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रविवार, 30 अक्तूबर 2011

सेवक का तौलिया

   अपने क्रूस पर दिए गए बलिदान से पहले, प्रभु यीशु ने एक ऊपरी कमरे में अपने चेलों के साथ अन्तिम भोज किया और उन्हें आते समय की उनकी ज़िम्मेदारियों के विष्य में कुछ बहुत महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं। युहन्ना १३ में वर्णन है कि प्रभु ने भोज से उठ कर अपने चेलों के पांव भी धोए और उन्हें एक तौलिए से पोंछा, और अपने चेलों को समझाया कि जैसे उन्होंने चेलों की सेवा करी है, वैसे ही चेलों को भी संसार में सेवक हो कर जाना है, सेवा करवाने वाले हो कर नहीं। इस घटना के ऊपर पास्टर हौवर्ड ओग्डन ने एक सन्देश दिया जिसका शीर्षक था "हाथों में तौलिया लिए परमेश्वर।" प्रभु के हाथ का वह तौलिया इस बात का प्रतीक था कि "जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल करी जाए, परन्‍तु इसलिए आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिए अपने प्राण दे" (मत्ती २०:२८)। किंतु आज कितनी सहजता से हम प्रभु के दिए इस क्रम को उलट कर सेवा करने वालों की बजाए लेने वाले बन जाते हैं। इसीलिए हमें सदा प्रभु के इस उदाहरण को अपने समक्ष बनाए रखना चाहिए।

   जब वर्नेन ग्राउन्ड्स डेन्वर के एक बाइबल कॉलेज के अधिपति थे तो १९७३ में स्नातक हो रहे विद्यार्थियों को उन्होंने अपने स्नातक सन्देश में युहन्ना १३ के इस सत्य से चुनौती दी। उन्होंने उतीर्ण हो कर स्नातक होने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को एक छोटा प्रतीक दिया, यह कहते हुए कि इससे उन्हें अपने आते समय में सहायता मिलेगी। वह प्रतीक था एक सफेद तौलिए का छोटा सा टुकड़ा। उस दिन के स्नातक होने वाले विद्यार्थियों में से एक ने, जो विदेशों में मिशनरी बनकर कार्य करता है, कहा: "हमें संसार में सेवक हो कर जाने के लिए निर्धारित किया गया था। तौलिए का वह छोटा टुकड़ा, तब से मेरे बटुए में रखा है; वह इतने वर्षों के बाद जीर्ण और मटमैला हो गया है, लेकिन मुझे सदा स्मरण दिलाता रहता है कि संसार में मेरा उद्देश्य क्या है।"

   उस ऊपरी कमरे में जो चुनौती प्रभु यीशु ने अपने चेलों के सामने रखी वह आज भी उसके चेलों को चिताती रहती है और हमें अपने आप को जांचने को उकसाती है कि क्या हम वास्तव में संसार में सेवक का स्वरूप लेकर जीते हैं। संभवतः यह समय है कि हम पहचाने कि प्रभु ने हमें जो सौंपा है वह "सेवक का तौलिया" है। - डेव एग्नर


प्रत्येक मसीही विश्वासी की प्रतिभाएं उसे स्वार्थ लाभ के लिए नहीं, सेवा के लिए सौंपी गईं हैं।
 
यीशु ने उन्‍हें पास बुला कर कहा, तुम जानते हो, कि अन्य जातियों के हाकिम उन पर प्रभुता करते हैं; और जो बड़े हैं, वे उन पर अधिकार जताते हैं। परन्‍तु तुम में ऐसा न होगा; परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। - मत्ती २०:२५, २६
 
बाइबल पाठ: मत्ती २०:२०-२८
    Mat 20:20  जब जब्‍दी के पुत्रों की माता ने अपने पुत्रों के साथ उसके पास आकर प्रणाम किया, और उस से कुछ मांगने लगी।
    Mat 20:21  उस ने उस से कहा, तू क्‍या चाहती है? वह उस से बोली, यह कह, कि मेरे ये दो पुत्र तेरे राज्य में एक तेरे दाहिने और एक तेरे बाएं बैठें।
    Mat 20:22  यीशु ने उत्तर दिया, तुम नहीं जानते कि क्‍या मांगते हो जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्‍या तुम पी सकते हो? उन्‍होंने उस से कहा, पी सकते हैं।
    Mat 20:23  उस ने उन से कहा, तुम मेरा कटोरा तो पीओगे पर अपने दाहिने बाएं किसी को बिठाना मेरा काम नहीं, पर जिन के लिये मेरे पिता की ओर से तैयार किया गया, उन्हीं के लिये है।
    Mat 20:24  यह सुनकर, दसों चेले उन दोनों भाइयों पर क्रुद्ध हुए।
    Mat 20:25  यीशु ने उन्‍हें पास बुला कर कहा, तुम जानते हो, कि अन्य जातियों के हाकिम उन पर प्रभुता करते हैं; और जो बड़े हैं, वे उन पर अधिकार जताते हैं।
    Mat 20:26  परन्‍तु तुम में ऐसा न होगा; परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने।
    Mat 20:27  और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने।
    Mat 20:28  जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल करी जाए, परन्‍तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिये अपने प्राण दे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह २०-२१ 
  • २ तिमुथियुस ४