साथ जाया करे, और वे तुझ को दूसरे के खेत में न मिलें।
Ruth 2:23 इसलिये रूत जौ और गेहूं दोनों की कटनी के अन्त तक बीनने के लिये बोअज की दासियों के साथ साथ लगी रही; और अपनी सास के यहां रहती थी।

Ruth 4:13 तब बोअज ने रूत को ब्याह लिया, और वह उसकी पत्नी हो गई; और जब वह उसके पास गया तब यहोवा की दया से उसको गर्भ रहा, और उसके एक बेटा उत्पन्न हुआ।
Ruth 4:14 तब स्त्रियों ने नाओमी से कहा, यहोवा धन्य है, जिसने तुझे आज छुड़ाने वाले कुटुम्बी के बिना नहीं छोड़ा; इस्राएल में इसका बड़ा नाम हो।
Ruth 4:15 और यह तेरे जी में जी ले आनेवाला और तेरा बुढ़ापे में पालनेवाला हो, क्योंकि तेरी बहू जो तुझ से प्रेम रखती और सात बेटों से भी तेरे लिये श्रेष्ट है उसी का यह बेटा है।
Ruth 4:16 फिर नाओमी उस बच्चे को अपनी गोद में रखकर उसकी धाई का काम करने लगी।
Ruth 4:17 और उसकी पड़ोसिनों ने यह कहकर, कि नाओमी के एक बेटा उत्पन्न हुआ है, लड़के का नाम ओबेद रखा। यिशै का पिता और दाऊद का दादा वही हुआ।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 3-5 
  • प्रेरितों 5:22-42


गुरुवार, 20 जून 2013

संक्षिप्त

   एक बार मैं ने गिनती की और पाया कि अमेरिका के राष्ट्रपति एब्राहम लिंकन के प्रसिद्ध "गेट्सीबर्ग भाषण" में 300 से भी कम शब्द प्रयुक्त हुए थे; अर्थात बात के प्रभावी और विस्मर्णीय होने के लिए शब्दों की बहुतायत होने की आवश्यकता नहीं है।

   यह भी एक कारण है कि मुझे भजन 117 बहुत पसन्द है; संक्षिप्त होना इस भजन की खासियत है। भजनकार ने कुल 38 शब्दों में जो कुछ वह कहना चाहता था कह दिया है; मूल इब्रानी भाषा में तो इस भजन में केवल 17 शब्द ही प्रयुक्त हुए हैं। परमेश्वर की स्तुति एवं प्रशंसा के इस भजन में सारे संसार के लिए संदेश है कि परमेश्वर यहोवा का करूणामय प्रेम हमारे ऊपर प्रबल हुआ है इसलिए वह स्तुति और धन्यवाद का पात्र है।

   थोड़ा परमेश्वर के प्रेम के बारे में मनन करें। हमारे जन्म और अस्तित्व से पहले ही परमेश्वर ने हमसे प्रेम किया; हमारे जीवन भर उसका व्यवहार हमारे प्रति प्रेम और करुणा से भरा रहता है और हमारी मृत्योपरांत भी उसका प्रेम अपनी सन्तान के प्रति बना रहेगा। पौलुस प्रेरित ने रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उन्हें स्मरण दिलाया कि उनके प्रति मसीह यीशु के प्रेम से हमें अलग कर सकने वाली कोई भी बात नहीं है (रोमियों 8:39)। परमेश्वर का हृदय प्रेम का एक ऐसा सोता है जो ना कभी सूख सकता है और ना कभी समाप्त हो सकता है।

   इस संक्षिप्त से स्तुति एवं प्रशंसा के भजन को पढ़कर अपनी जीवन यात्रा में प्रोत्साहन पाने के लिए परमेश्वर के मेरे प्रति करुणामय प्रेम से बढ़कर लाभकारी किसी अन्य बात की मैं कलपना भी नहीं कर सकता; जीवन यात्रा को सफल बनाने के लिए उसका प्रेम ही मेरे लिए पर्याप्त है। क्या आपने अपने जीवन में परमेश्वर के प्रेम को स्थान दिया है? - डेविड रोपर


जितना हम परमेश्वर को अनुभव करते हैं उतना ही उसके प्रति आनन्दित और स्तुतिपूर्ण होते जाते हैं।

और फिर हे जाति जाति के सब लागो, प्रभु की स्तुति करो; और हे राज्य राज्य के सब लोगो; उसे सराहो। - रोमियों 15:11 

बाइबल पाठ: भजन 117; रोमियों 8:31-39
Psalms 117:1 हे जाति जाति के सब लोगों यहोवा की स्तुति करो! हे राज्य राज्य के सब लोगो, उसकी प्रशंसा करो!
Psalms 117:2 क्योंकि उसकी करूणा हमारे ऊपर प्रबल हुई है; और यहोवा की सच्चाई सदा की है याह की स्तुति करो!

