ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

मंच के तानाशाह

   बीते समय के वाद्यवृंद संचालकों में से कुछ बहुत कठोर और तानाशाह थे। उनके विष्य में छपे एक लेख में लेखक रौबर्ट बैक्सटर ने लिखा, "इन लोगों के शीर्ष पर होने का समय था २०वीं सदी के १९३०-४० के दशक। इन दिनों में वाद्यवृंद संचालक आर्थर रौडिन्स्की अपने साथ अभ्यास के समय गोलियों से भरी रिवाल्वर रखता था; आर्ट्यूरो टोस्कनी क्रोधित होकर संचालन वाली अपनी छाड़ी तोड़ देता था, फ्रिट्ज़ रेनियर अपनी पैनी आंखों से घूरकर बजाने वालों को धमकाता था और जॉर्ज स्ज़ेल अपनी उस्तरे जैसी तेज़ ज़बान के वारों से उन्हें घायल करता था। एक बार एक आहत बजाने वाला टोस्कनी के साथ अभ्यास से क्रोधित होकर बुड़्बुड़ाता हुआ उठकर बाहर की ओर चला तो पीछे से टोस्कनी ने ज़ोर से चिल्लाकर उससे कहा ’अब तुम्हें क्षमा मांगने का अवसर भी नहीं है!’" इतनी क्रूरता तथा आपसी संबंधों में इतनी कटुता के होते यह बड़े विस्मय की बात है कि इन तानाशाहों के साथ वाद्य बजाने वाले इतना मधुर संगीत किस तरह बजा लेते थे।

   महान नेताओं को दूसरों से आदर पाने के लिए उन्हें डरा धमका कर रखने की आवश्यक्ता नहीं है। इस संसार के एकमात्र सिद्ध अगुए प्रभु यीशु मसीह ने अगुए होने का इससे बहुत उत्तम मार्ग दिखाया। प्रभु यीशु  का मंच रूपांतर का वह पहाड़ नहीं था जहां उसके इश्वरत्व के दर्शन उसके चेलों ने देखे, उसका मंच था रोमी शास्कों और धर्मे के अगुवों के द्वारा दिया गया उसका वह क्रूस जहां हमारे पापों की सज़ा को उठाकर उसने हमारी सबसे गहरी और अनिवार्य आवश्यक्ता का समाधान किया। क्रूस रूपी उस मंच के सहारे आज भी वह पाप से बिगड़े हुए जीवनों से उद्धार द्वारा मधुर संगीत प्रस्तुत करवाता है। प्रभु यीशु पाप से बिगड़े जीवनों को पहले अपने प्रेम और क्षमा से ढांप देता है, फिर जैसे जैसे हम उसके निर्देशों को समर्पित होते हैं, वह हम में होकर दूसरों तक अपने प्रेम की मधुर धुन को पहुंचाता है।

   प्रभु यीशु ने दिखाया कि नेता होने के लिए तानाशाह होना आवश्यक नहीं है, सेवा द्वार जो शीर्ष स्थान मिलता है वह प्रेम और आदर से भरा तथा चिरस्थाई होता है। - डेनिस डी हॉन

जब तक नेता अपने नेतृत्व में सेवा लेकर नहीं आते तब तक वे सच्चे अगुवे नहीं बन सकते।

जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने। - मत्ती २३:११
 
बाइबल पाठ: मत्ती २३:१-१२
    Mat 23:1  तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा।
    Mat 23:2  शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं।
    Mat 23:3  इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना; परन्‍तु उन के से काम मत करना, क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं।
    Mat 23:4  वे एक ऐसे भारी बोझ को जिन को उठाना कठिन है, बान्‍ध कर उन्‍हें मनुष्यों के कन्‍धों पर रखते हैं, परन्‍तु आप उन्‍हें अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते ।
    Mat 23:5  वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्‍त्रों की कोरें बढ़ाते हैं।
    Mat 23:6  जेवनारों में मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन।
    Mat 23:7  और बाजारों में नमस्‍कार और मनुष्य में रब्‍बी कहलाना उन्‍हें भाता है।
    Mat 23:8  परन्‍तु, तुम रब्‍बी न कहलाना, कयोंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो।
    Mat 23:9  और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, कयोंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्‍वर्ग में है।
    Mat 23:10  और स्‍वामी भी न कहलाना, क्‍योंकि तुम्हारा एक ही स्‍वामी है, अर्थात मसीह।
    Mat 23:11  जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।
    Mat 23:12  जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह २२-२३ 
  • तीतुस १