ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 2 नवंबर 2011

दीन सेवकाई

   एक जवान युवती अपने माता-पिता के साथ सरकार से मिलने वाले थोड़े से भत्ते पर रहती और अपनी इस दयनीय दशा के कारण सदा निराशा और विषाद से भरी रहती। फिर भी जब मैं ने उस से कुछ काम करने अथवा स्वयंसेवा के कार्यों में हाथ बंटाने का परामर्ष दिया तो उसने इन्कार कर दिया, क्योंकि वह कोई ’छोटा’ कार्य करने के द्वारा लज्जित नहीं होना चाहती थी!

   विश्व-प्रसिद्ध मसीही धर्मशास्त्री ग्रेशम मेकन, प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान YMCA में स्वयंसेवक थे और उन्होंने निम्न स्तर का कार्य स्वीकार किया था - उन्हें सैनिकों की एक भोजनशाला में प्रातः गरम चॉकलेट बना कर देना होता था। यह चॉकलेट प्रातः ७ बजे तैयार चाहिए होता था, इसलिए ग्रेशम तड़के ५ बजे उठकर इस कार्य में लग जाते, और उन्हें अपने प्रातः का नाशता करने के लिए अकसर बहुत देर प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। यदि वे चाहते तो भोजनशाला में आकर नाशता करने वाले सैनिकों के लिए वे एक बहुत उपयोगी सलाहकार बन सकते थे, किंतु सलाहकार की आदरणीय श्रेणी की बजाए उन्होंने रसोई में तुच्छ कार्य स्वीकार करके अपने प्रभु की शिक्षा का पालन किया और उसे महिमा दी।

   बाइबल में यीशु पूर्व के पुराने नियम के काल में मन्दिर में लेवियों के लिए ये आदर था कि वे मन्दिर और उसके सामान की देख-रेख और रख-रखाव में शारीरिक परिश्रम करें। इसी प्रकार प्रेरित पौलुस अपनी जीविका कमाने के लिए, बिना किसी लज्जा का अनुभव करे, तंबू बनाता था। हमारे प्रभु यीशु ने अपने चेलों के पांव धोने में कोई छोटापन अनुभव नहीं किया।

   मसीही विश्वासी कोई भी कार्य करें, वे उसमें प्रफुल्लित और आनन्दित रह सकते हैं, क्योंकि कोई भी कार्य छोटा नहीं है यदि वह प्रभु की महिमा के लिए और प्रभु के नाम से किया जाए। प्रत्येक कार्य प्रभु को आदर देने और हमारे विश्वास की वास्तविक्ता को दिखाने का अवसर है। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

यदि परमेश्वर उसमें हो तो छोटा भी बड़ा होता है।

क्‍योंकि बड़ा कौन है, वह जो भोजन पर बैठा या वह जो सेवा करता है? क्‍या वह नहीं जो भोजन पर बैठा है? पर मैं तुम्हारे बीच में सेवक की नाईं हूं। - लूका २२:२७
 
बाइबल पाठ: लूका २२:२४-३०
    Luk 22:24  उन में यह वाद-विवाद भी हुआ कि हम में से कौन बड़ा समझा जाता है?
    Luk 22:25  उस ने उन से कहा, अन्यजातियों के राजा उन पर प्रभुता करते हैं, और जो उन पर अधिकार रखते हैं, वे उपकारक कहलाते हैं।
    Luk 22:26  परन्‍तु तुम ऐसे न होना; वरन जो तुम में बड़ा है, वह छोटे की नाईं और जो प्रधान है, वह सेवक की नाईं बने।
    Luk 22:27  क्‍योंकि बड़ा कौन है, वह जो भोजन पर बैठा या वह जो सेवा करता है? क्‍या वह नहीं जो भोजन पर बैठा है? पर मैं तुम्हारे बीच में सेवक की नाईं हूं।
    Luk 22:28  परन्‍तु तुम वह हो, जो मेरी परीक्षाओं में लगातार मेरे साथ रहे।
    Luk 22:29  और जैसे मेरे पिता ने मेरे लिये एक राज्य ठहराया है,
    Luk 22:30  वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिये ठहराता हूं, ताकि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओ-पिओ; वरन सिंहासनों पर बैठ कर इस्‍त्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह २७-२९ 
  • तीतुस ३