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शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

जैसा कहो वैसा करो

   एक पिता प्रार्थना में अपने परिवार की अगुवाई कर रहा था। प्रार्थना के विषयों में उस ने अपने पड़ौस में रहने वाली विधवा और उसकी आवश्यक्ताओं के बार में भी प्रार्थना करी। अपनी प्रार्थना में पिता ने परमेश्वर के सामने उस विधवा की आवश्यक्ताओं को गिनाया और परमेश्वर को यह भी बताया कि किन तरीकों से परमेश्वर उसकी आवश्यक्ताएं पूरी कर सकता है। पिता की यह प्रार्थना सुन कर, सहानुभूति में, उसकी पत्नि के आँसु बहने लगे। लेकिन उनका पुत्र प्रार्थना सुनते सुनते सोचने लगा; जब पिता ने प्रार्थना अन्त करी तो वह पिता से बोला, "पिताजी ज़रा अपना बटुआ मुझे दीजिए, मैं अभी जा कर, आपकी प्रार्थनानुसार उस विधवा की सभी आवश्यक्ताएं पूरी करके आप की प्रार्थना का उत्तर ले आता हूँ!" वह युवक समझ रहा था कि प्रार्थना और उसके अनुरूप कार्य साथ-साथ चलते हैं।

   जब हम परमेश्वर से वार्तालाप करें तो साथ-साथ परमेश्वर के लिए कार्य करने को भी तैयार रहें। जब हम परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह संसार रूपी खेत से अपने राज्य के लोगों रूपी फसल की कटाई के लिए मज़दूर भेजे, तो साथ ही हमें इस कार्य के लिए संसार में जाने को परमेश्वर के लिए उपलब्ध भी रहना चाहिए। यदि हम उस से अपने किसी मित्र के लिए उद्धार माँगें तो हमें उस मित्र के सामने प्रभु के लिए गवाही देने और प्रभु का वचन उस तक पहुँचाने को तत्पर रहना चाहिए। जब हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि वह शीघ्र आए तो उसके आगमन के लिए अपने आप को तैयार रखना चाहिए - अपने व्यवसाय में नैतिकता, प्रभु से मिली अपनी संपदा के श्रेष्ठ भंडारी बनने, और अपनी जीवन शैली में प्रभु को आदर एवं प्रथम स्थान देने के द्वारा।

   प्रभु यीशु के चेले युहन्ना ने अपनी पहली पत्री में इस विचार को समझाया है। उसने लिखा कि हमें अपने प्रेम को केवल शब्दों तक ही सीमित नहीं रखना है, उसे अपने कर्मों में प्रदर्शित भी करना है - "और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्‍योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं और जो उसे भाता है वही करते हैं" (१ युहन्ना ३:२२)। हमारी प्रार्थनाओं की सार्थकता, उन प्रार्थनाओं के अनुरूप हमारे कार्यों द्वारा प्रदर्शित होती है। - पौल वैन गोर्डर

हमारे कर्म हमारी प्रार्थनाओं की सार्थकता के सूचक और उत्तर बनते हैं।

हे बालको, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें। - १ युहन्ना ३:१८
 
बाइबल पाठ: - १ युहन्ना ३:७-१८
    1Jn 3:7  हे बालको, किसी के भरमाने में न आना; जो धर्म के काम करता है, वही उस की नाईं धर्मी है।
    1Jn 3:8  जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्‍योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।
    1Jn 3:9  जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्‍योंकि उसका बीज उस में बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्‍योंकि परमेश्वर से जन्मा है।
    1Jn 3:10  इसी से परमेश्वर की सन्‍तान, और शैतान की सन्‍तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता।
    1Jn 3:11  क्‍योंकि जो समाचार तुम ने आरम्भ से सुना, वह यह है, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें।
    1Jn 3:12  और कैन के समान न बनें, जो उस दुष्‍ट से था, और जिस ने अपने भाई को घात किया: और उसे किस कारण घात किया? इस कारण कि उसके काम बुरे थे, और उसके भाई के काम धर्म के थे।
    1Jn 3:13  हे भाइयों, यदि संसार तुम से बैर करता है तो अचम्भा न करना।
    1Jn 3:14  हम जानते हैं, कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं; क्‍योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं: जो प्रेम नहीं रखता, वह मृत्यु की दशा में रहता है।
    1Jn 3:15  जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह हत्यारा है; और तुम जानते हो, कि किसी हत्यारे में अनन्‍त जीवन नहीं रहता।
    1Jn 3:16  हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उस ने हमारे लिए अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए।
    1Jn 3:17  पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्‍योंकर बना रह सकता है?
    1Jn 3:18  हे बालको, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ९-१० 
  • इफिसियों ३

गुरुवार, 29 सितंबर 2011

अप्रत्याशित उत्तर

   बाइबल संबंधित पुस्तकों के लेखक और वक्ता जोश मैक्डोअवल अपनी दिवंगत माँ के मृत्युपूर्व उद्धार पा लेने के बारे में अनिश्चित थे और यह बात उन्हें बहुत परेशान कर रही थी। इस बात को सोच कर कि संभवतः उनकी माँ अनन्त के विनाश में चली गईं हैं और अब कभी वे अपनी माँ से नहीं मिल पाएंगे, वे निराशा में जाने लगे थे। ऐसे में, यद्यपि यह प्रार्थना उन्हें असंभव प्रतीत हुई, फिर भी उन्हों ने परमेश्वर से माँगा कि, "प्रभु मुझे किसी रीति से यह उत्तर दीजिए, जिससे मैं पुनः सामन्य पर आ जाऊँ; मुझे अपनी माँ के उद्धार के बारे में जानना ही है।"

   इस प्रार्थना के दो दिन पश्चात जोश समुद्र तट पर घूमने गए; वे वहाँ तट पर विचरण कर रहे थे कि वहाँ मछली पकड़ने को बैठी एक महिला ने उन से वार्तालाप आरंभ किया और पूछा कि "आप मूलतः कहाँ के रहने वाले हैं?" जोश ने उत्तर दिया "मिशिगन की यूनियन सिटी के, जो कि..." उनकी बात काटते हुए उस महिला ने बात पूरी करी, "..बैटल क्रीक का एक भाग है; मेरे कुछ कुटुंबी वहाँ रहा करते थे - क्या आप वहाँ के किसी मैक्डोवल परिवार को जानते हैं?" जोश आश्चर्यचकित होकर बोले, "जी हाँ; मैं जोश मैक्डोवेल हूँ!" महिला ने विसमित हो कर उत्तर दिया, "मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है; मैं तुम्हारी माँ की चचेरी बहन हूँ।" जोश ने उनसे पूछा, "क्या आपको मेरी माँ के आत्मिक जीवन के बारे में कुछ ज्ञान है?" महिला बोली, "हाँ, अवश्य; बहुत वर्ष पूर्व, जब मैं और तुम्हारी माँ युवतियाँ ही थे, तो हमारे कसबे में एक मसीही प्रचारक आए थे और उन्हों ने मसीही विश्वास के लिए सभाएं संबोधित करीं थीं। सभाओं की चौथी रात को मैंने और तुम्हारी माँ ने प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण किया था।" इतना सुनते ही जोश आनन्द से चिल्ला उठे, "प्रभु की स्तुति और महिमा हो"; वे इतनी ज़ोर से चिल्लाए कि आस-पास बैठे अन्य मछली पकड़ने वाले उन्हें विसमय से देखने लगे। परमेश्वर ने अद्भुत रीति से जोश को उन की असंभव प्रतीत होने वाली प्रार्थना का स्पष्ट उत्तर दे दिया था।

   यदि हम परमेश्वर के आज्ञाकारी रहते हैं और उसकी इच्छानुसार प्रार्थना में उससे माँगते हैं तो वह अवश्य हमें उत्तर देता है। हमारी प्रार्थनाओं के उत्तर देने की परमेश्वर की क्षमता पर हमें कभी शक नहीं करना चाहिए और ना ही उसे हलका आंकना चाहिए। संभव है कि आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर बस आने ही को है। - डेनिस डी हॉन


जब हम परमेश्वर से निश्चित हो कर माँगते हैं, तो निश्चित ही वह उत्तर देता है।

और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्‍योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं और जो उसे भाता है वही करते हैं। - १ युहन्ना ३:२२
 
बाइबल पाठ: १ युहन्ना ३:१९-२४
    1Jn 3:19  इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उस विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे।
    1Jn 3:20  क्‍योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है और सब कुछ जानता है।
    1Jn 3:21  हे प्रियो, यदि हमारा मन हमें दोष न दे, तो हमें परमेश्वर के सामने हियाव होता है।
    1Jn 3:22  और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्‍योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं और जो उसे भाता है वही करते हैं।
    1Jn 3:23  और उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उस ने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें।
    1Jn 3:24  और जो उस की आज्ञाओं को मानता है, वह उस में, और यह उस में बना रहता है: और इसी से, अर्थात उस आत्मा से जो उस ने हमें दिया है, हम जानते हैं, कि वह हम में बना रहता है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ७-८ 
  • इफिसियों २

बुधवार, 28 सितंबर 2011

सबसे महान सेवकाई

   स्कॉटलैण्ड के सुप्रसिद्ध प्रचारक जौन नौक्स, बहुत बीमार हुए, उन्होंने अपनी पत्नि को बुलाया और कहा, "मुझे बाइबल का वह खंड पढ़कर सुनाओ जिसके द्वारा मैं स्थिर किया गया था।" उनकी पत्नि ने बाइबल पढ़ना आरंभ किया, युहन्ना १७ में प्रभु यीशु की सुन्दर प्रार्थना सुनने के बाद, नौक्स ने प्रार्थना करना आरंभ कर दिया। उन्होंने अपने साथ के लोगों के लिए प्रार्थना करी, उन लोगों के लिए प्रार्थना करी जिन्होंने सुसमाचार की अवहेलना करी थी और प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता मानने से इन्कार कर दिया था, उन लोगों कि लिए प्रार्थना करी जिन्होंने अभी हाल ही में प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण किया था। उन्होंने परमेश्वर से उन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करी जो सुसमाचार की सेवकाई में लगे हुए हैं और सताव का सामना कर रहे हैं। प्रार्थना करते करते प्रभु के उस सेवक की आत्मा सदा के लिए अपने प्रभु से जा मिली। वह व्यक्ति जिसके लिए स्कॉटलैण्ड की रानी - मेरी, ने कहा था: "मैं अपने शत्रुओं की सेना से अधिक उस व्यक्ति की प्रार्थनाओं से घबराती हूँ" अपनी जीवन के अन्तिम क्षण तक प्रार्थना की सेवकाई में लगा रहा।

   प्रार्थना मसीही विश्वासी के जीवन में कार्य करने की सामर्थ है। यद्यपि अकसर लोग प्रार्थना को परमेश्वर की उपासना का एक भाग मानते हैं, लेकिन प्रार्थना उससे बढ़ कर परमेश्वर के लिए हमारी सेवकाई का आवश्यक अंग है। हमारे प्रभु ने जितना अपने शिष्य शमौन पतरस के लिए उसे निराशाओं से उभारने के द्वारा किया, उतना ही उसके लिए प्रार्थना के द्वारा भी किया।

