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सोमवार, 7 मई 2012

परमेश्वर की उपस्थिति

   भाई लौरेंस बैराग लेकर एक मठ में रहने वाले बैरागी थे। १७वीं शताब्दी के इस बैरागी को मठ में रसोई में कार्य और सफाई करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। अपनी इस तुच्छ प्रतीत होने वाली ज़िम्मेदारी को परमेश्वर के प्रति जिस समर्पण और प्रेम भावना से उन्होंने निभाया था, वह आज भी लोगों के लिए एक उदाहरण है। अपनी पुस्तक, The Practice of the Presence of God में भाई लौरेंस ने परमेश्वर को, प्रतिदिन के कार्य करते रहने में भी, संपूर्ण समर्पण करने के तरीके बताए, चाहे वह कार्य भोजन पकाना हो या अन्य साथियों के जूते साफ करना। लौरेंस का कहना था कि आप के आत्मिक जीवन की गहराई इस बात पर निर्भर नहीं है कि आप अपने हालात को कितना बदल पाते हैं, वरन इस बात पर निरभर है कि आप किस उद्देश्य से कार्य करते हैं - जो आप सामन्यतः अपने लिए करते हैं उसे परमेश्वर के लिए करना आरंभ कर दीजिए, और आपका कार्य करने का ढंग ही बदल जाएगा।

   भाई लौरेंस की प्रशंसा में लिखे गए एक विवरण में कहा गया, "इस भले भाई को परमेश्वर की उपस्थिति हर स्थान पर मिलती थी, चाहे वह प्रार्थना का समय हो या जूते साफ तथा ठीक करने का। उन की दृष्टि कार्य पर नहीं, उपस्थित परमेश्वर पर लगी होती थी। वे जानते थे कि कार्य जितना उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति के विरुद्ध होगा, उसे भली भांति कर के वह उतने ही अधिक प्रेम के साथ परमेश्वर को उसे भेंट के रूप में अर्पित कर सकेंगे।"

   इस बात ने मेरी पत्नी को बहुत प्रभावित किया। शिकागो नगर के एक भाग में बुज़ुर्ग व्यक्तियों के बीच उनकी सहायातार्थ कार्य करते समय मेरी पत्नि को कई बार ऐसे कार्य करने होते थे जो उसकी प्रवृत्ति के विरुद्ध होते थे, जिन्हें करना उसे पसन्द नहीं था। ऐसे कार्यों को करते समय, वह अपने आप को स्मरण दिलाती रहती थी कि उसे बस केवल परमेश्वर और उसकी महिमा को ही अपने सामने रखना है और उसी के लिए वह कार्य करना है।

   सतत प्रयास के साथ, कठिन से कठिन लगने वाला कार्य भी परमेश्वर के लिए और परमेश्वर को अर्पित करने के लिए किया जा सकता है (कुलुस्सियों ३:१७)। - फिलिप यैन्सी


कार्य को मात्र कर्तव्य देखना ऊबा देने वाली नीरसता है; प्रेम सहित कर्तव्य का निर्वाह आनन्द है।
 
और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो। - कुलुस्सियों ३:१७
 
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१२-१७
Col 3:12  इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
Col 3:13  और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
Col 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
Col 3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लिए तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
Col 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिए भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
Col 3:17  और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • २ राजा १-३ 
  • लूका २४:१-३५