ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 23 सितंबर 2012

शब्द - बाण या मरहम


   परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन का लेखक ऐसे बुद्धिहीन लोगों के बारे में लिखता है "...जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है..." (नीतिवचन १२:१८) - हमारी जीभ कई फालियों वाले ’स्विस’ चाकू के समान कई प्रकार से काटने और घायल करने की क्षमता रखती है।

   ऐसे हानिकारक रवैये का कारण होता है हमारे अन्दर का क्रोध, खिसियाहट, कुण्ठाएं, निराशाएं, अधीरताएं, तनाव, स्वदोष-बोध, असुरक्षाएं इत्यादि। अपने शब्दों द्वारा जब हम लोगों को घायल करते हैं तो साथ ही हम मित्रता और अन्य संबंधों को भी काटते और विच्छेदित करते हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि उन सात बातों की सूचि में जिन से परमेश्वर घृणा करता है, एक है वह व्यक्ति जो भाइयों के बीच झगड़ा उत्पन्न करता है (नीतिवचन ६:१६-१९)।

   परमेश्वर के समक्ष घृणित बातों की इस सूचि में सम्मिलित होने से हम अपने आप को कैसे बचाकर रख सकते हैं? सबसे पहली बात तो यह कि हमें अपने बोल-चाल का ध्यान रखना होगा; कानाफूसी और द्वेषपूर्ण बातें हमारे जीवनों में बिलकुल स्वीकार्य नहीं हैं और ना ही ऐसे शब्द जो आहत करते हैं। फिर, डींग मारना, घमण्ड दिखाना, झूठ बोलना और शब्दों के अन्य सभी ऐसे प्रयोग जिनके द्वारा फूट पड़ती है या चोट पहुँचती है भी हमारे जीवनों में नहीं पाए जाने हैं।

   शब्दों और जीभ के ऐसे दुरुपयोग के स्थान पर हमें ऐसा व्यवहार दिखाना और ऐसे शब्द प्रयोग करने हैं जिनसे प्रेम, क्षमा, करुणा, दया प्रगट होती है; वे जो घायल मन पर मरहम का काम करें। नम्रता सहित सत्य ही हमारे जीवन, आपसी संबंधों और बोलचाल का आधार होना चाहिए; और हमारी जीभ का प्रयोग दूसरों को उभारने तथा संवारने के लिए होना चाहिए ना कि किसी को नीचा दिखाने या गिराने के लिए।

   यदि प्रभु यीशु ने हमारे साथ ऐसे प्रेम, क्षमा और अनुग्रह से पूर्ण मधुर वचनों का प्रयोग एवं मृदु व्यवहार ना किया होता तो हम कहाँ होते? इसलिए प्रत्येक मसीही विश्वासी का भी कर्तव्य है कि वह शब्दों का प्रयोग बाण के समान बेधने के लिए नहीं वरन ढांपने और चंगा करने वाले मरहम के समान करे, जैसा कि हमारे उद्धाकर्ता प्रभु यीशु ने अपने शब्दों और व्यवहार का प्रयोग सबकी भलाई के लिए किया। - जो स्टोवैल


हमारे शब्दों में बनाने और बिगाड़ने दोनो की शक्ति है।

ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं। - नीतिवचन १२:१८

बाइबल पाठ: नीतिवचन ६:१६-१९; १२:१७-२२
Pro 6:16  छ: वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको घृणा है 
Pro 6:17 अर्थात घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलने वाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहाने वाले हाथ, 
Pro 6:18  अनर्थ कल्पना गढ़ने वाला मन, बुराई करने को वेग से दौड़ने वाले पांव, 
Pro 6:19  झूठ बोलने वाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करने वाला मनुष्य। 
Pro 12:17  जो सच बोलता है, वह धर्म प्रगट करता है, परन्तु जो झूठी साक्षी देता, वह छल प्रगट करता है। 
Pro 12:18  ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं। 
Pro 12:19  सच्चाई सदा बनी रहेगी, परन्तु झूठ पल ही भर का होता है। 
Pro 12:20  बुरी युक्ति करने वालों के मन में छल रहता है, परन्तु मेल की युक्ति करने वालों को आनन्द होता है। 
Pro 12:21  धर्मी को हानि नहीं होती है, परन्तु दुष्ट लोग सारी विपत्ति में डूब जाते हैं। 
Pro 12:22  झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत १-३ 
  • गलतियों २