   प्रार्थना हमारा प्रधान कर्तव्य है - यदि हम इस बात को मानते हैं तो हम प्रार्थना में अधिक समय भी बिताएंगे। जब हम किसी के लिए और कुछ ना भी करने पाएं, तब भी हम उसके लिए प्रार्थना कर सकते हैं; और ऐसा करके हम अपनी सबसे महान सेवकाई को पूरा करेंगे। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

परमेश्वर के योद्धा अपने युद्ध अपने घुटनों पर झुक कर लड़ते हैं।

परन्‍तु मैं ने तेरे लिये विनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना। - लूका २२:३२

बाइबल पाठ: लूका २२:३१-४६
    Luk 22:31  शमौन, हे शमौन, देख, शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेंहूं की नाई फटके।
    Luk 22:32  परन्‍तु मैं ने तेरे लिये विनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।
    Luk 22:33  उस ने उस से कहा; हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्‍दीगृह जाने, वरन मरने को भी तैयार हूं।
    Luk 22:34  उस ने कहा, हे पतरस मैं तुझ से कहता हूं, कि आज मुर्ग बांग ना देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्‍कार न कर लेगा कि मैं उसे नहीं जानता।
    Luk 22:35  और उस ने उन से कहा, कि जब मैं ने तुम्हें बटुए, और झोली, और जूते बिना भेजा था, तो क्‍या तुम को किसी वस्‍तु की घटी हुई थी? उन्‍होंने कहा; किसी वस्‍तु की नहीं।
    Luk 22:36  उस ने उन से कहा, परन्‍तु अब जिस के पास बटुआ हो वह उसे ले, और वैसे ही झोली भी, और जिस के पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेच कर एक मोल ले।
    Luk 22:37  क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि यह जो लिखा है, कि वह अपराधियों के साथ गिना गया, उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्‍योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।
    Luk 22:38  उन्‍होंने कहा, हे प्रभु, देख, यहां दो तलवारें हैं: उस ने उन से कहा, बहुत हैं।
    Luk 22:39  तब वह बाहर निकल कर अपनी रीति के अनुसार जैतून के पहाड़ पर गया, और चेले उसके पीछे हो लिए।
    Luk 22:40  उस जगह पहुंच कर उस ने उन से कहा, प्रार्थना करो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो।
    Luk 22:41  और वह आप उन से अलग एक ढेला फेंकने के टप्‍पे भर गया, और घुटने टेक कर प्रार्थना करने लगा।
    Luk 22:42  कि हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्‍तु तेरी ही इच्‍छा पूरी हो।
    Luk 22:43  तब स्‍वर्ग से एक दूत उस को दिखाई दिया जो उसे सामर्थ देता था।
    Luk 22:44  और वह अत्यन्‍त संकट में व्याकुल होकर और भी हृदय वेदना से प्रार्थना करने लगा, और उसका पसीना मानो लोहू की बड़ी बड़ी बून्‍दों की नाईं भूमि पर गिर रहा था।
    Luk 22:45  तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्‍हें उदासी के मारे सोता पाया; और उन से कहा, क्‍यों सोते हो?
    Luk 22:46  उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५-६ 
  • इफिसियों १

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

अर्थपूर्ण प्रार्थनाएं

   मेरा एक मित्र अपने छोटे बेटे को लेकर होटल में गया। वहां उसने अपने बेटे को अपने साथ की कुर्सी पर बैठाया और भोजन का ऑर्डर दिया। जब खाना परोसा गया तो पिता ने कहा, "बेटा हम खाने से पहले, भोजन के लिए खामोशी से धन्यवाद की प्रार्थना कर लेते हैं" और पिता ने शांत रूप से अपनी प्रार्थना कर ली, बेटा सर झुकाए और आंखें बन्द किए बैठा रहा। कुछ समय तक बेटे की प्रार्थना समाप्त होने का इन्तज़ार करने के बाद, पिता ने पूछा, "इतनी लम्बी प्रार्थना किस बात के लिए कर रहे हो?" बेटे ने उत्तर दिया, "मुझे क्या पता, मैं तो खामोश था!"

   बहुत बार हमारी प्रार्थनाएं ऐसी ही होती हैं - हम प्रार्थना में तो होते हैं लेकिन प्रभु से कुछ कहते नहीं हैं; क्योंकि हम केवल शब्द दोहराते हैं लेकिन उन शब्दों में कोई गंभीरता या आग्रह नहीं होता। जो प्रार्थना प्रभु हम से चाहता है वह गंभीर और हृदय से निकलने वाली होनी चाहिए, जो पवित्र आत्मा की प्रेर्णा से करी गई और प्रभु यीशु के नाम से परमेश्वर को अर्पित करी गईं हों। ऐसी ही प्रार्थनाओं के लिए प्रेरित पौलुस लिखता है कि, "तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी" (फिलिप्पियों ४:७)।

   हमें प्रार्थना के महत्व और गंभीरता को समझना चाहिए। प्रार्थना करने का अर्थ केवल आँखें बन्द करके, सर झुका के कुछ शब्दों को दोहरा लेना नहीं होता। परमेश्वर के सम्मुख हमारे आग्रह परमेश्वर के वचन के अनुकूल होने चाहिएं और सच्चे मन से आने चाहिएं, तभी वे अर्थपूर्ण प्रार्थनाएं होंगी और हम उनके नतीजे देखने पाएंगे। - पौल वैन गोर्डर


अर्थपूर्ण प्रार्थना सच्चे मन से होती है, सुन्दर शब्दों से नहीं।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। - फिलिप्पियों ४:६
 
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:१-७
    Php 4:1  इसलिये हे मेरे प्रिय भाइयों, जिन में मेरा जी लगा रहता है जो मेरे आनन्‍द और मुकुट हो, हे प्रिय भाइयो, प्रभु में इसी प्रकार स्थिर रहो।
    Php 4:2  मैं यूआदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें।
    Php 4:3  और हे सच्‍चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्रम किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं।
    Php 4:4  प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो।
    Php 4:5  तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
    Php 4:6  किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
    Php 4:7  तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ३-४ 
  • गलतियों ६

सोमवार, 26 सितंबर 2011

माँगने और सोचने से बढ़कर

   सन १९५६ में अपनी मृत्यु के समय जिम इलियट दक्षिण अमेरिका की आऔका कबायली जाति के लोगों तक प्रभु यीशु का सुसमाचार पहुँचाने का प्रयास कर रहा था। इससे लगभग तीन वर्ष पूर्व, एक कबायली मनुष्य की मृत्यु देखते हुए उसने परमेश्वर से प्रार्थना करी थी कि "प्रभु मुझे तब तक जीवित रखिए जब तक मैं इन लोगों में आपके नाम का प्रचार न कर लूँ।" जिम इलियट को यह कतई अन्देशा नहीं था कि परमेश्वर उसकी प्रार्थना का उत्तर तीस वर्ष की आयु तक पहुँचने के पहले ही उन कबायलीयों द्वारा भाला भोंक कर मारे जाने द्वारा देंगे; और ना ही उसे यह पता था कि उसकी मृत्यु के तीन वर्ष के अन्दर ही उसका नाम संसार भर में प्रसिद्ध हो जाएगा और उसकी डायरी में उसके द्वारा लिखे विवरणों को पढ़कर बहुत से लोग प्रभु की सेवकाई की चुनौती को स्वीकार करेंगे और अपने आप को उन कबायलियों के बीच प्रभु की सेवा करने के लिए समर्पित करेंगे। इलियट की मृत्यु व्यर्थ नहीं थी, उस एक मत्यु ने उस इलाके में प्रभु की सेवाकाई के लिए अनेकों को ला खड़ा किया, और जो काम हुआ वह उसकी सोच और समझ से कहीं अधिक बढ़कर था।

   परमेश्वर हमसे बहुत प्रेम करता है और हमारी प्रार्थनाओं को ध्यान से सुनता है, लेकिन आवश्यक नहीं कि उसका हर उत्तर हमारी उम्मीद के अनुसार ही हो। क्योंकि वह ऐसा परमेश्वर है जो "कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है" (इफिसियों३:२०); इसलिए हम आश्वस्त रह सकते हैं कि यदि उसने हमारी समझ के अनुसार हमें उत्तर नहीं दिया है तो वह इसलिए कि वह हमें उससे भी बेहतर कुछ देना चाहता है।

   जब हम अपना माँगा हुआ सब कुछ नहीं प्राप्त करते तो यह निराश होने की बात नहीं है। परमेश्वर हम से प्रेम करता है और हमारी इच्छा पूरी भी करना चाहता है; लेकिन वह आरंभ से ही अन्त को जानता है, इसलिए हमारी माँगी हुई कुछ बातों को रोक लेता है क्योंकि वह हमारे भविष्य के अनुसार हमें और भी उत्तम कुछ देना चाहता है।

   जब हम स्वर्ग पहुँचेंगे तब ही जानेंगे कि उसने कैसी अद्भुत रीति से हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया, और जो उसने हमें दिया, वह वास्तव में हमारी विनती और समझ से कहीं बढ़कर और उत्तम था। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

परमेश्वर सदैव ही हमें हमारी प्रार्थना के अनुसार, या उससे भी बेहतर ही देता है।

अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है; - इफिसियों३:२०

बाइबल पाठ: इफिसियों३:१३-२१
    Eph 3:13  इसलिये मैं बिनती करता हूं कि जो क्‍लेश तुम्हारे लिये मुझे हो रहे हैं, उनके कारण हियाव न छोड़ो, क्‍योंकि उन में तुम्हारी महिमा है।
    Eph 3:14  मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं,
    Eph 3:15  जिस से स्‍वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।
    Eph 3:16  कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ।
    Eph 3:17  और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर।
    Eph 3:18  सब पवित्र लागों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है।
    Eph 3:19  और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
    Eph 3:20  अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है,
    Eph 3:21  कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह १-२ 
  • गलतियों ५

रविवार, 25 सितंबर 2011

दरवाज़े बन्द कर लीजिए

   अमेरिका में आए एक विदेशी पर्यटक को टेलिफोन करने की आवश्यक्ता पड़ी और वह टेलिफोन बूथ में गया; वह बूथ उसके अपने देश के टेलिफोन बूथ से भिन्न था। शाम होने के कारण बूथ के अन्दर रौशनी कम थी और वह टेलिफोन डायरेक्टरी में से नंबर पढ़ पाने में कठिनाई अनुभव कर रहा था। उसने रौशनी के लिए इधर-उधर देखा, उसे बूथ की छत पर बल्ब तो दिखाई दिया, लेकिन उसे जलाने के लिए कोई बटन नज़र नहीं आया; अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे बल्ब जलाए और डायरेक्टरी से नंबर पढ़े। उसके असमंजस को देख, राह चलते एक व्यक्ति ने उसे सलाह दी, "यदि आप को रौशनी चाहिए तो दरवाज़ा बन्द करना होगा।" उसने सलाह मानकर जैसे ही बूथ का दरवाज़ा बन्द किया, बल्ब स्वतः ही जल गया और बूथ रौशन हो गया।