Romans 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Romans 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Romans 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
Romans 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
Romans 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Romans 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Romans 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
Romans 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Romans 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 1-2 
  • प्रेरितों 5:1-21


बुधवार, 19 जून 2013

बचाए गए

   जनवरी 2010 में हेती द्वीप समूह में एक विनाशकारी भूकम्प आया। भूकम्प और उसके बाद के बचाव कार्य को मीडिया के द्वारा व्यापक रूप से दिखाया गया। विनाश तथा जान और माल की हानि के दृश्यों के बीच में, सभी आशाओं के विपरीत, किसी किसी के मलबे से जीवित निकाले जाने के दृश्य भी देखने को मिलते थे, और उनके साथ ही उन बचाए गए लोगों के रिश्तेदारों आदि के कृतज्ञता तथा धन्यवाद सहित आँसुओं से भरे चेहरे भी दिखाए जाते थे। वे रिश्तेदार कृतज्ञ एवं धन्यवादी थे उन अनजान लोगों के प्रति जो चौबीसों घण्टे बचाने के कार्य में लगे रहते थे और जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाई। 

   यदि यह आपके साथ होता तो आपको कैसा अनुभव होता? क्या आप कभी किसी जोखिम से बचाए गए हैं?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में कुलुस्से के मसीही विश्वासियों को, जिन्होंने व्यक्तिगत रीति से प्रभु यीशु को जाना और जीवन समर्पण किया था तथा जिनके जीवन उनके इस विश्वास को दिखाते थे, लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने पहले तो उन्हें आशवासन दिया कि वह निरंतर उन्हें प्रार्थना में स्मरण रखता है कि वे परमेश्वर की सिद्ध और भली इच्छा को जानने वाले और परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले बन सकें; तत्पश्चात पौलुस उन्हें स्मरण दिलाता है कि परमेश्वर ने उनके लिए क्या किया है: "उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया। जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है" (कुलुस्सियों 1:13-14)।

   मसीह यीशु में हम पाप और पाप के श्राप तथा दण्ड से बचाए जाते हैं। उसी ने अपने आप को हमारे लिए बलिदान कर दिया जिससे वह हमारे पापों को अपने ऊपर लेकर, अपनी धार्मिकता हमे दे सके। उसी में हमें मोक्ष या उद्धार और परमेश्वर की सन्तान होने का दर्जा तथा स्वर्ग में स्थान मिलता है। मसीह यीशु ही है जो संसार के हर व्यक्ति को पाप की मृत्यु से उद्धार के अनन्त जीवन में प्रवेश देता है, अन्धकार की शक्तियों से बचाकर निर्मल ज्योति में निवास देता है।

   पाप के प्रभाव तथा अंजाम से बचाए जाने और परमेश्वर के इस अनुग्रह तथा कृपा का हमारे जीवन में क्या स्थान एवं महत्व है, हमारे लिए यह एक गहन विचार का तथा परमेश्वर के प्रति निरंतर धन्यवादी होने का विषय होना चाहिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


जो पाप से बचाए गए हैं वे ही दूसरों को भी पाप से बचाने की लालसा रखते हैं।

परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। - इफिसियों 2:4-6

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 1:3-18
Colossians 1:3 हम तुम्हारे लिये नित प्रार्थना कर के अपने प्रभु यीशु मसीह के पिता अर्थात परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं।
Colossians 1:4 क्योंकि हम ने सुना है, कि मसीह यीशु पर तुम्हारा विश्वास है, और सब पवित्र लोगों से प्रेम रखते हो।
Colossians 1:5 उस आशा की हुई वस्तु के कारण जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी हुई है, जिस का वर्णन तुम उस सुसमाचार के सत्य वचन में सुन चुके हो।
Colossians 1:6 जो तुम्हारे पास पहुंचा है और जैसा जगत में भी फल लाता, और बढ़ता जाता है; अर्थात जिस दिन से तुम ने उसको सुना, और सच्चाई से परमेश्वर का अनुग्रह पहिचाना है, तुम में भी ऐसा ही करता है।
Colossians 1:7 उसी की शिक्षा तुम ने हमारे प्रिय सहकर्मी इपफ्रास से पाई, जो हमारे लिये मसीह का विश्वास योग्य सेवक है।
Colossians 1:8 उसी ने तुम्हारे प्रेम को जो आत्मा में है हम पर प्रगट किया।
Colossians 1:9 इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ।
Colossians 1:10 ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ।
Colossians 1:11 और उस की महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ से बलवन्‍त होते जाओ, यहां तक कि आनन्द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको।
Colossians 1:12 और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिसने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में समभागी हों।
Colossians 1:13 उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।
Colossians 1:14 जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है।
Colossians 1:15 वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है।
Colossians 1:16 क्योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
Colossians 1:17 और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
Colossians 1:18 और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है; वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 12-13 
  • प्रेरितों 4:23-37


