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मंगलवार, 1 मार्च 2011

स्वतंत्रता का जीवन

हमारे इलाके के स्थानीय अखबार में एक ३९ वर्षीय ऐसे आदमी की खबर छपी जिसने अपने जीवन के केवल १६ महीने ही कारावास से बाहर बिताये थे। उसके जन्म के समय उसकी माता जेल में थी और वह भी उसके साथ १४ वर्ष की आयु तक जेल ही में बड़ा हुआ। जब उसे बाहर भेजा गया तो उसने कई जुर्म करे और वापस कारावास में आ गया। पूछे जाने पर उसने बताया कि, "मुझे यहां से बाहर रहना नहीं आता। यही मेरा घर है, और मैं सारी उम्र यहीं रहना चाहता हूँ।" इस अभागे मनुष्य को बन्धुवाई में ही सुरक्षा का अनुभव होता था, उसके लिये बन्धुवाई ही स्वतंत्रता थी।

इसी प्रकार कई लोगों को आत्मिक स्वतंत्रता के साथ परमेश्वर की सेवा करना बहुत कठिन और धार्मिक रीति रिवाज़ों के बाहरी दिखावे के साथ बने रहना अधिक आसान लगता है। यही कारण था कि प्रथम शताब्दी की गलतिया प्रांत में स्थित मसीही मंडली के कुछ लोगों को मूसा द्वारा दिये गए नियमों का पालन करना ज़्यादा आसान लगा, यद्यपि अब मसीह में आने के बाद उन नियमों के पालन करने की कोई बाध्यता उनपर नहीं थी। सम्भवतः उन्हें अपनी यह स्वतंत्रता घबरा देने वाली लगी, वे समझ नहीं सके कि इस स्वतंत्रता के साथ कैसे रहा जाए और वे वापस रीति रिवाज़ों के बन्धनों में चले जाना चाहते थे।

आज भी कई मसीही भी ऐसा ही करते हैं। वे अपनी धार्मिक सुरक्षा ऐसे विधि-विधानों में ढूंढते हैं जो केवल बाहरी रूप से "अच्छे व्यवहार" में बने रहने पर निर्भर हो। ऐसे लोगों के लिये क्या कुछ करना है, और क्या नहीं; कैसे रहना और जीना है, कैसे नहीं - यह उनकी संस्कृति और समाज निर्धारित करता है, बाइबल नहीं। वे स्वतंत्रता में नहीं, बन्धुवाई में जीना चाहते हैं।

संस्कृति और समाज का आदर तब ही सार्थक होता है जब हम अपने मनफिराव द्वारा बदले हुए जीवन को समाज में प्रदर्शित करें और समाज के समक्ष हम परमेश्वर के प्रति उससे मिले उद्धार के लिये धन्यवादी रहें। उद्धार द्वारा मिली स्वतंत्रता और जीवन उद्देश्य हमें समाज में और भी अधिक उपयोगी, ज़िम्मेदार और विश्वसनीय बना देता है, तथा परमेश्वर से प्राप्त उद्धार के जीवन और स्वत्रंत्रता की गवाही प्रस्तुत करता है।

वैधानिकता और रीति रिवाज़ों की दीवारों के पीछे छिप कर परमेश्वर द्वारा दी जाने वाली असली स्वतंत्रता से मुँह मत मोड़िये। - मार्ट डी हॉन


जो मसीह के बन्धुए हैं केवल वही वासत्व में स्वतंत्र हैं।

क्‍या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ करके अब शरीर की रीति पर अन्‍त करोगे? - गलतियों ३:३

बाइबल पाठ: गलतियों ५:१-१४

मसीह ने स्‍वतंत्रता के लिये हमें स्‍वतंत्र किया है सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्‍व के जूए में फिर से न जुतो।
देखो, मैं पौलुस तुम से कहता हूं, कि यदि खतना कराओगे, तो मसीह से तुम्हें कुछ लाभ न होगा।
फिर भी मैं हर एक खतना कराने वाले को जताए देता हूं, कि उसे सारी व्यवस्था माननी पड़ेगी।
तुम जो व्यवस्था के द्वारा धर्मी ठहरना चाहते हो, मसीह से अलग और अनुग्रह से गिर गए हो।
क्‍योंकि आत्मा के कारण, हम विश्वास से, आशा की हुई धामिर्कता की बाट जोहते हैं।
और मसीह यीशु में न खतना, न खतनारिहत कुछ काम का है, परन्‍तु केवल विश्वास जो प्रेम के द्वारा प्रभाव करता है।
तुम तो भली भांति दौड रहे थे, अब किस ने तुम्हें रोक दिया, कि सत्य को न मानो?
ऐसी सीख तुम्हारे बुलाने वाले की ओर से नहीं।
थोड़ा सा खमीर सारे गूंधे हुए आटे को खमीर कर डालता है।
मैं प्रभु पर तुम्हारे विषय में भरोसा रखता हूं, कि तुम्हारा कोई दूसरा विचार न होगा परन्‍तु जो तुम्हें घबरा देता है, वह कोई क्‍यों न हो दण्‍ड पाएगा।
परन्‍तु हे भाइयो, यदि मैं अब तक खतना का प्रचार करता हूं, तो क्‍यों अब तक सताया जाता हूं? फिर तो क्रूस की ठोकर जाती रही।
भला होता, कि जो तुम्हें डांवाडोल करते हैं, वे काट डाले जाते!
हे भाइयों, तुम स्‍वतंत्र होने के लिये बुलाए गए हो परन्‍तु ऐसा न हो, कि यह स्‍वतंत्रता शारीरिक कामों के लिये अवसर बने, वरन प्रेम से एक दूसरे के दास बनो।
क्‍योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।

एक साल में बाइबल:
  • गिनती २३-२५
  • मरकुस ७:१४-३७