   परमेश्वर के साथ संगति और प्रार्थना के लिए भी यही चाहिए - परमेश्वर सम्मुख आने पर मन के दरवाज़े संसार की बातों और व्यस्तता पर बन्द कर दीजिए, और स्वतः ही उसकी उपस्थिति का प्रकाश हमारे अन्धेरे मन को रौशन करके हमें हमारी परेशानियों और कठिनाईयों में मार्ग दिखाएगा। हम परमेश्वर से संगति करने पाएंगे और अपने जीवन के लिए उसके मार्गदर्शन और संसाधनों का लाभ उठाने पाएंगे।

   हमारा प्रभु यीशु भी अकसर अपने स्वर्गीय पिता के साथ समय बिताने के लिए एकांत स्थानों में जाया करता था; वह ऐसा कभी प्रचार और चंगाई के व्यस्त दिन की समाप्ति पर करता था, जैसा हम लूका ५ में वर्णन पाते हैं, तो कभी तड़के सुबह मुँह अन्धेरे ही उठकर (मरकुस १:१५), अथवा किसी बड़े निर्ण्य को लेने से पहले (लूका ६:१२)।

   हम मसीही विश्वासी जो प्रभु यीशु के चेले हैं, आश्वस्त रह सकते हैं कि "यदि हम उस की इच्‍छा के अनुसार कुछ मांगते हैं, तो वह हमारी सुनता है" (१ युहन्ना ५:१४): इसलिए उसकी इच्छा जानना हमारे लिए अति आवश्यक है। यह तब ही संभव है जब हम शांत और स्थिर मन के साथ उसके साथ संगति में समय बिताएं, और इसके लिए हमें संसार की बातों और अपनी व्यस्तता पर अपने मन के दरवाज़े बन्द करने होंगे, तब ही उसका प्रकाश हमारे मन और मार्ग को रौशन करेगा। - रिचर्ड डी हॉन


प्रबल और सफल प्रार्थना का भेद है एकांत में प्रार्थना करना।

परन्‍तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। - मत्ती ६:६

बाइबल पाठ: लूका ५:१२-१६
    Luk 5:12  जब वह किसी नगर में था, तो देखो, वहां कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य था, और वह यीशु को देख कर मुंह के बल गिरा, और बिनती की, कि हे प्रभु यदि तू चाहे हो मुझे शुद्ध कर सकता है।
    Luk 5:13  उस ने हाथ बढ़ा कर उसे छूआ और कहा मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा: और उसका कोढ़ तुरन्‍त जाता रहा।
    Luk 5:14  तब उस ने उसे चिताया, कि किसी से न कह, परन्‍तु जाके अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने चढ़ावा ठहराया है उसे चढ़ा; कि उन पर गवाही हो।
    Luk 5:15  परन्‍तु उस की चर्चा और भी फैलती गई, और भीड़ की भीड़ उस की सुनने के लिये और अपनी बिमारियों से चंगे होने के लिये इकट्ठी हुई।
    Luk 5:16  परन्‍तु वह जंगलों में अलग जा कर प्रार्थना किया करता था।
 
एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत ६-८ 
  • गलतियों ४

शनिवार, 24 सितंबर 2011

"मैंने परमेश्वर से वार्तालाप किया"

   King's College के भूतपूर्व अधिपति, डा० रॉबर्ट कुक ने एक सभा को संबोधित करते हुए श्रोताओं को बताया कि पिछले दिन उन्होंने तत्कालीन उप-राष्ट्र्पति जॉर्ज बुश से बात करी और फिर उसके दो घंटे बाद थोड़े समय के लिए राष्ट्रपति रौनल्ड रीएगन से भी बातचीत करी। फिर एक बड़ी सी मुस्कान के साथ वे बोले, यह तो कुछ भी नहीं, आज मैंने परमेश्वर के साथ वार्तलाप किया - वे प्रार्थना में बिताए गए अपने समय की बात कह रहे थे।

   प्रार्थना एक नई सामर्थ और तत्परता ले लेती है, जब हम इस बात के लिए जागरूक होते हैं कि हम प्रार्थना में जिस के सम्मुख विद्यमान हैं उसकी महिमा और महानता कितनी विशाल है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम कुछ लोगों की प्रतिक्रिया के विषय में पढ़ते हैं जब उन्होंने परमेश्वर के दर्शन उसकी महिमा में किए: अय्युब अपने दुर्भाग्य के लिए बहुत कुड़कुड़ा रहा था और अपनी धार्मिकता पर उसे घमण्ड था, लेकिन जब उसने परमेश्वर के दर्शन पाए तो कह उठा, "मैंने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ" (अय्युब ४२:५-६); परमेश्वर के नबी यशायाह ने जब परमेश्वर के दर्शन पाए तो पुकार उठा, "हाय! हाय! मैं नाश हूआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है!" (यशायाह ६:५); परमेश्वर के एक और नबी यहेजकेल ने जब परमेश्वर की महिमा देखी तो कह उठा, "उसे देख कर, मैं मुंह के बल गिरा" (यहेजकेल १:२८); प्रभु यीशु के चेले युहन्ना ने जब प्रभु को उसकी महिमा में देखा तो, "जब मैं ने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा" (प्रकशितवाक्य १:१७)।

   इन सभी के लिए परमेश्वर के उसकी महिमा और महानता में दर्शन देखना, उनके अन्दर अपनी दीन-हीन स्थिति के भारी एहसास को लेकर आया; ऐसा एहसास जो उनके सहने से बाहर था। इसी सामर्थी और महान परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह में होकर अपने विश्वसियों के साथ पिता और पुत्र का रिश्ता स्थपित किया है, और आज अपने पुत्र-पुत्रियों की प्रार्थनाएं को लालायित रहता है। वह चाहता है कि हम प्रार्थना में उसके सम्मुख आएं, उससे बात-चीत करें; उससे अपने दिल की कहें, उसके दिल की सुनें। वह चाहता है कि हम उसे "हे पिता" कह कर संबोधित करें। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

हम मसीही विश्वासियों का सबसे बड़ा विशेषाधिकार है परमेश्वर के साथ वार्तालाप कर पाना।

उस ने उन से कहा; जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो: हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए। - लूका ११:२
 
बाइबल पाठ: लूका ११:१-१३
    Luk 11:1  फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था: और जब वह प्रार्थना कर चुका, तो उसके चेलों में से एक ने उस से कहा; हे प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखलाया वैसे ही हमें भी तू सिखा दे।
    Luk 11:2  उस ने उन से कहा; जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो: हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए।
    Luk 11:3  हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।
    Luk 11:4  और हमारे पापों को क्षमा कर, क्‍योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला।
    Luk 11:5  और उस ने उन से कहा, तुम में से कौन है कि उसका एक मित्र हो, और वह आधी रात को उसके पास आकर उस से कहे, कि हे मित्र, मुझे तीन रोटियां दे।
    Luk 11:6  क्‍योंकि एक यात्री मित्र मेरे पास आया है, और उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है।
    Luk 11:7  और वह भीतर से उत्तर दे, कि मुझे दुख न दे; अब तो द्वार बन्‍द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिये मैं उठ कर तुझे दे नहीं सकता;
    Luk 11:8  मैं तुम से कहता हूं, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, तौभी उस के लज्ज़ा छोड़ कर मांगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठ कर देगा।
    Luk 11:9  और मैं तुम से कहता हूं कि मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ों तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
    Luk 11:10  क्‍योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
    Luk 11:11  तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्र रोटी मांगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली मांगे, तो मछली के बदले उसे सांप दे?
    Luk 11:12  या अण्‍डा मांगे तो उसे बिच्‍छू दे?
    Luk 11:13  सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़के-बालों को अच्‍छी वस्‍तुऐं देना जानते हो, तो स्‍वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्‍यों न देगा?
 
एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत ४-५ 
  • गलतियों ३

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

बचाव द्वारा शान्ति

   अपनी पुस्तक The Heavenly Octave में लेखक बोरहेम ने लिखा, "आदर्श मेल-मिलाप कराने वाला वह है जो शान्ति को भंग ही नहीं होने देता है। युद्ध जीतने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसे आरंभ ही ना होने दो।" एक यहूदी धर्म-गुरू ने बोरहेम को यहूदी विवाह में करी जाने वाली एक रस्म के बारे में बताया; उसने कहा, "हम नव-दंपति के सामने एक काँच का ग्लास ऊंचा उठाकर छोड़ देते हैं और वह गिरकर टुकड़े टुकड़े होकर बिखर जाता है। उन टूटे टुकड़ों की ओर इशारा कर के हम उनसे कहते हैं कि इस पवित्र रिशते की, जिसमें तुम बन्धे हो, पूरी सावधानी और मेहनत से रक्षा करना, क्योंकि एक बार यह टूटा तो फिर उसे कभी पहले जैसा नहीं बनाया जा सकता।"

   उस स्वर्गीय राज्य के निवासी होने के नाते, जिसका शासन "शान्ति के राज्कुमार" के हाथों में है, हम मसीही विश्वासियों को भी यथासंभव शान्ति का जीवन जीना चाहिए - विशेषकर अपने परिवार के लोगों के साथ। लेकिन यह हमेशा आसान नहीं होता। विश्वास और शान्ति का यह कमज़ोर धागा बड़ी आसानी से टूट सकता है, और फिर घर में कलह और अशान्ति का राज्य बना रहता है। ऐसा होने से बचने के लिए हमें आपसी विश्वास का आदर बनाए रखना चाहिए, एक दूसरे के साथ प्रेम पूर्ण संबंध विकसित करते रहना चाहिए और एक दूसरे के भले की चाह में लगे रहना चाहिए।

   हमें मेल-मिलाप करने वाले बनना चाहिए। हमारे प्रभु यीशु ने भी यही शिक्षा दी, उन्होंने अपने चेलों से कहा है "धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे" (मत्ती ५:९)।

   परिवार, पड़ौस, समाज, कार्यस्थल या मण्डली, कहीं भी हो, इससे पहले कि कलह बढ़कर संबंधों में विछेद और स्थाई बरबादी ले आए, हम मसीही विश्वासियों को हर स्थान और परिस्थिति में शान्ति स्थापित करने के मार्गों के खोजी और समस्याओं का समाधान ढूंढने वाला बनना चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम अपने आप को जाँचने की आवश्यक्ता है कि कहीं हम ही तो कलह के कारण नहीं; अथवा कहीं हमारे व्यवहार के कारण ही तो आपसी मतभेद नहीं बढ़ रहे?