मंगलवार, 18 जून 2013

केंद्र बिन्दु

   मुझे गोल्फ खेलना अच्छा लगता है, इसलिए कभी कभी मैं कुछ ऐसे वीडियो देखता हूँ जो इस खेल की बारीकियों और इसे खेलने के बारे में सिखाते हैं। लेकिन एक वीडियो से मैं बहुत निराश हुआ क्योंकि सिखाने वाले ने गोल्फ के एक बिन्दु को समझाने के लिए 8 क्रम और हर क्रम के नीचे और दर्जन भर उप-क्रम बताए। यह सब समझने में बहुत कठिन और अनुपयोगी था। यद्यपि मैं गोल्फ का कोई कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं हूँ, फिर भी सालों से खलने के अनुभव ने मुझे यह सिखाया है कि खेलते समय जितने अधिक विचार आपके दिमाग़ में चल रहे होंगे, आपकी सफलता की संभावना उतनी ही कम होगी। अच्छे खेल के लिए आपको अपने विचारों को सीमित एवं सरल तथा ध्यान को एक ही बात पर केंद्रित रखना चाहिए कि किस प्रकार गोल्फ के बल्ले और गेंद में सबसे अधिक कारगर संपर्क बनाया जाए। उस प्रशिक्षक द्वारा दिए गए इतने अधिक विचार ध्यान को केंद्रित रखने में बाधा थे।

   जैसे गोल्फ में, वैसे ही जीवन में इसी प्रकार से केंद्रित रहना सफलता के लिए अनिवार्य है। यही बात मसीही विश्वास और मसीही जीवन में भी पाई जाती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने इस बारे में लिखा है (फिलिप्पियों 3)। बजाए इसके कि वह अनेक बातों पर ध्यान करता रहे, पौलुस ने सबसे महत्वपूरण एक ही बात पर अपना ध्यान केंद्रित रखा: "हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है" (फिलिप्पियों 3:13-14)।

   उसके जीवन की सफलता और उन्नति का यही राज़ था - "केवल यह एक काम करता हूं" - केंद्रित विचार। ध्यान इधर-उधर खींचने और भंग करने के अनेक आकर्षणों तथा विधियों से भरे इस संसार में एक मसीही विश्वासी के लिए अपने ध्यान को अपने उद्धारकर्ता मसीह यीशु पर ध्यान केंद्रित रखने से भला और कुछ नहीं है। लेकिन यह तब ही हो सकता है जब मसीह यीशु आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान हो। जब ऐसा होगा तब सांसारिक प्रलोभन और विचार नहीं वरन मसीह यीशु का जीवन और शिक्षाएं आपका मार्गदर्शक तथा उद्देश्य होंगी और परमेश्वर की आशीष आपके जीवन में बनी रहेगी। 

   क्या आज मसीह यीशु आपके जीवन तथा ध्यान का केंद्र बिन्दु है? - बिल क्राउडर


जब हम मसीह यीशु पर अपने ध्यान को बनाए रखते हैं तब ही हम उसके लिए सबसे प्रभावशाली होते हैं।

क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। - 1 कुरिन्थियों 9:24 

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 3:8-16
Philippians 3:8 वरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्‍तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूं, जिस से मैं मसीह को प्राप्त करूं।
Philippians 3:9 और उस में पाया जाऊं; न कि अपनी उस धामिर्कता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन उस धामिर्कता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है, और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है।
Philippians 3:10 और मैं उसको और उसके मृत्युंजय की सामर्थ को, और उसके साथ दुखों में सहभागी हाने के मर्म को जानूँ, और उस की मृत्यु की समानता को प्राप्त करूं।
Philippians 3:11 ताकि मैं किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुंचूं।
Philippians 3:12 यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिद्ध हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था।
Philippians 3:13 हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ।
Philippians 3:14 निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।
Philippians 3:15 सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा।
Philippians 3:16 सो जहां तक हम पहुंचे हैं, उसी के अनुसार चलें।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 10-11 
  • प्रेरितों 4:1-22


सोमवार, 17 जून 2013

सच्ची दौलत

   धन सशक्त है; हम उसे कमाने के लिए मेहनत करते हैं, उसे संचित करते हैं, उस के द्वारा अपनी इच्छापूर्ति के प्रयास करते हैं और अपने पार्थिव जीवन की अभिलाषाओं को पूरा करने की चाह रखते हैं। धन की बहकाने वाली सामर्थ के कारण, प्रभु यीशु की शिक्षाओं में सर्वाधिक धन से ही संबंधित थीं; किंतु उन्होंने कभी एक बार भी अपने लिए कोई भेंट या उपहार नहीं चाहा। स्पष्ट है कि उन्होंने धन से संबंधित अपनी शिक्षाएं, अपनी जेब भरने के लिए नहीं दीं। धन संचय करने तथा उसपर निर्भर रहने की शिक्षाओं के विपरीत प्रभु की शिक्षाएं चेतावनी थीं कि धन संचय करने की लालसा और धन को सांसारिक सामर्थ पाने के लिए उपयोग करने की प्रवृत्ति हमारे आत्मिक जीवन के विकास को अवरुद्ध कर देती है और पार्थिव जीवन में अनेक परेशानियाँ ले आती है। प्रभु यीशु ने अपने आस-पास एकत्रित लोगों को एक "धनी-मूर्ख" की नीतिकथा सुनाई जिससे वे परमेश्वर के प्रति धनवान होने के मर्म को समझ सकें तथा पहचान सकें कि परमेश्वर की दृष्टि में धनवान होना संसार के मापदण्ड से कितना भिन्न है: "फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे। उसने उस से कहा; हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है? और उसने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता। उसने उन से एक दृष्‍टान्‍त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई। तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूं, क्योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं। और उसने कहा; मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा; और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह। परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा; हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा? ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं" (लूका 12:13-21)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार परमेश्वर के प्रति धनवान होने से क्या तात्पर्य है? प्रेरित पौलुस ने लिखा है कि वे जो धनवान हैं वे अपने धन के प्रति मिथ्या अभिमान ना रखें वरन भले कार्यों में धनी बनें और धन को बाँटने में उदार हों (1 तिमुथियुस 6:17-18)। कहने का तात्पर्य है कि परमेश्वर की नज़रों में धनवान होना हमारे जीवन की गुणवन्ता तथा अपने धन के द्वारा दूसरों की सहायता करने पर निर्भर है। यह बड़ी रोचक बात है! संसार में धन कमाने और धनवान बनने के मार्ग दिखाने वालों की सलाह तथा मार्गदर्शन देने वालों की शिक्षाओं से कितनी भिन्न है यह शिक्षा! लेकिन जो लोग यह विचार रखते हैं कि उनकी सुरक्षा और समाज में उनका स्तर उनके संचित धन के अनुपात में होता है वे प्रभु यीशु की इस नीतिकथा तथा धन संबंधित शिक्षाओं से सचेत हों, सच्ची दौलत वही है जो अविनाशी और चिरस्थाई है ना कि इस पृथ्वी पर संचित करी जाने वाली नाशमान दौलत। - जो स्टोवैल


