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बुधवार, 30 मार्च 2011

परमेश्वर की आवाज़ सुनिए

कई वर्ष पहले, मैं हर सुबह अपनी खिड़की के बाहर एक पक्षी की मधुर चहचहाट की आवाज़ से उठता था। आरंभ में उसके चहकने के संगीत से मैं रोमांचित हो उठता था, लेकिन कुछ समय में मेरे कान उसके गीतों के आदि हो गए, और अन्ततः मुझे उसकी आवाज़ सुननी बन्द हो गई। मैं उस पक्षी के मधुर गान को साधारण सी बात समझने लगा; पक्षी तो अब भी मेरी खिड़की के बाहर रोज़ सुबह गाता है, लेकिन मुझे अब उसका संगीत सुनाई नहीं देता।

कुछ ऐसा ही हमारे साथ बाइबल में होकर परमेश्वर की आवाज़ सुनने के विषय में होता है। जब हम उद्धार पाए ही होते हैं तो हम नियम से बाइबल पढ़ते हैं और ध्यान से उसकी शिक्षाओं से सीखते हैं। परमेश्वर की योजनाओं को बाइबल के पन्नों में खुलता देख हम रोमांचित भी होते हैं। लेकिन समय के साथ बाइबल पढ़ना हमारे लिए औपचारिक्ता बनने लग जाती है और हम उसके सन्देश की ओर पूरा ध्यान देना छोड़ देते हैं। नतीजा यह होता है कि हमें परमेश्वर की आवाज़ सुननी बन्द हो जाती है।

यह दुखदायी स्थिति इतने धीरे धीरे पनपती है कि इसके कमज़ोर कर देने वाले प्रभावों की ओर हमारा ध्यान नहीं जाने पाता। फिर अचानक एक दिन कुछ ऐसा होता है जिससे हमें अपनी कमज़ोरी का एहसास होता है और हम तब जान पाते हैं कि हम क्या खो बैठे हैं। कितना भला हो कि हम शमूएल की तरह परमेश्वर की ओर अपने ध्यान को लगाए रखें और कह सकें, "... कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है।" (१ शमूएल ३:१०)

प्रतिदिन अपना कुछ समय नियमित रूप से परमेश्वर के वचन को पढ़ने के लिए निर्धारित करें, पढ़ते समय उसकी शिक्षाओं की ओर पूरा ध्यान दें और सभी ध्यन भटकाने वाली बातों को दूर कर दें; तभी हम परमेश्वर की आवाज़ के प्रति जागरूक रह सकेंगे और परमेश्वर की आवाज़ हमारे लिए अर्थहीन नहीं होने पाएगी। - रिचर्ड डी हॉन


जितना अधिक हम पवित्रशास्त्र को पढ़ेंगे, परमेश्वर प्रभु को उतना ही अधिक जान पाएंगे।

... कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है। - १ शमूएल ३:१०

बाइबल पाठ: १ शमूएल ३:१-१०

1Sa 3:1 और वह बालक शमूएल एली के साम्हने यहोवा की सेवा टहल करता था। और उन दिनों में यहोवा का वचन दुर्लभ था और दर्शन कम मिलता था।
1Sa 3:2 और उस समय ऐसा हुआ कि (एली की आंखे तो धुंघली होने लगी थीं और उसे न सूझ पड़ता था) जब वह अपने स्थान में लेटा हुआ था,
1Sa 3:3 और परमेश्वर का दीपक अब तक बुझा नहीं था, और शमूएल यहेवा के मन्दिर में जंहा परमेश्वर का सन्दूक था लेटा था;
1Sa 3:4 तब यहोवा ने शमूएल को पुकारा और उस ने कहा, क्या आज्ञा!
1Sa 3:5 तब उस ने एली के पास दौड़कर कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। वह बोला, मैं ने नहीं पुकारा, फिर जा लेट रह। तो वह जाकर लेट गया।
1Sa 3:6 तब यहोवा ने फिर पुकार के कहा, हे शमूएल! शमूएल उठकर एली के पास गया, और कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। उस ने कहा, हे मेरे बेटे, मैं ने नहीं पुकारा, फिर जा लेट रह।
1Sa 3:7 उस समय तक तो शमूएल यहोवा को नहीं पहचानता था, और न तो यहोवा का वचन ही उस पर प्रगट हुआ था।
1Sa 3:8 फिर तीसरी बार यहोवा ने शमूएल को पुकारा। और वह उठ के एली के पास गया, और कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। तब एली ने समझ लिया कि इस बालक को यहोवा ने पुकारा है।
1Sa 3:9 इसलिये एली ने शमूएल से कहा, जा लेट रहे; और यदि वह तुझे फिर पुकारे, तो तू कहना, कि हे यहोवा, कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है तब शमूएल अपने स्थान पर जा कर लेट गया।
1Sa 3:10 तब यहोवा आ खड़ा हुआ, और पहिले की नाईं पुकारा, शमूएल! शमूएल! शमूएल ने कहा, कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है।

एक साल में बाइबल:
  • न्यायियों ९-१०
  • लूका ५:१७-३९