   मेल-मिलाप कराने वाला व्यक्ति कलह के आरंभ हो पाने ही को रोक देने के द्वारा शान्ति बनाए रखने वाला व्यक्ति होता है। - डेव एग्नर


कलह को कभी निमंत्रण न दें; वह हर निमंत्रण तुरंत स्वीकार कर लेता है।
 
धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे। - मत्ती ५:९
 
बाइबल पाठ: भजन ३७:१-११
    Psa 37:1  कुकर्मियों के कारण मत कुढ़, कुटिल काम करने वालों के विषय डाह न कर!
    Psa 37:2  क्योंकि वे घास की नाईं झट कट जाएंगे, और हरी घास की नाई मुर्झा जाएंगे।
    Psa 37:3  यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर; देश में बसा रह, और सच्चाई में मन लगाए रह।
    Psa 37:4  यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को मूरा करेगा।
    Psa 37:5  अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़, और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा।
    Psa 37:6  और वह तेरा धर्म ज्योति की नाई, और तेरा न्याय दोपहर के उजियाले की नाई प्रगट करेगा।
    Psa 37:7  यहोवा के साम्हने चुपचाप रह, और धीरज से उसका आसरा रख; उस मनुष्य के कारण न कुढ़, जिसके काम सफल होते हैं, और वह बुरी युक्तियों को निकालता है!
    Psa 37:8  क्रोध से परे रह, और जलजलाहट को छोड़ दे! मत कुढ़, उस से बुराई ही निकलेगी।
    Psa 37:9  क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएंगे और जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वही पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
    Psa 37:10  थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; और तू उसके स्थान को भलीं भांति देखने पर भी उसको न पाएगा।
    Psa 37:11  परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत १-३ 
  • गलतियों २

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

प्रसन्नता और पवित्रता

   चर्च में बैठकर एक लंबे प्रचार को सुनने के बाद जब एक बालक झुंझलाया हुआ बाहर निकला, उसका चेहरा तमतमाया हुआ था; कारण था कि लंबे उपदेश को सुनते सुनते वह ऊब कर इधर-उधर ताक-झांक कर रहा था, और उसे नियंत्रण में रखने के लिए उसके पिता ने उसके कान उमेठा था। उसे देख कर चर्च के एक पदाधिकारी ने उससे पूछा, "क्या हुआ? तुम दुखी प्रतीत होते हो?" बालक ने उत्तर दिया, "जी हाँ, मैं दुखी हुँ। मुझे लगता है कि प्रसन्नता और पवित्रता, दोनो को एक साथ पा लेना कठिन है।"

   शायद उस बालक ने हम में से अधिकांश लोगों की भावना को व्यक्त किया था; लेकिन यह धारणा सही नहीं है। दक्षिण अफ्रीका में १९वीं सदी में कार्य करने वाले प्रचारक एन्ड्रयु मुरे ने इस सन्दर्भ में कहा, "सच्चे आनन्द के लिए पवित्रता अनिवार्य है; और सच्ची पवित्रता के लिए प्रसन्नता अनिवार्य है। यदि आप आनन्द चाहते हैं, आनन्द की भरपूरी चाहते हैं, एक ऐसा स्थाई आनन्द चाहते हैं जो कभी नष्ट नहीं हो सकता, तो जैसा परमेश्वर पवित्र है, आप भी पवित्र बनिए। पवित्र होना, आशीशित होना है; यदि आप पवित्र मसीही विश्वासी बनना चाहते हैं तो सर्वदा आनन्दित रहने वाले मसीही विश्वासी बन जाईए। परमेश्वर ने मसीह यीशु को आनन्द के तेल से अभिषिक्त किया, और वह भी अपने सब अनुयायियों को उसी से अभिषेक करता है। प्रभु यीशु के आनन्द को हमारे जीवनों में उसकी पवित्रता के साथ संचार करते रहना चाहिए। यदि उसके आनन्द का यह तेल हमारे जीवनों में नहीं है, तो पवित्रता के प्रयास की हमारी गाड़ी को चलने में बहुत कठिनाई होगी।

   जब हम पवित्रता और प्रसन्नता के इस संबंध को भली भांति सीख जाएंगे, हम आत्मिक परिपक्वता में और आगे बढ़ जाएंगे। - डेव एग्नर



जो पवित्र है, वह आनन्दित भी है।

धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे। - मत्ती ५:८
 
बाइबल पाठ: १ पतरस १:१३-२२
    1Pe 1:13  इस कारण अपनी अपनी बुद्धि की कमर बान्‍ध कर, और सचेत रह कर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखो, जो यीशु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलने वाला है।
    1Pe 1:14  और आज्ञाकारी बालकों की नाईं अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो।
    1Pe 1:15  पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो।
    1Pe 1:16  क्‍योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्‍योंकि मैं पवित्र हूं।
    1Pe 1:17  और जब कि तुम, हे पिता, कह कर उस से प्रार्थना करते हो, जो बिना पक्षपात हर एक के काम के अनुसार न्याय करता है, तो अपने परदेशी होने का समय भय से बिताओ।
    1Pe 1:18  क्‍योंकि तुम जानते हो, कि तुम्हारा निकम्मा चाल-चलन जो बाप-दादों से चला आता है उस से तुम्हारा छुटकारा चान्‍दी सोने अर्थात नाशमान वस्‍तुओं के द्वारा नहीं हुआ।
    1Pe 1:19  पर निर्दोष और निष्‍कलंक मेम्ने अर्थात मसीह के बहुमूल्य लोहू के द्वारा हुआ।
    1Pe 1:20  उसका ज्ञान तो जगत की उत्‍पत्ति के पहिले ही से जाना गया था, पर अब इस अन्‍तिम युग में तुम्हारे लिये प्रगट हुआ।
    1Pe 1:21  जो उसके द्वारा उस परमेश्वर पर विश्वास करते हो, जिस ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, और महिमा दी; कि तुम्हारा विश्वास और आशा परमेश्वर पर हो।
    1Pe 1:22  सो जब कि तुम ने भाई-चारे की निष्‍कपट प्रीति के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया है, तो तन मन लगा कर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक १०-१२ 
  • गलतियों १

बुधवार, 21 सितंबर 2011

आदर्श एवं यथार्थ

   पत्रकार सिडनी हैरिस ने व्यर्थ आदर्शवाद के नकारात्मक परिणामों के बारे में एक अन्य लेखक के उदाहरण द्वारा समझाया। जब हैरिस ने पहले-पहल उस लेखक की रचनाओं को पढ़ा तो उन्हें वह बहुत आकर्षक लगा, हैरिस ने कहा कि "उस लेखक के विचार ऐसे थे मानो जैसे बदबूदार कमरे में खुशबू का झोंका आया हो। मानवता, पारिवारिक संबंधों, सामाजिक संबंधों, बच्चों, जानवरों और फुल-पौधों - सभी पर उनके विचार बहुत उत्तम और आदर्शपूर्ण थे।" लेकिन दुख की बात यह थी कि यह आदर्शवादिता उस लेखक के व्यक्तिगत जीवन के व्यवहार में ज़रा भी नहीं थी। अपने घर में वह व्यक्ति अपनी पत्नि के प्रति क्रूर और अपने बच्चों के लिए आतंक था। उसका आदर्शवाद का प्रचार केवल दूसरों के लिए था, इसलिए व्यर्थ था।

   अपने पहाड़ी उपदेश में प्रभु यीशु ने सिखाया कि कैसे आदर्शों को यथार्थ के साथ व्यावाहरिक जीवन में लागू करना चाहिए। उन्होंने समझाया कि कैसे हम व्यावाहरिक जीवन के प्रति सही रवैया रखें जिससे जीवन जैसा है और जैसा होना चाहिए, इन दोनो बातों में कोई विरोधाभास नहीं हो। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हम अपने आदर्शों को लेकर इतने अव्यावाहरिक तथा कट्टर भी न हो जाएं कि अपने आस-पास के लोगों से अनुचित और असंभव उम्मीदें रखने लगें।

   प्रभु यीशु ने अपने जीवन के उदाहरण द्वारा सिखाया कि आदर्श और यथार्थ में संतुलन बना कर रखें - जो सिद्ध अथवा योग्य नहीं भी हों उनके साथ भी सदा धैर्य, प्रेम तथा सहिषुणता का व्यवहार करें। उन्होंने सिखाया कि हमें सत्य के साथ तो बने रहना है, किंतु दया और करुणा का साथ भी नहीं छोड़ना है।

   यदि हम प्रभु यीशु के उदाहरण का अनुसरण करेंगे तो हम सर्वोच्च आदर्शों को भी थामे रहेंगे तथा संसार के यथार्थ से भी मुँह नहीं छुपाएंगे; अपितु प्रभु यीशु के समान हमारे हृदय सदा प्रेम से भरे और हम प्रेम से व्यवहार करने वाले होंगे। - मार्ट डी हॉन


एक धर्मी हृदय में करुणा के लिए बहुत स्थान रहता है।
 
धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्‍योंकि उन पर दया की जाएगी। - मत्ती ५:७
 
बाइबल पाठ: मत्ती ५:१-१२
    Mat 5:1  वह इस भीड़ को देख कर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए।
    Mat 5:2  और वह अपना मुंह खोल कर उन्‍हें यह उपदेश देने लगा,
    Mat 5:3  धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
    Mat 5:4  धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्‍योंकि वे शांति पाएंगे।
    Mat 5:5  धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्‍योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
    Mat 5:6  धन्य हैं वे जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएंगे।
    Mat 5:7  धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्‍योंकि उन पर दया की जाएगी।
    Mat 5:8  धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
    Mat 5:9  धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
    Mat 5:10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
    Mat 5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
    Mat 5:12 आनन्‍दित और मगन होना क्‍योंकि तुम्हारे लिये स्‍वर्ग में बड़ा फल है; इसलिये कि उन्‍होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
 
एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक ७-९ 
  • २ कुरिन्थियों १३

मंगलवार, 20 सितंबर 2011

पवित्रता द्वारा आनन्द

   कुछ लोग मानते हैं कि सभी नियमों को ताक पर रखने, हर एक नियंत्रण से निकल जाने और अपनी मन मरज़ी ही कर पाने में सच्चा आनन्द है। उनकी धारणा है कि जब नियम और कानून ही नहीं होंगे तो सही-गलत में फर्क करने और निर्णय लेने का झंझट भी नहीं रहेगा। ऐसे ही धारणा रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, "मेरे लिए यह ज़्यादा ज़रूरी है कि मैं अपने जीवन का आनन्द लूँ न कि यह कि मैं सही-गलत के झंझट में पड़ा रहूँ। यह बात मैंने अपने सात वर्षीय पुत्र के साथ अपने संबंध द्वारा भली भांति समझ ली है। मैंने देखा है कि बार बार उसे कहना कि वह गलत है, सदा ही हमारे बीच अलगाव और दुखः उत्पन्न करता है।" संभवतः इस व्यक्ति ने कभी अपने पुत्र को यह समझने का प्रयास नहीं किया होगा कि वह गलत क्यों है और गलती के क्या परिणाम और नुकसान हो सकते हैं, बस केवल रौब मारकर या डांट-डपट कर ही अपनी बात व्यक्त करी होगी।