धन केवल उन्हीं के लिए आशीष है जो उसे दूसरों के लिए आशीष बनाते हैं।

इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे, कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है। - 1 तिमुथियुस 6:17 

बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 6:6-19
1 Timothy 6:6 पर सन्‍तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है।
1 Timothy 6:7 क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं।
1 Timothy 6:8 और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्‍हीं पर सन्‍तोष करना चाहिए।
1 Timothy 6:9 पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं।
1 Timothy 6:10 क्योंकि रूपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है।
1 Timothy 6:11 पर हे परमेश्वर के जन, तू इन बातों से भाग; और धर्म, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धीरज, और नम्रता का पीछा कर।
1 Timothy 6:12 विश्वास की अच्छी कुश्‍ती लड़; और उस अनन्त जीवन को धर ले, जिस के लिये तू बुलाया, गया, और बहुत गवाहों के साम्हने अच्छा अंगीकार किया था।
1 Timothy 6:13 मैं तुझे परमेश्वर को जो सब को जीवित रखता है, और मसीह यीशु को गवाह कर के जिसने पुन्‍तियुस पीलातुस के साम्हने अच्छा अंगीकार किया, यह आज्ञा देता हूं,
1 Timothy 6:14 कि तू हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने तक इस आज्ञा को निष्‍कलंक और निर्दोष रख।
1 Timothy 6:15 जिसे वह ठीक समयों में दिखाएगा, जो परमधन्य और अद्वैत अधिपति और राजाओं का राजा, और प्रभुओं का प्रभु है।
1 Timothy 6:16 और अमरता केवल उसी की है, और वह अगम्य ज्योति में रहता है, और न उसे किसी मनुष्य ने देखा, और न कभी देख सकता है: उस की प्रतिष्‍ठा और राज्य युगानुयुग रहेगा। आमीन।
1 Timothy 6:17 इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे, कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है।
1 Timothy 6:18 और भलाई करें, और भले कामों में धनी बनें, और उदार और सहायता देने में तत्‍पर हों।
1 Timothy 6:19 और आगे के लिये एक अच्छी नेव डाल रखें, कि सत्य जीवन को वश में कर लें।

एक साल में बाइबल: नहेम्याह 7-9 प्रेरितों 3

रविवार, 16 जून 2013

आदर

   घटना 1992 में बार्सेलोना में आयोजित हो रहे ग्रीष्मकालीन ओलिमपिक्स की है। उद्घाटन समारोह को देखने 65,000 दर्षक आए हुए थे और जैसे जैसे भिन्न देशों की टीम्स स्टेडियम में प्रवेश करतीं, वे उनका ज़ोर-शोर से स्वागत करते। लेकिन स्टेडियम के एक भाग में खामोशी और उदासी थी क्योंकि अमेरिका की तैराकी टीम के सदस्य रॉन कारनौ के पिता पीटर कारनौ जानलेवा हृदयाघात से जाते रहे थे।

   पाँच दिन पश्चात रॉन अपनी स्पर्धा में भाग लेने पहुँच गया; जब वह आया तो उसने अपने पिता की टोपी पहनी हुई थी। स्पर्धा के आरंभ होने से पहले उसने वह टोपी उतारी और संभाल कर अपने स्थान के पास रख ली। यह उस तैराक द्वारा अपने पिता को दी गई श्रद्धांजलि थी, जिन्हें रॉन अपना "सर्वश्रेष्ठ मित्र" कहकर संबोधित करता था। उसी टोपी को पहन हुए उसके पिता ने रॉन के साथ बहुत समय बिताया था और कई गतिविधियों में दोनो ने साथ भाग लिया था। उस टोपी को पहनने के द्वारा रॉन अपने पिता को सम्मान देना चाहता था उस हर एक पल और अवसर के लिए जो उन्होंने उसके साथ बिताया, उसे प्रोत्साहित किया, उसका मार्गदर्शन किया और उसे कठिनाईयों में सहारा दिया। आज रॉन के पिता तो उसके साथ नहीं थे लेकिन उनकी यादें रॉन के साथ थीं जो आज भी उसे प्रोत्साहित कर रही थीं, सहारा दे रही थीं।

