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रविवार, 17 अप्रैल 2011

आशा अथवा निराश

मैं सोचता हूँ कि उस समय यरुशलेम में कितने ही लोग ऐसे थे जो रविवार को तो प्रभु यीशु के स्वागत के लिए "होशाना" (धन्य-धन्य) के नारे लगा रहे थे और कुछ दिन पश्चात उसे क्रूस की मृत्यु देने के लिए भी चिल्ला रहे थे। लोग निराश थे कि प्रभु यीशु ने रोमी राज्य को हटा कर अपना राज्य स्थापित नहीं किया। प्रभु यीशु ने न तो लोगों द्वारा उत्साहपूर्वक अपने स्वागत को रोकने की कोशिश करी और न ही उन लोगों के जोश का लाभ उठा कर किसी बलवे के लिए उन्हें उकसाया। उस भीड़ में जो केवल विदेशी सत्ता की आधीनता से मुक्ति पाना चाहते थे, वे यीशु से बहुत निराश हुए।

लोग यह नहीं पहचान सके कि यीशु अपना सांसारिक प्रभुत्व स्थापित करना नहीं वरन उनके हृदयों पर राज्य करना चाहता है। उस समय के यहूदियों की सबसे बड़ी आवश्यक्ता रोमी साम्राज्य से छुटकारा नहीं वरन पापों से मुक्ति थी। एक दिन अवश्य यीशु अपनी महिमा और सामर्थ में समस्त संसार राज्य करेगा, लेकिन उससे पहले उसे क्रूस पर बलिदान द्वारा समस्त संसार के पाप के दण्ड की कीमत चुकाने के द्वारा ही संभव था। उसके साम्राज्य की स्थापना की कुंजी संसार में कोई विद्रोह अथवा क्रांति नहीं वरन मनुष्यों में पश्चाताप और समर्पण है; क्योंकि उसका राज्य पृथ्वी पर नहीं वरन लोगों के हृदय में और स्वर्ग में है।

सदीयाँ बीतने पर भी मुद्दा बदला नहीं है, बात वहीं और वैसी ही है। यदि हम प्रभु यीशु का अनुसरण इस उद्देश्य से करते हैं कि वह हमें ज़िन्दगी की मुशकिलों से बचा लेगा, हमारे सारे रोगों को चंगा कर देगा, हमें समृद्धि प्रदान कर देगा तो यकीन जानिए, उस समय की उस भीड़ की तरह आप भी निराशा की ओर अग्रसर हैं।

लेकिन अगर हम अपने पापों से पश्चाताप करके उसे अपने हृदय का राजा बना लें, अपना क्रूस उठाकर उसके पीछे हो लें और उसके लिए जीने की ठान लें क्योंकि वही हमारा सर्जनहार-पालनहार-तारणहार परमेश्वर है, तो हमें कभी यीशु से कोई निराशा नहीं होगी और उसकी शांति और सामर्थ हमारे जीवनों में अनन्तकाल तक राज करेगी, हमें सामर्थ देगी और हम एक जयवंत जीवन जीने वाले लोग होंगे। - डेनिस डी हॉन


अपने जीवन में यीशु को प्रथम रखिये, उसकी शांति और सामर्थ अन्त तक आपके साथ रहेगी।

देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है और गदहे पर बैठा है बरन लादू के बच्‍चे पर। - मत्ती २१:५


बाइबल पाठ: मत्ती २१:१-११

Mat 21:1 जब वे यरूशलेम के निकट पहुंचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलों को यह कहकर भेजा।
Mat 21:2 कि अपने साम्हने के गांव में जाओ, वहां पंहुचते ही एक गदही बन्‍धी हुई, और उसके साथ बच्‍चा तुम्हें मिलेगा; उन्‍हें खोलकर, मेरे पास ले आओ।
Mat 21:3 यदि तुम में से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इन का प्रयोजन है: तब वह तुरन्‍त उन्‍हें भेज देगा।
Mat 21:4 यह इसलिये हुआ, कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया या, वह पूरा हो
Mat 21:5 कि सिय्योन की बेटी से कहो, देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है और गदहे पर बैठा है बरन लादू के बच्‍चे पर।
Mat 21:6 चेलों ने जाकर, जैसा यीशु ने उन से कहा था, वैसा ही किया।
Mat 21:7 और गदही और बच्‍चे को लाकर, उन पर अपने कपड़े डाले, और वह उन पर बैठ गया।
Mat 21:8 और बहुतेरे लोगों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए, और और लोगों ने पेड़ों से डालियां काटकर मार्ग में बिछाईं।
Mat 21:9 और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चली आती थी, पुकार पुकार कर कहती थी, कि दाऊद की सन्‍तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना।
Mat 21:10 जब उस ने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई और लोग कहने लगे, यह कौन है?
Mat 21:11 लोगों ने कहा, यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्ता यीशु है।

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल १-२
  • लूका १४:१-२४