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रविवार, 19 अगस्त 2012

प्रेर्णा स्त्रोत


   पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में मोज़ार्ट का नाम उनकी संगीत की अद्भुत प्रतिभा के लिए विख्यात है। अपनी एक संगीत रचना के लिए उन्हें प्रेर्णा एक पक्षी के चहचहाने से मिली। उनके पास एक पाला हुआ पक्षी था, जिसके चहचहाने की धुन से वे इतना प्रभावित हुए कि उस चहचहाने की आवाज़ में जो धुन उन्हें सुनाई दी, उसपर आधारित करके उन्होंने एक संगीत खण्ड की रचना कर डाली।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि भजनकार भी पक्षियों और प्रकृति से प्रभावित हुए, और उनके गुणों से प्रेर्णा पाकर परमेश्वर की आराधना के भजन लिखे। भजन १०४ का लेखक परमेश्वर की स्तुति करता है संसार के जीवित प्राणियों के लिए और उसके द्वारा उनकी देखभाल के लिए। आकाश में उड़ते और पेड़ों की शाखाओं पर बैठकर गाते पक्षी तथा प्रकृति ने भजनकार के मन को परमेश्वर की आराधना से भर दिया। पूरा भजन १०४ सृष्टि में विदित परमेश्वर के कार्यों पर लिखा गया है और उसकी आराधना के लिए प्रेरित करता है।

   सृष्टि में जो अद्भुत बातें हम देखते हैं, वे हमें सृष्टिकर्ता के अद्भुत व्यक्तित्व और सामर्थ को स्मरण कराती हैं। यह विष्य-वस्तु परमेश्वर के वचन में बार बार दोहराई गई है। भजन १९ के लेखक ने लिखा "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है" (भजन १९:१)। सृष्टि से सृष्टिकर्ता की आराधना की प्रेर्णा केवल दिखाई देने वाली वस्तुओं से ही नहीं मिलती, सृष्टि में फैले संगीत से भी उसकी आराधना की प्रेर्णा मिलती है। अपने प्रतिदिन के कार्यों में हम अपने आस-पास परमेश्वर द्वारा विभिन्न जीव-जन्तुओं और प्रकृति में डाले गए संगीत को सुन सकते हैं, जो फिर हमारे लिए सृष्टिकर्ता की आराधना करने की प्रेर्णा का स्त्रोत बन जाता है। - डेनिस फिशर


समस्त सृष्टि एक महान संगीत मण्डली है जिसका संचालक परमेश्वर है।

उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं। - भजन १०४:१२

बाइबल पाठ: भजन १०४:१-१३
Psa 104:1  हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू वैभव और ऐश्वर्य का वस्त्र पहिने हुए है, 
Psa 104:2  जो उजियाले को चादर की नाई ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है, 
Psa 104:3  जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, और मेघों को अपना रथ बनाता है, और पवन के पंखों पर चलता है, 
Psa 104:4  जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है।
Psa 104:5  तू ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए। 
Psa 104:6  तू ने उसको गहिरे सागर से ढांप दिया है जैसे वस्त्र से; जल पहाड़ों के ऊपर ठहर गया। 
Psa 104:7  तेरी घुड़की से वह भाग गया; तेरे गरजने का शब्द सुनते ही, वह उतावली करके बह गया। 
Psa 104:8  वह पहाड़ों पर चढ़ गया, और तराईयों के मार्ग से उस स्थान में उतर गया जिसे तू ने उसके लिये तैयार किया था। 
Psa 104:9  तू ने एक सिवाना ठहराया जिसको वह नहीं लांघ सकता है, और न फिर कर स्थल को ढांप सकता है।
Psa 104:10  तू नालों में सोतों को बहाता है; वे पहाड़ों के बीच से बहते हैं, 
Psa 104:11  उन से मैदान के सब जीव- जन्तु जल पीते हैं; जंगली गदहे भी अपनी प्यास बुझा लेते हैं। 
Psa 104:12  उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं। 
Psa 104:13  तू अपनी अटारियों में से पहाड़ों को सींचता है तेरे कामों के फल से पृथ्वी तृप्त रहती है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १०३-१०४ 
  • १ कुरिन्थियों २