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सोमवार, 13 अगस्त 2012

नियम और कर्तव्य


   बहुत पहले मेरी पत्नी ने ठान लिया था कि गति सीमा के अन्दर गाड़ी चलाने में उसे स्वतंत्र होने का अद्भुत एहसास होता है। उसका कहना है कि निर्धारित गति सीमा के अन्दर गाड़ी चलाने से उसे ना तो गति सूचक रडार द्वारा पकड़े जाने और गाड़ी तेज़ चलाने का जुर्माना भरने का डर रहता है और ना ही किसी पुलिस की गाड़ी को आता देख अपनी गाड़ी धीमी करने की चिंता रहती है। यदि हम किसी लम्बी यात्रा पर भी हों और खुली सड़क पर दूरी चाहे धीरे धीरे ही कम हो रही हो, वह निर्धारित गति पर ही गाड़ी चलाती है और यात्रा तथा नज़ारों का आनन्द लेती रहती है। साथ ही वह मुझे स्मरण दिलाती है कि ऐसा करना नियम का पालन करना है जो हमारी ज़िम्मेदारी है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में रोमियों १३:१-१० में हमें अधिकारियों, देश की सरकार और परमेश्वर के नियमों से संबंधित ज़िम्मेदारियों बताया गया है। वहां लिखा है कि जब हम अपने अधिकारियों और सरकार की आज्ञाओं का पालन करते हैं तो हमें किसी दण्ड का डर नहीं रहता, और सही कार्य करने के द्वारा हमारा विवेक भी शुद्ध रहता है (पद ३, ५)।

   प्रेरित पौलुस ने यह खण्ड लिखते समय रोम के विश्वासियों से आग्रह किया कि जो कुछ अधिकारियों और सरकार को देना बनता है वे उसे नियमित रीति से दिया करें - चाहे वे कर हों या महसूल, भय मानना हो या आदर करना (पद ७)। पौलुस ने मानवीय नियमों के संदर्भ से भी आगे बढ़कर लिखा : "आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्‍योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है" (रोमियों १३:८)।

   मनुष्य द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना प्रत्येक मसीही विश्वासी का कर्तव्य है और दूसरों के साथ प्रेम से व्यवहार करना परमेश्वर के नियम का निर्वाह है; परमेश्वर का नियम ही "स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था" (याकूब १:२५) है। - डेविड मैक्कैसलैंड


नियम पालन द्वारा हम मनुष्यों की विधि पूरी करते हैं और प्रेम द्वारा परमेश्वर की आज्ञा।

आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदान न हो? क्‍योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्या पूरी की है। - रोमियों १३:८

बाइबल पाठ: रोमियों १३:१-१०
Rom 13:1  हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के अधीन रहे; क्‍योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं। 
Rom 13:2  इस से जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का साम्हना करता है, और साम्हना करनेवाले दण्‍ड पाएंगे। 
Rom 13:3  क्‍योंकि हाकिम अच्‍छे काम के नहीं, परन्‍तु बुरे काम के लिये डर का कारण हैं; सो यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है, तो अच्‍छा काम कर और उस की ओर से तेरी सराहना होगी; 
Rom 13:4  क्‍योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्‍तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्‍योंकि वह तलवार व्यर्थ लिये हुए नहीं और परमेश्वर का सेवक है; कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करने वाले को दण्‍ड दे। 
Rom 13:5  इसलिये अधीन रहना न केवल उस क्रोध से परन्‍तु डर से अवश्य है, वरन विवेक भी यही गवाही देता है। 
Rom 13:6  इसलिये कर भी दो, क्‍योंकि वे परमेश्वर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं। 
Rom 13:7  इसलिये हर एक का हक चुकाया करो, जिस कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिस से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो।
Rom 13:8  आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्‍योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है। 
Rom 13:9  क्‍योंकि यह कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना, चोरी न करना, लालच न करना, और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। 
Rom 13:10  प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ८७-८८ 
  • रोमियों १३