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मंगलवार, 11 सितंबर 2012

बुराई पर जयवंत


   किसी भी अखबार को देख लीजिए, उसमें छपी खबरों के शीर्षक बता देंगे कि संसार में क्या कुछ गलत है। चाहे टी.वी. देखें या रेडियो सुनें या मित्रों से बातचीत करें, सब लोग जानते हैं कि इस संसार में क्या कुछ गलत है और संसार का यह हाल क्यों है। बुराई और इन बातों के बारे में सबकी अपनी अपनी राय है, क्योंकि दोष लगाना और खामियां निकालना तो सरल है, किंतु उन के समाधान के लिए कुछ सार्थक उपाय करना सरल नहीं है, चाहे वह अपने व्यक्तिगत जीवन में कुछ परिवर्तन लाना ही क्यों ना हो।

   जब कुछ आतंकवादियों ने वायुयान अगुवा कर के उन्हें पेंटागन, न्यूयॉर्क की जुड़वां गगनचुंबी इमारतों और पैन्सिलवेनिया के एक खेत में टकरा दिया जिससे सैकड़ों जाने गईं तो सारे संसार ने तुरंत इसे बहुत बुरा कहा। बुराई की इस विनाशकारी सामर्थ के प्रदर्शन के समक्ष लोगों ने अपने आप को असहाय और लाचार अनुभव किया। और यही बुराई का सबसे ताकतवर प्रभाव है; वह अपने शिकार को उसके सामर्थहीन होने का आभास देती है।

   लेकिन हम सामर्थहीन नहीं हैं। हम में से अधिकांशतः बुराई को व्यक्तिगत और छोटे रूप में अनुभव करते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में, पौलुस ने रोमियों के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में, बुराई के प्रति की जाने वाली प्रतिक्रीया के विषय में लिखा कि: बुराई से घृणा करें (रोमियों १२:९); उसका प्रत्युत्तर और बुराई करके ना दें (रोमियों १२:१७) और उससे हारें नहीं (रोमियों १२:२१)।

   बुराई का वास्तविक शिकार भलाई है - वह भलाई जिसे परमेश्वर ने सृष्टि का एक भाग करके बनाया था कि सब आनन्द के साथ रह सकें (उत्पत्ति १:४-३१)। किंतु आश्चर्य की बात यह है कि परमेश्वर का वचन हमें यह भी सिखाता है कि बुराई की शिकार बनी भलाई अन्ततः उपरोक्त प्रतिक्रियाओं के पालन द्वारा उस पर जयवंत भी है (रोमियों १२:२१)। आवश्यक्ता है तो इन्हें व्यक्तिगत रीति से अपने अपने जीवनों में लागू करने की।

   चाहे अखबारों और समाचार प्रसारण के माध्यमों में बुराई ही को प्रमुख शीर्षक मिलते हों, और लोगों का ध्यान बुराई पर अधिक और भलाई पर कम जाता हो, लेकिन परमेश्वर की भलाई संसार की किसी भी बुराई से कहीं अधिक सामर्थी है। परमेश्वर चाहता है कि हम उसके द्वारा दी गई विधि से उसके इस शत्रु, अर्थात बुराई पर जयवंत हो जाएं; भलाई ही से बुराई को जीत लें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जैसे ज्योति अंधकार पर जयवंत रहती है, भलाई भी बुराई पर जयवंत होती है।

बुराई से न हारो परन्‍तु भलाई से बुराई का जीत लो। - रोमियों १२:२१

बाइबल पाठ: रोमियों १२:९-२१
Rom 12:9 प्रेम निष्‍कपट हो; बुराई से घृणा करो, भलाई मे लगे रहो। 
Rom 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्‍पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। 
Rom 12:11 प्रयत्‍न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। 
Rom 12:12 आशा मे आनन्‍दित रहो; क्‍लेश मे स्थिर रहो, प्रार्थना मे नित्य लगे रहो। 
Rom 12:13  पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो। 
Rom 12:14  अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। 
Rom 12:15 आनन्‍द करने वालों के साथ आनन्‍द करो; और रोने वालों के साथ रोओ। 
Rom 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो, परन्‍तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न हो। 
Rom 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्‍ता किया करो। 
Rom 12:18  जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो। 
Rom 12:19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्‍तु क्रोध को अवसर दो, क्‍योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। 
Rom 12:20 परन्‍तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्‍योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा। 
Rom 12:21 बुराई से न हारो परन्‍तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १०-१२ 
  • २ कुरिन्थियों ४