   यदि संसार में सभी इसी धारणा के अन्तर्गत अपने जीवन व्यतीत करने लगें तो आप स्वयं समझ सकते हैं कि संसार का क्या हाल हो जाएगा। वास्तविकता तो यह है कि हम जितना अधिक नियमों का पालन करते हैं, उतने ही अधिक स्वतंत्र और आनन्दित रहते हैं। यदि आपके पास वैद लाईसेंस है, आपकी गाड़ी के कागज़ात पूरे और सही हैं, आप यातयात के नियमों के पालन के साथ गाड़ी चला रहें है तो यदि मार्ग में कोई पुलिस वाला आपको रोके तो आप बिना हिचकिचाए, उससे नज़रें मिलाकर बात कर लेते हैं, किंतु यदि इन में से किसी एक में भी कोई कमी होगी तो आप ऐसा नहीं कर सकेंगे, आशंकित रहेंगे। इसी प्रकार जब तक वायुयान उड़ान के नियमों का पालन करता रहता है, वह अपनी उड़ान सरलता से भरता रहता है; जहाँ नियमों की अवहेलना हुई, विमान का और दूसरों का भारी नुकसान हो जाता है।

   यही बात नैतिक जीवन और नियमों पर भी लागू होती है। यदि हम अपने जीवन में पवित्रता और नैतिकता को लक्षय बनाए रखेंगे तो स्वतः ही जीवन में आनन्द भी मिलता रहेगा; किंतु यदि आनन्द प्राप्ति के लिए नैतिक मूल्यों और नियमों की अवहेलना करेंगे तो ना ही अनन्द रहेगा और ना ही जीवन। पाप, जो परमेश्वर के नियमों का उल्लंघन है, हमारे हर दुखः की जड़ और और हर परेशानी का कारण है। सांसारिक तथा शारीरिक आनन्द कुछ समय के लिए तो हमें बहला सकते हैं, लेकिन हमारी आत्मा को ना तो सन्तुष्ट कर सकते हैं और ना ही स्थाई होते हैं; और अधिकांशतः उनकी प्राप्ति के लिए नैतिक मूल्यों के साथ समझौता करना पड़ता है, जो अशांति को और बढ़ाता रहता है। पाप हमें परमेश्वर की संगति से दूर करता है और हमारे जीवन और आत्मा को उस सच्चे और चिरस्थाई आनन्द से वंचित करता है जो परमेश्वर की संगति से मिलता है। पवित्रता परमेश्वर की संगति से आती है, परमेश्वर से मिलती है। परमेश्वर का वचन हमें आश्वासन देता है कि "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (१ युहन्ना १:९)।

   पाप को छुपाना या किसी प्रकार उसे ढांपने का प्रयास करना पाप का निवारण नहीं है। पाप केवल अंगीकार और क्षमा द्वारा हट सकता है। क्योंकि हर पाप अन्ततः परमेश्वर के विरुद्ध ही होता है, उसे क्षमा करने और उसके दुष्प्रभाव को हटा कर सच्चे आनन्द को प्रदान करना भी परमेश्वर के ही हाथ में है। परमेश्वर ने यह संभव करने के लिए ही प्रभु यीशु को सबके पापों के लिए बलिदान होने भेजा, कि उसमें होकर पापों की क्षमा मांगने वाले को पवित्रता और सच्चा आनन्द मिल सके। - डेनिस डी हॉन


केवल पाप ही है जो मसीही विश्वासी के आनन्द को नष्ट कर सकता है।

धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं क्योंकि वे तृप्त किए जाएंगे। - मत्ती ५:६
 
बाइबल पाठ: भजन ३२:१-११
    Psa 32:1  क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ांपा गया हो।
    Psa 32:2  क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
    Psa 32:3  जब मैं चुप रहा तक दिन भर कहरते कहरते मेरी हडि्डयां पिघल गई।
    Psa 32:4  क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
    Psa 32:5  जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा, तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
    Psa 32:6  इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी।
    Psa 32:7  तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।
    Psa 32:8  मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा।
    Psa 32:9  तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
    Psa 32:10  दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा।
    Psa 32:11  हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!
 
एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक ४-६ 
  • २ कुरिन्थियों १२

सोमवार, 19 सितंबर 2011

नम्रता कमज़ोरी है?

   अधिकतर लोग नम्रता को कमज़ोरी के रूप में देखते हैं. लेकिन यह सच नहीं है। वास्तव में विनम्र होने के लिए बहुत सामर्थ चाहिए होती है, क्योंकि विनम्र लोग अन्य लोगों के समान न तुरंत पलटवार करते हैं और न बदला लेने की चाह में रहते हैं। वे बिना कुड़कुड़ाए, अपशबद बोले या अपने हाव-भाव द्वारा कोई कटुता दिखाए निन्दा सह लेते हैं; वे हर परिस्थिति के लिए और हर परिस्थिति में - भली हो या बुरी, परमेश्वर के धन्यवादी रहते हैं तथा उसके आधीन बने रहते हैं। ऐसे संयम को बनाए रखना हर किसी के बस की बात नहीं है और ना ही यह मात्र मानवीय समर्थ से संभव है। क्योंकि विनम्र लोग संसार के आम लोगों के समान प्रत्युत्तर नहीं देते और ना ही व्यवहार करते हैं इसलिए संसार के लोग समझते हैं कि उन को दबा लेना या उन पर हावी होकर अपने लिए प्रयोग कर लेना आसान है; किंतु सच्ची नम्रता कमज़ोरी नहीं है। इसके विपरीत यदि नम्रता स्वार्थ सिधि का मार्ग या जीवन में समझौते करने और पाप में पड़ने का माध्यम बन जाए तो अवश्य कमज़ोरी बन जाती है।

   परमेश्वर का वचन पवित्र बाइबल जिस नम्रता की बात करती है, वह कोई कमज़ोरी नहीं वरन एक सामर्थी सद्गुण है जो हमें प्रभु यीशु में देखने को मिलता है। प्रभु यीशु परमेश्वर का प्रतिरूप थे, परमेश्वरत्व की सारी सामर्थ उनमें विद्यमान थी, उनके वचन में हर कार्य को कर देने की सामर्थ थी लेकिन उनहोंने कभी अपनी इस सामर्थ का प्रयोग अपने लिए अथवा किसी स्वार्थ सिधि के लिए नहीं किया। दूसरों ने उनके साथ चाहे जैसा भी बर्ताव किया हो, वे सदा ही दूसरों की भलाई में ही लगा रहे। वे सदा परमेश्वर पिता को भी समर्पित रहे, सदा उनका आज्ञाकारी रहे। परमेश्वर पिता के प्रति उनका समपूर्ण विश्वास, समर्पण और आज्ञाकारिता ही थे जिनके द्वारा वे हर परिस्थिति में साहसी, हरेक व्यक्ति के प्रति करुणामय, पाप और बुराई से कभी कैसा भी समझौता न करने वाले और समस्त संसार के पापों के लिए आत्मबलिदान करने वाले बन सके।

   ऐसी सच्ची नम्रता परमेश्वर के प्रति सच्चे समर्पण तथा मन के अन्दर बसी और बनी भलाई की भावना से ही आती है; और यह भलाई परमेश्वर के साथ बने रहने से आती है, इसीलिए सच्ची नम्रता परमेश्वर की संगति का नतीजा है। जहाँ परमेश्वर की संगति होगी, वहाँ परमेश्वर की सामर्थ भी होगी; और जो परमेश्वर की सामर्थ से होगा वह ना कभी कमज़ोरी हो सकता और ना ही कमज़ोर बना सकता है। - मार्ट डी हॉन


सेवा करने के लिए काबू में ली गई सामर्थ ही नम्रता है।

धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्‍योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। - मत्ती ५:५

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१-११
    Php 2:1  सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
    Php 2:2  तो मेरा यह आनन्‍द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
    Php 2:3  विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो।
    Php 2:4  हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे।
    Php 2:5  जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
    Php 2:6  जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा।
    Php 2:7  वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
    Php 2:8  और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
    Php 2:9  इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्‍ठ है।
    Php 2:10  कि जो स्‍वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
    Php 2:11  और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक १-३ 
  • २ कुरिन्थियों ११:१६-३३

रविवार, 18 सितंबर 2011

सामर्थ का रहस्य

   सदा अपने पाप के बारे में सोचते ही रहना तथा अपनी खामियों के लिए हर समय विलाप करते रहना न स्वयं को न दुसरों को अच्छा लगता है। लेकिन पापों को हलके में भी नहीं लेना चाहिए। पवित्र परमेश्वर के नैतिक नियमों की अवहेलना तथा उल्लंघन अति गंभीर बात है। जीवन में पाप की भयानकता और दुषप्रभावों को कभी कमतर कर के नहीं आंकना चाहिए।

   स्कॉटलैंड के जाने-माने प्रचारक रौबर्ट मैक्चेन की मृत्योपरांत एक पादरी उनके शहर में आया। मैक्चेन की सेवकाई से बहुत से लोगों ने अपने पापों से पश्चाताप कर के प्रभ यीशु को अपने व्यक्तिगत उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण किया था। यह पादरी मैक्चेन के ऐसे प्रभावी प्रचार के रहस्य को जानना चाहता था। जिस चर्च से मैक्चेन सेवकाई करते थे, वहाँ के सेवादार ने उस पादरी को मैक्चेन की कुर्सी-मेज़ दिखाई और उनसे कहा, "आप इस कुर्सी पर बैठिए", पादरी बैठ गए; सेवादार ने फिर कहा, "अब अपनी कोहनियाँ मेज़ पर रखिए और अपना सिर अपने हाथों से पकड़ लीजिए", पादरी ने वैसा ही किया; सेवादर ने आगे कहा, "अब पश्चाताप के अपने आँसुओं को अविराल बहने दीजिए, मैक्चेन यही किया करते थे।" फिर सेवादार उस पादरी को चर्च के आगे के भाग में ले गया जहाँ पर वह मंच था जिस से मैक्चेन प्रचार करते थे। सेवादार ने पादरी से कहा, "अपनी कोहनियाँ मंच पर टिकाइए, अपने हाथों से अपने मुँह को पकड़ लीजिए और पश्चाताप के अपने आँसुओं को अविराल बहने दीजिए; मैक्चेन यही किया करते थे।"

   मैक्चेन का स्वभाव था कि वे अपने तथा अपने लोगों के पापों के लिए बेझिझक रोते और पश्चाताप करते थे। पाप के प्रति इस प्रकार कायल रहने ने उन्हें परमेश्वर के सामने दीन और नम्र रखा और परमेश्वर की सामर्थ उनमें हो कर अति प्रभावी रूप से कार्य कर सकी। इसकी तुलना में, पाप के प्रति अकसर हमारा रवैया ढिटाई का होता है। हमें अपने जीवन में पाप के लिए परमेश्वर की पवित्र आत्मा की आवाज़ के प्रति और अधिक संवेदनशील तथा पापमय व्यवहार से अलगाव का जीवन जीने को तत्पर और तैयार रहना चाहिए।

   हम परमेश्वर की क्षमा करने की प्रवृति में आनन्दित तो रह सकते हैं, लेकिन साथ ही हमें पापों के लिए पश्चातापी और शोकित भी रहना चाहिए। यही परमेश्वर के लिए सामर्थी और प्रभावी जीवन का रहस्य है। - डेव एग्नर

कलवरी पर प्रभु यीशु का क्रूस इस बात का प्रमाण है कि पाप परमेश्वर को परेशान करता है; क्या आप भी पाप से परेशान होते हैं?

धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्‍योंकि वे शांति पाएंगे। - मत्ती ५:४

बाइबल पाठ: दानिएल ९:१-१९
     Dan 9:1  मादी क्षयर्ष का पुत्र दारा, जो कसदियों के देश पर राजा ठहराया गया था,
    Dan 9:2  उसके राज्य के पहिले वर्ष में, मुझ दानिय्येल ने शास्त्र के द्वारा समझ लिया कि यरूशलेम की उजड़ी हुई दशा यहोवा के उस वचन के अनुसार, जो यिर्मयाह नबी के पास पहुंचा था, कुछ वर्षों के बीतने पर अर्थात सत्तर वर्ष के बाद पूरी हो जाएगी।
    Dan 9:3  तब मैं अपना मुख परमेश्वर की ओर कर के गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करने लगा, और उपवास कर, टाट पहिन, राख में बैठ कर वरदान मांगने लगा।
    Dan 9:4  मैं ने अपने परमेश्वर यहोवा से इस प्रकार प्रार्थना की और पाप का अंगीकार किया, हे प्रभु, तू महान और भययोग्य परमेश्वर है, जो अपने प्रेम रखने और आज्ञा मानने वालों के साथ अपनी वाचा को पूरा करता और करूणा करता रहता है,
    Dan 9:5  हम लोगों ने तो पाप, कुटिलता, दुष्टता और बलवा किया है, और तेरी आज्ञाओं और नियमों को तोड़ दिया है।
    Dan 9:6  और तेरे जो दास नबी लोग, हमारे राजाओं, हाकिमों, पूर्वजों और सब साधारण लोगों से तेरे नाम से बातें करते थे, उनकी हम ने नहीं सुनी।
    Dan 9:7  हे प्रभु, तू धर्मी है, परन्तु हम लोगों को आज के दिन लज्जित होना पड़ता है, अर्थात यरूशलेम के निवासी आदि सब यहूदी, क्या समीप क्या दूर के सब इस्राएली लोग जिन्हें तू ने उस विश्वासघात के कारण जो उन्होंने तेरा किया था, देश देश में बरबस कर दिया है, उन सभों को लज्जित होना पड़ता है।
    Dan 9:8  हे यहोवा हम लोगों ने अपने राजाओं, हाकिमों और पूर्वजों समेत तेरे विरूद्ध पाप किया है, इस कारण हम को लज्जित होना पड़ता है।
    Dan 9:9  परन्तु, यद्यपि हम अपने परमेश्वर प्रभु से फिर गए, तौभी तू दयासागर और क्षमा की खान है।
    Dan 9:10  हम तो अपने परमेश्वर यहोवा की शिक्षा सुनने पर भी उस पर नहीं चले जो उस ने अपने दास नबियों से हमको सुनाई।
    Dan 9:11  वरन सब इस्राएलियों ने तेरी व्यवस्था का उल्लंघन किया, और ऐसे हट गए कि तेरी नहीं सुनी। इस कारण जिस शाप की चर्चा परमेश्वर के दास मूसा की व्यवस्था में लिखी हुई है, वह शाप हम पर घट गया, क्योंकि हम ने उसके विरूद्ध पाप किया है।
    Dan 9:12  सो उस ने हमारे और न्यायियों के विषय जो वचन कहे थे, उन्हें हम पर यह बड़ी विपत्ति डाल कर पूरा किया है; यहां तक कि जैसी विपत्ति यरूशलेम पर पड़ी है, वैसी सारी धरती पर और कहीं नहीं पड़ी।
    Dan 9:13  जैसे मूसा की व्यवस्था में लिखा है, वैसे ही यह सारी विपत्ति हम पर आ पड़ी है, तौभी हम अपने परमेश्वर यहोवा को मनाने के लिये न तो अपने अधर्म के कामों से फिरे, और ने तेरी सत्य बातों पर ध्यान दिया।
    Dan 9:14  इस कारण यहोवा ने सोच विचार कर हम पर विपत्ति डाली है; क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा जितने काम करता है उन सभों में धर्मी ठहरता है; परन्तु हम ने उसकी नहीं सुनी।
    Dan 9:15  और अब, हे हमारे परमेश्वर, हे प्रभु, तू ने अपनी प्रजा को मिस्र देश से, बली हाथ के द्वारा निकाल लाकर अपना ऐसा बड़ा नाम किया, जो आज तक प्रसिद्ध है, परन्तु हम ने पाप किया है और दुष्टता ही की है।
    Dan 9:16  हे प्रभु, हमारे पापों और हमारे पुरखाओं के अधर्म के कामों के कारण यरूशलेम की और तेरी प्रजा की, और हमारे आस पास के सब लोगों की ओर से नामधराई हो रही है; तौभी तू अपने सब धर्म के कामों के कारण अपना क्रोध और जलजलाहट अपने नगर यरूशलेम पर से उतार दे, जो तेरे पवित्र पर्वत पर बसा है।
    Dan 9:17  हे हमारे परमेश्वर, अपने दास की प्रार्थना और गिड़गड़ाहट सुन कर, अपने उजड़े हुए पवित्रस्थान पर अपने मुख का प्रकाश चमका; हे प्रभु, अपने नाम के निमित्त यह कर।
    Dan 9:18  हे मेरे परमेश्वर, कान लगा कर सुन, आंख खोल कर हमारी उजड़ी हुई दशा और उस नगर को भी देख जो तेरा कहलाता है; क्योंकि हम जो तेरे साम्हने गिड़गिड़ा कर प्रार्थना करते हैं, सो अपने धर्म के कामों पर नहीं, वरन तेरी बड़ी दया ही के कामों पर भरोसा रख कर करते हैं।
    Dan 9:19  हे प्रभु, सुन ले; हे प्रभु, पाप क्षमा कर; हे प्रभु, ध्यान देकर जो करता है उसे कर, विलम्ब न कर; हे मेरे परमेश्वर, तेरा नगर और तेरी प्रजा तेरी ही कहलाती है, इसलिये अपने नाम के निमित्त ऐसा ही कर।
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन ३०-३१ 
  • २ कुरिन्थियों ११:१-१५

शनिवार, 17 सितंबर 2011

"उड़ाऊ पुत्र" का स्वरूप

   पापियों के प्रति परमेश्वर के प्रेम को समझाने के लिए प्रभु यीशु द्वारा कही गई "उड़ाऊ पुत्र" की नीतिकथा (लूका १५:११-३२) एक प्रचलित उदाहरण रही है। इस नीतिकथा में एक पुत्र अपने पिता से संपत्ति का अपना भाग लेकर अलग हो जाता है, और उस संपत्ति को व्यर्थ और दुराचारी जीवन में उड़ा देता है। सम्पत्ति के समाप्त हो जाने पर जब वह अकेला पड़ जाता है और बदहाल हो जाता है तो अपने व्यवहार और किये पर पश्चातापी मन के साथ अपनी उसी बदहाल दशा में अपने पिता के पास लौटता है, जो आनन्द के साथ उसे स्वीकार कर के परिवार में उसे पुनः यथास्थान स्थापित कर देता है।

   एक चित्रकार ने इस कथा पर चित्र बनाना चाहा। उसे एक ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जिस के स्वरूप पर वह उड़ाऊ पुत्र के बदहाल स्वरूप को चित्रित कर सके। मार्ग पर चलते समय उसे एक भिखारी बहुत ही बदहाल स्वरूप में दिखाई दिया, और चित्रकार ने उसे अपनी चित्रशाला में आकर चित्र बनाने के लिए नमुना बनने का निमंत्रण दिया। अगले दिन जब वह भिखारी उसकी चित्रशाला में पहुँचा तो उसका स्वरूप बदला हुआ था - वह नहा-धो कर, अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी साफ करवा कर, बाल बना कर, साफ-सुथरे कपड़े पहन कर चित्रकार के समने प्रस्तुत हुआ था। इस हाल में उसे देख कर चित्रकार विस्मय से बोल उठा, "नहीं, ऐसे नहीं, अब इस स्वरूप में मैं तुम्हें प्रयोग नहीं कर सकता।"

   परमेश्वर भी हमें वैसा ही चाहता है, जैसे उड़ाऊ पुत्र अपने पिता के पास आया था - अपनी बदहाल दशा में। यह विचित्र और विनम्र करने वाला अनुभव है, लेकिन यदि हम अपनी ही धार्मिकता और भलाई द्वारा स्वच्छ तथा परमेश्वर को ग्रहणयोग्य होने का प्रयास करते हैं, तो यह परमेश्वर के सामने व्यर्थ है। परमेश्वर की धार्मिकता, भलाई और स्वच्छता - जिसे हमें प्रदान करने के लिए प्रभु यीशु ने अपने प्राण क्रूस पर बलिदान कर दिए, हमें केवल अपने पापों के लिए हमारे पश्चाताप और क्षमा आग्रह द्वारा ही उपलब्ध होती है, हमारे किन्ही कर्मों के द्वारा नहीं।

   प्रभु यीशु के समय में मन्दिर में सेवकाई करने वाले शास्त्री और फरीसी बहुत कड़ाई से अपनी धर्म-व्यवस्था का पालन करते थे। वे समझते थे कि परमेश्वर उनसे प्रसन्न है क्योंकि उन्होंने अपने आप को "स्वच्छ" रखा हुआ है। जब उन्होंने प्रभु यीशु को ऐसे लोगों के साथ संगति करते और उनके घर जाकर भोजन लेते देखा जो उनकी नज़रों में "अशुद्ध" और "दुष्ट" थे तो उन्हें यह बहुत नागवार गुज़रा, और वे प्रभु यीशु के विरुद्ध कुड़कुड़ाने लगे। लेकिन प्रभु यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, "मैं धमिर्यों को नहीं, परन्‍तु पापियों को मन फिराने के लिये बुलाने आया हूं" (लूका ५:३२)। प्रभु यीशु का यह कहना वास्तव में उनके स्वधार्मिक व्यवहार और उस पर उन के घमण्ड पर किया गया कटाक्ष था। उन स्वधर्मी लोगों को भी अपने जीवन में छुपे पाप का अंगीकार करने की आवश्यक्ता थी, जिसे परमेश्वर भली भांति जानता था। यदि वे पश्चाताप करते तो प्रभु यीशु उन्हें भी ग्रहण कर लेते।

