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गुरुवार, 31 जनवरी 2013

अनुग्रह


   एशिया के एक बड़े और व्यस्त शहर में मुझे सड़क के किनारों और पटरियों को लोगों से भरे हुए देखकर अचरज हुआ। वहाँ भरी हुई भीड़ के कारण बिलकुल भी पाँव रखने का भी स्थान प्रतीत नहीं हो रहा था परन्तु फिर भी सब जल्दी में चलते हुए, एक-दूसरे से बेख़बर और अपनी ही किसी न किसी बात में व्यस्त दिख रहे थे।

   उसी भीड़ में मुझे एक धीमी और दिल छू लेने वाली बाँसुरी की आवाज़ सुनाई दी। कोई था जो वहाँ पर सुप्रसिद्ध आराधाना गीत "Amazing Grace" (अद्भुत अनुग्रह) बजा रहा था। वह भीड़ उस बजाने वाले और उसके संगीत, दोनो ही से बेपरवाह थी किंतु वह बजाए जा रहा था। वह परमेश्वर के अद्भुत प्रेम का एक संगीतमय संदेश उन सब के लिए दे रहा था जो या तो उस गीत को जानते थे और उसकी धुन सुनकर गीत के शब्दों को स्मरण करते और उन पर मनन करते, या जो उस धुन से आकर्षित होकर और जानकारी लेना चाहते।

   वह धुन भीड़ के लिए परमेश्वर के प्रेम पर ध्यान लगाने और जगत के उद्धारकर्ता के पास आने का निमंत्रण था - जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले (मत्ती १३:९)। जैसा सुसमाचार के साथ सदा होता आया है, सुसमाचार सुनने वालों में से कुछ लोग उस पर विश्वास करके मसीही विश्वास के संकरे मार्ग पर चलने का निर्णय ले लेते हैं; शेष परमेश्वर के अनुग्रह और प्रेम के उस निमंत्रण को अन्देखा और अस्वीकार करके अपने उसी सरल और चौड़े मार्ग पर ही बने रहते हैं जो अन्ततः अनन्त विनाश को ले जाता है। प्रभु यीशु ने सचेत किया है: "सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं" (मत्ती ७:१३)।

   परमेश्वर ने अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह को संसार में इसीलिए भेजा और क्रूस पर बलिदान होने दिया ताकि सारे संसार को उद्धार और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश का मार्ग मिल जाए "क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना ३:१६)। मार्ग तो परमेश्वर ने सब के लिए खोल दिया है, परन्तु उस मार्ग पर चलना हर व्यक्ति का अपना निर्णय है। अब जो कोई सच्चे मन और सहज विश्वास से मसीह यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करता है और अपने पापों से पश्चाताप करता है वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश और अनन्त आशीष का जीवन पाता है। परमेश्वर का महान अनुग्रह यही है कि हमारे जीवन की अन्तिम सांस तक वह हमसे हमारे पापों के अनुसार नहीं वरन अपने प्रेम में क्षमा और बहाली का व्यवहार करने को तैयार रहता है। जिसने इस जीवन का यह अवसर गवाँ दिया, उसे उस जीवन में फिर परमेश्वर के प्रेम का नहीं उसके न्याय का सामना करना होगा।

   परमेश्वर के इस अनुग्रह को अपने जीवन में व्यर्थ ना जाने दें, आज ही अपना मार्ग चुन लें क्योंकि कल क्या होगा यह किसी को पता नहीं है। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु को ग्रहण करना अर्थात उद्धार को प्राप्त करना।

क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं। - मत्ती ७:१४

बाइबल पाठ: मत्ती ७:१३-२३
Matthew7:13 सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं।
Matthew7:14 क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं।
Matthew7:15 झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेष में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु अन्दर से फाड़ने वाले भेडिए हैं।
Matthew7:16 उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोग क्या झाडिय़ों से अंगूर, वा ऊंटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं?
Matthew7:17 इसी प्रकार हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है।
Matthew7:18 अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है।
Matthew7:19 जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है।
Matthew7:20 सो उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।
Matthew7:21 जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।
Matthew7:22 उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए?
Matthew7:23 तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन २५-२६ 
  • मत्ती २०:१७-३४

बुधवार, 30 जनवरी 2013

प्रत्यक्ष


   लड़कियों की सॉफ्टबॉल खेल स्पर्धा थी। खेल के अम्पायर ने लड़कियों के पीछे अपना स्थान लिया, खेल आरंभ हुआ और थोड़ी देर में पीछे से कुछ आवाज़ें आनी शुरू हो गईं, फिर थोड़ी ही समय बाद एक खिलाड़ी कि माँ ने कहना आरंभ कर दिया "हमें नया अम्पायर चहिए! हमें नया अम्पायर चहिए!" उस माँ के आलाप के पीछे-पीछे कुछ अन्य माताओं ने भी यही दोहराना आरम्भ कर दिया। अम्पायर मुस्कुराया, पीछे की भीड़ की ओर मुड़ा और ऊँची आवाज़ में कहना आरंभ कर दिया "हमें नए अभिभावक चाहिएं! हमें नए अभिभावक चाहिएं!" अभिभावकों का शोर यह सुनते ही शाँत हो गया।

   माता-पिता के लिए यह बहुत अनिवार्य है कि वे कैसा उदाहरण अपने बच्चों के समक्ष रखते हैं, क्योंकि बच्चे उनकी हर बात देखते हैं और उससे सीखते हैं। परमेश्वर का वचन बाइबल मसीही विश्वासी माता-पिता के लिए कुछ निर्देष देती है जिससे वे अपने बच्चों में अच्छी आदतें और आचरण बचपन से ही डाल सकें:
  • बच्चों के लिए और बच्चों के साथ प्रार्थना करें - जिससे वे परमेश्वर से बात करना सीख सकें, "प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो" (कुलुस्सियों ४:२)।

  • उन्हें बाइबल से सिखाएं और सुनाएं - जिससे वे परमेश्वर के वचन की सच्चाई को सीख सकें, "और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना" (व्यवस्थाविवरण ६:७)।

  • उन्हें प्रभु यीशु मसीह के बारे में सिखाएं - जिससे वे बचपन से ही जगत के उद्धारकर्ता पर विश्वास करना सीख सकें, "यीशु ने उसको उत्तर दिया; कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता" (यूहन्ना ३:३)।


   बच्चों के सामने एक अच्छा उदाहरण रखने का सर्वोत्तम मार्ग है अपने विश्वास को उनके प्रत्यक्ष जी कर दिखाना। जो वे प्रत्येक्ष देखेंगे, उसी पर विश्वास करेंगे और उसे ही अपनाएंगे। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आपके बिना कुछ बोले ही आपके जीवन आपके बच्चों को क्या सिखा रहे हैं। जो वे आज सीखेंगे उसे कल करेंगे। - सिंडी हैस कैसपर


बच्चों को अपने अभिभावकों के गुणों विरासत में चाहे ना भी मिलें, परन्तु बच्चे अपने अभिभावकों के मूल्यों और आदर्शों को सहजता से अपना लेते हैं।

लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा। - नीतिवचन २२:६

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ११:१८-२१
Deuteronomy11:18 इसलिये तुम मेरे ये वचन अपने अपने मन और प्राण में धारण किए रहना, और चिन्हानी के लिये अपने हाथों पर बान्धना, और वे तुम्हारी आंखों के मध्य में टीके का काम दें।
Deuteronomy11:19 और तुम घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते-उठते इनकी चर्चा कर के अपने लड़के-बालों को सिखाया करना।
Deuteronomy11:20 और इन्हें अपने अपने घर के चौखट के बाजुओं और अपने फाटकों के ऊपर लिखना;
Deuteronomy11:21 इसलिये कि जिस देश के विषय में यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर कहा था, कि मैं उसे तुम्हें दूंगा, उस में तुम्हारे और तुम्हारे लड़के-बालों की दीर्घायु हो, और जब तक पृथ्वी के ऊपर का आकाश बना रहे तब तक वे भी बने रहें।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन २३-२४ 
  • मत्ती २०:१-१६

मंगलवार, 29 जनवरी 2013

निष्कर्ष


   इन्टरनैट पर एक ऑन्लाइन पत्रिका, ’स्मिथ मैगज़ीन’ ने, जो सदस्यों द्वारा आपस में कथा-कहानी बांटने के द्वारा आनन्द भाव फैलाने के लिए है, अपने पाठकों के सामने एक रोचक चुनौती रखी - केवल अंग्रज़ी भाषा के छः शब्द प्रयोग करके अपने जीवन को बयान करें। हज़ारों लोगों ने प्रत्युत्तर में अपनी जीवन समीक्षाएं भेजीं, जिनमें आनन्द-विनोद भी था जैसे "प्यारी पत्नी, अच्छे बच्चे - मैं धनवान" और दुखी मन भी थे, जैसे "साठ का हूँ; अभी तक अभिभावकों को क्षमा नहीं कर पाया हूँ"।

   मैं कलपना करने लगा कि परमेश्वर के वचन में दी गई जीवनी के आधार पर यदि राजा सुलेमान को अपने जीवन को ऐसे ही संक्षेप में कहना होता तो वह क्या कहता? संभवतः अपनी जवानी के दिनों में वह कहता, "परमेश्वर ने मुझे बेहिसाब धन और बुद्धिमता प्रदान की है" (१ राजा १०:२३); और अपने जीवन के अन्त की ओर आकर कहता, "मैंने जैसा प्रचार किया था, काश वैसा ही आचरण भी किया होता।"

   राजा सुलेमान का शासन काल इस्त्राएल के इतिहास में शांति और समृद्धि का समय था। सुलेमान, जिसने लड़कपन में ही परमेश्वर के दर्शन, आशीष और सामर्थ के साथ अपना राज्य आरंभ किया था, उम्र बढ़ने के साथ अपनी समृद्धि में परमेश्वर से दूर हो गया क्योंकि उसने बहुत सी परदेशी स्त्रियों के साथ ब्याह रचा लिए थे और उन स्त्रियों ने उसे अपने देवी-देवताओं की उपासना में उलझा लिया, सच्चे परमेश्वर से विमुख कर दिया; और एक आदर्ष जीवन नष्ट हो गया तथा उससे परमेश्वर अप्रसन्न हो गया, और राजा सुलेमान अपनी आशीषें गवां बैठा। सुलेमान ने अपने अनुभवों के आधार पर लिखी सभोपदेशक पुस्तक में अनेक बार ’व्यर्थ’ शब्द का प्रयोग किया है। यह सांसारिकता के जीवन, सांसारिक उपलब्धियों, ज्ञान, वासना और शारीरक संतुष्टि से अन्ततः कुछ भी चिरस्थायी और शांतिप्रद प्राप्त ना हो पाने के कारण जीवन से उसके मोह-भंग को दिखाता है। हर प्रकार के सांसारिक सुख-विलास से आनन्द पाने का प्रयास कर के देख लेने बाद सुलेमान का अन्तिम निष्कर्ष वही था जो आरंभ में ही उससे परमेश्वर ने कह दिया था - परमेश्वर कि आज्ञाकारिता में बने रहना।

