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शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

ईमानदारी की ज़िम्मेवारी

काश यह संभव होता कि मैं सच्चे मन से कह पाता कि मैंने सदा अपना कहा हर वचन सच्चाई से निभाया है। मैं चाहता हूं कि मैं यह दावा कर सकूं कि मैंने अपने जीवन में और कुछ चाहे किया हो या न किया हो, परन्तु अपने वचन का पालन अवश्य किया है। लेकिन सच्चाई यही है कि मैं यह दावा नहीं कर सकता। न केवल मैंने उन को दुख दिया है जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया, लेकिन अपने वायदे न निभा के अपने परमेश्वर को भी दुखी किया है।

परमेश्वर चाहता है कि मैं जो करने का वायदा करता हूं, वह करूं भी। भजन १५ इस विष्य में सन्देह का कोई स्थान नहीं छोड़ता। इस भजन में लिखा है कि परमेश्वर जिस मनुष्य के साथ रहना चाहता है उसका चरित्र और व्यवहार कैसा होता है: वह अपने चाल चलन में खरा, पूरे मन से ईमानदार, दूसरों के विष्य में झूठा नहीं, और जो कहे उसको सम्पूर्णतः निभाने वाला - चाहे इसके लिये उसे पीड़ा अथवा हानि ही क्यों न उठानी पड़े।

परमेश्वर ने अपने बड़े प्रेम में होकर मेरे पाप क्षमा किये हैं, और आज तक मेरे प्रति अपने प्रत्येक वायदे में पूर्णतः ईमानदार और विश्वासयोग्य रहा है। समय और परिस्थिति के कारण कभी उसे अपने वायदे टालने या बदलने का प्रयास नहीं किया, यहां तक कि मेरे उद्धार के लिये उसने अपने एकलौते पुत्र को भी बलिदान कर दिया।

परमेश्वर ने पाप को दण्डित करने, लेकिन फिर भी जिस किसी ने भी उस पर विश्वास करके उससे क्षमा मांगी, उसके प्रति दयावन्त होकर उसे क्षमा करने की अपनी वचबध्दता सदा निभाई है, चाहे उस व्यक्ति के पाप कैसे भी जघन्य क्यों न रहे हों, चाहे वह व्यक्ति अपनी दृष्टि में भी क्षमा के योग्य न रहा हो।

क्योंकि मेरा परमेश्वर ईमानदार है और अपने वचन का पूर्णतः पालन करता है, मुझे भी उसका पुत्र और अनुयायी होने के नाते, ऐसा ही जीवन बिताना है। उसमें किये गए अपने विश्वास और उससे मिली पापों की क्षमा को यदि मैं अपने ईमानदार जीवन और खरे चरित्र द्वारा संसार के समक्ष न रखूं, तो मेरा उसका पुत्र और अनुयायी होने का दावा करना व्यर्थ है।

जिसने इतनी दया और करुणा मेरे प्रति दिखाई कि मेरे लिये अपने आप को ही दे दिया उसके प्रति यह मेरी ईमानदारी की ज़िम्मेवरी है। - मार्ट डी हॉन


एक चीज़ है जिसे मसीही विश्वासी देकर भी रख सकता है - अपना वचन।

हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा?...जो शपथ खाकर बदलता नहीं चाहे हानि उठाना पड़े। - भजन १५:१, ४

बाइबल पाठ: भजन १५

हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा? तेरे पवित्र पर्वत पर कौन बसने पाएगा?
वह जो खराई से चलता और धर्म के काम करता है, और हृदय से सच बोलता है;
जो अपनी जीभ से निन्दा नहीं करता, और न अपने मित्र की बुराई करता, और न अपने पड़ोसी की निन्दा सुनता है;
वह जिसकी दृष्टि में निकम्मा मनुष्य तुच्छ है, और जो यहोवा के डरवैयों का आदर करता है, जो शपथ खाकर बदलता नहीं चाहे हानि उठाना पड़े;
जो अपना रूपया ब्याज पर नहीं देता, और निर्दोष की हानि करने के लिये घूस नहीं लेता है। जो कोई ऐसी चाल चलता है वह कभी न डगमगाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३४-३५ मत्ती
  • २२:२३-४६