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शनिवार, 8 दिसंबर 2012

घमण्ड या नम्रता


   सुप्रसिद्ध प्रचारक ड्वाईट मूडी ने कहा था, "जब कोई मनुष्य यह समझने लगे कि उसके पास बहुत सामर्थ है और वह अपने आप पर घमंड करने लगे तो समझ लीजिए कि वह नाश के कगार पर पहुँच गया है। हो सकता है कि उसका विनाश प्रगट होने में कुछ समय या कुछ वर्ष लग जाएं, किंतु घमंड के साथ ही विनाश की प्रक्रिया उसके जीवन में आरंभ हो गई है।" यही बात राजा उज़्ज़ियाह के जीवन में हुई।

   राजा उज़्ज़ियाह के जीवन में सब कुछ बहुत भला प्रतीत हो रहा था। वह आज्ञाकारी था, परामर्शदाताओं से मिले आत्मिक निर्देशों का पालन करता था, अपने शासन के अधिकांश काल में परमेश्वर की इच्छा और मार्गदर्शन का खोजी रहता था। जब तक वह परमेश्वर से सहायता मांगता रहा, परमेश्वर उसे सहायता देता और बढ़ता रहा, जो उज़्ज़ियाह की अनेक महान उपलब्धियों से विदित है (२ इतिहास २६:३-१५)।

   राजा उज़्ज़ियाह का जीवन बड़ी सामर्थ और सफलता की कहानी था, तब तक जब तक कि उसके घमंड ने उसे अन्धा नहीं कर दिया। परमेश्वर के वचन बाइबल में २ इतिहास २६:१६-१९ में हम पाते हैं कि उसका घमंड कई रूप में प्रकट हुआ: उसने परमेश्वर द्वारा स्थापित विधि का उल्लंघन करा और परमेश्वर कि वेदी पर धूप जलाई, जो केवल याजकों (पुरोहितों) के लिए निर्धारित था, और वेदी की पवित्रता को चुनौती दी (पद १६)। उसने परमेश्वर की सामर्थ को भला तथा उपयोगी किंतु अपने जीवन के लिए अनिवार्य नहीं माना (पद ५; १६)। उसने धार्मिक सलाह तथा चेतावनी की अवहेलना करी; पश्चाताप के लिए दिए गए अवसर को तुच्छ जाना और अपने पाप के दण्ड का भय मानने की बजाए उसे अन्देखा किया (पद १८-१९)। परिणाम जीवन भर का दुख और राजा होने के पद से गिराया जाना हुआ।

   जब परमेश्वर हमारे जीवन के किसी क्षेत्र में हमें सफलता दे, तब हम अपनी सफलता के स्त्रोत को कभी ना भूलें। यही वह समय होता है जब हमें नम्र बने रहने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है और घमंड द्वारा अन्धे होकर कुछ अनुचित करने का सबसे अधिक प्रलोभन। परमेश्वर का वचन सिखाता है कि: "...इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है। इसलिये परमेश्वर के आधीन हो जाओ, और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा" (याकूब ४:६-७)।

   जीवन में परमेश्वर के अनुग्रह से मिली सफलता का स्वागत नम्रता के साथ करें, घमण्ड को कोई स्थान ना दें। - मार्विन विलियम्स


जब हम विनम्र होकर झुकते हैं, परमेश्वर हमें और भी उठाता तथा बढ़ाता है।

परन्तु जब वह सामर्थी हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उस ने बिगड़ कर अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वासघात किया... - २ इतिहास २६:१६