   इस बुद्धिमान राजा ने, जिसके पास सब परमेश्वर की आशीषस्वरूप कुछ था और जिसने अपनी अनाज्ञाकारिता द्वारा सब कुछ गंवा दिया, उसी ने अपने सभी अनुभवों पर गहराई से चिंतन कर के अपनी सभोपदेशक की पुस्तक का अन्त इन शब्दों से किया: "सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है। क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा" (सभोपदेशक १२:१३-१४)।

   सुलेमान राजा द्वारा अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर दिया गया यह निष्कर्ष हम सब के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है और मार्गदर्शक भी। किसके जीवन का अन्त कब हो जाएगा, कोई नहीं जानता। अन्त कभी भी हो, किंतु विचार करने की बात यह है कि क्या हम परमेश्वर को अपने जीवनों का हिसाब देने के लिए वास्तव में हर समय तैयार हैं? जो उसकी आज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत करते हैं वे उसे हिसाब देने के लिए सदा तैयार भी रहते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर की आज्ञाकारिता ही परमेश्वर की आशीषों की कुंजी है।

सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है। - सभोपदेशक १२:१३

बाइबल पाठ: १ राजा ११:१-१०
1 Kings11:1 परन्तु राजा सुलैमान फ़िरौन की बेटी, और बहुतेरी और पराये स्त्रियों से, जो मोआबी, अम्मोनी, एदोमी, सीदोनी, और हित्ती थीं, प्रीति करने लगा।
1 Kings11:2 वे उन जातियों की थीं, जिनके विषय में यहोवा ने इस्राएलियों से कहा था, कि तुम उनके मध्य में न जाना, और न वे तुम्हारे मध्य में आने पाएं, वे तुम्हारा मन अपने देवताओं की ओर नि:सन्देह फेरेंगी; उन्हीं की प्रीति में सुलैमान लिप्त हो गया।
1 Kings11:3 और उसके सात सौ रानियां, और तीन सौ रखेलियां हो गई थीं और उसकी इन स्त्रियों ने उसका मन बहका दिया।
1 Kings11:4 सो जब सुलैमान बूढ़ा हुआ, तब उसकी स्त्रियों ने उसका मन पराये देवताओं की ओर बहका दिया, और उसका मन अपने पिता दाऊद की नाईं अपने परमेश्वर यहोवा पर पूरी रीति से लगा न रहा।
1 Kings11:5 सुलैमान तो सीदोनियों की अशतोरेत नाम देवी, और अम्मोनियों के मिल्कोम नाम घृणित देवता के पीछे चला।
1 Kings11:6 और सुलैमान ने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और यहोवा के पीछे अपने पिता दाऊद की नाईं पूरी रीति से न चला।
1 Kings11:7 उन दिनों सुलैमान ने यरूशलेम के साम्हने के पहाड़ पर मोआबियों के कमोश नाम घृणित देवता के लिये और अम्मोनियों के मोलेक नाम घृणित देवता के लिये एक एक ऊंचा स्थान बनाया।
1 Kings11:8 और अपनी सब पराये स्त्रियों के लिये भी जो अपने अपने देवताओं को धूप जलातीं और बलिदान करती थीं, उसने ऐसा ही किया।
1 Kings11:9 तब यहोवा ने सुलैमान पर क्रोध किया, क्योंकि उसका मन इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से फिर गया था जिसने दो बार उसको दर्शन दिया था।
1 Kings11:10 और उसने इसी बात के विषय में आज्ञा दी थी, कि पराये देवताओं के पीछे न हो लेना, तौभी उसने यहोवा की आज्ञा न मानी।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन २१-२२ 
  • मत्ती १९

सोमवार, 28 जनवरी 2013

संवेदनशील


   अमेरिका का कैलिफोर्निया शहर एक अति भूकम्प संवेदनशील क्षेत्र पर स्थित है और इस क्षेत्र में भूकम्प की संभावना सदा बनी रहती है। वहां के लोगों ने भूकम्प की चेतावनियों को एक हास्य-भाव में प्रस्तुत करके आने वाले सैलानीयों को आकर्षित करने का प्रयास किया है। स्थान स्थान पर होटलों के विज्ञापनों, खाने की वस्तुओं इत्यादि को विविध रूप में भूकम्प की चेतावनियों और संबंधित बातों के हास्य-भाव के साथ प्रस्तुत किया गया हैं। लेकिन एक वास्तविक भूकम्प बड़ा भयावह होता है, मैं जानता हूँ क्योंकि मैं कैलिफोर्निया का भूक्म्प अनुभव कर चुका हूँ। ये प्राकृतिक आपदाएं कभी कभी लोगों को परमेश्वर की निकटता में लाने का मार्ग भी बन जाती हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरितों के काम नामक पुस्तक में एक ऐसा ही वर्णन है। प्रभु यीशु के अनुयायी प्रेरित पौलुस और उसका साथी सिलास अपनी सुसमाचार कि सेवकाई के कारण पकड़कर बन्दीगृह में डाल दिए गए और जकड़ कर रखे गए थे। बन्दीगृह में डाले जाने से पहले उन की बहुत पिटाई भी करी गई थी। लेकिन अनुचित रीति से बन्दीगृह में डाले जाने और यातनाएं दिए जाने के बावजूद भी वे वहां पर परमेश्वर की प्रशंसा में स्तुति गीत गा रहे थे, जो सब सुन रहे थे। मध्य रात्री के लगभग एक भूकम्प आया और बन्दीगृह के द्वार और कैदियों के बन्धन खुल गए। ऐसे में जब बन्दीगृह के दारोगा ने पाया कि ना पौलुस और सिलास ने और ना ही किसी अन्य बन्दी ने भागने का प्रयत्न नहीं किया है तो वह उनके सामने गिर पड़ा और पूछने लगा, "... हे साहिबो, उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूं?" (प्रेरितों १६:३०) पौलुस ने उसे उत्तर दिया, "...प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा" (प्रेरितों १६:३१)। उसी समय वह उन्हें अपने घर ले गया, उसने तथा उसके परिवार जनों ने मसीह यीशु पर विश्वास करके बपतिस्मा लिया तथा परमेश्वर के घराने में सम्मिलित हो गए।

   जीवन के उतार-चढ़ाव और परिस्थितियां कभी कभी लोगों को मसीह यीशु में उद्धार के सुसमाचार के प्रति अधिक संवेदनशील कर देते हैं। क्या आप किसी ऐसे जन को जानते हैं जो कठिनाईयों से होकर निकल रहा है? प्रार्थनापूर्वक उसके साथ संपर्क में बने रहें, अपने जीवन द्वारा मसीही प्रेम और विश्वास को उसके सामने रखें तथा संवेदनशीलता के साथ मसीह में उद्धार की गवाही उसके साथ बाँटने को सदा तैयार रहें। - डेनिस फिशर


अनेक लोग समस्याओं द्वारा ही मसीह यीशु के निकट आए हैं।

कि इतने में एकाएक बड़ा भुईंडोल हुआ, यहां तक कि बन्‍दीगृह की नेव हिल गईं, और तुरन्त सब द्वार खुल गए; और सब के बन्‍धन खुल पड़े। - प्रेरितों १६:२६

बाइबल पाठ: प्रेरितों १६:२२-३४
Acts16:22 तब भीड़ के लोग उन के विरोध में इकट्ठे हो कर चढ़ आए, और हाकिमों ने उन के कपड़े फाड़कर उतार डाले, और उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी।
Acts16:23 और बहुत बेंत लगवाकर उन्हें बन्‍दीगृह में डाला; और दारोगा को आज्ञा दी, कि उन्हें चौकसी से रखे।
Acts16:24 उसने ऐसी आज्ञा पाकर उन्हें भीतर की कोठरी में रखा और उन के पांव काठ में ठोक दिए।
Acts16:25 आधी रात के लगभग पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे थे, और बन्‍धुए उन की सुन रहे थे।
Acts16:26 कि इतने में एकाएक बड़ा भुईंडोल हुआ, यहां तक कि बन्‍दीगृह की नेव हिल गईं, और तुरन्त सब द्वार खुल गए; और सब के बन्‍धन खुल पड़े।
Acts16:27 और दारोगा जाग उठा, और बन्‍दीगृह के द्वार खुले देखकर समझा कि बन्‍धुए भाग गए, सो उसने तलवार खींचकर अपने आप को मार डालना चाहा।
Acts16:28 परन्तु पौलुस ने ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा; अपने आप को कुछ हानि न पहुंचा, क्योंकि हम सब यहां हैं।
Acts16:29 तब वह दीया मंगवाकर भीतर लपक गया, और कांपता हुआ पौलुस और सीलास के आगे गिरा।
Acts16:30 और उन्हें बाहर लाकर कहा, हे साहिबो, उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूं?
Acts16:31 उन्होंने कहा, प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।
Acts16:32 और उन्होंने उसको, और उसके सारे घर के लोगों को प्रभु का वचन सुनाया।
Acts16:33 और रात को उसी घड़ी उसने उन्हें ले जा कर उन के घाव धोए, और उसने अपने सब लोगों समेत तुरन्त बपतिस्मा लिया।
Acts16:34 और उसने उन्हें अपने घर में ले जा कर, उन के आगे भोजन रखा और सारे घराने समेत परमेश्वर पर विश्वास कर के आनन्द किया।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १९-२० 
  • मत्ती १८:२१-३५

रविवार, 27 जनवरी 2013

उल्टा-पुल्टा


   यदि आप मुझसे मेरे विश्वास के बारे में पूछेंगे तो मैं कहुंगा कि मैं मसीह यीशु का शिष्य एवं एक मसीही विश्वासी हूँ। किंतु मुझे यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि कभी कभी मसीह यीशु की बातों का अनुसरण करना एक बड़ी चुनौती होता है। उदाहरणस्वरूप, मसीह यीशु कहते हैं कि जब मैं अपने विश्वास के कारण सताया जाऊँ तो मुझे आनन्दित होना है (मत्ती ५:११-१२); मुझे मारने वाले की ओर अपना दूसरा गाल भी फेर देना है (पद ३८-३९) और जो उधार मांगे उसे दे देना है (पद ४०-४२)। मुझे अपने शत्रुओं से प्रेम रखना है, मुझे श्राप देने वालों को आशीष देनी है और मुझसे घृणा करने वालों की भलाई करनी है (पद ४३-४४)। इस प्रकार की जीवन शैली मुझे बड़ी उल्टी-पुल्टी लगती है।

