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मंगलवार, 24 जुलाई 2012

प्रभाव का क्षेत्र

   सुप्रसिद्ध मसिही प्रचारक बिली ग्राहम की सेवकाई पर लिखी गई पुस्तक The Preacher and the Presidents उनके प्रभाव के क्षेत्र के बारे में बताती है। बिली ग्राहम की मसीही सेवकाई अमेरिका के राष्ट्रपतियों तक भी थी, हैरी ट्रूमैन से लेकर जौर्ज बुश के समय तक राष्ट्रपति निवास ’व्हाईट हाउस’  में उनका आना-जाना रहता था और उनके लिए व्हाईट हाउस के द्वार खुले ही होते थे। अपने इस असाधारण प्रभाव के बावजूद भी उन्होंने बार बार परमेश्वर के अनुग्रह ही को इस का श्रेय दिया, जिसने उन में हो कर कार्य किया, ना कि अपनी किसी व्यक्तिगत प्रतिभा को।

   प्रभु यीशु का अनुयायी प्रेरित पौलुस भी ऐसा ही एक व्यक्ति था जिसे परमेश्वर ने बड़े अधिकारियों के सामने गवाही के लिए बुलाया था। मसीह यीशु ने पौलुस के लिए कहा, "...यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्‍त्राएलियों के साम्हने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है" (प्रेरितों ९:१५)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रेरितों के काम में हम पढ़ते हैं कि पौलुस के प्रभाव के क्षेत्र में कई शासक, जैसे फीलिक्स, फेस्तुस, हेरोड अग्रिप्पा और संभवत: रोमी सम्राट कैसर भी थे (प्रेरितों २४-२६)। लेकिन जैसे बिली ग्राहम ने पौलुस से कई सदियों बाद कहा, पौलुस ने भी अपनी सेवाकाई के विषय में सारा श्रेय उसमें होकर कार्य करने वाले परमेश्वर के अनुग्रह ही को दिया; उसने कहा "...यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्‍तु परमेश्वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था" (१ कुरिन्थियों १५:१०)।

   संभव है कि आपको शासकों और बड़े अधिकारियों के समक्ष सुसमाचार प्रचार की सेवकाई के लिए नहीं बुलाया गया हो, लेकिन परमेश्वर ने आपके जीवन में ऐसे लोगों को रखा है जिनके लिए वह चाहता है कि आप उनके साथ उद्धार और आशा का सुसमाचार बांटें। क्यों ना आप इस बात को अपनी प्रार्थना का विषय बना लें कि परमेश्वर का अनुग्रह आप में हो कर उन लोगों तक पहुँचे जिनके बीच में परमेश्वर ने आपको अपना गवाह बना कर रखा है, जो आपके प्रभाव के क्षेत्र में हैं। - डेनिस फिशर


गवाही के लिए सबसे अच्छा स्थान वही है जहां परमेश्वर ने आपको रखा है।

...यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्‍त्राएलियों के साम्हने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है। - प्रेरितों ९:१५

बाइबल पाठ: प्रेरितों २५:१०-२३
Act 25:10  पौलुस ने कहा; मैं कैसर के न्याय आसन के साम्हने खड़ा हूं: मेरे मुकद्दमें का यहीं फैसला होना चाहिए: जैसा तू अच्‍छी तरह जानता है, यहूदियों का मैं ने कुछ अपराध नहीं किया। 
Act 25:11  यदि अपराधी हूं और मार डाले जाने योग्य कोई काम किया है, तो मरने से नहीं मुकरता; परन्‍तु जिन बातों का ये मुझ पर दोष लगाते हैं, यदि उन में से कोई बात सच न ठहरे, तो कोई मुझे उन के हाथ नहीं सौंप सकता: मैं कैसर की दोहाई देता हूं। 
Act 25:12  तब फेस्‍तुस ने मन्‍त्रियों की सभा के साथ बातें कर के उत्तर दिया, तू ने कैसर की दोहाई दी है, तू कैसर के पास जाएगा।
Act 25:13  और कुछ दिन बीतने के बाद अग्रिप्‍पा राजा और बिरनीके ने कैसरिया में आकर फेस्‍तुस से भेंट की। 
Act 25:14  और उन के बहुत दिन वहां रहने के बाद फेस्‍तुस ने पौलुस की कथा राजा को बताई, कि एक मनुष्य है, जिसे फेलिक्‍स बन्‍धुआ छोड़ गया है। 
Act 25:15  जब मैं यरूशलेम में था, तो महायाजक और यहूदियों के पुरिनयों ने उस की नालिश की और चाहा, कि उस पर दण्‍ड की आज्ञा दी जाए। 
Act 25:16  परन्‍तु मैं ने उन को उत्तर दिया, कि रोमियों की यह रीति नहीं, कि किसी मनुष्य को दण्‍ड के लिये सौंप दें, जब तक मुद्दाअलैह को अपने मुद्दइयों के आमने सामने खड़े होकर दोष के उत्तर देने का अवसर न मिले। 
Act 25:17  सो जब वे यहां इकट्ठे हुए, तो मैं ने कुछ देर न की, परन्‍तु दूसरे ही दिन न्याय आसन पर बैठकर, उस मनुष्य को लाने की आज्ञा दी। 
Act 25:18  जब उसके मुद्दई खड़े हुए, तो उन्‍होंने ऐसी बुरी बातों का दोष नहीं लगाया, जैसा मैं समझता था। 
Act 25:19  परन्‍तु अपने मत के, और यीशु नाम किसी मनुष्य के विषय में जो मर गया था, और पौलुस उस को जीवित बताता था, विवाद करते थे। 
Act 25:20  और मैं उलझन में था, कि इन बातों का पता कैसे लगाऊं इसलिये मैं ने उस से पूछा, क्‍या तू यरूशलेम जाएगा, कि वहां इन बातों का फैसला हो? 
Act 25:21  परन्‍तु जब पौलुस ने दोहाई दी, कि मेरे मुकद्दमे का फैसला महाराजाधिराज के यहां हो, तो मैं ने आज्ञा दी, कि जब तक उसे कैसर के पास न भेजूं, उस की रखवाली की जाए। 
Act 25:22  तब अग्रिप्‍पा ने फेस्‍तुस से कहा, मैं भी उस मनुष्य की सुनना चाहता हूं: उस ने कहा, तू कल सुन लेगा।
Act 25:23  सो दूसरे दिन, जब अग्रिप्‍पा और बिरनीके बड़ी धूमधाम से आकर पलटन के सरदारों और नगर के बड़े लोगों के साथ दरबार में पहुंचे, तो फेस्‍तुस ने आज्ञा दी, कि वे पौलुस को ले आएं।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ३५-३६ 
  • प्रेरितों २५

