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गुरुवार, 26 जुलाई 2012

एरिन


   आम ८ वर्षीय बच्चों से एरिन का जीवन बहुत भिन्न था। जब दूसरे बच्चे दौड़ और खेल रहे होते थे, आईस्क्रीम खा रहे होते थे तब एरिन बिस्तर में लेटी होती थी, एक नली द्वारा उसे भोजन दिया जाता था, वह केवल तेज़ प्रकाश में ही कुछ देख पाती थी और तेज़ आवाज़ ही सुन पाती थी। उसका जीवन, अपनी बीमारी और शारीरिक अपंगता के कारण अस्पताल, नर्सों और सुई लगाए जाने के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता था। लेकिन उसके साथ उसका अद्भुत परिवार था जो बड़े प्रेम और करुणा के साथ उसकी देखभाल करता रहता था, और उसके जीवन को अपने प्रेम से भरता रहता था। इतना सब होने के बाद भी एरिन ९ वर्ष की होने से पहले ही चल बसी।

   एरिन जैसे मूल्यवान बच्चे के जीवन से भला कोई क्या शिक्षा ले सकता है - जिसने कभी कोई शब्द नहीं बोला, कोई गीत नहीं गाया, कोई चित्र नहीं बनाया? एरिन के परिवार के एक मित्र ने इस प्रश्न का बहुत उत्तम उत्तर दिया; उसने कहा: "एरिन का हमारे जीवनों में आना हमारे लिए भला था। उसने हमें करुणा, बिना प्रत्युत्तर में कुछ पाए प्रेम करना और जीवन की छोटी छोटी बातों की कीमत पहचानना और उनके लिए परमेश्वर का धन्यवादी होना सिखाया।"

   एरिन के जैसे बच्चे हमें यह भी स्मरण दिलाते हैं कि यह संसार केवल पूर्णतः स्वस्थ, धनवान और प्रतिभाशाली लोगों ही के लिए नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति, चाहे उसकी शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक दशा कैसी भी क्यों ना हो, परमेश्वर की सृष्टि है, परमेश्वर के स्वरूप में सृजा गया है (उत्पत्ति १:२६-२७), और परमेश्वर कि नज़रों में बहुमूल्य है, परमेश्वर की ओर से उसका एक उद्देश्य है।

   हमारा प्रभु परमेश्वर सब के लिए भला है और उसकी दया सब पर समान रूप से रहती है (भजन १४५: ८-९); उसकी सृष्टि के कमज़ोर और अपूर्ण लोगों पर भी। प्रभु की हमसे यही आशा है कि हम प्रभु के इस प्रेम को, उसी के समान, सब के लिए समान रूप से प्रदर्षित करने वाले बनें (इफिसियों ५:१-२)।

   क्या आप भी किसी ’एरिन’ को जानते हैं जिससे आज आप कुछ सीख सकते हैं? - डेव ब्रैनन


किसी एक भी आत्मा की कीमत को कभी तुच्छ ना जानें।

यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला और अति करूणामय है। यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है। - भजन १४५:८-९

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १२:२०-२७
1Co 12:20  परन्‍तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्‍तु देह एक ही है। 
1Co 12:21   आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1Co 12:22  परन्‍तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1Co 12:23  और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1Co 12:24  फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्‍तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1Co 12:25  ताकि देह में फूट न पड़े, परन्‍तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1Co 12:26  इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्‍द मनाते हैं। 
1Co 12:27   इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ४०-४२ 
  • प्रेरितों २७:१-२६