   लेकिन मैंने धीरे धीरे यह भी जान लिया है कि वास्तव में उल्टा-पुल्टा मसीह यीशु नहीं, मैं स्वयं हूँ। संसार के अन्य सभी मनुष्यों के समान मैं भी पाप स्वभाव के साथ और पाप के कारण आत्मिक रूप में विकृत जन्मा था। जन्म से ही विद्यमान पाप स्वभाव के कारण हमारे सभी नैसर्गिक गुण तथा सभी बातों के लिए हमारी प्रथम प्रतिक्रीया परमेश्वर के मार्गों तथा धार्मिकता से उलट ही होती है; और इस कारण हम किसी न किसी समस्या में बने रहते हैं। जब हम अपने पापों के लिए पश्चाताप कर के और उनकी क्षमा मांगकर, मसीह यीशु को अपना जीवन समर्पित कर देते हैं तब वह हमें हमारे उलटेपन से पलट कर सीधा करता है और हमें इसी सीधेपन में बने रहने के लिए कहता है तथा इस सीधेपन को अपने जीवन के द्वारा संसार के सामने रखने को कहता है।

   जब हम संसार के उलटे व्यवहार को छोड़कर मसीह के सीधे व्यवहार में चलना आरंभ करते हैं तब वह हमें अटपटा तो लगता है, और संसार को हमारा उपहास करने और हमारा फायदा उठाने का अवसर भी देता है, किंतु थोड़े समय में ही हम पहचानने लगते हैं कि मसीह के सीधेपन में ही सच्चाई और लाभ है। हम जान जाते हैं कि दूसरा गाल फेर देने से हम झगड़ा बढ़ाने तथा बात को और गंभीर करने से बच जाते हैं; देना लेने से भला होता है तथा अपने अहम का इन्कार करके नम्रता से जीवन जीने में कितनी शांति, सामर्थ और आशीष है। सीधेपन के जीवन की उत्तमता अनुभव से ही ज्ञात होती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह ५५:८ में लिखा है कि परमेश्वर के मार्ग हमारे मार्गों के समान नहीं हैं; और मैंने यह जान लिया है कि परमेश्वर के मार्ग चाहे हमारी सांसारिक समझ के अनुसार कैसे भी उल्टे-पुल्टे प्रतीत क्यों ना हों किंतु वे ही सर्वोत्तम और सदा ही लाभकारी मार्ग हैं। - जो स्टोवैल


जो परमेश्वर के लिए सीधा और सही है वह चाहे हमें उल्टा-पुल्टा प्रतीत हो किंतु खरा और लाभदायक वही है।


तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर। परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो। - मत्ती ५:४३-४४

बाइबल पाठ: मत्ती ५:३-१२;३८-३८
Matthew5:3 धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
Matthew5:4 धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे।
Matthew5:5 धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
Matthew5:6 धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएंगे।
Matthew5:7 धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी।
Matthew5:8 धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
Matthew5:9 धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
Matthew5:10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
Matthew5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
Matthew5:12 आनन्‍दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
Matthew5:38 तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था, कि आंख के बदले आंख, और दांत के बदले दांत।
Matthew5:39 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि बुरे का सामना न करना; परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उस की ओर दूसरा भी फेर दे।
Matthew5:40 और यदि कोई तुझ पर नालिश कर के तेरा कुरता लेना चाहे, तो उसे दोहर भी ले लेने दे।
Matthew5:41 और जो कोई तुझे कोस भर बेगार में ले जाए तो उसके साथ दो कोस चला जा।
Matthew5:42 जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तुझ से उधार लेना चाहे, उस से मुंह न मोड़।
Matthew5:43 तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।
Matthew5:44 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो।
Matthew5:45 जिस से तुम अपने स्‍वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है।
Matthew5:46 क्योंकि यदि तुम अपने प्रेम रखने वालों ही से प्रेम रखो, तो तुम्हारे लिये क्या फल होगा? क्या महसूल लेने वाले भी ऐसा ही नहीं करते?
Matthew5:47 और यदि तुम केवल अपने भाइयों ही को नमस्‍कार करो, तो कौन सा बड़ा काम करते हो? क्या अन्यजाति भी ऐसा नहीं करते?
Matthew5:48 इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता सिद्ध है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १६-१८ 
  • मत्ती १८:१-२०

शनिवार, 26 जनवरी 2013

पाखंड


   रे स्टैडमैन ने, जो एक चर्च के पास्टर हैं, अपने चर्च के एक युवक के बारे में बताया। इस युवक ने इतवार को चर्च आना बन्द कर दिया था। उस से इस बारे में बात करने पर उसने कहा कि ऐसा उसके काम के कारण है; जब सप्ताह के अन्य दिनों में वह काम पर होता है तो कभी कभी अपना संयम छोड़कर वह क्रोधित हो जाता और अपने किसी सह-कर्मी अथवा मातहत के साथ क्रोध के आवेश में अनुचित व्यवहार कर बैठता था। जब इतवार आता तो चर्च जाने में उसे संकोच होता क्योंकि उसे लगता कि सप्ताह के दिनों में उसके व्यवहार के कारण उसका चर्च जाना पाखंड के समान होगा।

   स्टैडमैन ने उस युवक को समझाया, "पाखंडी वह होता है जो उसके जैसा व्यवहार करे जो वह है नहीं; तुम एक मसीही विश्वासी हो और चर्च आना तुम्हारे लिए एक स्वाभाविक बात है, पाखंड नहीं। चर्च आने से तुम पाखंडी नहीं हो जाते।" उनकी बात सुनकर तुरंत उस जवान को बोध हो गया कि वास्तव में वह पाखंडी कहां पर था - एक अविश्वासी के समान व्यवहार करने के कारण अपने कार्य स्थल पर जहां उसे अपने मसीही विश्वास को अपने जीवन और व्यवहार में दिखाना था, वह वहां पर पाखंडी ठहरता था। उसने यह भी पहचाना कि उसकी समस्या का समाधान चर्च जाने से बचना नहीं वरन कार्य-स्थल पर अपने मसीही विश्वास के अनुरूप आचरण बनाए रखना है।

   पाखंड शब्द का अर्थ है जो हैं नहीं वह होने का नाटक करना। हम मसीही विश्वासी भी कभी कभी मसीह यीशु में अपनी सही पहचान भूल जाते हैं। हम भूल जाते हैं कि हम हर बात के लिए परमेश्वर को उत्तरदायी हैं, और वह हमसे हमारी हर बात और हर व्यवहार का हिसाब लेगा। इस भुलावे में होकर हम वैसा जीवन फिर से जीने लगते हैं जैसा कभी मसीही विश्वास में आने से पहले हमारा जीवन हुआ करता था (इफिसीयों २:२), और यह हमारा पाखंड होता है।

   हमें सचेत रहना है कि हमारा पुराना मनुष्यत्व और व्यवहार हम पर हावी होकर हमसे पुनः वैसा आचरण ना करवाने लगे जो हमारे वर्तमान में मसीही विश्वासी होने के अनुरूप नहीं है। इसके विपरीत, परमेश्वर के अनुग्रह में होकर तथा उसकी सामर्थ से हम ऐसा जीवन जीऐं जो यह दिखाए कि हम मसीह यीशु के साथ जिलाए गए हैं (इफिसीयों २:५)। इस एहसास के साथ जीवन व्यतीत करना पाखंड से बाहर निकलने तथा बचे रहने का अचूक मार्ग है। - डेव ब्रैनन


असंगत मसीही विश्वासी शैतान का अच्छा सहायक होता है।


परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया। जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) - इफिसीयों २:५

बाइबल पाठ: इफिसीयों २:१-१०
Ephesians2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।
Ephesians2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है।
Ephesians2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे।
Ephesians2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया।
Ephesians2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।)
Ephesians2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।
Ephesians2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए।
Ephesians2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है।
Ephesians2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे।
Ephesians2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १४-१५ 
  • मत्ती १७

शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

संघर्ष विहीन


   घटना सन २००६ की है, फे वैलडन को दी गई एक दवा से उसके शरीर में गलत प्रतिक्रीया हुई और उसके हृदय की गति थम गई। चिकित्सकों के प्रयास से वह उस मृत्यु समान स्थिति से जीवित निकल आई। लंडन के अखबार Daily Telegraph के एक संवादाता एलिज़बथ ग्राइस को दीए गए साक्षात्कार में फे ने अपने उस समय के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा कि "उस समय एक भयानक दिखने वाला प्राणी मुझे एक चमकीले द्वार की ओर खेंच रहा था और डॉक्टर मुझे वापस खींचने का प्रयास कर रहे थे।" बाद में फे ने कहा, "अगर यही मृत्यु है तो मैं उस अनुभव से पुनः निकलना नहीं चाहती, क्योंकि यह तो यहां के अनुभव के समान ही एक और संघर्ष में जाना होगा।"

   संसार के लगभग सभी लोगों के लिए मृत्यु एक संघर्ष हो सकती है, किंतु मसीही विश्वासी के लिए मृत्यु अपने आप में डरने की बात नहीं है क्योंकि वह हमें हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के पास स्वर्ग में पहुंचाती है। परमेश्वर के वचन बाइबल के प्रकाशितवाक्य नामक पुस्तक में प्रेरित युहन्ना ने स्वर्ग में परमेश्वर के साथ होने का एक विलक्षण वर्णन लिखा है। वहां उसने नए यरुशलेम को स्वर्ग से उतरते हुए देखा। यरुशलेम शहर को भजन ७६:२ में परमेश्वर का निवास स्थान कहा गया है और वह परमेश्वर के लोगों के लिए परमेश्वर की उनके मध्य उपस्थिति का एक भौतिक चिन्ह था। किंतु नया यरुशलेम मनुष्यों द्वारा बनाया हुआ कोई नश्वर स्थान नहीं है, वहां परमेश्वर की उपस्थिति चिन्ह नहीं वरन प्रकट रूप में है, वहां परमेश्वर अपने लोगों के साथ अनन्तकाल तक रहेगा और वहां किसी प्रकार का कोई दुख, बिमारी, वेदना नहीं होगी।

   हम अनन्तकाल के बारे में बहुत कुछ तो नहीं जानते, लेकिन इतना अवश्य जानते हैं कि जितनों ने मसीह यीशु को पश्चाताप और पापों की क्षमा मांगने के द्वारा अपना निज उद्धारकर्ता स्वीकार किया है, उनके लिए उनके वर्तमान सभी संघर्ष, शारीरिक या आत्मिक, वहां समाप्त हो जाएंगे और वे परमेश्वर की शांति और आनन्द में प्रवेश करके अनन्तकाल के लिए एक परमानन्द से परिपूर्ण संघर्षविहीन स्थान पर निवास करेंगे। परमेश्वर के साथ के उस अति उत्त्म जीवन और समय की कलपना भी हमारे मन-मसतिष्क की क्षमता से बाहर है।

   क्या आपने उस आने वाले परमानन्द से परिपूर्ण संघर्षविहीन जीवन के एकमायत्र मार्ग को स्वीकार कर लिया है? - मारविन विलियम्स


पृथ्वी की कठिनाईयां स्वर्ग के आनन्द के सामने कुछ भी नहीं।


और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। - प्रकाशितवाक्य २१:४

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २१:१-४
Revelation21:1 फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा।
Revelation21:2 फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हिन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो।
Revelation21:3 फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा।
Revelation21:4 और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १२-१३ 
  • मत्ती १६