बुद्धिमानी के उत्तर


   जब धार्मिक अगुवे व्यभिचार में पकड़ी गई उस स्त्री को लेकर प्रभु यीशु के पास आए और उससे पुछने लगे कि उस स्त्री के साथ क्या किया जाना चाहिए, तो प्रभु यीशु ने उन्हें तुरन्त उत्तर नहीं दिया; वरन वे नीचे झुककर भूमि पर कुछ लिखने लगे (यूहन्ना ८:६-११)। उन्होंने क्या लिखा यह तो हम नहीं जानते, परन्तु जब भीड़ उनसे पूछती ही रही तो एक छोटे वाक्य में प्रभु यीशु ने अपना उत्तर दे दिया: "...तुममें जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे" (यूहन्ना ८:७)। इस छोटे से वाक्य के थोड़े से शब्द उन धार्मिक अगुवों को उनके अपने पाप दिखाने के लिए काफी थे, और वे सब एक एक करके वहां से चले गए। प्रभु यीशु के ये शब्द आज भी संसार भर में गूंज रहे हैं और लोगों को दूसरों पर दोष देने की बजाए स्वयं अपने पापों के प्रति सचेत रहने को प्रेरित कर रहे हैं।

   इन थोड़े शब्दों के बड़े प्रभावी होने का कारण था प्रभु यीशु की अपने स्वर्गीय पिता पर सदा बने रहने वाली निर्भरता; उन्होंने अपने विषय में कहा, "...उस की आज्ञा अनन्‍त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं" (यूहन्ना १२:५०)। काश हम सब भी प्रभु यीशु के समान सदा अपने परमेश्वर पिता पर निर्भर रहते और उसकी बुद्धिमता पर निर्भर हो कर ही हर बात का उत्तर देने वाले होते।

   यह बुद्धिमानी आरंभ होती है याकूब की पत्री में लिखे उपदेश के पालन के साथ: "...इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो" (याकूब १:१९)। जिस धीमेपन की बात यहां करी जा रहा है वह अज्ञानता, भीतरी खोखलेपन, कायरता, लज्जा या दोषी होने के कारण होने वाली मूँह और बुद्धि की खामोशी नहीं है। यह वह खामोशी है जो परमेश्वर पर विचारमग्न रहने और उस पर ध्यान लगाए रखने से आई बुद्धिमानी द्वारा उत्पन्न होती है।

   हम से कई बार कहा जाता है कि बोलने से पहले ज़रा सा थम कर, विचार कर के, फिर बोलें। लेकिन मेरा मानना है कि उत्तर देने की प्रवृत्ति को इस स्तर से भी आगे ले जाकर, सदा परमेश्वर की सुनते रहें और उस पर निर्भर होकर उसके निर्देषों के अनुसार उत्तर देने को अपनी आदत बना लें। जब यह निर्भरता हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन जाएगी, तब हमारे सभी उत्तर भी बुद्धिमानी के उत्तर होंगे। - डेविड रोपर


परमेश्वर के लिए बोलने से पहले परमेश्वर की सुनने वाले बनें।

और मैं जानता हूं, कि उस की आज्ञा अनन्‍त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं। - यूहन्ना १२:५०

बाइबल पाठ: यूहन्ना ८:१-११
Joh 8:1  परन्‍तु यीशु जैतून के पहाड़ पर गया।
Joh 8:2  और भोर को फिर मन्‍दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्‍हें उपदेश देने लगा।
Joh 8:3   तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए, जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उस को बीच में खड़ी करके यीशु से कहा।
Joh 8:4   हे गुरू, यह स्त्री व्यभिचार करते ही पकड़ी गई है।
Joh 8:5  व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्‍त्रियों को पत्थरवाह करें: सो तू इस स्त्री के विषय में क्‍या कहता है?
Joh 8:6  उन्‍होंने उस को परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएं, परन्‍तु यीशु झुककर उंगली से भूमि पर लिखने लगा।
Joh 8:7  जब वे उस से पूछते रहे, तो उस ने सीधे होकर उन से कहा, कि तुम में जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे।
Joh 8:8   और फिर झुककर भूमि पर उंगली से लिखने लगा।
Joh 8:9  परन्‍तु वे यह सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक एक एक करके निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई।
Joh 8:10 यीशु ने सीधे होकर उस से कहा, हे नारी, वे कहां गए? क्‍या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी।
Joh 8:11  उस ने कहा, हे प्रभु, किसी ने नहीं: यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १२३-१२५ 
  • १ कुरिन्थियों १०:१-१८