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शुक्रवार, 11 मार्च 2011

सिद्धांत - स्वतंत्रता का या प्रेम का

अमेरिका में, जहां सड़क के दाहिनी ओर चलने का नियम है, कई प्रांतों में चौराहों की लाल बत्ती पर दाहिनी ओर मुड़ने की अनुमति है, यदि मार्ग साफ हो और कोई अन्य उस ओर से न आ-जा रहा हो। यह वाहन चालकों को दी गई स्वतंत्रता है। लेकिन कुछ चौराहों पर चेतावनी लगी होती है "दाहिनी ओर मुड़ना मना है" क्योंकि वे चौराहे खतरनाक हैं और वहां दुर्घटना की संभावना अधिक है।

बाइबल में १ कुरिन्थियों ८ अध्याय में भी मसीही स्वतंत्रता के संबंध में कुछ ऐसी ही परिस्थिति है। पौलुस मूर्तियों को भेंट के रूप में चढ़ाई गई भोजन वस्तुओं को खाने के लिये स्वतंत्रता था। उसे मालूम था कि मूर्तियां कुछ नहीं होतीं और उन पर चढ़ाई गई भोजन वस्तु खाना न सही था न गलत।

परन्तु सभी विश्वासी ऐसा नहीं समझते थे। वे जिनके विवेक कमज़ोर थे मानते थे कि मूर्ति को चढ़ाने से भोजन वस्तु अशुद्ध हो गई है इसलिये अब उसे नहीं खाना चाहिये। पौलुस ने इस बात का ध्यान किया कि इस विष्य में उसे विशेष सावधानी बरतनी है, कहीं उसके ऐसा भोजन खाने से वह कमज़ोर विवेक वाला ठोकर न खाए। विश्वास में नए और अपरिपक्व लोगों के विवेक की चिंता ने उसे अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करने से रोक कर रखा।

मसिही विश्वासी मसीह में स्वतंत्र हैं समाज की उन बातों में भाग लेने के लिये जिनके विष्य में बाइबल स्पष्ट रूप से मना नहीं करती, लेकिन परमेश्वर का पवित्र आत्मा किन्ही परिस्थितियों में हमें कुछ ऐसी जायज़ बातों में भाग लेने से मना कर सकता है। ये हमारे वे निर्ण्य हैं जहां प्रेम के सिद्धांत का पालन स्वतंत्रता के सिद्धांत के पालन से ऊपर होता है।

एक परिपक्व मसीही विश्वासी अपने कमज़ोर साथी का ध्यान करके किसी "लाल बत्ती" पर बिना ध्यान किये " वर्जित दाहिने" नहीं मुड़ेगा। - डेनिस डी हॉन


जब तक हम सही करने के कर्तव्य को नहीं निभाते, हमें अपनी मर्ज़ी करने की स्वतंत्रता भी नहीं निभा सकते।

परन्‍तु चौकस रहो, ऐसा न हो, कि तुम्हारी यह स्‍वतंत्रता कहीं निर्बलों के लिये ठोकर का कारण हो जाए। - १ कुरिन्थियों ८:९


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ८

अब मूरतों के साम्हने बलि की हुई वस्‍तुओं के विषय में हम जानते हैं, कि हम सब को ज्ञान है: ज्ञान घमण्‍ड उत्‍पन्न करता है, परन्‍तु प्रेम से उन्नति होती है।
यदि कोई समझे, कि मैं कुछ जानता हूं, तो जैसा जानना चाहिए वैसा अब तक नहीं जानता।
परन्‍तु यदि कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है, तो उसे परमेश्वर पहिचानता है।
सो मूरतों के साम्हने बलि की हुई वस्‍तुओं के खाने के विषय में हम जानते हैं, कि मूरत जगत में कोई वस्‍तु नहीं, और एक को छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।
यद्यपि आकाश में और पृथ्वी पर बहुत से ईश्वर कहलाते हैं, (जैसा कि बहुत से ईश्वर ओर बहुत से प्रभु हैं)।
तौभी हमारे निकट तो एक ही परमेश्वर है: अर्थात पिता जिस की ओर से सब वस्‍तुएं हैं, और हम उसी के लिये हैं, और एक ही प्रभु है, अर्थात यीशु मसीह जिस के द्वारा सब वस्‍तुएं हुई, और हम भी उसी के द्वारा हैं।
परन्‍तु सब को यह ज्ञान नही; परन्‍तु कितने तो अब तक मूरत को कुछ समझने के कारण मूरतों के साम्हने बलि की हुई को कुछ वस्‍तु समझ कर खाते हैं, और उन का विवेक निर्बल होकर अशुद्ध होता है।
भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता, यदि हम न खांए, तो हमारी कुछ हानि नहीं, और यदि खाएं, तो कुछ लाभ नहीं।
परन्‍तु चौकस रहो, ऐसा न हो, कि तुम्हारी यह स्‍वतंत्रता कहीं निर्बलों के लिये ठोकर का कारण हो जाए।
क्‍योंकि यदि कोई तुझ ज्ञानी को मूरत के मन्‍दिर में भोजन करते देखे, और वह निर्बल जन हो, तो क्‍या उसके विवेक में मूरत के साम्हने बलि की हुई वस्‍तु के खाने का हियाव न हो जाएगा?
इस रीति से तेरे ज्ञान के कारण वह निर्बल भाई जिस के लिये मसीह मरा नाश हो जाएगा।
सो भाइयों का अपराध करने से ओर उन के निर्बल विवेक को चोट देने से तुम मसीह का अपराध करते हो।
इस कारण यदि भोजन मेरे भाई को ठोकर खिलाए, तो मैं कभी किसी रीति से मांस न खाऊंगा, न हो कि मैं अपने भाई के ठोकर का कारण बनूं।

एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण १४-१६
  • मरकुस १२:२८-४४