ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

द्रुत एवं धीमा

   मुझे लगता है कि यदि आज के समय में सबसे लोकप्रीय गुण जानने के लिए कोई प्रतियोगिता आयोजित करी जाए तो "उत्तम करने" से बढ़्कर स्थान "जल्दी करना" प्राप्त करेगा। संसार के बहुतेरे लोगों और संस्थाओं पर द्रुत गति की धुन सवार है। लेकिन द्रुत गति से कार्य कर पाना हमें जलदी ही कहीं पहुंचाने वाला नहीं है।

   अपनी पुस्तक In Praise of Slowness में लेखक कार्ल ओनोरे ने लिखा, "समय आ गया है कि हम कार्य को जलदी से कर लेने की अपनी धुन को चुनौती दें। द्रुत गति अपनाना ही सदा सबसे बेहतर नीति नहीं होती।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, कार्ल बिल्कुल सही हैं। प्रभु यीशु के चेले और प्रेरित पतरस ने चिताया था कि अंत के दिनों में लोग प्रभु यीशु पर यह कह कर सन्देह करेंगे क्योंकि वह लौट कर आने की अपनी वाचा को पूरा करने में धीमा है (धीरज धरता है)। लेकिन साथ ही पतरस ने ध्यान दिलाया कि प्रभु का यह विलम्ब वास्तव में संसार के लिए भला है, क्योंकि वह लोगों को पापों से पश्चाताप करने, उद्धार पाने और नरक के दण्ड से बचने के लिए अधिक से अधिक संभव समय दे रहा है (२ पतरस ३:९); साथ ही यह उसके धीरजवन्त होने और विलम्ब से कोप करने के गुण (निर्गमन ३४:६) की भी पूर्ति है।

   प्रभु के एक अन्य चेले ने भी अपनी पत्री में लिखा कि हमें, जो प्रभु के अनुयायी हैं, "हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो" (याकूब १:१९)। ज़रा सोचिए, संसार में हम कितने आपसी बखेड़े और लड़ाई-झगड़े से बच सकते हैं यदि हम सचमुच सुनना - केवल चुप हो जाना ही नहीं, वरन कोई भी प्रत्युत्तर देने या बोलने से पहले, ध्यान देकर दूसरे की सुनना आरंभ कर दें।

   संसार के कार्यों में अपनी व्यस्तताओं और लक्ष्यों की पूर्ति की तेज़ भाग-दौड़ में, स्मरण रखें कि सुनने में द्रुत और प्रत्युत्तर देने तथा क्रोध करने में धीमे होने के द्वारा हम ना केवल प्रभु की आज्ञा का पालन करेंगे, वरन साथ ही अपना तथा दूसरों का भी भला भी करेंगे; और संसार को बेहतर स्थान बनाने में योगदान देंगे। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब दूसरे के प्रति अधीर होने का कारण हो तो स्मरण कर लें कि परमेश्वर आपके प्रति कितना धीरजवन्त रहता है।

प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले। - २ पतरस ३:९

बाइबल पाठ: २ पतरस ३:१-११

2Pe 3:1  हे प्रियो, अब मैं तुम्हें यह दूसरी पत्री लिखता हूं, और दोनों में सुधि दिलाकर तुम्हारे शुद्ध मन को उभारता हूं।
2Pe 3:2  कि तुम उन बातों को, जो पवित्र भविश्यद्वक्ताओं ने पहिले से कही हैं और प्रभु, और उद्धारकर्ता की उस आज्ञा को स्मरण करो, जो तुम्हारे प्रेरितों के द्वारा दी गई थी।
2Pe 3:3 और यह पहिले जान लो, कि अन्‍तिम दिनों मे हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।
2Pe 3:4 और कहेंगे, उसके आने की प्रतिज्ञा कहां गई; क्‍योंकि जब से बाप-दादे सो गए हैं, सब कुछ वैसा ही है, जैसा सृष्‍टि के आरम्भ से था?
2Pe 3:5  वे तो जान बूझकर यह भूल गए, कि परमेश्वर के वचन के द्वारा से आकाश प्राचीन काल से वर्तमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है।
2Pe 3:6 इन्‍हीं के द्वारा उस युग का जगत जल में डूब कर नाश हो गया।
2Pe 3:7 पर वर्तमान काल के आकाश और पृ्थ्वी उसी वचन के द्वारा इसलिये रखे हैं, कि जलाए जाएं; और वह भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे।
2Pe 3:8  हे प्रियों, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहां एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं।
2Pe 3:9  प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।
2Pe 3:10  परन्‍तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्‍द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे।
2Pe 3:11  तो जब कि ये सब वस्‍तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चालचलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए।
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ४-५ 
  • मत्ती २४:२९-५१