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

समकालीन


   आयर्लैंड देश के डबलिन शहर में स्थित चेस्टर बीटी पुस्तकालय में परमेश्वर के वचन बाइबल के प्राचीन अंशों का व्यापक संग्रह है, जिनमें से कुछ ईसवीं दो तक के हैं। इनमें से एक अंश जो प्रदर्शन पर रखा हुआ है वह प्रेरितों १७:१६ को दिखाता है। उसमें लिखा है, "जब पौलुस अथेने में उन की बाट जोह रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल गया।"

   उस प्राचीन अंश पर तब लिखी गई बात आज के अख़बार जितनी ही समकालीन है। प्राचीन एथेंस शहर को मूर्तों से भरा देख कर पौलुस अति विचलित हो उठा, और मुझे पूर्ण विश्वास है कि हमारी आज की हालत देख कर भी पौलुस ठीक वैसा ही अनुभव करता। लेकिन एथेंस के लोगों के साथ पौलुस का व्यवहार और वार्तालाप ना रोषपूर्ण था और ना ही दोषारोपण के लिए। उसने बड़े प्रेम और आदर के साथ उनके सामने अपने मसीही विश्वास को रखा। चाहे उसका मन खिन्न था किंतु उसके व्यवहार में मसीह का प्रेम और सहिषुणता थी।

   आज के संसार में जो मूर्तें हम देखते हैं उनमें से कई पौलुस के समय से भिन्न हैं, जैसे: धन, प्रसिद्धि, बल या शक्ति, प्रसिद्धि प्राप्त खिलाड़ी, मनोरंजनकर्ता, सामाजिक अगुवे या राजनितिज्ञ इत्यादि। संसार के लोग सच्चे परमेश्वर के पीछे नहीं, वरन इन्हीं के पीछे चलने और इन्हीं को अपने जीवन का उद्देश्य या लक्ष्य बनाने में लगे हुए हैं। सदा की तरह हमारा आत्मिक शत्रु शैतान भी संसार का ध्यान संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु से हटा कर अन्य सभी व्यर्थ बातों पर केंद्रित करने में लगा हुआ है। मसीही विश्वासी भी शैतान के इस प्रयास से बचे हुए नहीं हैं, वे भी इन्हीं प्रलोभनों और आकर्षणों में पड़कर सच्चे मसीही विश्वास से भटकने लगे हैं और सांसारिक उपलब्धियों की चकाचौंध को प्राप्त करने की चाह में बहकने लगे हैं। इसलिए हम मसीही विश्वासियों को और भी अधिक सचेत होने और अपने जीवनों में सही व्यवहार दिखाने की आवश्यकता है - ना केवल अपने मसीही जीवन की गवाही बचाए और बनाए रखने के लिए वरन साथ ही स्व-धार्मिकता के दंभ में आकर उनके प्रति रोषपूर्ण रवैया रखने और दोष लगाने से बचने के लिए जो मसीह यीशु पर विश्वास नहीं रखते।

   पौलुस के समान ही हमें भी मसीह के प्रेम को प्रदर्षित करते हुए उन लोगों तक अपने मसीही विश्वास की बात पहुंचानी है जो मसीह यीशु को नहीं जानते या मानते। हमारा व्यवहार और जीवन ही उन्हें थिस्सुलुनिके के मसीही विश्वासियों के समान कर सकता है जो "...कैसे मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो" (१ थिस्सुलुनिकियों १:९)। - बिल क्राउडर


हमारे जीवनों में परमेश्वर का प्राथमिक स्थान ले लेने वाली हर बात एक मूरत है।


जब पौलुस अथेने में उन की बाट जोह रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल गया। - प्रेरितों १७:१६

बाइबल पाठ: प्रेरितों १७:१६-३१
Acts17:16 जब पौलुस अथेने में उन की बाट जोह रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल गया।
Acts17:17 सो वह आराधनालय में यहूदियों और भक्तों से और चौक में जो लोग मिलते थे, उन से हर दिन वाद-विवाद किया करता था।
Acts17:18 तब इपिकूरी और स्‍तोईकी पण्‍डितों में से कितने उस से तर्क करने लगे, और कितनों ने कहा, यह बकवादी क्या कहना चाहता है परन्तु औरों ने कहा; वह अन्य देवताओं का प्रचारक मालूम पड़ता है, क्योंकि वह यीशु का, और पुनरुत्थान का सुसमाचार सुनाता था।
Acts17:19 तब वे उसे अपने साथ अरियुपगुस पर ले गए और पूछा, क्या हम जान सकते हैं, कि यह नया मत जो तू सुनाता है, क्या है?
Acts17:20 क्योंकि तू अनोखी बातें हमें सुनाता है, इसलिये हम जानना चाहते हैं कि इन का अर्थ क्या है?
Acts17:21 (इसलिये कि सब अथेनवी और परदेशी जो वहां रहते थे नई नई बातें कहने और सुनने के सिवाय और किसी काम में समय नहीं बिताते थे)।
Acts17:22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा हो कर कहा; हे अथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो।
Acts17:23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं।
Acts17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता।
Acts17:25 न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है।
Acts17:26 उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है।
Acts17:27 कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोल कर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं!
Acts17:28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं।
Acts17:29 सो परमेश्वर का वंश हो कर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों।
Acts17:30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।
Acts17:31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन ९-११ 
  • मत्ती १५:२१-३९

बुधवार, 23 जनवरी 2013

सदा कार्यरत


   जैक और ट्रीशा देर रात अस्पताल की ओर जा रहे थे, क्योंकि ट्रीशा का बच्चा जनने का समय निकट था; और मार्ग में अचानक ही असंभावित हो गया। ट्रीशा को प्रसव पीड़ाएं आरंभ हो गईं और वह बच्चा जनने की कगार पर आ गई, अस्पताल तक पहुँचने या किसी सहायता के उन तक पहुँचने का समय ही नहीं रहा। जैक ने सहायता के लिए ९११ पर फोन किया और वहां उपस्थित आपात्कालीन उपचार सहायिका चैरी व्हाइट ने परिस्थिति को समझते हुए फोन पर ही जैक को प्रसव में सहायता करने और बच्चे को जनने में सहायता करी। पैदा होने के बाद बच्चा सांस नहीं ले रहा था, तो चैरी ने जैक को यह भी समझाया कि कैसे कृत्रिम रीति से श्वास दी जाती है, जो ६ मिनिट तक जैक करता रहा और तब जाकर बच्चे ने सांस ली और रोया। बाद में जब उन लोगों से पूछा गया कि उस घोर संकट में वे शांत रहते हुए कैसे सब कुछ कर सके तो चैरी ने उत्तर दिया, "मैं प्रसन्न हूँ कि परमेश्वर मध्य-रात्रि में भी कार्यरत रहता है"।

   जब समाचार-माध्यमों में ऐसे समाचार छपते हैं जिनसे परमेश्वर को आदर और महिमा मिलती है, जिसका वह पात्र है, तो मैं प्रसन्न होती हूँ। आज के बाइबल पाठ में हम ऐसा ही कुछ पाते हैं। इस खण्ड को पढ़ने से यह प्रगट है कि चाहे हाथ उठाने वाला मूसा था, किंतु लाल-समुद्र को दो भागों में बांटकर इस्त्राएलियों को बचाकर निकाल ले जाने वाला परमेश्वर ही था (निर्गमन १४:२६-२७)। पार होने के बाद, उन सभी इस्त्राएलियों और मूसा ने मिलकर धन्यवादस्वरूप परमेश्वर कि स्तुति और आराधना करी और कहा: "हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपनी स्तुति करने वालों के भय के योग्य, और आश्चर्य कर्म का कर्त्ता है" (निर्गमन १५:११)।

   परमेश्वर ही सभी भलाईयों का स्त्रोत है, और हमारे जीवनों में सदैव ही धन्यवाद का पात्र। हर बात में उसके प्रति धन्यवादी रहिए। यह कितनी भली बात है कि परमेश्वर हम सभी के जीवनों में सदा कार्यरत है - अनिश्चितता, रात्रि और अन्धकार में भी। - एनी सेटास


परमेश्वर को कार्यरत देखकर हृदय से स्तुति गीत उमड़ते हैं।

यहोवा मेरा बल और भजन का विषय है, और वही मेरा उद्धार भी ठहरा है; मेरा ईश्वर वही है, मैं उसी की स्तुति करूंगा, (मैं उसके लिये निवासस्थान बनाऊंगा ), मेरे पूर्वजों का परमेश्वर वही है, मैं उसको सराहूंगा। - निर्गमन १५:२

बाइबल पाठ: निर्गमन १४:२६-१५:२
Exod 14:26  फिर यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, कि जल मिस्रियों, और उनके रथों, और सवारों पर फिर बहने लगे।
Exod 14:27  तब मूसा ने अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया, और भोर होते होते क्या हुआ, कि समुद्र फिर ज्यों का त्यों अपने बल पर आ गया; और मिस्री उलटे भागने लगे, परन्तु यहोवा ने उन को समुद्र के बीच ही में झटक दिया।
Exod 14:28  और जल के पलटने से, जितने रथ और सवार इस्राएलियों के पीछे समुद्र में आए थे, सो सब वरन फिरौन की सारी सेना उस में डूब गई, और उस में से एक भी न बचा।
Exod 14:29  परन्तु इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर हो कर चले गए, और जल उनकी दाहिनी और बाईं दोनों ओर दीवार का काम देता था।
Exod 14:30  और यहोवा ने उस दिन इस्राएलियों को मिस्रियों के वश से इस प्रकार छुड़ाया; और इस्राएलियों ने मिस्रियों को समुद्र के तट पर मरे पड़े हुए देखा।
Exod 14:31  और यहोवा ने मिस्रियों पर जो अपना पराक्रम दिखलाता था, उसको देखकर इस्राएलियों ने यहोवा का भय माना और यहोवा की और उसके दास मूसा की भी प्रतीति की।
Exod 15:1  तब मूसा और इस्राएलियों ने यहोवा के लिये यह गीत गाया। उन्होंने कहा, मैं यहोवा का गीत गाऊंगा, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में डाल दिया है।
Exod 15:2  यहोवा मेरा बल और भजन का विषय है, और वही मेरा उद्धार भी ठहरा है; मेरा ईश्वर वही है, मैं उसी की स्तुति करूंगा, (मैं उसके लिये निवासस्थान बनाऊंगा ), मेरे पूर्वजों का परमेश्वर वही है, मैं उसको सराहूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन ७-८ 
  • मत्ती १५:१-२०

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

बहिष्कृत


   उसका चेहरा मैला था, बाल लम्बे और गन्दे थे; उसके कपड़ों पर बीयर के दाग़ थे और उसके चारों ओर बीयर की गन्ध व्याप्त थी। जब उसने चर्च भवन में प्रवेश किया तो चर्च में उपस्थित आराधना करने आए लोगों ने उसकी उपेक्षा करी। थोड़ी देर में वे लोग भौंचक्के रह गए जब वह व्यक्ति आगे की ओर बढ़ा, और चर्च के सन्देश देने के मंच पर आ कर खड़ा हो गया, वहां आकर उसने अपनी वह नकली वेश-भूषा उतार डाली और लोगों ने तब पहचाना कि वह और कोई नहीं वरन उनके चर्च का पादरी ही था!

