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रविवार, 14 अक्तूबर 2012

सहायता का हाथ


   सन १९३० की बात है, घुड़दौड़ प्रतिस्पर्धा में घोड़ा दौड़ाते हुए, एक घुड़सवार जौनी लौंगडेन को धक्का लगा और वह अपने घोड़े पर एक तरफ को झुक गया। उसके पीछे अन्य घोड़े तेज़ दौड़ते हुए आ रहे थे जिनसे टकराकर उसकी जान तक जा सकती थी। उसकी गंभीर हालत को देखकर साथ दौड़ रहे एक और घुड़सवार ने उसका हाथ पकड़कर उसे सीधा करने का प्रयास किया, किंतु दुर्भाग्यवश उसके प्रयास में इतना ज़ोर था कि जौनी अब दूसरी तरफ को लटक गया। यह देखकर दूसरी ओर घोड़ा दौड़ा रहे एक और घुड़सवार ने उसे पकड़ा और सीधा होने में सहायता करी। सबसे अधिक आश्चर्य की बात यह रही कि जौनी लौंगडेन वह दौड़ जीत गया! एक समाचार पत्र ने यह समाचार प्रकाशित करते हुए इसे "अविश्वसनीय रीति से असंभव" कहा। उन सहायता के हाथों के कारण ना केवल जौनी की जान बची वरन वह दौड़ भी जीत सका।

   हम मसीही विश्वासियों का भी यह कर्तव्य है कि हम दूसरों की सहायता के लिए अपने हाथ बढ़ाएं। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन ३१ अध्याय में हम एक सदगुणी स्त्री के चरित्र के बारे में पढ़ते हैं। इस स्त्री का एक गुण है कि "वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र के संभालने को हाथ बढ़ाती है" (नीतिवचन ३१:२०)। सदियों से इस स्त्री का चरित्र के अनेकों स्त्री-पुरुषों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहा है। यह स्त्री हमें स्मरण दिलाती है कि अपने आप को दुसरों की सहायता के लिए देना बाइबल के अनुसार सभी मसीही विश्वासियों के लिए दिया गया सदगुण है।

   आज इस संसार में ऐसे बहुत से लोग हैं जो जीवन यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, या कठिन समयों का सामना कर रहे हैं, और उन्हें किसी की सहायता की आवश्यकता है। क्या आप अपने जीवन में किसी ऐसे को जानते हैं जिसे आपकी सहायता के हाथ की आवश्यक्ता है? जीवन की इस दौड़ में किसी को संभालने के लिए अपनी सहायता का हाथ बढ़ायें - यह उसके लिए सफलता-असफलता या जीवन-मरण का अन्तर ला सकता है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर अकसर अपनी सहायता मनुष्यों के हाथों भेजता है।

वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र के संभालने को हाथ बढ़ाती है। - नीतिवचन ३१:२०

बाइबल पाठ: नीतिवचन ३१:१०-३१
Pro 31:10  भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूंगों से भी बहुत अधिक है। उसके पति के मन में उसके प्रति विश्वास है। 
Pro 31:11  और उसे लाभ की घटी नहीं होती। 
Pro 31:12  वह अपने जीवन के सारे दिनों में उस से बुरा नहीं, वरन भला ही व्यवहार करती है। 
Pro 31:13  वह ऊन और सन ढूंढ़ ढूंढ़कर, अपने हाथों से प्रसन्नता के साथ काम करती है। 
Pro 31:14  वह व्योपार के जहाजों की नाईं अपनी भोजनवस्तुएं दूर से मंगवाती हैं। 
Pro 31:15  वह रात ही को उठ बैठती है, और अपने घराने को भोजन खिलाती है और अपनी लौण्डियों को अलग अलग काम देती है। 
Pro 31:16  वह किसी खेत के विषय में सोच विचार करती है और उसे मोल ले लेती है; और अपने परिश्रम के फल से दाख की बारी लगाती है। 
Pro 31:17  वह अपनी कटि को बल के फेंटे से कसती है, और अपनी बाहों को दृढ़ बनाती है। 
Pro 31:18  वह परख लेती है कि मेरा व्योपार लाभदायक है। रात को उसका दिया नहीं बुझता। 
Pro 31:19  वह अटेरन में हाथ लगाती है, और चरखा पकड़ती है। 
Pro 31:20  वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र के संभालने को हाथ बढ़ाती है। 
Pro 31:21  वह अपने घराने के लिये हिम से नहीं डरती, क्योंकि उसके घर के सब लोग लाल कपड़े पहिनते हैं। 
Pro 31:22  वह तकिये बना लेती है; उसके वस्त्र सूक्षम सन और बैंजनी रंग के होते हैं। 
Pro 31:23  जब उसका पति सभा में देश के पुरनियों के संग बैठता है, तब उसका सम्मान होता है। 
Pro 31:24  वह सन के वस्त्र बनाकर बेचती है, और व्योपारी को कमरबन्द देती है। 
Pro 31:25  वह बल और प्रताप का पहिरावा पहिने रहती है, और आने वाले काल के विषय पर हंसती है। 
Pro 31:26  वह बुद्धि की बात बोलती है, और उसके वचन कृपा की शिक्षा के अनुसार होते हैं। 
Pro 31:27  वह अपने घराने के चालचलन को ध्यान से देखती है, और अपनी रोटी बिना परिश्रम नहीं खाती। 
Pro 31:28  उसके पुत्र उठ उठकर उसको धन्य कहते हैं, उनका पति भी उठकर उसकी ऐसी प्रशंसा करता है: 
Pro 31:29  बहुत सी स्त्रियों ने अच्छे अच्छे काम तो किए हैं परन्तु तू उन सभों में श्रेष्ट है। 
Pro 31:30  शोभा तो झूठी और सुन्दरता व्यर्थ है, परन्तु जो स्त्री यहोवा का भय मानती है, उसकी प्रशंसा की जाएगी। 
Pro 31:31  उसके हाथों के परिश्रम का फल उसे दो, और उसके कार्यों से सभा में उसकी प्रशंसा होगी।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ४३-४४ 
  • १ थिस्सलुनीकियों २