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गुरुवार, 19 जुलाई 2012

आशा

   यरुशालेम से यरीहो जाने वाला प्राचीन मार्ग एक संकरा और जोखिम भरा मार्ग था जो एक गहरी घाटी के किनारे से होकर जाता था जिसका नाम ’वादी केल्ट’ था किंतु वह घाटी ’अन्धकार की तराई’ के नाम से भी जानी जाती थी। इसी स्थान से दाउद ने प्रेर्णा पा कर भजन २३ लिखा था। वह एक वीरान, सूखा तथा बहुत गहरी और खड़ी ढाल वाला ऐसा खतरनाक इलाका है जो चोरों और लुटेरों के लिए तो अच्छा स्थान हो सकता है, लेकिन किसी भली बात के लिए नहीं। उस स्थान को देख कर आश्चर्य होता है कि आशा के ऐसे उत्तम भजन की प्रेर्णा उस खतरनाक स्थान से मिली।

   दाउद का दावा कि, "चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा..." (भजन २३:४) एक ऐसी स्थिति के संदर्भ में था जहाँ दुष्टता और बुराई का जोखिम लगातार बनी रहने वाली वास्तविकता है। परमेश्वर में अपनी अटल आशा के कारण, वह कभी विकट परिस्थितियों से निराश नहीं हुआ और ना ही कभी डर से उसने हार मानी। उन विकट परिस्थितियों में दाउद की आशा यह नहीं थी कि परमेश्वर उसके लिए उस दुष्टता को समाप्त कर देगा जिससे कि वह सुरक्षित निकल सके। वरन भजन २३:४ में दाउद के कथन का तात्पर्य था कि परमेश्वर की उसके साथ बनी रहने वाली उपस्थिति के कारण वह पूर्णतः आश्वस्त है कि कठिन और बुराई से भरे स्थानों से होकर निकलने में भी परमेश्वर उसके साथ बना रहेगा, उसे छोड़ नहीं देगा। उसके लिए यही काफी है, क्योंकि जहां परमेश्वर है वहां उसकी कोई हानि हो ही नहीं सकती; और यही उसकी हिम्मत का कारण है। एक और भजन में दाउद परमेश्वर पर अपनी आशा और आधार के विषय में बताता है: "क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूं; बचपन से मेरा आधार तू है" (भजन ७१:५)।

   बहुत से लोग बहुत सी बातों में आशा रखने का दावा करते हैं और लोकिक तथा अलोकिक शक्तियों को अपनी आशा का आधार बनाते हैं, किंतु केवल वे जिनकी आशा मसीह यीशु में है, अपनी आशा के विषय में हर परिस्थिति में, हर जोखिम और कठिनाई में आश्वस्त रहने पाते हैं। सच्ची आशा किसी बल-बुद्धि से या फिर अनुकूल परिस्थिति प्रदान किए जाने के आश्वासन से नहीं मिलती, वरन परमेश्वर की लगातार बनी रहने संगति से मिलती है, और इस संगति का वायदा केवल मसीह यीशु ही अपने अनुयायियों के साथ करता है, "...क्‍योंकि उस ने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों १३:५)।

स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता परमेश्वर अपने विश्वासियों के साथ सदा बना रहता है और उन्हें वह सच्ची तथा अटल आशा प्रदान करता है जिसका आधार वह स्वयं है; फिर उनको किसी हानि का क्या डर?

   क्या आपने दाउद के समान परमेश्वर से सच्ची और अटल आशा प्राप्त करी है? - जूली ऐकैरमैन लिंक


आशा मसीही विश्वासी के लिए निश्चितता है क्योंकि उसका आधार मसीह यीशु है।

क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूं; बचपन से मेरा आधार तू है। - भजन ७१:५

बाइबल पाठ: भजन २३
Psa 23:1  यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।
Psa 23:2  वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है;
Psa 23:3  वह मेरे जी में जी ले आता है। धर्म के मार्गो में वह अपने नाम के निमित्त अगुवाई करता है।
Psa 23:4  चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।
Psa 23:5  तू मेरे सताने वालों के साम्हने मेरे लिये मेज बिछाता है; तू ने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमण्ड रहा है।
Psa 23:6  निश्चय भलाई और करूणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा वास करूंगा।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन २३-२५ 
  • प्रेरितों २१:१८-४०