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सोमवार, 16 जुलाई 2012

जांच और न्याय

   जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे किसी दूसरे पर दोष ना लगाएं, तो इसका यह तात्पर्य नहीं था कि वे ना-समझ होकर या बुद्धिहीनता से कार्य करें। इस सम्सार में जहां हमें गलती और दुराचार का अकसर सामना करना पड़ता है, हमें लोगों और उनकी बातों के विश्लेषण और विवेचना करते रहने की आवश्यक्ता रहती है। प्रभु यीशु का यह बात कहने का आश्य था कि हमें किसी को दोषी ठहराकर उसकी निन्दा करने या उसका न्याय करने से बचना है, क्योंकि हर व्यक्ति की हर बात की सारी पृष्ठभूमि और उसकी सारी और सही परिस्थिति का हमें पता नहीं होता।

   कवि रॉबर्ट बर्न्स ने इसी बात को दूसरे शब्दों में कहा, "एक बात सदा अन्धकार में रहती है - उद्देश्य। ऐसा क्यों किया गया।" कोई किसी के उद्देश्यों को सही रीति से नहीं जानता। केवल परमेश्वर ही है जो अन्धकार में छुपी बातों को रौशन कर सकता है और मन में छुपी बातों को उजागर कर सकता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा: "सो जब तक प्रभु न आए, समय से पहिले किसी बात का न्याय न करो: वही तो अन्‍धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखाएगा, और मनों की मतियों को प्रगट करेगा, तब परमेश्वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी" (१ कुरिन्थियों ४:५)।

   प्रभु यीशु मनुष्यों को प्रभावित करने वाले अदृश्य प्रभावों को भी जानता और समझता है; क्रूरता, भय, निराशाएं, टूटे मन, पाप और अपराध जो रोके नहीं गए, इत्यादि। और फिर वह उसे समर्पित हर एक मन में अपना कार्य कर रहा है कि उसे परिपक्वता तक लाए। अन्ततः, कई बातों और लोगों के बारे में हमारी सोच के विपरीत, जिन्हें वह परिपक्व और संपूर्ण कर देगा उन्हें अपनी प्रशंसा और महिमा का पात्र भी बना देगा, जिससे उनके जीवनों से परमेश्वर का नाम आदर पाए।

   केवल प्रभु परमेश्वर ही है जो मनों को जानता और सही रीति से जांचता है। जब तक वह अपना कार्य पूरा ना कर ले और उसका पुनःआगमन ना हो, हमारा कर्तव्य केवल अपने आप को जांचते रहना और अपने ही दोष ढूंढना है। प्रभु से प्रार्थना करें कि इस स्व-विश्लेषण में वह हमारी सहायता करे और हमें सुधारे तथा परिपक्व करे। - डेविड रोपर


दूसरों को दोष देने में धीमे किंतु अपने को जांचने में तत्पर बनें।

दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। - मत्ती ७:१

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ४:१-७
1Co 4:1  मनुष्य हमें मसीह के सेवक और परमेश्वर के भेदों के भण्‍डारी समझें।
1Co 4:2  फिर यहां भण्‍डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वास योग्य निकले।
1Co 4:3  परन्‍तु मेरी दृष्‍टि में यह बहुत छोटी बात है, कि तुम या मनुष्यों का कोई न्यायी मुझे परखे, वरन मैं आप ही अपने आप को नहीं परखता।
1Co 4:4  क्‍योंकि मेरा मन मुझे किसी बात में दोषी नहीं ठहराता, परन्‍तु इस से मैं निर्दोष नहीं ठहरता, क्‍योंकि मेरा परखने वाला प्रभु है।
1Co 4:5  सो जब तक प्रभु न आए, समय से पहिले किसी बात का न्याय न करो: वही तो अन्‍धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखाएगा, और मनों की मतियों को प्रगट करेगा, तब परमेश्वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी।
1Co 4:6  हे भाइयों, मैं ने इन बातों में तुम्हारे लिये अपनी और अपुल्लोस की चर्चा, दृष्‍टान्‍त की रीति पर की है, इसलिये कि तुम हमारे द्वारा यह सीखो, कि लिखे हुए से आगे न बढ़ना, और एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करना।
1Co 4:7  क्‍योंकि तुझ में और दूसरे में कौन भेद करता है? और तेरे पास क्‍या है जो तू ने (दूसरे से) नहीं पाया: और जब कि तु ने (दूसरे से) पाया है, तो ऐसा घमण्‍ड क्‍यों करता है, कि मानों नही पाया?


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १६-१७ 
  • प्रेरितों २०:१-१६