ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

सार्थक समर्पण


   इतिहास में प्रभु यीशु की माता मरियम को आदर का एक उच्च स्थान मिलता रहा है। यह ठीक भी है! स्वयं परमेश्वर ने उसे चुना था कि वह लंबे समय से प्रतीक्षित संसार के मसीहा को पृथ्वी पर जन्म देने वाली बने।

   परन्तु मरियम और उसके जीवन के महत्व में मग्न होने से पहले थोड़ा यह भी विचार कर लें कि इस कार्य के लिए अपने आप को परमेश्वर के हाथों में समर्पित करने का उसके लिए लिए क्या अर्थ रहा होगा। मरियम गलील के इलाके के एक छोटे से गांव में रहने वालि कन्या थी। गांव के सब लोग एक दुसरे को और एक दुसरे की बातों को जानते थे। उसे विवाह से पूर्व ही गर्भवती होने की निन्दनीय दशा में इन सबके सामने रहना था। अपने परिवार और समाज के लोगों को स्वर्गदुत के दर्शन और पवित्र आत्मा की सामर्थ से गर्भवती होने को समझाना उसके लिए लगभग असंभव था। इस गर्भ के कारण यूसुफ से होने वाले उसके रिशते पर भी गंभीर प्रभाव आना ही था - यूसुफ को भी वह क्या बताती और उसे यह सब कैसे समझाती? क्या वह उसका विश्वास करता?

   इन सब बातों और व्यक्तिगत समस्याओं के संदर्भ में, स्वर्गदूत को दिया गया उसका उत्तर विसमित कर देने वाला है; उसने कहा: "देख मैं परमेश्वर की दासी हूँ; तेरे वचन के अनुसार ही मेरे साथ हो" (लूका १:३८)। मरियम के समर्पण के ये शब्द हमें स्मरण दिलाते हैं कि एक महत्वपूर्ण और प्रभावी जीवन से पहले परमेश्वर को हर दशा और हर कीमत पर समर्पित मन बहुत अनिवार्य है।

   हम नहीं जानते कि परमेश्वर किन महत्वपुर्ण बातों और अशीषों की योजना हमारे लिए बनाए हुए है; किंतु वे जो भी हों, उन तक पहुँचने का आरंभ होगा परमेश्वर को सम्पूर्ण समर्पण द्वारा। - जो स्टोवैल


परमेश्वर को संपूर्ण समर्पण परमेश्वर द्वारा जीवन में महान कार्य और आशीष का पहला कदम है।

इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। - १ पतरस ५:६

बाइबल पाठ: लूका १:२६-३८
Luk 1:26  छठवें महीने में परमेश्वर की ओर से जिब्राईल स्‍वर्गदूत गलील के नासरत नगर में एक कुंवारी के पास भेजा गया। 
Luk 1:27   जिस की मंगनी यूसुफ नाम दाऊद के घराने के एक पुरूष से हुई थी: उस कुंवारी का नाम मरियम था। 
Luk 1:28  और स्‍वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा; आनन्‍द और जय तेरी हो, जिस पर ईश्वर का अनुग्रह हुआ है, प्रभु तेरे साथ है। 
Luk 1:29   वह उस वचन से बहुत घबरा गई, और सोचने लगी, कि यह किस प्रकार का अभिवादन है? 
Luk 1:30  स्‍वर्गदूत ने उस से कहा, हे मरियम; भयभीत न हो, क्‍योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है। 
Luk 1:31  और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्‍पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना। 
Luk 1:32   वह महान होगा, और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा, और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उस को देगा। 
Luk 1:33  और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्‍त न होगा। 
Luk 1:34  मरियम ने स्‍वर्गदूत से कहा, यह क्‍योंकर होगा मैं तो पुरूष को जानती ही नहीं। 
Luk 1:35  स्‍वर्गदूत ने उस को उत्तर दिया, कि पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्‍पन्न होने वाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। 
Luk 1:36   और देख, और तेरी कुटुम्बिनी इलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होने वाला है, यह उसका, जो बांझ कहलाती थी छठवां महीना है। 
Luk 1:37  क्‍योंकि जो वचन परमेश्वर की ओर से होता है वह प्रभावरहित नहीं होता। 
Luk 1:38  मरियम ने कहा, देख, मैं प्रभु की दासी हूं, मुझे तेरे वचन के अनुसार हो: तब स्‍वर्गदूत उसके पास से चला गया।

एक साल में बाइबल: 

  • मीका १-३ 
  • प्रकाशितवाक्य ११