   मैं आपके बारे में तो नहीं जानता, परन्तु मेरी प्रवृति उन्हीं से मिलने और हाथ मिलाने की रहती है जिन्हें या तो मैं पहले से जानता हूँ, या जो वेश-भूषा और दिखने में संभ्रांत प्रतीत होते हैं।

   लेकिन मेरी जैसी प्रवृति वाले लोगों के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने अपनी पत्री में एक गंभीर चेतावनी दी। उसने लिखा: "पर यदि तुम पक्षपात करते हो, तो पाप करते हो; और व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है" (याकूब २:९)। परमेश्वर के परिवार में बाहरी स्वरूप पर आधारित पक्षपातपूर्ण रवैये का कोई स्थान नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से हम "...कुविचार से न्याय करने वाले..." (पद ४) ठहरते हैं।

   इस प्रवृति से बचने का मार्ग है प्रभु यीशु द्वारा दिया गया निर्देष कि अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम रखें - चाहे हमारा पड़ौसी कोई भी क्यों ना हो। किसी दरिद्र, या बेघर, या भूखे-उघाड़े, या दुखी, या निराश व्यक्ति की ओर अपने प्रेम और सहायता का हाथ बढ़ाने से हम परमेश्वर की "राज-व्यवस्था" को पूरा करते हैं (पद ८)।

   यह संसार जो बहिष्कृत लोगों को दूर ही रखता है, इसमें ही प्रभु यीशु के प्रेम को दिखाएं और जिन्हें सहायता की आवश्यकता है, उनकी सहायता करने से पीछे ना हटें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


सच्चा मसीही प्रेम उनकी सहायता करता है जो इस उपकार को लौटा पाने में अक्षम हैं।

पर यदि तुम पक्षपात करते हो, तो पाप करते हो; और व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है। - याकूब २:९

बाइबल पाठ: याकूब २:१-९
Jas 2:1  हे मेरे भाइयों, हमारे महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीह का विश्वास तुम में पक्षपात के साथ न हो।
Jas 2:2  क्योंकि यदि एक पुरूष सोने के छल्ले और सुन्‍दर वस्‍त्र पहिने हुए तुम्हारी सभा में आए और एक कंगाल भी मैले कुचैले कपड़े पहिने हुए आए।
Jas 2:3  और तुम उस सुन्‍दर वस्‍त्र वाले का मुंह देख कर कहो कि तू वहां अच्छी जगह बैठ; और उस कंगाल से कहो, कि तू यहां खड़ा रह, या मेरे पांव की पीढ़ी के पास बैठ।
Jas 2:4  तो क्या तुम ने आपस में भेद भाव न किया और कुविचार से न्याय करने वाले न ठहरे?
Jas 2:5  हे मेरे प्रिय भाइयों सुनो; क्या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि विश्वास में धनी, और उस राज्य के अधिकारी हों, जिस की प्रतिज्ञा उसने उन से की है जो उस से प्रेम रखते हैं?
Jas 2:6  पर तुम ने उस कंगाल का अपमान किया: क्या धनी लोग तुम पर अत्याचार नहीं करते? और क्या वे ही तुम्हें कचहिरयों में घसीट घसीट कर नहीं ले जाते?
Jas 2:7 क्या वे उस उत्तम नाम की निन्‍दा नहीं करते जिस के तुम कहलाए जाते हो?
Jas 2:8  तौभी यदि तुम पवित्र शास्त्र के इस वचन के अनुसार, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख, सचमुच उस राज व्यवस्था को पूरी करते हो, तो अच्छा ही करते हो।
Jas 2:9  पर यदि तुम पक्षपात करते हो, तो पाप करते हो; और व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन ४-६ 
  • मत्ती १४:२२-३६

सोमवार, 21 जनवरी 2013

रिक्त स्थान


   प्राचीन दार्शनिक अरस्तु(Aristotle) का प्रसिद्ध कथन है: "Nature abhors a vacuum" अर्थात प्रकृति शून्य या रिक्ति को नापसन्द करती है। अरस्तु का यह कथन उनके इस अवलोकन पर आधारित था कि प्रकृति हर रिक्त स्थान को भर देती है, चाहे वह ना दिखाई देने वाली वायु के द्वारा ही क्यों ना हो।

   यही सिद्धांत हमारे आत्मिक जीवनों में भी लागू होता है। जब परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमारे मनों में हमारे पाप-बोध को जगाना आरंभ करता है तो साथ ही हम अपने मनों में अपने आप को सुधारने की योजनाएं भी बनाने लग जाते हैं; अपनी बुरी आदतों और बातों को निकाल देने के लिए भरसक प्रयत्न करने लगते हैं। किंतु अशुद्ध विचारों, दुष्टता के रवैये और स्वार्थ-सिद्धी की दुष्कामनाएं अपने प्रयासों से हटा पाने के हमारे सभी प्रयास अन्ततः निश्चित रुप से असफल रहते हैं क्योंकि हम अपनी एक बुराई निकाल कर उसके स्थान पर एक रिक्ति या शून्यता उत्पन्न कर देते हैं और कोई दूसरी बुराई या अन्य उपस्थित बुराईयों में से कोई बढ़कर उसका स्थान भर देती है, और हम एक के बाद एक बुराई को निकालने के असफल प्रयासों से जूझते हुए, निराश होकर पुनः अपनी पुरानी हालत में आ जाते हैं।

   यह बात हमें परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा इफिसुस के मसीही विश्वासियों को लिखी पत्री में दी गई शिक्षा की सार्थकता को प्रगट करती है। पौलुस ने लिखा: "और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है। और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ" (इफिसीयों ३:१७-१९)। पौलुस ने उन्हें समझाया कि वे प्रभु यीशु मसीह को अपने हृदयों में गहराई से बसा लें, क्योंकि जब मसीह उनके हृदयों में बसा रहेगा तो पाप और बुराई को बसने का स्थान ही नहीं रहेगा।

   जीवन में पाप से निवारण पाने का यही एकमात्र तरीका है - अपने मनों को बुराई तथा संसार के प्रेम की बजाए मसीह के प्रेम से भर लें। मसीह यीशु का प्रेम जितना अधिक हमारे अन्दर भरा होगा, बुराई तथा संसार कि बातों को भरने का उतना ही कम स्थान उपलब्ध होगा और पाप को हमारे जीवनों में स्थान मिलने ही नहीं पाएगा। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


मसीह यीशु को हृदय में स्थान देने से पहले स्वयं ही उसे शुद्ध और पवित्र करने के प्रयास में समय व्यर्थ ना करें; जब आप मसीह को अपने हृदय में बसा लेंगे तो वह ही उसे शुद्ध और पवित्र कर देगा।

और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे... - इफिसीयों ३:१७

बाइबल पाठ: इफिसीयों ३:१४-२१
Eph 3:14  मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं,
Eph 3:15  जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।
Eph 3:16  कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ।
Eph 3:17  और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर।
Eph 3:18  सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है।
Eph 3:19  और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
Eph 3:20  अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है,
Eph 3:21  कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १-३ 
  • मत्ती १४:१-२१

रविवार, 20 जनवरी 2013

भय एवं प्रेम


   एक कर्मचारी ने दो अधिकारियों से संबंधित अपना विशलेषण मेरे साथ बांटा। एक अधिकारी से उसके आधीनस्थ कर्मचारी प्रेम तो करते हैं परन्तु उस का भय नहीं रखते और इस कारण उसके अधिकार का आदर नहीं करते और उसके निर्देशों को अन्देखा करते रहते हैं। दूसरे अधिकारी के प्रति उन कर्मचारियों के मन में प्रेम भी है और भय भी और उसके प्रति उनका व्यवहार और आज्ञाकारिता इस बात को दिखाती है।

   परमेश्वर भी चाहता है कि उसके लोग उसका भय भी मानें और उससे प्रेम भी रखें। आज का बाइबल पाठ परमेश्वर की इसी मनसा को दिखाता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में व्यवस्थाविवरण १०:१२ में परमेश्वर ने कहा: "और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे" - परमेश्वर के लोग उसका भय भी मानें और उससे प्रेम भी रखें, अपने सारे मन और प्राण से।

   एक मसीही विश्वासी के लिए इसका अर्थ परमेश्वर से या उसके व्यकतित्व से आतंकित रहना नहीं वरन परमेश्वर का भय मानने से तात्पर्य है उसे संपूर्ण तन-मन से, पूरी श्रद्धा, आदर और सत्कार देना; उसके मार्गों पर चलना और उसकी आज्ञाकारिता में बने रहना। और परमेश्वर से प्रेम रखने का तात्पर्य है कि अपने सच्चे और समर्पित सारे मन और सामर्थ से उसकी सेवा करना, ना कि किसी मजबूरी अथवा कर्तव्य पालन के विचार के अन्तर्गत।

   जो निस्वार्थ और खरा प्रेम परमेश्वर ने पहले हो कर हम से किया, वही हमें उसके प्रति सच्चा प्रेम रखने और कृतज्ञ होने को प्रेरित करता है, ना कि उसके प्रति हमारी कोई पसन्द अथवा कुछ प्राप्ति की इच्छा : "हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया" (१ यूहन्ना ४:१९)। परमेश्वर के प्रति हमारा यही भय और प्रेम हमें उसके नियमों पर चलने और उसकी आज्ञाकारिता में रहने की भावना और सामर्थ देता है, और जिससे हम परमेश्वर द्वारा आशीशित रहते हैं। - एलबर्ट ली


यदि हम परमेश्वर का भय मानेंगे, उससे प्रेम करेंगे तो उसके आज्ञाकारी भी रहेंगे।

और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे, - व्यवस्थाविवरण १०:१२

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण १०:१२-१७
Deut 10:12  और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे,
Deut 10:13  और यहोवा की जो जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उन को ग्रहण करे, जिस से तेरा भला हो?
Deut 10:14  सुन, स्वर्ग और सब से ऊंचा स्वर्ग भी, और पृथ्वी और उस में जो कुछ है, वह सब तेरे परमेश्वर यहोवा ही का है;
Deut 10:15  तौभी यहोवा ने तेरे पूर्वजों से स्नेह और प्रेम रखा, और उनके बाद तुम लोगों को जो उनकी सन्तान हो सर्व देशों के लोगों के मध्य में से चुन लिया, जैसा कि आज के दिन प्रगट है।
Deut 10:16  इसलिये अपने अपने हृदय का खतना करो, और आगे को हठीले न रहो।
Deut 10:17  क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४९-५० 
  • मत्ती १३:३१-५८

शनिवार, 19 जनवरी 2013

गिर जाने पर


   लोकप्रीय और प्रसिद्ध व्यक्तियों के द्वारा कोई बुराई करने के समाचार अब इतने आम हो गए हैं कि चाहे हम उन्हें पढ़-सुन कर निराश हों किंतु आश्चर्यचकित नहीं होते। किंतु जब किसी गणमान्य व्यक्ति या किसी मित्र के किसी अनैतिक कार्य अथवा असफलता का हमें पता चलता है तो हमारी प्रतिक्रीया कैसी होनी चाहिए; हमें क्या करना चाहिए?