बाइबल पाठ: २ इतिहास २६:३-२१
2Ch 26:3  जब उज्जिय्याह राज्य करने लगा, तब वह सोलह वर्ष का था। और यरूशलेम में बावन वर्ष तक राज्य करता रहा, और उसकी माता का नाम यकील्याह था, जो यरूशलेम की थी। 
2Ch 26:4  जैसे उसका पिता अमस्याह, किया करता था वैसा ही उसने भी किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था। 
2Ch 26:5  और जकर्याह के दिनों में जो परमेश्वर के दर्शन के विषय समझ रखता था, वह परमेश्वर की खोज में लगा रहता था; और जब तक वह यहोवा की खोज में लगा रहा, तब तक परमेश्वर उसको भाग्यवान किए रहा। 
2Ch 26:6  तब उस ने जाकर पलिश्तियों से युद्ध किया, और गत, यब्ने और अशदोद की शहरपनाहें गिरा दीं, और अशदोद के आसपास और पलिश्तियों के बीच में नगर बसाए। 
2Ch 26:7  और परमेश्वर ने पलिश्तियों और गूर्बालवासी, अरबियों और मूनियों के विरुद्ध उसकी सहायता की। 
2Ch 26:8  और अम्मोनी उज्जिय्याह को भेंट देने लगे, वरन उसकी कीर्ति मिस्र के सिवाने तक भी फैल गई, क्योंकि वह अत्यन्त सामर्थी हो गया था। 
2Ch 26:9  फिर उज्जिय्याह ने यरूशलेम में कोने के फाटक और तराई के फाटक और शहरपनाह के मोड़ पर गुम्मट बनवा कर दृढ़ किए। 
2Ch 26:10  और उसके बहुत जानवर थे इसलिये उस ने जंगल में और नीचे के देश और चौरस देश में गुम्मट बनवाए और बहुत से हौद खुदवाए, और पहाड़ों पर और कर्म्मेल में उसके किसान और दाख की बारियों के माली थे, क्योंकि वह खेती किसानी करने वाला था। 
2Ch 26:11  फिर उज्जिय्याह के योद्धाओं की एक सेना थी जिनकी गिनती यीएल मुंशी और मासेयाह सरदार, हनन्याह नामक राजा के एक हाकिम की आज्ञा से करते थे, और उसके अनुसार वह दल बान्धकर लड़ने को जाती थी। 
2Ch 26:12  पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरुष जो शूरवीर थे, उनकी पूरी गिनती दो हजार छ: सौ थी। 
2Ch 26:13  और उनके अधिकार में तीन लाख साढ़े सात हजार की एक बड़ी बड़ी सेना थी, जो शत्रुओं के विरुद्ध राजा की सहायता करने को बड़े बल से युद्ध करने वाले थे। 
2Ch 26:14  इनके लिये अर्थात पूरी सेना के लिये उज्जिय्याह ने ढालें, भाले, टोप, झिलम, धनुष और गोफन के पत्थर तैयार किए। 
2Ch 26:15  फिर उस ने यरूशलेम में गुम्मटों और कंगूरों पर रखने को चतुर पुरुषों के निकाले हुए यन्त्र भी बनवाए जिनके द्वारा तीर और बड़े बड़े पत्थर फेंके जाते थे। और उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अदभुत सहायता यहां तक मिली कि वह सामर्थी हो गया। 
2Ch 26:16  परन्तु जब वह सामर्थी हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उस ने बिगड़ कर अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वासघात किया, अर्थात वह धूप की वेदी पर धूप जलाने को यहोवा के मन्दिर में घुस गया। 
2Ch 26:17  और अजर्याह याजक उसके बाद भीतर गया, और उसके संग यहोवा के अस्सी याजक भी जो वीर थे गए। 
2Ch 26:18  और उन्होंने उज्जिय्याह राजा का साम्हना करके उस से कहा, हे उज्जिय्याह यहोवा के लिये धूप जलाना तेरा काम नहीं, हारून की सन्तान अर्थात उन याजकों ही का काम है, जो धूप जलाने को पवित्र किए गए हैं। तू पवित्रस्थान से निकल जा; तू ने विश्वासघात किया है, यहोवा परमेश्वर की ओर से यह तेरी महिमा का कारण न होगा। 
2Ch 26:19  तब उज्जिय्याह धूप जलाने को धूपदान हाथ में लिये हुए झुंझला उठा। और वह याजकों पर झुंझला रहा था, कि याजकों के देखते देखते यहोवा के भवन में धूप की वेदी के पास ही उसके माथे पर कोढ़ प्रगट हुआ। 
2Ch 26:20  और अजर्याह महायाजक और सब याजकों ने उस पर दृष्टि की, और क्या देखा कि उसके माथे पर कोढ़ निकला है ! तब उन्होंने उसको वहां से झटपट निकाल दिया, वरन यह जानकर कि यहोवा ने मुझे कोढ़ी कर दिया है, उस ने आप बाहर जाने को उतावली की। 
2Ch 26:21  और उज्जिय्याह राजा मरने के दिन तक कोढ़ी रहा, और कोढ़ के कारण अलग एक घर में रहता था, वह तो यहोवा के भवन में जाने न पाता था। और उसका पुत्र योताम राजघराने के काम पर नियुक्त किया गया और वह लोगों का न्याय भी करता था।

एक साल में बाइबल: 
  • दानिय्येल ८-१० 
  • ३ यूहन्ना