   परमेश्वर नहीं चाहता कि कोई भी पाप में नाश हो; "वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें" (१ तिमुथियुस २:४)। वह सब को पाप क्षमा देना चाहता है, यदि वे अपने पाप के अंगीकार और उससे क्षमा प्रार्थना के लिए तैयार हों। जैसे उड़ाऊ पुत्र, जैसा वह था अपने पिता के पास लौट आया, और पिता से सब कुछ पा लिया, वैसे ही आप भी भी जैसे हैं, प्रभु यीशु के नाम से परमेश्वर की ओर लौट आईये, आप भी उद्धार, अनन्त जीवन का अननत आनन्द, परमेश्वर की संगति और उसके राज्य में प्रवेश के भागीदार हो जाएंगे। - डेनिस डी हॉन


संसार में धनी होने की बजाए परमेश्वर के राज्य में धनी होना कहीं बेहतर है।

धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है। - मत्ती ५:३
 
बाइबल पाठ: लूका १५:११-२४
    Luk 15:11  फिर उस ने कहा, किसी मनुष्य के दो पुत्र थे।
    Luk 15:12  उन में से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए। उस ने उन को अपनी संपत्ति बांट दी।
    Luk 15:13  और बहुत दिन न बीते थे कि छुटका पुत्र सब कुछ इकट्ठा कर के एक दूर देश को चला गया और वहां कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी।
    Luk 15:14  जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया।
    Luk 15:15  और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहां जा पड़ा: उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा।
    Luk 15:16  और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्‍हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था।
    Luk 15:17  जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, कि मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहां भूखा मर रहा हूँ।
    Luk 15:18  मैं अब उठ कर अपने पिता के पास जाऊंगा और उस से कहूंगा कि पिता जी मैं ने स्‍वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्‍टि में पाप किया है।
    Luk 15:19  अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले।
    Luk 15:20  तब वह उठ कर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देख कर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा।
    Luk 15:21  पुत्र न उस से कहा; पिता जी, मैं ने स्‍वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्‍टि में पाप किया है, और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं।
    Luk 15:22  परन्‍तु पिता ने अपने दासों से कहा, फट अच्‍छे से अच्‍छा वस्‍त्र निकाल कर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ।
    Luk 15:23  और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्‍द मनावें।
    Luk 15:24  क्‍योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्‍द करने लगे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन २७-२९ 
  • २ कुरिन्थियों १०

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

प्रलोभन और परीक्षा

   यद्यपि प्रलोभन और परीक्षा अधिकांशतः साथ ही आते हैं, दोनो में फर्क की एक महीन रेखा है। परमेश्वर के वचन बाइबल के नए नियम की मूल यूनानी भाषा में दोनो के लिए एक ही शब्द प्रयोग हुआ है। याकूब १:२,३ में कहा गया है कि "हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसे पूरे आनन्‍द की बात समझो..." और मत्ती २६:४१ में प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि "जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो" - पहला उदाहरण भले के लिए है और दूसरा खतरे से बचने के लिए।

   १९वीं सदी के एक पास्टर एलेक्ज़ैंडर मैक्लैरन ने प्रलभोन और परीक्षा के बीच की इस महीन रेखा के फर्क को समझाया। उन्होंने कहा, "प्रलोभन कहता है, इस मज़ेदार काम को करो, इस बात से चिंतित मत हो कि यह कम बुरा है। जबकि परीक्षा कहती है, इस सही और भले काम को करो, इस बात की चिंता मत करो कि इसे करने में कष्ट होगा। एक मधुर और सुखद प्रतीत होने किंतु बहका देने वाली धुन है जो अन्तरात्मा को सुला कर धीरे से विनाश की ओर मोड़ देती है तो दूसरा श्रेष्ठ लक्ष्यों की प्राप्ति के संघर्ष के लिए रणभेरी की आवाज़ है।"

   प्रत्येक कठिनाई प्रलोभन भी बन सकती है और परीक्षा भी। जब हम कष्ट और परेशानियों से बचने के लिए समझौते करके छोटे और गलत रास्ते अपनाते हैं तो कठिनाई प्रलोभन बन जाती है। किंतु जब हम हर गलत बात का विरोध करके कठिनाईयों को आगे बढ़ने के अवसर के रूप में देखते हैं तो वह हमारी उन्नति के लिए परीक्षा बन जाती है। जब हम उन्नति के इन अवसरों को स्वीकार करते रहते हैं, और परमेश्वर के पवित्र आत्मा की अगुवाई और सामर्थ में सही लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहते हैं, तो परमेश्वर के वचन "तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे" (याकूब १:४) की पूर्ति की ओर अग्रसर भी होते रहते हैं।

   प्रलोभन और परीक्षा में हमारा रवैया, हमारी उन्न्ति अथवा अवनति को निर्धारित करता है। - डेनिस डी हॉन


परमेश्वर आपको परीक्षाओं द्वारा सामर्थी और उन्नत करना चाहता है तो शैतान प्रलोभनों द्वारा गिराने के प्रयास में रहता है।

हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसे पूरे आनन्‍द की बात समझो... - याकूब १:२,३
 
बाइबल पाठ: याकूब १:१-१५
    Jas 1:1  परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों  को जो तित्तर बित्तर होकर रहते हैं नमस्‍कार पहुंचे।
    Jas 1:2  हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो
    Jas 1:3  तो इसे पूरे आनन्‍द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्न होता है।
    Jas 1:4  पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे।
    Jas 1:5  पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी।
    Jas 1:6  पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्‍देह न करे; क्‍योंकि सन्‍देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।
    Jas 1:7  ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा।
    Jas 1:8  वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है।
    Jas 1:9  दीन भाई अपने ऊंचे पद पर घमण्‍ड करे।
    Jas 1:10  और धनवान अपनी नीच दशा पर: क्‍योंकि वह घास के फूल की नाई जाता रहेगा।
    Jas 1:11  क्‍योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है, और उस की शोभा जाती रहती है; उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते चलते धूल में मिल जाएगा।
    Jas 1:12  धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्‍योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।
    Jas 1:13  जब किसी ही परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्‍योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वही किसी की परीक्षा आप करता है।
    Jas 1:14  परन्‍तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है।
    Jas 1:15  फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनती है और पाप बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्‍पन्न करता है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन २५-२६ 
  • २ कुरिन्थियों ९

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

लुभावने विचार

   एक युवक, अपने निज जीवन के रुख से परेशान होकर सहायता के लिए अपने पादरी के पास गया। थोड़ी देर तक उस युवक की छोटी-मोटी बुराईयों और लालसाओं की सूचि सुनने के बाद पादरी को लगा कि वह अपने विवरण में पूरी तरह से ईमानदार नहीं है, इसलिए पादरी ने उससे पूछा, "क्या वास्तविकता में बस इतना ही है?" युवक बोला, "जी हाँ, परेशानी की बस यही बातें हैं।" पादरी ने फिर पूछा, "तुम्हें पूरा निश्चय है कि तुम किन्ही अपवित्र बातों और विचारों से नहीं खेल रहे हो?" युवक ने कहा, "नहीं नहीं, मैं तो उनसे नहीं खेल रहा, वे ही मेरा मन बहला रहे हैं।"

   कुछ लोगों की धारणा रहती है, "प्रलोभनों से बच कर भागने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते मैं उन के लिए अपना पता छोड़ के भाग सकूँ।" यदि हम सच्चे होंगे तो यह अवश्य स्वीकार करेंगे कि पाप पहले विचारों में उत्पन्न होता है, उसके बाद ही जीवन में कार्यकारी हो कर प्रगट होता है।

   प्रलोभन पाप नहीं है। प्रलोभन के पाप में परिवर्तित हो पाने के लिए हमें उसका स्वागत करके अपने मन में बसाना होता है, उसे समय देना होता है, उसके साथ मज़ा लेना होता है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी ने हमारा कुछ बिगाड़ा है तो उससे बदला लेने का पाप हम तब ही कर पाते हैं जब पहले बदला लेने के बारे में सोचना आरंभ करें, फिर उस व्यक्ति को किन बातों से और कैसे कैसे नुकसान हो सकता है, यह विचार करने लगें, तब ही योजना बना कर बदले की भावना से हम उसका नुकसान पहुँचा सकते हैं।

   इन बातों को आरंभ में ही रोक देने और पाप तथा नुकसान की हद तक न पहुँचने देने के लिए प्रेरित पौलुस उपाय देता है, "सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्‍डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद कर के मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं" (२ कुरिन्थियों १०:५)।

   जब हम गलत विचारों को अपने मन में स्थान बनाने देते हैं, तो उन के दुषप्रभावों से बचने का मार्ग है कि उन्हें परमेश्वर के सामने पाप के रूप में स्वीकार कर लें, क्षमा मांगें और परमेश्वर से मांगें के वह हमारी सहायता करे; फिर भले विचारों तथा परमेश्वर के वचन से अपने मन को भर लें।

   जब हम परमेश्वर की आधीनता में होकर शैतान का सामना करते हैं, तो वह हमारे सामने टिक नहीं सकता और उसके लुभावने विचार हमें पाप में गिरा नहीं सकते। - डेव एग्नर

जो मन में होता है वही चरित्र में भी आ जाता है।

सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्‍डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद कर के मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं। - २ कुरिन्थियों १०:५
 
बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों १०:१-६
    2Co 10:1  मैं वही पौलुस जो तुम्हारे साम्हने दीन हूं, परन्‍तु पीठ पीछे तुम्हारी ओर साहस करता हूं; तुम को मसीह की नम्रता, और कोमलता के कारण समझाता हूं।
    2Co 10:2  मैं यह बिनती करता हूं, कि तुम्हारे साम्हने मुझे निर्भय होकर साहस करना न पड़े, जैसा मैं कितनों पर जो हम को शरीर के अनुसार चलने वाले समझते हैं, वीरता दिखाने का विचार करता हूं।
    2Co 10:3  क्‍योंकि यद्यपि हम शरीर में चलते फिरते हैं, तौभी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते।
    2Co 10:4  क्‍योकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं।
    2Co 10:5  सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्‍डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं।
    2Co 10:6  और तैयार रहते हैं कि जब तुम्हारा आज्ञा मानना पूरा हो जाए, तो हर एक प्रकार के आज्ञा न मानने का पलटा लें।
 
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन २२-२४ 
  • २ कुरिन्थियों ८