   सबसे अच्छा तरीका है हम अपने आप को जांचें। लगभग एक शताब्दी पहले, प्रसिद्ध बाइबल शिक्षक ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने लंडन में अपने बाइबल कॉलेज के छात्रों को कहा था: "सदैव इस बात से सचेत रहो कि जहां कोई एक जन गिर गया है, वहीं कोई अन्य भी गिर सकता है, तुम भी! असुरक्षित सामर्थ कमज़ोर पड़ जाने का दोगुना कारण होती है।"

   चैम्बर्स के यह वचन दूसरों के पापों को देखकर स्वयं अपनी कमज़ोरियों के प्रति सचेत होने की परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई प्रेरित पौलुस की शिक्षा पर आधारित हैं। कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी पहली पत्री में इस्त्राएलियों के पूर्वजों की अनाज्ञाकारिता की समीक्षा करने के पश्चात (१ कुरिन्थियों १०:१-५) पौलुस ने अपने पाठकों को सचेत किया कि वे उन बातों से सीखें और उनके से पापों में पड़ने से बचे रहें (पद ६-११)। उसकी शिक्षा का केंद्र बिंदु बीते समय के पाप नहीं वर्तमान समय का अहंकार था जो पाप में पड़ने का कारण बन सकता था, इसलिए पौलुस ने लिखा, "इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े" (१ कुरिन्थियों १०:१२)।

   किसी दूसरे के पाप या कमज़ोरी पर दोषारोपण तथा निराशा में सिर हिलाना तो आम बात है, लेकिन सबसे अधिक लाभदायक वह सिर है जो इस स्वीकृति में हिलता है कि "हाँ! मुझ से भी यही पाप हो सकता है" और फिर परमेश्वर के सामने झुक कर हाथ प्रार्थना में बांध कर कहता है, "प्रभु उस पर दया कर और मुझे भी अपनी दया से इस पाप में पड़ने से बचाए रख।" - डेविड मैक्कैसलैंड


विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है। - नीतिवचन १६:१८

इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े। - १ कुरिन्थियों १०:१२

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १०:१-१३
1Cor 10:1  हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब बाप दादे बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए।
1Cor 10:2  और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपितिस्मा लिया।
1Cor 10:3  और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया।
1Cor 10:4  और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे, जो उन के साथ-साथ चलती थी; और वह चट्टान मसीह था।
1Cor 10:5  परन्तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए।
1Cor 10:6 ये बातें हमारे लिये दृष्‍टान्‍त ठहरी, कि जैसे उन्होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्‍तुओं का लालच न करें।
1Cor 10:7  और न तुम मूरत पूजने वाले बनों; जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे।
1Cor 10:8  और न हम व्यभिचार करें; जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये ।
1Cor 10:9  और न हम प्रभु को परखें; जैसा उन में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए।
1Cor 10:10  और न हम कुड़कुड़ाएं, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करने वाले के द्वारा नाश किए गए।
1Cor 10:11 परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्‍टान्‍त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्‍तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।
1Cor 10:12  इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े।
1Cor 10:13  तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४६-४८ 
  • मत्ती १३:१-३०

शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

खुली किताब


   मैं पेशे से एक लेखक हूँ और कभी न कभी कोई मित्र या जानकार मुझसे कहता रहता है कि "किसी दिन मैं भी एक पुस्तक लिखुँगा।" मेरा उत्तर होता है, "यह एक अच्छा लक्ष्य है, और मेरी शुभकामनाएं हैं कि आप अवश्य ही कोई पुस्तक लिखें। किंतु पुस्तक लिखने से बेहतर होता है जीवन का स्वयं पुस्तक होना।"

   मेरा यह कथन परमेश्वर के वचन में प्रेरित पौलुस की कही बात पर आधारित है। पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी दूसरी पत्री में उन्हें समझाया, "यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है" (२ कुरिन्थियों ३:३)।

   इंगलैंड के राजा जेम्स प्रथम के पादरी लुइस बेय्ली ने अपनी पुस्तक The Practice of Piety में लिखा: "जो अपनी लेखनी के द्वारा कुछ भला करना चाहता है, वह थोड़े ही समय में समझ जाएगा कि वह बहुत थोड़े से लोगों को ही प्रभावित कर पा रहा है। इसलिए भलाई करने तथा किसी को प्रभावित करने का सबसे सक्षम तरीका है उस भलाई का उदाहरण बनना। अपने आस-पास के लोगों को सिखाने के लिए हज़ार में से कोई एक जन पुस्तक लिखने की क्षमता रख सकता है, परन्तु प्रत्येक जन में यह क्षमता है कि वह अपने आस-पास के लोगों के लिए एक सजीव उदाहरण बन कर जी सकता है।"

   जो काम प्रभु यीशु अपने विश्वासियों के जीवन में करता है वह उनके जीवनों को ही उनके द्वारा लिखी जाने वाली किसी पुस्तक से कहीं अधिक प्रभावी बना देता है। परमेश्वर का जो वचन उनके हृदय की पट्टियों पर लिखा जाता है (यर्मियाह ३१:३३) वह संसार के सामने परमेश्वर के प्रेम और भलाई को प्रदर्शित करने की सामर्थ रखता है। चाहे आप अपने जीवन में एक भी पुस्तक ना लिखने पाएं, लेकिन एक मसीही विश्वासी होने के नाते आप स्वयं एक पुस्तक बन जाते हैं जिसमें होकर लोग परमेश्वर की शिक्षाओं को पढ़ते हैं, मसीह के प्रेम को समझते हैं। 

   सचेत रहिए, एक मसीही विश्वासी का जीवन खुली किताब है; लोग आपके जीवन से क्या पढ़ने पाते हैं? - डेविड रोपर


यदि कोई आपके जीवन को पुस्तक के समान पढ़े तो क्या उन पन्नों में मसीह यीशु को पाएगा?

यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है। - २ कुरिन्थियों ३:३

बाइबल पाठ: यर्मियाह ३१:३१-३४
Jer 31:31  फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आने वाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बान्धूंगा।
Jer 31:32  वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी थी जब मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली।
Jer 31:33  परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।
Jer 31:34  और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से ले कर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४३-४५ 
  • मत्ती १२:२४-५०

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

अन्धकार में मार्गदर्शन


   मैं सोचता था कि परमेश्वर यदि पहले से ही मुझे बात का परिणाम बता दे तो मुझे कार्य करना सरल हो जाएगा। मैं मानता हूँ कि परमेश्वर के वचन के वायदे के अनुसार सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं (रोमियों ८:२८), किंतु अन्धकार के समयों में मेरे लिए कार्य कर पाना अधिक सहज होगा यदि मैं पहले से जान सकूँ कि वह "भलाई" क्या है!

   परन्तु परमेश्वर अधिकांशतः हमें वह स्थान पहले से नहीं दिखाता जहां वह हमें ले कर जा रहा है; वह बस हमें उस पर और उस की योजनाओं पर विश्वास रखने को कहता है। यह अन्धकार में कार चलाने के समान है। कार चलाते हुए, हमारी कार की बत्ती की रौशनी हमारे गन्तव्य स्थान तक नहीं पहुँचती, उन बत्तियों की रौशनी में हम केवल लगभग १००-१५० फुट आगे का ही देखने पाते हैं; किंतु उस रौशनी की यह सीमा हमें आगे बढ़ने से नहीं रोकती। हम बत्ती पर भरोसा करते हुए, जितना दिख रहा है उसका आंकलन करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं और बत्ती हमें क्रमशः आगे का मार्ग दिखाती चली जाती है, अन्ततः हम अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं।

   परमेश्वर का वचन बाइबल भी उस ज्योति के समान है जो अन्धकार में मार्ग दिखाती है - उतना जितने की हमें उस समय आवश्यकता है। परमेश्वर के वचन में उसके बच्चों के लिए परमेश्वर के आश्वासन और प्रतिज्ञाएं हैं जो उन्हें जीवन की निराशा और कटुता के गढ़हों में गिरने से बचाते हैं। परमेश्वर ने कहा है कि वह ना हमें कभी छोड़ेगा और ना कभी हमें त्यागेगा (इब्रानियों १३:५)। उसका वचन हमें आश्वस्त करता है कि जो योजनाएं वह हमारे लिए बना रहा है वे हमारे लाभ ही की हैं जिससे हमें एक अच्छा भविष्य मिल सके (यर्मियाह २९:११)। उसका वायदा है कि जो परीक्षाएं हम पर आती हैं वे हमारे नुकसान के लिए नहीं वरन हमारी उन्नति के लिए हैं (याकूब १:२-४)।

   इसलिए यदि अगली बार जीवन की किसी कठिनाई और परीक्षा में आपको लगे कि आप अन्धेरे में चल रहे हैं तो अपनी ज्योति - परमेश्वर के वचन पर भरोसा रखिए; उस परिस्थिति के लिए वही आपका मार्गदर्शन करेगा, सही राह दिखाएगा। - जो स्टोवैल


परमेश्वर के वचन की ज्योति में चलेंगे तो जीवन के मार्ग में ठोकर नहीं खाएंगे।

तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। - भजन ११९:१०५

बाइबल पाठ: भजन ११९:१०५-११२
Ps 119:105  तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।
Ps 119:106  मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूंगा।
Ps 119:107  मैं अत्यन्त दु:ख में पड़ा हूं; हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे जिला।
Ps 119:108  हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जान कर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा।
Ps 119:109  मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
Ps 119:110  दुष्टों ने मेरे लिये फन्दा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।
Ps 119:111  मैं ने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं।
Ps 119:112  मैं ने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूं।

एक साल में बाइबल: उत्पत्ति ४१-४२ मत्ती १२:१-२३

बुधवार, 16 जनवरी 2013

बच्चों की क्षमता


   संगीतज्ञ लुइस आर्मस्ट्रोंग अपने मुस्कुराते हुए चेहरे, खरखराती हुई आवाज़, सफेद रुमाल और ट्रम्पेट बजाने में प्रवीणता के लिए विख्यात था। परन्तु उसका बचपन दुख और कमी-घटी का था। शिशु अवस्था में ही वह अपने पिता द्वारा त्यागा गया था और १२ वर्ष कि आयु में ही उसे बच्चों के सुधार गृह में भेजना पड़ गया था। आश्चर्य की बात यह है कि यही बात उसके जीवन की दिशा को निर्धारित करने वाली बन गयी।

