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रविवार, 31 जुलाई 2011

दोषारोपण

प्रभु यीशु मसीह के अनुयायी फ्रैड ग्रिम ने, जो नियमों के पालन पर नज़र रखने वाले विभाग में कार्य करता था, अपना एक अनुभव बताया: एक परिवार कलह में पड़ा हुआ था, जिसके लिए पिता अपने पुत्र को दोषी ठहराता रहता था। यद्यपि वे पति पत्नि वर्षों से आपस में लड़ रहे थे, फिर भी पिता अपने पुत्र से यही कहता रहता था कि यदि किसी दिन मैं तुम्हें और तुम्हारी माँ को छोड़ कर चला गया तो यह तुम्हारी गलती के कारण होगा। एक दिन अचानक पति को अधरंग का दौरा पड़ा और वह मर गया। अब माँ ने भी अपने बेटे को ही अपनी पिता की मृत्यु के लिए दोषी ठहराया। वह लड़का बिलकुल टूट गया।

दूसरों को अपनी परेशानियों के लिए दोषी ठहराना न केवल अनन्यायपूर्ण है वरन क्रूर भी है और परमेश्वर को अति नापसन्द है। मिस्त्र से कनान देश की अपनी यात्रा के समय इस्त्राएल के लोगों ने भी यह किया। जब उन्हें पानी और भोजन की घटी हुई तो वे हड़बड़ा गए और उन्होंने अपनी परिस्थितियों के लिए अपने अगुवे मूसा और उसके भाई हारून को दोषी ठहराया। परमेश्वर ने दो बार तो उन्हें इस बात के लिए माफ कर दिया, लेकिन जब इस्त्राएलियों ने दोषारोपण को अपनी प्रवृति ही बना लिया तो परमेश्वर को उनके विरुद्ध कार्य करना पड़ा और उन्हें परमेश्वर से कठोर दण्ड का सामना करना पड़ा।

दोषारोपण बहुत हानिकारक हो सकता है। अकसर समस्या का कारण और समाधान दोनो ही हमारे पास ही होते हैं लेकिन हमारा अहम हमें इसे स्वीकार करने नहीं देता और हम दूसरों को अपनी परिस्थितियों के लिए ज़िम्मेदार ठहरा कर अपनी कमज़ोरी को छुपाना या अपने दायित्व से बचना चाहते हैं। ऐसा करके हम कुछ समय के लिए शायद समस्या से बच जाएं या उसके प्रभावों को टाल दें लेकिन यह कोई दीर्घ कालीन अथवा समुचित उपाय नहीं है। लोगों को हमारी प्रवृति पहचानने में अधिक समय नहीं लगेगा, और फिर हम और भी अधिक गंभीर समस्या में पड़ने से बच नहीं सकते।

दोषारोपण के स्थान पर हमें अपनी परिस्थिति का विशलेषण करने, अपनी कमियों और गलतियों को स्वीकार करने और परमेश्वर की सहायता से उन्हें सुधारने की आवश्यक्ता है। इसी मार्ग का अनुसरण कर के हम अपनी गलतियों से सीख भी सकेंगे, अपने आप को सुधार भी सकेंगे और और लोगों में अपनी विश्वासयोग्यता को बना भी सकेंगे। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


दूसरों को दोषी ठहराकर हम परमेश्वर को प्रसन्न कभी नहीं कर सकेंगे।

जंगल में इस्राएलियों की सारी मण्डली मूसा और हारून के विरूद्ध बकझक करने लगी। - निर्गमन १६:२


बाइबल पाठ: निर्गमन १५:२२-१६:५

Exo 15:22 तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नाम जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला।
Exo 15:23 फिर मारा नाम एक स्थान पर पहुंचे, वहां का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा।
Exo 15:24 तब वे यह कह कर मूसा के विरूद्ध बकझक करने लगे, कि हम क्या पीएं ?
Exo 15:25 तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और यहोवा ने उसे एक पौधा बतला दिया, जिसे जब उस ने पानी में डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वहीं यहोवा ने उनके लिये एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उस ने यह कह कर उनकी परीक्षा की,
Exo 15:26 कि यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैं ने मिस्रियों पर भेजा है उन में से एक भी तुझ पर न भेजूंगा, क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करने वाला यहोवा हूं।
Exo 15:27 तब वे एलीम को आए, जहां पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे और वहां उन्होंने जल के पास डेरे खड़े किए।
Exo 16:1 फिर एलीम से कूच करके इस्राएलियों की सारी मण्डली, मिस्र देश से निकलने के महीने के दूसरे महीने के पंद्रहवे दिन को, सीन नाम जंगल में, जो एलीम और सीनै पर्वत के बीच में है, आ पहुंची।
Exo 16:2 जंगल में इस्राएलियों की सारी मण्डली मूसा और हारून के विरूद्ध बकझक करने लगी।
Exo 16:3 और इस्राएली उन से कहने लगे, कि जब हम मिस्र देश में मांस की हांडियों के पास बैठ कर मनमाना भोजन खाते थे, तब यदि हम यहोवा के हाथ से मार डाले भी जाते तो उत्तम वही था, पर तुम हम को इस जंगल में इसलिये निकाल ले आए हो कि इस सारे समाज को भूखों मार डालो।
Exo 16:4 तब यहोवा ने मूसा से कहा, देखो, मैं तुम लोगों के लिये आकाश से भोजन वस्तु बरसाऊंगा और ये लोग प्रतिदिन बाहर जाकर प्रतिदिन का भोजन इकट्ठा करेंगे, इस से मैं उनकी परीक्षा करूंगा, कि ये मेरी व्यवस्था पर चलेंगे कि नहीं।
Exo 16:5 और ऐसा होगा कि छठवें दिन वह भोजन और दिनों से दूना होगा, इसलिये जो कुछ वे उस दिन बटोरें उसे तैयार कर रखें।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ५४-५६
  • रोमियों ३