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बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

लिखित वचन

   जनवरी २००९ में ESPN टेलिविज़न द्वारा एक फुटबॉल खिलाड़ी पेय्टन मैनिंग पर एक प्रभावी कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। पेय्टन को राष्ट्रीय फुटबॉल संघ द्वारा वर्ष का सबसे बहुमूल्य खिलाड़ी घोषित किया गया था। लेकिन जो कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया वह फुटबॉल के बारे में नहीं, वरन पेय्टन के बारे में था। उस कार्यक्रम में बताया गया कि बीते कई वर्षों से जब कोई नामवर ज्येष्ठ फुटबॉल खिलाड़ी खेल से अवकाश लेता था तो पेय्टन उसे अपने हाथों से एक पत्र लिख कर उनके खेल के प्रति लगाव, योगदान और उनके चरित्र के लिए उनकी प्रशंसा करता और उन्हें इसके लिए धनयवाद देता था। पेय्टन के संबंध में जितने भी वरिष्ठ खिलाड़ियों से साक्षात्कार लिया गया, उन सब ने इस बात के लिए उस की सराहना करी और धन्यवादी हुए कि उनके समय के एक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी ने अपना समय दूसरों की सराहना के लिए दिया।

   जब पेय्टन मैनिंग जैसे प्रख्यात व्यक्ति द्वारा लिखित चन्द शब्दों का इतना महत्व है, तो सोचिए परमेश्वर द्वारा लिखित वचन का कितना महत्व होगा; मनुष्य के कोई शब्द इस का बयान नहीं कर सकते। प्रेरित पौलुस ने लिखा: "जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्‍त्र की शान्‍ति के द्वारा आशा रखें" (रोमियों १५:४)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर द्वारा हमें दिया गया उसका व्यक्तिगत संदेश है जो हमें बताता है कि परमेश्वर हम से क्या चाहता है; यही वचन परमेश्वर के उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमारा जीवन बदलने और सुधारने की क्षमता भी रखता है। उसने अपना जीवित वचन हमें इसीलिए दिया है कि हम जीवन तथा जीवन की परिस्थितियों और कठिनाईयों का सामना करने के लिए मार्गदर्शन और सामर्थ पा सकें, और अपनी आशा बनाए रख सकें।

   परमेश्वर का धन्यवादी हो कर उसके इस लिखित वचन का अध्ययन तथा पालन आरंभ कीजिए और अपने जीवन को संवरते सुधरते देखिए। बिलस क्राउडर


जो अपने मन से उसकी सुनते हैं, परमेश्वर अपने वचन से उन से बातें करता है।

जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्‍त्र की शान्‍ति के द्वारा आशा रखें। - रोमियों १५:४

बाइबल पाठ: रोमियों १५:४-१३
Rom 15:4 जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्‍त्र की शान्‍ति के द्वारा आशा रखें।
Rom 15:5 और धीरज, और शान्‍ति का दाता परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे, कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो।
Rom 15:6 ताकि तुम एक मन और एक मुंह होकर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की बड़ाई करो।
Rom 15:7 इसलिये, जैसा मसीह ने भी परमेश्वर की महिमा के लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो।
Rom 15:8 मैं कहता हूं, कि जो प्रतिज्ञाएं बाप-दादों को दी गई थीं, उन्‍हें दृढ़ करने के लिये मसीह, परमेश्वर की सच्‍चाई का प्रमाण देने के लिये खतना किए हुए लोगों का सेवक बना।
Rom 15:9  और अन्यजाति भी दया के कारण परमेश्वर की बड़ाई करें, जैसा लिखा है, कि इसलिये मैं जाति जाति में तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम के भजन गांगा।
Rom 15:10 फिर कहा है, हे जाति जाति के सब लोगों, उस की प्रजा के साथ आनन्‍द करो।
Rom 15:11 और फिर हे जाति जाति के सब लागो, प्रभु की स्‍तुति करो; और हे राज्य राज्य के सब लोगों, उसे सराहो।
Rom 15:12 और फिर यशायाह कहता है, कि यिशै की एक जड़ प्रगट होगी, और अन्यजातियों का हाकिम होने के लिये एक उठेगा, उस पर अन्यजातियां आशा रखेंगी।
Rom 15:13 सो परमेश्वर जो आशा का दाता है तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार के आनन्‍द और शान्‍ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्रआत्मा की सामर्थ से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए।
 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन २७-२८ 
  • मत्ती २१:१-२२