   संगीत शिक्षक पीटर डेविस उस सुधार गृह में नियमित रूप से जाया करते थे और बच्चों को संगीत वाद्य बजाना सिखाते थे। जल्द ही लुइस ने वहां बहुत अच्छे से कोर्नेट बजाने वाला बन गया और उसे उन बच्चों के बैण्ड का अगुवा बना दिया गया। वहां से उस के जीवन की दिशा ही बदल गई और वह विश्व-प्रसिद्ध ट्रम्पेट वादक और गायक बनने के मार्ग पर आ गया।

   लुइस की कहानी मसीही माता-पिता के लिए एक उदाहरण हो सकती है। परमेश्वर के वचन में नीतिवचन २२:६ में लिखा है: "लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।" यह शिक्षा केवल नैतिक और आत्मिक बातों पर ही नहीं वरन जीवन के हर पहलु पर लागू होती है। साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों की स्वाभाविक प्रतिभाएं उनकी रुचि और रुझान भी निर्धारित करते हैं; जैसे लुइस के जीवन में संगीत का थोड़ा सा प्रशिक्षण उसे प्रसिद्ध ट्रम्पेट वादक बनाने में सहायक हुआ।

   जब हम अपने बच्चों को सप्रेम परमेश्वर के वचन से सिखाते हैं और परमेश्वर द्वारा उन्हें दी गई प्रतिभाओं को उभारने और बढ़ाने में उनके सहायक होते हैं तो जो परमेश्वर ने उनके लिए निर्धारित किया है और उनके जीवनों से चाहता है उन्हें उस दिशा में अग्रसर करने और बच्चों की क्षमता का समूचा लाभ उन के जीवनों में पहुँचाने में अपना योगदान देते हैं। - डेनिस फिशर


बच्चों को बचपन से ही सही मार्गदर्शन दें और उनके जीवनों को समाज के लिए उपयोगी बनाएं।

लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा। - नीतिवचन २२:६

बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस ३:१०-१७
2Tim 3:10  पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
2Tim 3:11 और ऐसे दुखों में भी जो अन्‍ताकिया और इकुनियुम और लुस्‍त्रा में मुझ पर पड़े थे और और दुखों में भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
2Tim 3:12  पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
2Tim 3:13 और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
2Tim 3:14  पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
2Tim 3:15  और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
2Tim 3:16  हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
2Tim 3:17  ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३९-४० 
  • मत्ती ११

मंगलवार, 15 जनवरी 2013

स्वतंत्र


   सैन फ्रांसिस्को के अल्काट्रैज़ टापू पर स्थित और अब बन्द कर दिए गए कैदखाने के भ्रमण से लौटने के बाद वहां की कुछ अविस्मरणीय यादें मेरे साथ रह गईं। जब हम नौका से वहां पहुंचे तो मैं जान सका कि क्यों उस अधिकतम सुरक्षा प्राप्त स्थान को "चट्टान" कह कर संबोधित किया जाता था।

   अन्दर भ्रमण करते समय, मैंने वहां के चर्चित "बड़े घर" के अन्दर रौशनी की किरणों को मोटी सलाखों लगी खिड़कियों से होकर आते हुए देखा। फिर एक के बाद एक कोठरियों की कतारों को देखा जिनमें कई कुख्यात अपराधी कैद रखे गए थे। लेकिन एक अन्य बात ने एक बहुत गहरी छाप मुझ पर छोड़ी - एक खाली कोठरी में प्रवेश करने पर मैंने वहां की एक दिवार पर लिखा हुआ देखा "यीशु" और एक अन्य कोठरी की ताक में एक बाइबल रखी हुई थी। इन दोनों बातों ने मुझसे शांत भाव से सबसे बड़ी स्वतंत्रता के बारे में बातें कीं।

   प्रेरित पौलुस भी, जब वह कैदखाने की कोठरी में पड़ा अपने मृत्यु दण्ड के पूरा किए जाने की प्रतीक्षा कर रहा था तो इस स्वतंत्रता के बारे में जानता था। अपने आप को "मसीह का कैदी" जानकर उसने अपने कैद के समय का उपयोग अन्य कैदियों तक पाप से अनन्त काल की क्षमा पाने तथा परमेश्वर के परिवार का सदस्य बनने और मसीह में स्वतंत्र होने के सुसमाचार को पहुंचाने के लिए बिताया।

   सलाखें लगे दरवाज़े और खिड़कियां एक प्रकार की कैद के प्रतीक हैं। शरीर में लकवे का रोगी होना, अपरिहार्य दरिद्रता, लंबे अर्से की बेरोज़गारी इत्यादि एक अन्य प्रकार की कैद के प्रतीक हैं। संभव है कि आप किसी अन्य प्रकार की कैद सहन कर रहे हों। इनमें से कोई भी कैद वांछनीय नहीं है - लेकिन जिसने मसीह के प्रेम और उससे मिलने वाली सामर्थ को जान लिया है वह मसीह का कैदी होने के बदले में मसीह के बिना स्वतंत्र रहने की कल्पना भी नहीं कर सकता क्योंकि मसीह की कैद ही जीवन की वास्तविक स्वतंत्रता है। - मार्ट डी हॉन


मसीह के नियंत्रण में रहना ही स्वतंत्रता में रहना है।

मैं अपने बच्‍चे उनेसिमुस के लिये जो मुझ से मेरी कैद में जन्मा है तुझ से बिनती करता हूं। - फिलेमॉन १:१०

बाइबल पाठ: फिलेमॉन १:४-१६
Phlm 1:4  मैं तेरे उस प्रेम और विश्वास की चर्चा सुन कर, जो सब पवित्र लोगों के साथ और प्रभु यीशु पर है।
Phlm 1:5  सदा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं; और अपनी प्रार्थनाओं में भी तुझे स्मरण करता हूं।
Phlm 1:6  कि तेरा विश्वास में सहभागी होना तुम्हारी सारी भलाई की पहिचान में मसीह के लिये प्रभावशाली हो।
Phlm 1:7 क्योंकि हे भाई, मुझे तेरे प्रेम से बहुत आनन्द और शान्‍ति मिली, इसलिये, कि तेरे द्वारा पवित्र लोगों के मन हरे भरे हो गए हैं।
Phlm 1:8  इसलिये यद्यपि मुझे मसीह में बड़ा हियाव तो है, कि जो बात ठीक है, उस की आज्ञा तुझे दूं।
Phlm 1:9  तौभी मुझ बूढ़े पौलुस को जो अब मसीह यीशु के लिये कैदी हूं, यह और भी भला जान पड़ा कि प्रेम से बिनती करूं।
Phlm 1:10  मैं अपने बच्‍चे उनेसिमुस के लिये जो मुझ से मेरी कैद में जन्मा है तुझ से बिनती करता हूं।
Phlm 1:11  वह तो पहिले तेरे कुछ काम का न था, पर अब तेरे और मेरे दोनों के बड़े काम का है।
Phlm 1:12  उसी को अर्थात जो मेरे हृदय का टुकड़ा है, मैं ने उसे तेरे पास लौटा दिया है।
Phlm 1:13  उसे मैं अपने ही पास रखना चाहता था कि तेरी ओर से इस कैद में जो सुसमाचार के कारण है, मेरी सेवा करे।
Phlm 1:14  पर मैं ने तेरी इच्छा बिना कुछ भी करना न चाहा कि तेरी यह कृपा दबाव से नहीं पर आनन्द से हो।
Phlm 1:15  क्योंकि क्या जाने वह तुझ से कुछ दिन तक के लिये इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे।
Phlm 1:16  परन्तु अब से दास की नाईं नहीं, वरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३६-३८ 
  • मत्ती १०:२१-४२

सोमवार, 14 जनवरी 2013

भला या बुरा?


   क्या वास्तव में जीवन की बातों तथा परिस्थितियों को भला या बुरा कर के आंकने की क्षमता हम में है? 

   उदाहरणस्वरूप, मान लीजिए कि आप परिवार के साथ यात्रा पर निकलने को हैं और आपकी कार खराब हो जाती है। जब कार को वर्कशॉप में ले जाते हैं तो मिस्त्री उसे देखकर कहता है, "अच्छा हुआ कि आप इसे लेकर यात्रा पर नहीं निकले; इसमें कभी भी आग लग सकती थी!" आप की पारिवारिक यात्रा का संभव ना हो पाना बुरा था या परमेश्वर द्वारा आप को तथा आप के परिवार को इस प्रकार बचाना भला था?

   या, मान लीजिए कि आप चाहते हैं कि आपकी पुत्री खेल तथा दौड़ में आगे बढ़े, किंतु उसकी रुचि गाने तथा संगीत वाद्य बजाने में है। आप कुंठित होते हैं क्योंकि वह आप की इच्छानुसार नहीं वरन अपनी पसन्द अनुसार चल रही है। किंतु वह संगीत में अच्छी प्रवीणता प्राप्त करती है और उसे संगीत में आगे के प्रशीक्षण के लिए छात्रवृत्ति भी मिल जाती है। उस में होकर आप की इच्छाओं का पूरा ना होना क्या बुरा था, या यश पाने के लिए परमेश्वर द्वारा उसको ऐसे मार्ग में ले चलना जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की थी भला है?

   कई बार यह जानना कठिन होता है कि परमेश्वर कैसे कार्य कर रहा है। उसके भेद हमारी समझ से परे होते हैं और हमारी जीवन यात्रा, हमारे नियंत्रण से बाहर, कुछ अनपेक्षित रास्तों पर होकर निकलती है। संभवतः परमेश्वर हमें एक बेहतर मार्ग दिखा रहा है।

   जब बुरे या भले का भेद समझना कठिन हो, तो आज के बाइबल पाठ के भजनकार के समान, जो बुरा प्रतीत होता है उसमें से भी भला उत्पन्न करने वाले हमारे परमेश्वर पिता के प्रेम पर अपना विश्वास बनाए रखें (पद ५) क्योंकि अपने विश्वासियों के प्रति परमेश्वर का प्रेम कभी घटता नहीं, टलता नहीं; भजनकार के समान ही सदैव परमेश्वर की स्तुति और आराधना में लगे रहें (पद ६)। - डेव ब्रैनन


हम परिस्थितियों को तो नियंत्रित नहीं कर सकते परन्तु उनके प्रति अपनी प्रतिक्रीया को अवश्य ही निर्धारित कर सकते हैं।

परन्तु मैं ने तो तेरी करूणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा। - भजन १३:५

बाइबल पाठ: भजन १३
Ps 13:1  हे परमेश्वर तू कब तक? क्या सदैव मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझ से छिपाए रहेगा?
Ps 13:2  मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियां करता रहूं, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं, कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?
Ps 13:3  हे मेरे परमेश्वर यहोवा मेरी ओर ध्यान दे और मुझे उत्तर दे, मेरी आंखों में ज्योति आने दे, नहीं तो मुझे मृत्यु की नींद आ जाएगी;
Ps 13:4  ऐसा न हो कि मेरा शत्रु कहे, कि मैं उस पर प्रबल हो गया; और ऐसा न हो कि जब मैं डगमगाने लगूं तो मेरे शत्रु मगन हों।
Ps 13:5  परन्तु मैं ने तो तेरी करूणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा।
Ps 13:6  मैं परमेश्वर के नाम का भजन गाऊंगा, क्योंकि उसने मेरी भलाई की है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३३-३५ 
  • मत्ती १०:१-२०

