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गुरुवार, 4 अगस्त 2011

निष्कर्ष तथा मापदण्ड

अपनी पुस्तक Illustrations of Bible Truths में लेखक H. A. Ironside ने एक रोचक घटना प्रस्तुत करी। वर्च के शीर्ष धर्मगुरू बिशप पौटर अमेरिका से यूरोप की यात्रा पर एक आलीशान यात्री जहाज़ पर निकले। जब वे जहाज़ पर पहुँचे तो उन्हें मालूम पड़ा कि उनके कमरे में एक और यात्री भी उनके साथ यात्रा करेगा। अपने कमरे का निरीक्षण करने और सह यात्री से मिलने के बाद वे जहाज़ के सुरक्षा अधिकारी के पास आए और कहने लगे कि "साधारणतया मैं ऐसा नहीं करता हूँ, लेकिन क्या मैं अपनी सोने की घड़ी और अन्य कीमती सामान जहाज़ की तिजोरी में रखवा सकता हूँ क्योंकि मुझे अपने साथ वाला यात्री देखने में कुछ अटपटा सा लग रहा है और मैं उस पर विश्वास नहीं कर पा रहा हूँ"। सुरक्षा अधिकारी ने उन से उन की कीमती चीज़ें लेते हुए आश्वासन दिया कि उनका सामान पूरी यात्रा में तिजोरी में सुरक्षित रहेगा, और कहा कि "आप निश्चिंत रहिए, आपके साथ वाला यात्री भी कि कुछ देर पहले अपनी कीमती चीज़ें बिलकुल यही बात कहते हुए मेरे पास तिजोरी में रखवा कर गया है"!

किसी के बारे में गलत धारणा बना लेना या गलत अफवाह पर विश्वास कर लेना, उसके बारे में किसी भली बात को स्वीकार करने की अपेक्षा बहुत सहज होता है। लेकिन जो गलतियाँ हमें दूसरों में देखाई देती हैं वे अकसर हमारे अपने चरित्र का प्रतिबिंब होती हैं। परमेश्वर ने अपने वचन में अपने लोगों को चिताया कि "किसी मनुष्य के विरूद्ध किसी प्रकार के अधर्म वा पाप के विषय में, चाहे उसका पाप कैसा ही क्यो न हो, एक ही जन की साक्षी न सुनना, परन्तु दो वा तीन साक्षीयों के कहने से बात पक्की ठहरे" (व्यवस्थाविवरण १९:१५)। इसी प्रकार किसी अगुवे पर भी यदि कोई दोष लगाए तो "कोई दोष किसी प्राचीन पर लगाया जाए तो बिना दो या तीन गवाहों के उस को न सुन" (१ तिमुथियुस ५:१९)।

किसी के विरुद्ध कोई बात स्वीकार करने से पहले हमें सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उस बात और उस व्यक्ति से संबंधित सभी तथ्य हमारे समक्ष हैं और जल्दबाज़ी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। जो मापदण्ड हम दूसरों को नापने के लिए प्रयोग करेंगे, वही हमारे लिए भी उपयोग किया जाएगा। - डेव एग्नर


शीघ्र ही आलोचना करना यथार्त जानने और मानने से कहीं अधिक सहज होता है।

दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। - मत्ती ७:१


बाइबल पाठ: मत्ती ७:१-४

Mat 7:1 दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए।
Mat 7:2 क्‍योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा और जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।
Mat 7:3 तू क्‍यों अपने भाई की आंख के तिनके को देखता है, और अपनी आंख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता? और जब तेरी ही आंख मे लट्ठा है, तो तू अपने भाई से क्‍योंकर कह सकता है, कि ला मैं तेरी आंख से तिनका निकाल दूं?
Mat 7:4 हे कपटी, पहले अपनी आंख में से लट्ठा निकाल ले, तब तू अपने भाई की आंख का तिनका भली भांति देखकर निकाल सकेगा।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ६६-६७
  • रोमियों ७