   आज के इस दिन में, जो पिताओं को आदर देने के लिए मनाया जाता है, हम स्मरण रखें कि अपने पिता को आदर देने के कई तरीके हो सकते हैं। परमेश्वर का वचन बाइबल भी हमें निर्देश देती है कि अपने माता-पिता का आदर करें (इफिसियों 6:2)। आदर देने का एक तरीका है उन भले गुणों और मूल्यों को सम्मान देना जो उन्होंने हमें सिखाए हैं। साथ ही हम में जो पिता हैं उन्हें भी यह ध्यान देना है कि क्या हम अपने बच्चों को वह समय, प्रोत्साहन तथा मार्गदर्शन दे रहे हैं जो उनका अधिकार तथा उनके प्रति हमारा कर्तव्य है? क्या हमारे बच्चे किसी सार्वजनिक समारोह में हमें वैसा ही आदर देने की लालसा रखेंगे जैसा रॉन ने अपने पिता को दिया?

   आज के इस विशेष दिवस में संकल्प करें कि अपने माता-पिता को उनका योग्य आदर और स्थान देंगे और अपने बच्चों को प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन देने वाले और उनके साथ समय बिताने तथा सहारा देने वाले बनेंगे। - डेव ब्रैनन


अच्छे पिता हमें जीवन केवल देते नहीं हैं, वरन उस जीवन को जीना भी सिखाते हैं।

अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)। - इफिसियों 6:2 

बाइबल पाठ: इफिसियों 6:1-4
Ephesians 6:1 हे बालकों, प्रभु में अपने माता पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है।
Ephesians 6:2 अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)।
Ephesians 6:3 कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे।
Ephesians 6:4 और हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 4-6 
  • प्रेरितों 2:22-47


शनिवार, 15 जून 2013

वचन का अध्ययन

   मैं एक जवान प्रबन्धक के साथ परमेश्वर के वचन बाइबल को नियमित रूप से पढ़ने और उसपर मनन करने से होने वाले लाभ के बारे में बात कर रहा था, और उसने पूछा, "क्या मुझे बाइबल में लैव्यवस्था की पुस्तक पढ़ना आवश्यक है? पुराना नियम पढ़ना कभी कभी उबाऊ और कठिन होता है।" यह केवल उस एक जन का विचार नहीं है, बहुत से मसीही विश्वासी भी ऐसे ही विचार रखते हैं और पुराने नियम को या उसके कुछ भागों को पढ़ने से कतराते हैं। लेकिन सच तो यह है कि पुराने नियम को संपूर्णता से पढ़ना हमारे लिए आवश्यक तथा लाभपूर्ण है क्योंकि पुराने नियम से ही हमें नए नियम को समझने की पृष्ठभूमि और संसार की सृष्टि से चले आ रहे परमेश्वर के उद्देश्य पता लगते हैं जिनकी व्याख्या तथा पूर्ति नए नियम में आकर पूर्ण होती है।

   यशायाह हमें परमेश्वर के खोजी होने को प्रेरित करता है (यशायाह 55:6); साथ ही वह हमें यह भी सिखाता है कि परमेश्वर का वचन कभी व्यर्थ नहीं लौटता, वरन परमेश्वर की इच्छा पूरी करके ही लौटता है (यशायाह 55:11)। बाइबल की अन्य पुस्तकों में परमेश्वर के वचन को जीवित और प्रबल कहा गया है "क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है" (इब्रानियों 4:12); उसे उपदेश देने, समझाने, सुधारने तथा सिद्ध बनने के लिए लाभदायक बताया गया है (2 तिमुथियुस 3:16-17)। संभव है कि परमेश्वर के वचन की बातें हमें वर्तमान में ही व्यावाहरिक अथवा कार्यकारी ना लगें, परन्तु किसी अन्य समय और परिस्थिति में उनकी व्यावाहरिकता तथा उपयोगिता प्रकट हो जाती है और समझ में आती है।

   जब हम परमेश्वर के वचन की सच्चाईयों को अपने मन में पढ़ने तथा मनन करने के द्वारा संजो लेते हैं तो परमेश्वर का आत्मा हमें हमारी आवश्यकतानुसार उन्हें स्मरण दिलाता है और उन्हें जीवन में उपयोगी बनाता है - लैव्यवस्था को भी; उदाहरणस्वरूप, लैव्यवस्था 19:10-11 हमें सिखाती है कि व्यावसायिक स्पर्धा और निर्धनों के प्रति कैसा रवैया रखें। परमेश्वर का आत्मा ऐसे ही अनेक सिद्धांत और उदाहरण हमें सही समय पर स्मरण दिलाकर हमारी सहायता करता है जिससे हम सही निर्णय ले सकें। इसलिए परमेश्वर के वचन को उसकी संपूर्णता में अपने हृदय तथा जीवन में स्थान देना हमारे लिए बहुत आवश्यक है।

