ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 18 नवंबर 2012

व्यर्थ भोजन


   बहुत से देशों में बच्चों में मोटापा बहुत बढ़ गया है जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और आगे चलकर अनेक समस्याओं को उत्पन्न करेगा। इसका एक मुख्य कारण है भोजन से संबंधित गलत आदतें और व्यर्थ भोजन सामग्री का सेवन।

   व्यर्थ भोजन सामग्री का तात्पर्त्य उस भोजन सामग्री से है जो स्वाद में तो अच्छा होता है किंतु पौष्टिक तथा संतुलित आहार नहीं होता। ऐसे भोजन में वसा (चिकनाई या तैल पदार्थ) तथा उष्णता अधिक होते हैं जो शरीर में एकत्रित होते रहते हैं और शरीर के अनेक अंगों पर हानिकारक प्रभाव डालते रहते हैं जिनसे बाद में बहुत से रोग हो जाते हैं। ऐसे व्यर्थ भोजन के उदाहरण हैं चिप्स, सोडा युक्त ठंडे पेय, मिठाईयां-केक-पेस्ट्री इत्यादि, कुछ फास्ट-फूड दुकानों पर मिलने वाले भोजन आदि।

   जैसे कुछ प्रकार का शारीरिक भोजन व्यर्थ और हानिकारक होता है, वैसे ही कई प्रकार का आत्मिक भोजन भी व्यर्थ और हानिकारक होता है। व्यर्थ शारीरिक भोजन के समान ही यह व्यर्थ आत्मिक भोजन भी सामान्य आत्मिक भोजन की वस्तुओं से ही बनाया जाता है, दिखने और स्वाद में भी अच्छा लगता है किंतु इसके दीर्घ-कालीन परिणाम अति हानिकारक होते हैं। मसीही विश्वासियों को तो इससे खासकर बहुत सावधान रहना चाहिए।

   यह व्यर्थ आत्मिक भोजन कोई "भिन्न सुसमाचार" (गलतियों १:६) से लेकर मसीही विश्वास द्वारा शारीरिक लाभ और संपदा में बढ़ोतरी तथा झूठी धार्मिकता की बातों तक कुछ भी हो सकता है। कुछ मसीही विश्वास के गीतों तथा पुस्तकों में भी यह गलत शिक्षाएं पाई जाती हैं। ऐसे आत्मिक भोजन के प्रयोग से आत्मिक भूख मिटने का आभास तो हो सकता है किंतु आत्मिक बढ़ोतरी नहीं होगी, वरन आगे चलकर आत्मिक हानि ही होगी।

   परमेश्वर के वचन में इब्रानियों की पत्री में सचेत किया गया है: "नाना प्रकार के और ऊपरी उपदेशों से न भरमाए जाओ, क्‍योंकि मन का अनुग्रह से दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्‍तुओं से जिन से काम रखने वालों को कुछ लाभ न हुआ" (इब्रानियों १३:९)। गलत शिक्षाएं हमारे लिए हानिकारक हैं, उनसे कोई लाभ नहीं होता क्योंकि वे हमें ना तो पाप की सामर्थ पर जयवंत होना सिखाती हैं और ना ही हमारी आत्मिक वृद्धि में योगदान करती हैं। परन्तु जैसे प्रेरित पौलुस ने तिमुथियुस को सिखाया, परमेश्वर के वचन बाइबल के सत्य और परमेश्वर के आत्मा की प्रेर्णा से उपयोग द्वारा हमारी आत्मिक भूख भी तृप्त होती है और आत्मिक स्वास्थ्य भी मिलता है।

   व्यर्थ भोजन से बचें - चाहे वाह शारीरिक हो अथवा आत्मिक, और नित्य परमेश्वर के वचन के अध्ययन द्वारा अपने आत्मिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ और उन्नत रखें। - डेनिस फिशर


परमेश्वर के वचन के सत्यों पर नित्य भोजन करते रहने से हम झूठी और व्यर्थ बातों के स्वाद को पहचान पाने में सक्षम हो जाएंगे।

नाना प्रकार के और ऊपरी उपदेशों से न भरमाए जाओ, क्‍योंकि मन का अनुग्रह से दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्‍तुओं से जिन से काम रखने वालों को कुछ लाभ न हुआ। - इब्रानियों १३:९

बाइबल पाठ: गलतियों १:६-१२; २ तिमुथियुस ३:१२-१७
Gal 1:6  मुझे आश्‍चर्य होता है, कि जिस ने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उस से तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। 
Gal 1:7  परन्‍तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। 
Gal 1:8  परन्‍तु यदि हम या स्‍वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो श्रापित हो। 
Gal 1:9  जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो श्रापित हो। अब मैं क्‍या मनुष्यों को मानता हूं या परमेश्वर को? क्‍या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं? 
Gal 1:10  यदि मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करता रहता, तो मसीह का दास न होता।
Gal 1:11  हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं। 
Gal 1:12 क्‍योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला।

2Ti 3:12  पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे। 
2Ti 3:13 और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे। 
2Ti 3:14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह, कि तू ने उन्‍हें किन लोगों से सीखा था; 
2Ti 3:15 और बालकपन से पवित्र शास्‍त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्‍त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है। 
2Ti 3:16 हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। 
2Ti 3:17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लि्ये तत्‍पर हो जाए।

एक साल में बाइबल: 

  • यहेजकेल ८-१० 
  • इब्रानियों १३