रविवार, 13 जनवरी 2013

विश्वास


   कई बार कुछ लोग जो परमेश्वर के नाम से कोई सेवकाई करते हैं, इसे परमेश्वर के साथ किए गई एक ठेके के रूप में देखते हैं - क्योंकि मैंने अपना समय, सामर्थ और धन परमेश्वर के नाम पर कार्य करने में व्यय किया है इसलिए प्रत्युत्तर में परमेश्वर को मेरी विशेष देखभाल करनी चाहिए।

   किंतु मेरा मित्र डगलस ऐसा नहीं है। उसका जीवन परमेश्वर के वचन के पात्र अय्युब के समान ही है जिसने अपने परिवार, संपदा और स्वास्थ्य की भारी हानि उठाने और उस दशा में मित्रों द्वारा अपमानित होने पर भी परमेश्वर से अपने विश्वास को टलने नहीं दिया। डगलस ने भी अपनी सेवकाई की असफलता, कैंसर से अपनी पत्नि की मृत्यु, नशे में धुत एक वाहन चालक द्वारा अपने आप तथा अपने एक बच्चे को लगी चोटें सही हैं। किंतु डगलस की सलाह रहती है, "परमेश्वर को अपने जीवन की परिस्थितियों से मत आंको।"

   जब कठिनाईयां आती हैं और शंकाएं उत्पन्न होती हैं तो मैं परमेश्वर के वचन बाइबल में रोमियों ८ अध्याय की ओर अकसर मुड़ता हूँ। रोमियों की पत्री के लेखक पौलुस ने यहां प्रश्न उठाया: "कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?" (रोमियों ८:३५); इस एक वाक्य में पौलुस ने अपनी सेवकाई के जीवन का सारांश प्रस्तुत कर दिया। उसने सुसमाचार प्रचार के लिए बहुत क्लेष उठाए, लेकिन उसका विश्वास था कि चाहे इन क्लेषों में कोई भी बात अपने आप में भली नहीं है, किंतु परमेश्वर इन क्लेष की बातों से भी भलाई उत्पन्न कर सकता है। उसने कठिनाईयों और क्लेषों से भी आगे उस प्रेमी परमेश्वर को देखना सीख लिया था जो एक दिन सब को सब बातों का योग्य प्रतिफल देगा। पौलुस ने आगे लिखा: "क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी" (रोमियों ८:३८-३९)।

   ऐसा विश्वास निराशाओं पर जयवंत होने में बहुत सहायक होता है, क्योंकि तब हम जीवन को अपनी योजनाओं की सफलता या असफलता की दृष्टि से नहीं वरन परमेश्वर की योजनाओं की दृष्टि से देखने लगते हैं। - फिलिप यैन्सी


और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। - फिलिप्पियों १:६

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों ८:२८

बाइबल पाठ: रोमियों ८:२८-३९
Rom 8:28  और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Rom 8:29  क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Rom 8:30  फिर जिन्हें उसने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Rom 8:31  सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Rom 8:32  जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Rom 8:33  परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
Rom 8:34  फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
Rom 8:35  कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेष, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Rom 8:36  जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Rom 8:37  परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
Rom 8:38  क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Rom 8:39  न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३१-३२ 
  • मत्ती ९:१८-३८

शनिवार, 12 जनवरी 2013

पृष्ठभूमि में कार्यरत


   हाल ही में मैं एक प्रसिद्ध मसीही महिला संगीतज्ञ की श्रद्धांजलि सभा में गया। उसकी श्रद्धांजलि में उसके जीवन और कार्यों से संबंधित कई वीडीयो तथा ऑडियो रिकॉर्डिंग्स के छोटे भाग, तसवीरें, संगीत वाद्य बजाने वाले एवं वक्ता सम्मिलित थे। सभा के बाद मैं लोगों के बाहर जाने तक रुका और फिर पृष्ठभूमि में रहे उन लोगों को धन्यवाद देने गया जिनकी मेहनत से यह सारा मर्मस्पर्शी कार्यक्रम सुचारू रूप से चलाया जा सका तथा संपन्न हो सका। मैंने उन से कहा, "आप लोग प्रत्यक्ष नहीं थे, किसी ने आपको देखा नहीं लेकिन यह सब आपकी मेहनत से ही संभव हो सका।" उन्होंने उत्तर दिया हम इसी रीति से कार्य करना पसन्द करते हैं।

   परमेश्वर के वचन में मत्ती ६ में प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे दान दें (पद१-४), प्रार्थना करें (पद ५-६) और उपवास भी रखें (पद १६-१८), लोगों से प्रशंसा पाने के लिए नहीं वरन परमेश्वर को प्रसन्न करने के उद्देश्य से गुप्त में करें। तब परमेश्वर जो सब कुछ देखता है उन्हें खुले में प्रतिफल देगा: "ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती ६:४); "परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती ६:६); "ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्‍त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती ६:१८)।

   हम सब के अंदर ऐसा कुछ है जो हमारी अच्छी बातों के लिए हमारे अंदर लोगों द्वारा पहचाने जाने और प्रशंसित होने की लालसा जगाता है। स्वाभाविक रूप से किसी से प्रोत्साहन पाने और सराहे जाने में कोई बुराई नहीं है, किंतु प्रशंसा और मान्यता पाने की लालसा रख कर सेवकाई करना हमारी सेवकाई को नष्ट कर सकता है क्योंकि इस से हमारा ध्यान दूसरों की आवश्यकताओं पर नहीं अपने आप पर ही केंद्रित हो जाता है और हम दूसरों के लिए नहीं वरन अपने लिए ही कार्य करने लगते हैं। जब सार्वजनिक रूप से धनयवाद नहीं मिले तो हम उपेक्षित अनुभव कर सकते हैं, किंतु पृष्ठभूमि में रहते हुए भी जब हम परमेश्वर की सेवकाई में लगे रहते हैं, तो वह ना केवल इसका ध्यान रखता है वरन सार्वजनिक रूप से इसका प्रतिफल भी अवश्य देता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


बेहतर है कि बिना प्राप्त किए ही मान्यता अर्जित करते रहें, ना कि बिना अर्जित किए ही मान्यता प्राप्त करने की चाह रखें।

परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। - मत्ती ६:६

बाइबल पाठ: मत्ती ६:१-६, १६-१८
Matt 6:1  सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
Matt 6:2  इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
Matt 6:3  परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
Matt 6:4 ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matt 6:5  और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matt 6:6  परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matt 6:16  जब तुम उपवास करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matt 6:17  परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो।
Matt 6:18  ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्‍त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २९-३० 
  • मत्ती ९:१-१७

शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

अभी क्यों नहीं?


   मेरा एक प्रीय मित्र है जिसने कई वर्ष तक एक छोटे और अनजाने से देश सुरीनाम में मसीही सेवाकाई करी, परन्तु अपने अन्तिम वर्षों में उसे लकवा मार गया। अपनी इस लकवे की दशा में कई बार उसके मन में विचार आता था कि परमेश्वर क्यों उसे अपने पास बुला नहीं लेता; उसके इस प्रकार निषक्रीय जीवन में लटके रहने का क्या उद्देश्य है? उसकी प्रबल इच्छा रहती थी कि वह शरीर से अलग होकर अपने प्रभु से जा मिले।

   हो सकता है कि आपके लिए या आपके किसी मित्र के लिए जीवन बहुत कठिन अथवा दुखदाई हो और आप भी विचार करते हों कि क्यों परमेश्वर ने आपको या आपके प्रीय जन को ऐसे लटका रखा है? जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वह स्वर्ग जाने पर है तो उसके एक चेले पतरस ने प्रश्न किया: "...हे प्रभु, अभी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं तो तेरे लिये अपना प्राण दूंगा" (यूहन्ना १३:३७)। पतरस के समान आप भी यह विचार कर सकते हैं कि स्वर्ग में आपका प्रवेश अभी रुका हुआ क्यों हैं तथा प्रश्न कर सकते हैं, "प्रभु, अभी क्यों नहीं?"

   हमें अभी यहीं इस पृथ्वी पर रखने में परमेश्वर के कुछ बुद्धिमता तथा प्रेम से भरे कारण हैं - अभी कुछ कार्य पूरा होना बाकी है जो हमारे द्वारा ही तथा इस पृथ्वी पर ही होना संभव है। हमारे कष्ट जो हमें विचलित करते हैं, उन का भी उद्देश्य है: "क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है" (२ कुरिन्थियों ४:१७)। हमारे द्वारा अन्य लोगों के लिए कुछ करना भी शेष है, चाहे वह केवल उनके लिए प्रार्थना करना और उनके प्रति प्रेम दिखाना ही हो। हमारी पृथ्वी पर उपस्थिति कुछ लोगों के लिए मसीही प्रेम, करुणा और जीवन के बारे में सीखने का अवसर एवं उदाहरण भी हो सकता है।

   इसलिए चाहे आप अपने या किसी प्रीय जन के लिए संसार से छुटकारा चाह सकते हैं, लेकिन पृथ्वी पर बने रहना आपके या उस प्रीय जन के लिए आशीश की भरपूरी का कारण हो सकता है (फिलिप्पियों १:२१)। प्रतीक्षा में सांत्वना इसी बात से है कि इसमें परमेश्वर के उद्देश्य हैं; ऐसे उद्देश्य जो ना केवल हमारी वरन कई अन्य लोगों की भलाई के लिए हैं। - डेविड रोपर


हमारी सबसे बड़ी सांत्वना यही है कि परमेश्वर सदैव ही नियंत्रण में है।

...दाऊद तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा कर के सो गया; और अपने बाप दादों में जा मिला...। - प्रेरितों १३:३६

बाइबल पाठ: यूहन्ना १३:३३-३८
John 13:33  हे बालकों, मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूं: फिर तुम मुझे ढूंढोगे, और जैसा मैं ने यहूदियों से कहा, कि जहां मैं जाता हूं, वहां तुम नहीं आ सकते वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूं।
John 13:34  मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो।
John 13:35  यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।
John 13:36  शमौन पतरस ने उस से कहा, हे प्रभु, तू कहां जाता है? यीशु ने उत्तर दिया, कि जहां मैं जाता हूं, वहां तू अब मेरे पीछे आ नहीं सकता! परन्तु इस के बाद मेरे पीछे आएगा।
John 13:37  पतरस ने उस से कहा, हे प्रभु, अभी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं तो तेरे लिये अपना प्राण दूंगा।
John 13:38  यीशु ने उत्तर दिया, क्या तू मेरे लिये अपना प्राण देगा? मैं तुझ से सच सच कहता हूं कि मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २७-२८ 
  • मत्ती ८:१८-३४