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मंगलवार, 18 सितंबर 2012

समझ से बाहर


   अमेरिका के मध्य-पश्चिम इलाके के जंगलों और बहते पानी के सोतों के आस-पास रहने और बड़े होने से उस इलाके के प्राकृतिक सौन्दर्य तथा वन्य-जीवन से मैं सदा ही बहुत प्रभावित रहा हूँ। परन्तु हाल ही में कैलिफोर्निया के समुद्र-तट पर अपनी एक यात्रा में बड़े बड़े समुद्री जीव-जन्तुओं के दृश्यों और समुद्र में उनकी अटखेलियों तथा कैलिफोर्निया के अति विशाल रेडवुड पेड़ों के जंगल को देखकर मैं मन्त्र-मुग्ध सा रह गया। यह सब, जो परमेश्वर द्वारा रचि गयी प्रकृति के लाखों जीव-जन्तुओं और उनके आपसी ताल-मेल के साथ रहने और बढ़ने के कुछ नमूने ही हैं, हमें परमेश्वर की बुद्धि और समझ-बूझ का आभास देते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, प्रकृति की अनुपम जटिल विविधता और सौन्दर्यता का उद्देश्य केवल विसमय उत्पन्न करना ही नहीं है। प्रकृति के रहस्य हमें परमेश्वर के कार्य करने के तरीकों को भी दिखाते और समझाते हैं और कई बार किसी किसी के जीवन में बयान और समझ से बाहर तकलीफों और परेशानियों को भी आ लेने देने को समझने में सहायता करते है।

   इसका एक उदाहरण हम अय्युब की गाथा में पाते हैं। जब अय्युब को अपनी उन तकलीफों का सामना करना पड़ रहा था तब वह नहीं जानता था कि परमेश्वर उसका और उसके विश्वास का इतना आदर करता है कि उसने शैतान को उसे और परमेश्वर में उसके विश्वास को तकलीफों और नुकसानों के द्वारा परखने की अनुमति दी है, क्योंकि परमेश्वर जानता था कि अय्युब उन सब में खरा उतरेगा और उसका विश्वास डगमगाएगा नहीं।

   अय्युब की गाथा के अध्ययन के बाद जो निष्कर्ष निकल कर सामने आता है वह यह है कि वह सृष्टिकर्ता जिसके पास प्रकृति के अचरज बनाने की समझ-बूझ है, उसके पास हमारी अपनी समझ से बाहर तकलीफों को हमारे जीवन में आने देने के उद्देश्यों और कारणों की भी समझ है और हम उसपर इन सब बातों में भी पूरा पूरा भरोसा रख सकते हैं।

   अपनी परीक्षा के अंत में, अय्युब अपनी स्वधार्मिकता के छल को और परमेश्वर की पवित्रता को और भी बेहत्र समझने पाता है और परमेश्वर के सामने नतमस्तक, अय्युब कहता है: "मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती। मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ" - (अय्युब ४२:२,५,६)। 

   समझ से बाहर अपनी परिस्थितियों और क्लेषों में भी अय्युब के समान ही हम भी अपने परमेश्वर में ऐसा ही विश्वास रख सकते हैं; क्योंकि चाहे जो कुछ भी क्यों ना हो जाए, वह जो करेगा हमारे भले ही के लिए करेगा। - मार्ट डी हॉन


प्रकृति और जीवन के अचरज प्रकृति और जीवन के सृष्टिकर्ता परमेश्वर को जानने और उसकी आराधना करने को प्रेरित करते हैं।

मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ। - (अय्युब ४२:५-६)

बाइबल पाठ: अय्युब ३६:२२-३३
Job 36:22  देख, ईश्वर अपने सामर्ध्य से बड़े बड़े काम करता है, उसके समान शिक्षक कौन है? 
Job 36:23  किस ने उसके चलने का मार्ग ठहराया है? और कौन उस से कह सकता है, कि तू ने अनुचित काम किया है? 
Job 36:24  उसके कामों की महिमा और प्रशंसा करने को स्मरण रख, जिसकी प्रशंसा का गीत मनुष्य गाते चले आए हैं। 
Job 36:25  सब मनुष्य उसको ध्यान से देखते आए हैं, और मनुष्य उसे दूर दूर से देखता है। 
Job 36:26  देख, ईश्वर महान और हमारे ज्ञान से कहीं परे है, और उसके वर्ष की गिनती अनन्त है। 
Job 36:27  क्योंकि वह तो जल की बूंदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह होकर टपकती हैं, 
Job 36:28  वे ऊंचे ऊंचे बादल उंडेलते हैं और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं। 
Job 36:29  फिर क्या कोई बादलों का फैलना और उसके मणडल में का गरजना समझ सकता है? 
Job 36:30  देख, वह अपने उजियाले को चहुँ ओर फैलाता है, और समुद्र की थाह को ढांपता है। 
Job 36:31  क्योंकि वह देश देश के लोगों का न्याय इन्हीं से करता है, और भोजन-वस्तुएं बहुतायत से देता है। 
Job 36:32  वह बिजली को अपने हाथ में लेकर उसे आज्ञा देता है कि दुश्मन पर गिरे। 
Job 36:33  इसकी कड़क उसी का समाचार देती है पशु भी प्रगट करते हैं कि अन्धड़ चढ़ा आता है।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन ३०-३१ 
  • २ कुरिन्थियों ११:१-१५