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रविवार, 18 मार्च 2012

आप कौन हैं?

   यदि कोई आपसे पुछे कि "आप कौन हैं?", तो मेरा अंदाज़ा है कि आप अपने बारे में कुछ शब्द कहकर बताएंगे कि आप क्या कार्य करते हैं, जैसे कि "मैं एक नर्स हूँ" या "मैं बिजली मकैनिक हुँ" आदि। लेकिन वास्तव में यह तो वह है जो आप करते हैं, ना कि वह जो आप हैं! ज़रा सोचिए, जब आप वह करना छोड़ देंगे जो आप कर रहे हैं तो आप क्या होंगे? क्या आपका व्यवसाय आपकी पहचान बदलाता रहेगा? क्या व्यवसाय ना होने पर आपकी पहचान भी नहीं रहेगी?

   एक मसीही विश्वासी के लिए उसकी पहचान प्रभु यीशु के साथ उसके संबंध से है; और यही संबंध उसके व्यवहार को तय करता है। उदाहरण के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल के एक चरित्र मत्ती को लीजिए। मत्ती, प्रभु यीशु के समय में, रोमी राज्य में एक रोमी कर्मचारी था और रोमी शासकों के लिए, अपने लोगों - यहूदियों से, कर वसूल करता था। उसके इस व्यवसाय ने उसे लालची और स्वार्थी बना रखा था और इस कारण वह अपने ही लोगों में तुच्छ समझा जाता था। लेकिन जिस दिन प्रभु यीशु उसके जीवन में आया, उसके लिए सब कुछ बदल गया। अब उसका व्यवहार भिन्न था, उसकी प्राथमिकताएं भिन्न थीं, उसका लालच जाता रहा, समाज में उसकी एक नई पहचान हो गई - प्रभु यीशु का अनुयायी। मत्ती ही ऐसा अकेला व्यक्ति नहीं था। परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती रचित सुसमाचार में हम चार अन्य व्यक्तियों - पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना के विष्य में भी पढ़ते हैं जो मछुआरे थे और सब कुछ छोड़कर प्रभु यीशु के पीछे हो लिए, और उनके जीवन बिलकुल बदल गए, प्रभु यीशु के अनुयायी के रूप में उनकी भी नई पहचान हो गई। तब से लेकर आज तक यह नई पहचान और नए व्यवहार का सिलसिला जारी है, हर उस व्यक्ति के लिए जो प्रभु यीशु पर विश्वास लाता है और अपने आप को उसे समर्पित कर देता है।

   प्रभु यीशु का व्यक्तित्व बाध्य कर देने वाला व्यक्तित्व है; प्रभु आज भी अनुयायीयों की खोज में है। जो उसके निमंत्रण को स्वीकार कर लेते हैं, स्वेच्छा से उसके पीछे चलने की ठान लेते हैं, वह उनके जीवन को एक नई पहचान, एक नया आयाम दे देता है। अब वे "प्रभु यीशु के अनुयायी" के रूप में जाने जाते हैं। इस नई पहचान के लिए किसी को अपना व्यवसाय बदलने की आवश्यक्ता नहीं है, वरन अनुयायी बनने के बाद उस व्यवसाय को करने की उनकी विधि में स्वतः ही परिवर्तन आने लग जाते हैं; क्योंकि अब वे लोग वही कार्य अपने प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु के नाम और महिमा के लिए करने लगते हैं। अब उनके जीवन की प्राथमिकता अपने प्रभु और उद्धारकर्ता की आज्ञाकारिता में बने रहना और उसे ही महिमा देते रहना हो जाता है।

   यदि अगली बार कोई आपसे पूछे कि "आप कौन हैं?" तो क्या आप कहेंगे कि "मैं प्रभु यीशु का अनुयायी हूँ" ? - जो स्टोवेल


यदि आप प्रभु यीशु के अनुयायी हैं तो जीवन में आपको और किसी पहचान की कोई आवश्यक्ता नहीं है।

और [यीशु ने] उन से कहा, मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़ने वाले बनाऊंगा। - मत्ती ४:१९


बाइबल पाठ: मत्ती ४:१७-२५


Mat 4:17  उस समय से यीशु ने प्रचार करना और यह कहना आरम्भ किया, कि मन फिराओ क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य निकट आया है।
Mat 4:18  उस ने गलील की झील के किनारे फिरते हुए दो भाइयों अर्थात शमौन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अन्‍द्रियास को झील में जाल डालते देखा, क्‍योंकि वे मछवे थे।
Mat 4:19   और उन से कहा, मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़ने वाले बनाऊंगा।
Mat 4:20  वे तुरन्‍त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
Mat 4:21  और वहां से आगे बढ़कर, उस ने और दो भाइयों अर्थात जब्‍दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्‍दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा, और उन्‍हें भी बुलाया
Mat 4:22  वे तुरन्‍त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
Mat 4:23   और यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उन की सभाओं में उपदेश करता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और र्दुबलता को दूर करता रहा।
Mat 4:24  और सारे सूरिया में उसका यश फैल गया; और लोग सब बीमारों को, जो नाना प्रकार की बीमारियों और दुखों में जकड़े हुए थे, और जिन में दुष्‍टात्क़ाएं थीं और मिर्गी वालों और झोले के मारे हुओं को उसके पास लाए और उस ने उन्‍हें चंगा किया।
Mat 4:25  और गलील और दिकापुलिस और यरूशलेम और यहूदिया से और यरदन के पार से भीड़ की भीड़ उसके पीछे हो ली।


एक साल में बाइबल: 

  • व्यवस्थाविवरण ३२-३४ 
  • मरकुस १५:२६-४७