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बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

असफल?

   अमेरिका में १९३० के आस-पास बड़ी आर्थिक मंदी आई थी और देश की अर्थ व्यवस्था और देश का बुरा हाल हो गया था। बहुत से लोगों को अपने घरों से बेघर होकर प्लाइवुड, तिरपाल, कंबल आदि से बनीं जीर्ण हाल झुग्गियों में रहना पड़ा था। देश की उस स्थिति के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति हर्बट हूवर की नीतियों को उत्तरदायी माना गया था, इसलिए उन जीर्ण झुग्गियों को लोग उस समय ’हूवरविल्स’ कहते थे।

   किंतु विचित्र बात है कि यही हूवर जिन्हें अब इतना अयोग्य माना जा रहा था, उन्हें ही पहले अपनी योग्यता और कुशलता के लिए जाना जाता था। उनके भूवैज्ञानिक इंजिनियरिंग के कौशल के कारण औस्ट्रेलिया और चीन में बड़ी सफल खनन परियोजनाएं आरंभ करी जा सकीं। उन्होंने कई मानवोत्थान के कार्यों के लिए कुशल नेत्रत्व प्रदान किया था। किंतु जब १९२९ में स्टॉक मार्किट गिरा और अर्थ व्यवस्था संकट में आई तो परिस्थितियां हूवर के नियंत्रण के बाहर थीं; फिर भी वे इतिहास में सदा के लिए १९३० की आर्थिक मंदी और इस के कारण हुई देश की बदहाली के साथ जोड़ दिए गए।

   जीवन में घटने वाली किसी एक बड़ी असफलता का अर्थ यह नहीं होता कि उस व्यक्ति का सारा जीवन ही असफल है। यदि ऐसा होता तो हम परमेश्वर के वचन बाइबल के कई पात्रों को असफल व्यक्ति मानते ना कि परमेश्वर के लोगों के रूप में और प्रेर्णादायक जीवन चरित्र वाले। उदाहरण के लिए, क्या हम अब्राहम को झूठा और स्वार्थी (उत्पत्ति १२:१०-२०), मूसा को परमेश्वर का अनाज्ञाकारी (निर्गमन २०:१-३) या दाउद को व्यभिचारी और हत्यारा (२ शमूएल ११) कह कर स्मरण करते हैं, यद्यपि उनके जीवनों में ऐसी कमज़ोरियां घटीं थीं?

   उनके पापों के बावजूद ये सभी मनुष्य अपने स्थिर विश्वास और परमेश्वर के लिए कार्य करने वाले महान जन माने जाते हैं और उनके नाम आदर से लिए जाते हैं। ये, और इनके जैसे कई अन्य लोग वे हैं जो "...विश्वास ही के द्वारा...निर्बलता में बलवन्‍त हुए..." (इब्रानियों ११:३३-३४)।

   यह परमेश्वर की महानता और सामर्थ है कि जो उस पर विश्वास लाते हैं, वह उन निर्बल और अयोग्य पात्रों को भी अपनी महीमा के पात्र बना लेता है और मनुष्यों में भी उन्हें आदर दिलवाता है। यदि हमने अपने पापों से पश्चाताप करके अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित किया है तो हमारा बीता जीवन चाहे जैसा भी रहा है, हम असफल नहीं रहेंगे। परमेश्वर हमें अभी भी उपयोगी बना सकता है, बड़े सामर्थी रूप से उपयोग कर सकता है; आवश्यक्ता है तो बस उसके प्रति हमारे विश्वास और आज्ञाकरिता की। - डेनिस फिशर


अकसर असफलता की राख से ही सफलता निकलती है।

...विश्वास ही के द्वारा...निर्बलता में बलवन्‍त हुए... - इब्रानियों ११:३३-३४
 
बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:२४-३४
Heb 11:24 विश्वास ही से मूसा ने सयाना होकर फिरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्‍कार किया।
Heb 11:25  इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा।
Heb 11:26 और मसीह के कारण निन्‍दित होने को मिसर के भण्‍डार से बड़ा धन समझा: क्‍योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं।
Heb 11:27 विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उस ने मिसर को छोड़ दिया, क्‍योंकि वह अनदेखे को मानों देखता हुआ दृढ़ रहा।
Heb 11:28 विश्वास ही से उस ने फसह और लोहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करने वाला इस्‍त्राएलियों पर हाथ न डाले।
Heb 11:29  विश्वास ही से वे लाल समुद्र के पार ऐसे उतर गए, जैसे सूखी भूमि पर से; और जब मिस्रियों ने वैसा ही करना चाहा, तो सब डूब मरे।
Heb 11:30  विश्वास ही से यरीहो की शहरपनाह, जब सात दिन तक उसका चक्कर लगा चुके तो वह गिर पड़ी।
Heb 11:31  विश्वास ही से राहाब वेश्या आज्ञा ना मानने वालों के साथ नाश नहीं हुई; इसलिथे कि उस ने भेदियों को कुशल से रखा था।
Heb 11:32 अब और क्‍या कहूँ क्‍योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
Heb 11:33 इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते, धर्म के काम किए, प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तुएं प्राप्‍त कीं, सिंहों के मुंह बन्‍द किए।
Heb 11:34 आग ही ज्‍वाला को ठंडा किया, तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए, लड़ाई में वीर निकले, विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
 
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १७-१८ 
  • मत्ती २७:२७-५०