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मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

लालसाएं

   शरद ऋतु लंबी चली है और ठंड भी बहुत रही है, अब मैं गरमी के लिए तरस रहा हूँ। मैं बिना पत्तों के सूने और नंगे पड़े पेड़ों और ज़मीन पर निर्जीव सूखे भूरे पत्तों को देखते देखते अघा गया हूँ। अब मेरी तीव्र लालसा है कि इन मरे हुए पत्तों के बीच में से नए हरे अँकुर फूटते हुए दिखाई दें, पेड़ फिर से हरे दिखने लगें और चारों ओर हरियाली के साथ फूलों का सुन्दर नज़ारा हो।

   किंतु जैसे जैसे मैं अपने प्रीय मौसम की लालसा करता हूँ, मुझे मेरी माँ की आवाज़ भी आती है, "अपनी ज़िन्दगी ऐसे ही प्रतीक्षाओं में ना बिता देना।"

   यदि आप मेरी जैसी प्रवृति वाले व्यक्ति हैं तो आप भी मेरे समान ही कुछ इस प्रकार की कल्पनाएं करते होंगे: "जब ऐसा और ऐसा होगा, तब मैं यह करूँगा..."; या, "यदि वह ऐसा करेगा, तब ही मैं भी यह करूँगा..."; या, "मुझे तब ही संतुष्टि मिलेगी जब..."; या, "मैं तो बस इस से प्रसन्न होऊँगा कि..."; इत्यादि।

   भविष्य की भलाई की लालसा में हम यह भूल जाते हैं कि प्रत्येक दिन, चाहे उस दिन मौसम या परिस्थितियाँ कैसी भी हों, परमेश्वर का दिया हुआ वरदान है, जिसे परमेश्वर ही की महिमा के लिए बिताया जाना चाहिए।

   लेखक रौन ऐश के अनुसार, "हम वहीं हैं जहाँ हमें होना चाहिए और हम वही सीख रहे हैं जो हमें सीखना चाहिए। बस अपने पथ पर बने रहिए क्योंकि आज के अनुभवों से परमेश्वर आपको वह सिखा रहा है जो कल की परिस्थितियों में आपके लिए उपयोगी होगा; आज उसने आपको वहाँ रखा है जहाँ से आप कल के लिए तैयार हो सकते हैं।"

   प्रत्येक ऋतु में भलाई करने और आनन्दित होने के लिए भी कारण होते हैं (सभोपदेशक ३:१२)। यह हम सब के लिए प्रतिदिन की चुनौती है कि हम हर दिन में करने के लिए कुछ भला और आनन्दित होने के लिए कोई कारण ढूँढ़ें, और फिर उस दिन में वह भलाई भी करें और उस आनन्द को भी मनाएं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हर ऋतु आनन्द का कोई कारण लाती है।
 
मैं ने जान लिया है कि मनुष्यों के लिये आनन्द करने और जीवन भर भलाई करने के सिवाय, और कुछ भी अच्छा नहीं; और यह भी परमेश्वर का दान है कि मनुष्य खाए-पीए और अपने सब परिश्रम में सुखी रहे। - सभोपदेशक ३:१२, १३
 
बाइबल पाठ: सभोपदेशक ३:१-१३
Ecc 3:1  हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है।
Ecc 3:2  जन्म का समय, और मरण का भी समय; बोने का समय, और बोए हुए को उखाड़ने का भी समय है;
Ecc 3:3  घात करने का समय, और चंगा करने का भी समय; ढा देने का समय, और बनाने का भी समय है;
Ecc 3:4  रोने का समय, और हंसने का भी समय; छाती पीटने का समय, और नाचने का भी समय है;
Ecc 3:5  पत्थर फेंकने का समय, और पत्थर बटोरने का भी समय; गले लगाने का समय, और गले लगाने से रुकने का भी समय है?
Ecc 3:6  ढूंढ़ने का समय, और खो देने का भी समय; बचा रखने का समय, और फेंक देने का भी समय है;
Ecc 3:7  फाड़ने का समय, और सीने का भी समय; चुप रहने का समय, और बोलने का भी समय है;
Ecc 3:8  प्रेम का समय, और बैर करने का भी समय; लड़ाई का समय, और मेल का भी समय है।
Ecc 3:9  काम करने वाले को अधिक परिश्रम से क्या लाभ होता है?
Ecc 3:10  मैं ने उस दु:ख भरे काम को देखा है जो परमेश्वर ने मनुष्यों के लिये ठहराया है कि वे उस में लगे रहें।
Ecc 3:11  उस ने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं; फिर उस ने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न किया है, तौभी जो काम परमेश्वर ने किया है, वह आदि से अन्त तक मनुष्य बूझ नहीं सकता।
Ecc 3:12  मैं ने जान लिया है कि मनुष्यों के लिये आनन्द करने और जीवन भर भलाई करने के सिवाय, और कुछ भी अच्छा नहीं;
Ecc 3:13  और यह भी परमेश्वर का दान है कि मनुष्य खाए-पीए और अपने सब परिश्रम में सुखी रहे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों १९-२१ 
  • लूका ७:३१-५०