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रविवार, 1 जुलाई 2012

समाधान

   दोपहर के भोजन के समय मैं एक पेड़ की छाया में अपनी कार में बैठा कुछ बातों के लिए चिंतित तथा विचारमगन था। तभी एक चिड़िया अपनी चोंच में अपना चारा भरे हुए मेरी कार पर आ बैठी और मुझे देखने लगी। शायद यह परमेश्वर की ओर से मेरे लिए संदेश था। मुझे तुरंत प्रभु यीशु द्वारा में कहे गए शब्द स्मरण हो आए: "इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे? क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं? आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?" (मत्ती ६:२५-२६)

   बहुत वर्ष पहले डेन्वर सेमिनरी की पत्रिका Focal Point में चिंता करने वालों के लिए लिखे अपने लेख में पौल बोर्डन ने कुछ अच्छे सुझाव दिए थे। उन्होंने लिखा कि चिंता करने वालों को:
   (१) चिंता के विषयों की सूची बना लेनी चाहिए - जिन भी बातों के लिए वे चिंतित रहते हैं, चाहे वह खर्चे, नौकरी, परिवार, स्वास्थ्य, भविषय या अन्य कोई भी बात हो, उसे लिख कर एक सूची बना लें।

   (२) चिंता के विषयों की अपनी इस सूची को प्रार्थना के विषय की सूची में परिवर्तित कर लें - परमेश्वर के सामने अपनी सभी चिंताएं रखें और प्रार्थना करें कि वह आपके लिए कुछ करे, कोई मार्ग दे, कहीं से कोई सहायता भेजे; और उसके उपाय के लिए उस पर अपना विश्वास बनाए रखें।

   (३) प्रार्थना की इस सूची को कार्य की सूची बना लें - प्रार्थनाओं के बाद अपनी चिंताओं के निवारण के लिए यदि आपको कोई मार्ग सूझ पड़ता है तो उसके अनुसार कार्य करें, उसे विचार को व्यावाहरिक करें और चिंता का निवारण करें।

   बोरडन ने आगे लिखा कि जब हम अपनी परेशानियों को प्रार्थना में और प्रार्थनाओं को कार्यों में परिवर्तित करने लगेंगे तो हमें निष्क्रीय कर देने वाली चिंताएं जीवन की ज़िम्मेदारियों को निभाने वाले कार्यों में परिवर्तित हो जाएंगी।

   क्यों ना आज ही से इस समाधान को जीवन में लागू किया जाए? - ऐनी सेटास


जिसे आपने प्रार्थना का विषय बना लिया है, उसे चिंता का विषय बना कर ना रखें।

सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है। - मत्ती ६:३४

बाइबल पाठ: - मत्ती ६:२५-३४
Mat 6:25  इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे? क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
Mat 6:26  आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?
Mat 6:27  तुम में कौन है, जो चिन्‍ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
Mat 6:28  और वस्‍त्र के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
Mat 6:29  तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Mat 6:30  इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्‍योंकर न पहिनाएगा?
Mat 6:31  इसलिये तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे?
Mat 6:32  क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिए।
Mat 6:33  इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।
Mat 6:34  सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब २०-२१ 
  • प्रेरितों १०:२४-४८