   परमेश्वर के वचन को पढ़ना तथा उसपर मनन करना हमारे मनों को एक अनमोल तथा सदा उपयोगी खज़ाने का भण्डार बना देता है, और हमारी आवश्यकता तथा परिस्थिति के अनुसार परमेश्वर का आत्मा हमारे इस भण्डार से लेकर हमें सही मार्ग दिखाता है, हमें सफल बनाता है। इसलिए परमेश्वर के वचन बाइबल की सभी 66 पुस्तकों का अध्ययन आवश्यक है - लैव्यवस्था का भी! - रैन्डी किल्गोर


परमेश्वर के वचन को समझने के लिए परमेश्वर के आत्मा पर निर्भर रहें।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: यशायाह 55:6-13
Isaiah 55:6 जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो;
Isaiah 55:7 दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है।
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
Isaiah 55:10 जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है,
Isaiah 55:11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
Isaiah 55:12 क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुंचाए जाओगे; तुम्हारे आगे आगे पहाड़ और पहाडिय़ां गला खोल कर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएंगे।
Isaiah 55:13 तब भटकटैयों की सन्ती सनौवर उगेंगे; और बिच्छु पेड़ों की सन्ती मेंहदी उगेगी; और इस से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 1-3 
  • प्रेरितों 2:1-21


शुक्रवार, 14 जून 2013

नियम

   सभी अभिभावक यह भलि-भांति जानते हैं कि घर के नियम घरवालों की भलाई के लिए होते हैं; उनका पालन घर में शांति बनाए रखता है और आपसी प्रेम को बढ़ावा देता है। वे यह भी जानते हैं कि नियम भिन्न प्रकार के होते हैं; कुछ बच्चों द्वारा पालन किए जाने और उनकी भलाई के लिए होते हैं, कुछ व्यसकों द्वारा पालन किए जाने और उनकी भलाई के लिए होते हैं और कुछ ऐसे जो घर के सभी लोगों पर समान रूप से लागू होते हैं। लेकिन अन्ततः सभी नियम घर की उन्नति और मर्यादा को बनाए रखने के लिए होते हैं। हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर पिता ने भी हमारे लिए कुछ नियम बनाकर दिए हैं। इसलिए नहीं कि वह हमें बन्धनों में बांध कर रखना चाहता है, वरन इसलिए कि हम आपस में प्रेम, सहृदयता और परस्पर आदर के साथ रह सकें और एक दूसरे की उन्नति में सहायक हो सकें। परमेश्वर हमें भलि-भांति जानता है और यह भी कि मानव समाज सर्वोत्तम रीति से किस प्रकार कार्य कर सकता है; उसके ये नियम इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।

   परमेश्वर के सभी नियमों का संक्षिप्त किंतु संपूर्ण संकलन है परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई "दस आज्ञाएं"। जब मैंने इन दस आज्ञाओं को इस दृष्टिकोण से देखना आरंभ किया कि ये परमेश्वर द्वारा मेरी भलाई के लिए दी गई आज्ञाएं हैं, तो मैं इनकी व्यावाहरिकता और उपयोगिता को एक नवीन रीति से समझने पाया। मैंने पाया कि ये दस आज्ञाएं मनुष्य के परमेश्वर के साथ संबंध तथा मनुष्य के परस्पर एवं सामाजिक संबंधों और दायित्वों को बड़े स्पष्ट रूप में बताते हैं। हमारे जीवन की ऐसी कोई बात नहीं है जो इन दस आज्ञाओं की सीमाओं से बाहर हो। हमारे जीवन का हर पहलु इनके द्वारा निर्धारित होता है और इनका पालन हमारे अपने उत्थान के लिए सहायक एवं सामाजिक उत्थान में हमें उपयोगी बनाता है।

   ये आज्ञाऐं हमें परमेश्वर के प्रति सही दृष्टिकोण रखने तथा उसे अपने जीवनों में उचित स्थान एवं वास्तविक आदर देना सिखाती हैं। इनसे हमें कार्य तथा विश्राम का सही सामंजस्य बनाए रखने की शिक्षा मिलती है और ये हमें अपने परिवार तथा अपने समाज के प्रति सही व्यवहार रखना सिखाती हैं। ये आज्ञाऐं मनुष्य की मनोवृति को जानते और पहचानते हुए, मनुष्य को हर एक बुराई से बच कर चलने का मार्ग दिखाती हैं। इन आज्ञाओं को मानने से इन्कार करना प्रत्येक का अपना निर्णय है, लेकिन इनका पालन हर रीति से जीवन को आशीशित और समृद्ध बनाता है। ये आज्ञाऐं पृथ्वी पर जीवन को अर्थपूर्ण और सुचारु बनाती हैं और हमें एक शांतिप्रीय और स्वस्थ समाज बनने के लिए प्रेरित करती हैं जो परमेश्वर की आधीनता में परमेश्वर की महिमा के लिए कार्य करता है।


भला होता कि तेरी विधियों के मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए! तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूंगा, और मेरी आशा न टूटेगी। - भजन 119:5-6

और परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं। - 1 यूहन्ना 5:3

बाइबल पाठ: - निर्गमन 20:1-17
Exodus 20:1 तब परमेश्वर ने ये सब वचन कहे,
(1) Exodus 20:2 कि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है।
Exodus 20:3 तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर कर के न मानना।
(2) Exodus 20:4 तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है।
Exodus 20:5 तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं,
Exodus 20:6 और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं।
(3) Exodus 20:7 तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा।
(4) Exodus 20:8 तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।
Exodus 20:9 छ: दिन तो तू परिश्रम कर के अपना सब काम काज करना;
Exodus 20:10 परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो।
Exodus 20:11 क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया।
(5) Exodus 20:12 तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए।
(6) Exodus 20:13 तू खून न करना।
(7) Exodus 20:14 तू व्यभिचार न करना।
(8) Exodus 20:15 तू चोरी न करना।
(9) Exodus 20:16 तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना।
(10) Exodus 20:17 तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 9-10 
  • प्रेरितों 1


गुरुवार, 13 जून 2013

स्थिर और लचीले

   उत्तरी ध्रुव से लगे हुए अमेरिका के सबसे उत्तरी प्रांत अलास्का में तेल के भण्डार हैं जहाँ से तेल निकाल कर 800 मील लंबी ट्रांस-अलास्का पाईप लाईन द्वारा अमेरिका तक लाया जाता है। यह पाईप लाईन एक भूकंप बहुल क्षेत्र से होकर निकलती है और अपने आप में इंजिनयरी तथा निर्माण तकनीक की एक मिसाल है। इसके निर्माण के समय इंजीनियरों को यह निश्चित करना था कि किसी भूकंप के कारण यह क्षतिग्रस्त ना हो। इंजीनियरों ने भूकंप से पाईप लाईन की सुरक्षा के लिए उसे टेफलॉन स्लाईडर्स पर टिकाया, जो धरती के कांपने पर आपस में एक दूसरे पर फिसल सकते थे। सन 2002 में एक बड़े भूकंप के आने पर इस पाईप लाईन की इस सुरक्षा विधि की पहली बड़ी परख हुई। इंजीनियरों को यह देखकर बहुत खुशी हुई कि यद्यपि पाईप लाईन के नीचे की धरती 18 फीट एक साईड को खसक गई लेकिन पाईप लाईन को कोई क्षति नहीं हुई - सारा खसकना उन टेफलॉन स्लाईडर्स के एक दूसरे पर थोड़ा-थोड़ा खसकने के द्वारा सहन कर लिया गया और पाईप लाईन बच गई। इस सारे बचाव की कुंजी थी टेफलॉन स्लाईडर्स का धरती पर स्थिर बने रहना और परस्पर एक लचीलापन रखना।

   परमेश्वर से एक मसीही विश्वासी के जीवन की आत्मिक सामर्थ पाते रहने की पाईप लाईन भी परमेश्वर पर उसके स्थिर विश्वास पर टिकी हुई है। लेकिन यदि हम परमेश्वर के साथ अपने संबंध में एक लचीलापन नहीं रखेंगे, वरन परमेश्वर को किसी परिस्थिति में कैसे और क्या कार्य करना चाहिए इस बात में अपनी अपेक्षाओं को लेकर अड़ियल और कठोर रहेंगे तो फिर हमारा परेशानियों में पड़ना अवश्यंभावी हो जाएगा। जब हम किसी संकट में पड़ें तो हमारा ध्यान परमेश्वर की बजाए उन विषम परिस्थितियों पर केंद्रित हो सकता है, लेकिन ऐसे में भी हमारी प्रार्थना होनी चाहिए, "हे परमेश्वर मैं नहीं समझ पा रहा हूँ कि यह दुखदायी परिस्थिति आपने मेरे जीवन में क्यों आने दी। लेकिन हर बात में अन्ततः मेरी भलाई करने और मुझे सुरक्षित रखने के आपके अटल वायदे पर पूर्ण और स्थिर विश्वास रखता हूँ। मेरे जीवन में आपका प्रयोजन पूरा होने तक मुझे और मेरे विश्वास को दृढ़ बनाए रखें और किसी भी क्षति से बचाए रखें।" परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने अपने ऐसे ही विश्वास को बड़ी सुन्दरता से प्रस्तुत किया है: "हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये आपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिये रहूंगा" (भजन 57:1)।

   यदि कभी हमारे नीचे की धरती हमारे लिए कांपने लगे तो आवश्यक है कि हम परमेश्वर के प्रेम और हर समय हमारी देखभाल तथा भलाई करने के उसके वायदे के प्रति अपने विश्वास में दृढ़ और स्थिर तथा परिस्थिति के समाधान के लिए उससे अपनी अपेक्षाओं में लचीले रहें। ऐसा रवैया रखने से, उससे जुड़ी हमारी आत्मिक जीवन की पाईप लाईन कभी क्षतिग्रस्त नहीं होगी और उसकी आशीशें तथा सामर्थ अविरल हमारे जीवन में प्रवाहित होते रहेंगे। - डेनिस फिशर


परमेश्वर हमारे अनुरोध अस्वीकार कर सकता है, या उनके मानने में विलंब कर सकता है लेकिन हर बात में सदा ही हमारा भला करने से पीछे कभी नहीं हट सकता।

हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये आपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिये रहूंगा। - भजन 57:1

