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शनिवार, 9 जुलाई 2011

भय से भरोसा

एक कबीले में प्रथा थी कि जब उनके कबीले का बच्चा व्यसक होने लगता था तो कबीले के अगुवे उसे अपने कबीले की प्रथाएं सिखाते थे। इन प्रथाओं के पालन के लिए वे उसके ऊपर दण्ड का भय या "यह करो, वह न करो" की नैतिकता का भार नहीं डालते थे, वरन वे उस से बस इतना ही कहते थे कि "ना मानने से कबीले के लोग तुम्हारे बारे में बातें कर सकते हैं"। अपने साथ के लगों में सही छवि बनाए रखने के लिए वह बच्चा स्वतः ही प्रथाओं का पालन करने में तत्पर रहता था।

साथियों के इस दबाव के संबंध में परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह की पुस्तक के ५१ अध्याय में भी कुछ कहा गया है - समाज में सही दिखने वाले व्यवहार को लेकर। कबीले के अगुवे बच्चों को सही व्यवहार बनाए रखने के लिए साथियों का दबाव बताते थे, लेकिन यशायाह ५१ में इसका दूसरा पहलू दर्शाया गया है - साथियों के दबाव में आकर पाप में फंसना और गिर जाना (यशायाह ५१:७)। परमेश्वर ने अपने लोगों को चेतावनी दी कि "लोग उन के बारे में क्या कहेंगे" का भय, उन के जीवनों में परमेश्वर की आज्ञाओं के साथ समझौता करने और अनाज्ञाकारी होने का कारण हो सकता है और वे अनैतिक संबंधों में फंस सकते हैं। परमेश्वर ने कहा कि जब ऐसी बात उठे तब वह उस पर भरोसा रखें और केवल उसी की सम्म्ति से कार्य करें।

यह सलाह आज हमारे लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज भी "मनुष्यों का भय" बहुत से मसीही लोगों को परमेश्वर के अनाज्ञाकारी होने के लिए बाध्य कर देता है और इसके दुषपरिणाम वे अपने जीवनों मे भोगते रहते हैं। यदि हम अपना व्यवहार केवल लोगों की पसन्द - नापसन्द पर आधारित रखेंगे तो शीघ्र ही हमारे जीवन कुण्ठाओं और दुखदाई अनिश्चितताओं से भर जाएंगे और हम न स्वयं प्रसन्न रह सकेंगे, न किसी दूसरे को सदा प्रसन्न रख सकेंगे और परमेश्वर से भी विमुख हो जाएंगे।

जब हम अपनी तृप्ति सदा ही परमेश्वर को भाने वाली बातों में बनाएंगे तो हमें अपंग करने वाले मनुष्यों के भय से स्वतः ही मुक्ति मिल जाएगी। फिर मनुष्यों के भय के स्थान पर हम परमेश्वर के भय में कार्य करने लगेंगे जो सदा ही उन्नति का कारण होता है। परमेश्वर का भय उसके प्रति श्रद्धा का सकारात्मक भय है, जो हमें उसकी इच्छानुसार चलने को प्रेरित करता है और सदा हमारे भले ही का भरोसा देता है। - मार्ट डी हॉन


परमेश्वर का भय ही हमें मनुष्यों के भय से मुक्त कर सकता है।

मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है। - नीतिवचन २९:२५


बाइबल पाठ: यशायाह ५१:७-१६

Isa 51:7 हे धर्म के जानने वालों, जिनके मन में मेरी व्यवस्था है, तुम कान लगाकर मेरी सुनो, मनुष्यों की नामधराई से मत डरो, और उनके निन्दा करने से विस्मित न हो।
Isa 51:8 क्योंकि घुन उन्हें कपड़े की नाईं और कीड़ा उन्हें ऊन की नाईं खाएगा; परन्तु मेरा धर्म अनन्तकाल तक, और मेरा उद्धार पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।
Isa 51:9 हे यहोवा की भुजा, जाग! जाग और बल धारण कर, जैसे प्राचीन काल में और बीते हुए पीढिय़ों में, वैसे ही अब भी जाग। क्या तू वही नहीं है जिस ने रहब को टुकड़े टुकड़े किया और मगरमच्छ को छेदा?
Isa 51:10 क्या तू वही नहीं जिस ने समुद्र को अर्थात गहिरे सागर के जल को सुखा डाला और उसकी गहराई में अपने छुड़ाए हओं के पार जाने के लिये मार्ग निकाला था?
Isa 51:11 सो यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौट कर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे, और उनके सिरों पर अनन्त आनन्द गूंजता रहेगा; वे हर्ष और आनन्द प्राप्त करेंगे, और शोक और सिसकियों का अन्त हो जाएगा।
Isa 51:12 मैं, मैं ही तेरा शान्तिदाता हूं, तू कौन है जो मरने वाले मनुष्य से, और घास के समान मुर्झाने वाले आदमी से डरता है?
Isa 51:13 और आकाश के तानने वाले और पृथ्वी की नेव डालने वाले अपने कर्ता यहोवा को भूल गया है, और जब द्रोही नाश करने को तैयार होता है तब उसकी जलजलाहट से दिन भर लगातार थरथराता है? परन्तु द्रोही की जलजलाहट कहां रही?
Isa 51:14 बंधुआ शीघ्र ही स्वतन्त्र किया जाएगा; वह गड़हे में न मरेगा और न उसे रोटी की कमी होगी।
Isa 51:15 जो समुद्र को उथल-पुथल करता जिस से उसकी लहरों मे गरजन होती है, वह मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूं मेरा नाम सेनाओं का यहोवा है। और मैं ने तेरे मुंह में अपने वचन डाले,
Isa 51:16 और तुझे अपने हाथ की आड़ में छिपा रखा है कि मैं आकाश को तानूं और पृथ्वी की नेव डालूं, और सिय्योन से कहूं, तुम मेरी प्रजा हो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३८-४०
  • प्रेरितों १६:१-२१