बाइबल पाठ: भजन 57
Psalms 57:1 हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये आपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिये रहूंगा।
Psalms 57:2 मैं परम प्रधान परमेश्वर को पुकारूंगा, ईश्वर को जो मेरे लिये सब कुछ सिद्ध करता है।
Psalms 57:3 ईश्वर स्वर्ग से भेज कर मुझे बचा लेगा, जब मेरा निगलने वाला निन्दा कर रहा हो। परमेश्वर अपनी करूणा और सच्चाई प्रगट करेगा।
Psalms 57:4 मेरा प्राण सिंहों के बीच में है, मुझे जलते हुओं के बीच में लेटना पड़ता है, अर्थात ऐसे मनुष्यों के बीच में जिन के दांत बर्छी और तीर हैं, और जिनकी जीभ तेज तलवार है।
Psalms 57:5 हे परमेश्वर तू स्वर्ग के ऊपर अति महान और तेजोमय है, तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!
Psalms 57:6 उन्होंने मेरे पैरों के लिये जाल लगाया है; मेरा प्राण ढला जाता है। उन्होंने मेरे आगे गड़हा खोदा, परन्तु आप ही उस में गिर पड़े।
Psalms 57:7 हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा।
Psalms 57:8 हे मेरी आत्मा जाग जा! हे सारंगी और वीणा जाग जाओ। मैं भी पौ फटते ही जाग उठूंगा।
Psalms 57:9 हे प्रभु, मैं देश के लोगों के बीच तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं राज्य राज्य के लोगों के बीच में तेरा भजन गाऊंगा।
Psalms 57:10 क्योंकि तेरी करूणा स्वर्ग तक बड़ी है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुंचती है।
Psalms 57:11 हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर अति महान है! तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 6-8 
  • यूहन्ना 21


बुधवार, 12 जून 2013

संबंध

   मैं अपने घर की बाल्कनी से देख रहा था, सामने की 20 मंज़िला इमारत गिराई जा रही थी। उस इमारत को गिराने का कार्य पूर्ण करने में मुश्किल से एक सप्ताह ही लगा होगा। गिराने के बाद वहाँ नई इमारत का निर्माण आरंभ हो गया। पुनःनिर्माण का यह कार्य दिन-रात लगातार चल रहा है। महीनों बीत चुके हैं किन्तु यह पुनःनिर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है। ध्वस्त करना कितना सरल है और बनाना कितनी मेहनत और लगन का कार्य है।

   जो इमारतों के बनाने और गिराने के लिए सत्य है वही परस्पर संबंधों के लिए भी उतना ही सत्य है - स्थिर और विश्वासयोग्य संबंध बनाना सरल नहीं है किन्तु संबंध टूटने में अधिक समय नहीं लगता। परमेश्वर के वचन बाइबल में फिलिप्पियों की मण्डली को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने उस मण्डली की दो महिलाओं से आग्रह किया "मैं यूओदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें। और हे सच्चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्योंकि उन्होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्रम किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं" (फिलिप्पियों 4:2, 3)। ये दो महिलाओं परमेश्वर के कार्य में परिश्रमी थीं, परन्तु इनकी परस्पर अनबन सारी मण्डली को प्रभावित कर रही थी और यदि यह मनमुटाव दूर नहीं होता तो उस मण्डली की सारी गवाही पर बुरा प्रभाव आता। इस मतभेद को सुलझाने और संबंधों के पुनःनिर्माण के लिए पौलुस ने अपने एक "सच्चे सहकर्मी" की सहायता माँगी।

   यह एक दुखदायी सत्य है कि मसीही विश्वासियों में भी परस्पर अनबन और झगड़े पाए जाते हैं, जबकि परमेश्वर का वचन हमें समझाता है कि "जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो" (रोमियों 12:18)। यदि हमारे आपसी मतभेद सुल्झाए नहीं गए तो बड़ी मेहनत और लगन से बनाई गई हमारी मसीही गवाही शीघ्र ही ध्वस्त हो जाएगी। टूटे संबंधों के पुनःनिर्माण में समय और मेहनत तो लगते हैं लेकिन यह करना अनिवार्य है। किसी विश्वासयोग्य साथी की सहायता से ऐसा किया जा सकता है और पुनःनिर्मित इमारत के समान, पुनःस्थापित यह संबंध पहले से अधिक अच्छे और स्थिर भी हो सकते हैं।

   हम यह ठान लें कि अपने शब्दों और कार्यों के द्वारा कभी किसी को गिराएंगे नहीं वरन हमारी हर बात दुसरों को बनाने और बढ़ाने ही के लिए होगी। - सी० पी० हीया


एक से भले दो मसीही विश्वासी हैं - तब जब वे आपस में एक हों।

विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। - फिलिप्पियों 2:3 

बाइबल पाठ: रोमियों 12:9-21
Romans 12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई मे लगे रहो।
Romans 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
Romans 12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।
Romans 12:12 आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो।
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो।
Romans 12:14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
Romans 12:15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ।
Romans 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।
Romans 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो।
Romans 12:18 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
Romans 12:19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
Romans 12:20 परन्तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।
Romans 12:21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 3-5 
  • यूहन्ना 20