बुधवार, 14 सितंबर 2011

वे भूखे नहीं हैं

   हम दोस्तों ने झील से मछली पकड़ने का मन बनाया और उसकी तैयारी करने लगे। मछली पकड़ने के विभिन्न प्रकार चारे हमने एकत्रित किए, वे अलग अलग रंग और प्रकार के थे, देखने में बहुत लुभावने थे और मछली पकड़ने के लिए शर्तीया कारगर थे। लेकिन फिर भी, यदि मछलियां उन लुभावने चारों से आकर्षित नहीं हों तो आखिरी दांव के रूप में कुछ छोटी मछलियां भी चारे के रूप में लगाने को रख लीं। अगले दिन प्रातः होते ही हम झील की ओर चल पड़े और सबने अपने अपने मन पसन्द स्थानों को चुन लिया और बंसी डाल कर बैठ गए। समय बीतता गया और किसी के हाथ कोई मछली नहीं लगी। हमने अपनी हर विधि आज़मा ली, हर चारे का उपयोग कर लिया, लेकिन कोई मछली किसी से नहीं फंसी। थक हार कर हम अपनी अपनी बंसी उठा कर खाली हाथ वापस लौटने लगे, और एक दूसरे को यह कह कर सांतवना देते रहे कि "आज मछलीयां भूखी नहीं हैं।"

   शैतान के पास भी प्रलोभनों और लालचों का बक्सा भरा है, जिन्हें वह हमें पाप में फंसाने के लिए प्रयोग करता है। कुछ प्रलोभन दिखने में बड़े आकर्षक होते हैं - वे प्रलोभन के रुप में दीख भी जाते हैं, लेकिन इतने रिझाने वाले होते हैं कि उनका इन्कार कर पाना बहुत कठिन होता है। कुछ अन्य हमारी किसी आवश्यक्ता या इच्छा को उकसाते हैं, ऊपर से देखने में अहानिकारक प्रतीत होते हैं, लेकिन वास्तविकता तो चारा खा लेने के बाद ही पता चलती है। शैतान के ये प्रलोभन और लालच कैसे भी क्यों न हों, उन सब में एक बात सामन्य है - वे हमारी शारीरिक एवं सांसारिक इच्छाओं और लालसाओं की पूर्ति के आश्वासनों या दावों के द्वारा ही हमें फंसाने पाते हैं। यदि हमारा ध्यान और मन शारीरिक अथवा सांसारिक बातों पर लगा नहीं होगा तो शैतान के ये हथियार भी हमारे विरुद्ध कारगर नहीं हो पाएंगे।

   इसलिए परमेश्वर का वचन हमें चिताता है कि "निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो। जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।" (फिलिप्पियों४:८, ९)

   मानसिक अनुशासन और परमेश्वर के आत्मा की सहायता से हम अपने हृदय को भली बातों से भरा रख सकते हैं, और शारीरिक लालसओं और प्रलोभनों में पड़ने से बच सकते हैं। तब शैतान भी खिसिया कर यही कहेगा, "वे भूखे नहीं हैं।" - डेव एग्नर

बुराई से दूरी के लिए उठाया गया हमारा हर कदम हमें परमेश्वर के एक कदम और निकट ले आता है।

क्‍योंकि जब उस ने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है। - इब्रानियों २:१८
 
बाइबल पाठ: याकूब १:१२-१८
    Jas 1:12  धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्‍योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।
    Jas 1:13  जब किसी ही परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्‍योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वही किसी की परीक्षा आप करता है।
    Jas 1:14  परन्‍तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंचकर, और फंसकर परीक्षा में पड़ता है।
    Jas 1:15  फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनती है और पाप बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्‍पन्न करता है।
    Jas 1:16  हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।
    Jas 1:17  क्‍योंकि हर एक अच्‍छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।
    Jas 1:18  उस ने अपनी ही इच्‍छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्‍पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।
 
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १९-२१ 
  • २ कुरिन्थियों ७

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

सहायता को तैयार


   इंग्लैंड और फ्रांस के बीच हुए एक युद्ध में इंग्लैड के राजा एडवर्ड तृतीय का सामना फ्रांस की सेना से हो रहा था। इंगलैंड के राजा का पुत्र सेना की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहा था और राजा सहायता के लिए तैयार एक और दल को लिए कुछ दूरी पर खड़ा युद्ध पर नज़र रखे हुए था। युद्ध आरंभ होने के थोड़े समय पश्चात राजकुमार ने पिता को सन्देश भेजा कि वे अपने सहायक दल को ले कर उसकी सहायता के लिए तुरंत आ जाएं। राजा सहायता के लिए नहीं गए। राजकुमार ने एक और सन्देश भेजा और तुरंत सहायता की विनती करी। राजा ने सन्देश वाहक से कहा, "मेरे पुत्र से जाकर कहो, मैं एक अनुभवी सेनापति हूँ - जानता हूँ कि कब सहायता भेजनी चाहिए और कोई लापरवाह पिता भी नहीं हूँ कि अपने पुत्र की समय पर सहायता न भेजने की लापरवाही करूँ।"

   यह घटना परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु में विश्वासी उसकी सन्तान के संबंध का भी चित्रण करती है। जब हम शैतान द्वारा लाई गई परीक्षाओं, प्रलोभनों और पाप का सामना कर रहे होते हैं तो कभी कभी हमें लगता है कि हमारी सहायता की पुकार को परमेश्वर ने अनसुना कर दिया और हमें अकेला छोड़ दिया है। लेकिन एक क्षण भी ऐसा नहीं होता जब उसकी दृष्टी हम पर से हटती हो। वह कभी हमें असहाय नहीं छोड़ता।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में, १ कुरिन्थियों १०:१३ में पौलुस प्रेरित लिखता है, "तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्‍चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा कि तुम सह सको।"

   संघर्ष कितना भी भीषण क्यों न हो, सही समय पर हमारे पक्ष में सहायता के लिए आने के लिए और हमें परीक्षा से निकासी का मार्ग देने के लिए परमेश्वर सदा तैयार बना रहता है। - पौल वैन गोर्डर

जब परमेश्वर हमें कही भेजता है, तो स्वयं साथ भी चलता है।

तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्‍चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा कि तुम सह सको। - १ कुरिन्थियों १०:१३
 
बाइबल पाठ: भजन १८:१६-३०
    Psa 18:16  उस ने ऊपर से हाथ बढ़ा कर मुझे थाम लिया, और गहिरे जल में से खींच लिया।
    Psa 18:17  उस ने मेरे बलवन्त शत्रु से, और उन से जो मुझ से घृणा करते थे मुझे छुड़ाया क्योंकि वे अधिक सामर्थी थे।
    Psa 18:18  मेरी विपत्ति के दिन वे मुझ पर आ पड़े। परन्तु यहोवा मेरा आश्रय था।
    Psa 18:19  और उस ने मुझे निकाल कर चौड़े स्थान में पहुंचाया, उस ने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझ से प्रसन्न था।
    Psa 18:20  यहोवा ने मुझ से मेरे धर्म के अनुसार व्यवहार किया; और मेरे हाथों की शुद्धता के अनुसार उस ने मुझे बदला दिया।
    Psa 18:21  क्योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, और दुष्टता के कारण अपने परमेश्वर से दूर न हुआ।
    Psa 18:22  क्योंकि उसके सारे निर्णय मेरे सम्मुख बने रहे और मैं ने उसकी विधियों को न त्यागा।
    Psa 18:23  और मैं उसके सम्मुख सिद्ध बना रहा, और अधर्म से अपने को बचाए रहा।
    Psa 18:24  यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, और मेरे हाथों की उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था।
    Psa 18:25  दयावन्त के साथ तू अपने को दयावन्त दिखाता और खरे पुरूष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है।
    Psa 18:26  शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता, और टेढ़े के साथ तू तिर्छा बनता है।
    Psa 18:27  क्योंकि तू दीन लोगों को तो बचाता है परन्तु घमण्ड भरी आंखों को नीची करता है।
    Psa 18:28  हां, तू ही मेरे दीपक को जलाता है; मेरा परमेश्वर यहोवा मेरे अन्धियारे को उजियाला कर देता है।
    Psa 18:29  क्योंकि तेरी सहायता से मैं सेना पर धावा करता हूं और अपने परमेश्वर की सहायता से शहरपनाह को लांघ जाता हूं।
    Psa 18:30  ईश्वर का मार्ग सच्चाई, यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १६-१८ 
  • २ कुरिन्थियों ६

सोमवार, 12 सितंबर 2011

परीक्षाओं का सामना

   किसी ने कहा, "काश मैं अपने ऊपर आने वाली परीक्षाओं, प्रलोभनों और पाप को भी वैसे ही स्पष्ट देख पाता जैसे औरों के देख लेता हूँ, तो फिर उनका सामना करना कठिन नहीं रहता। परीक्षाओं और प्रलोभनों को उनके सच्चे रंग में देख पाने के दो तरीके हैं - पहला है कि उनके विष्य में प्रार्थना करके उन्हें परमेश्वर की ज्योति के सम्मुख ले आएं जिससे उनका सच्चा स्वरूप स्पष्ट हो जाए। दूसरा है कि अपने आप से प्रश्न करें कि यदि मेरी जगह कोई अन्य इन में पड़ जाता तो कैसा दिखता?" जो परीक्षाओं और प्रलभनों का सामना कर रहा है उसके लिए उनमें गिर कर पाप कर लेने का लालच बहुत लुभावना हो सकता है, लेकिन उसने यदि एक बार उनमें कदम बढ़ाया तो फिर वह नीचे की ओर फिसलते ही चला जाता है।

   मत्ती ४ अध्याय में शैतान द्वारा प्रभु यीशु की परीक्षाओं का उल्लेख है। जो पहली परीक्षा शैतान ने प्रभु के सामने रखी पहली नज़र में वह बिलकुल साधरण और अहानिकारक प्रतीत होती है - ४० दिन के उपवास के बाद प्रभु को भूख लगी और शैतान ने सुझाव दिया कि वे परमेश्वर द्वारा उन्हें प्रदित शक्ति का उपयोग कर के अपनी भूख मिटाने के लिए वहाँ पड़े पत्थरों को रोटी बना लें, और भूख मिटा लें - अभिप्राय था कि उन्हें परमेश्वर द्वारा जनहित के लिए प्रदित सामर्थ का निज स्वार्थ के लिए उपयोग करने को उकसाना। फिर दूसरी परीक्षा में शैतान ने उन्हें परमेश्वर द्वारा प्रदित सुरक्षा को जाँच-परख कर सुनिश्चित कर लेने का सुझाव दिया, अभिप्राय था परमेश्वर की साथ बने रहने वाली उपस्थिति और सुरक्षा पर विश्वास छोड़कर, उसपर शक करना। और फिर तीसरी परीक्षा में खुले रूप से प्रभु को शैतान ने अपनी उपासना करने को कह भी दिया। लेकिन प्रभु शैतान की किसी परीक्षा में नहीं फंसा, वह शैतान के हर अभिप्राय को समझ रहा था कि शैतान किसी प्रकार उसे कलवरी के क्रूस पर संसार के पापों से मुक्ति के लिए अपना बलिदान देने से भटका सके और रोक सके। शैतान की प्रत्येक परीक्षा का उत्तर प्रभु ने परमेश्वर के वचन से उद्वत कर के दिया। ऐसा कर के जो सन्देश प्रभु ने शैतान को और अपने उदाहरण द्वारा हमें दिया है वह यह है कि, "मैं अपने पिता परमेश्वर और उसके वचन की आधीनता में बना रहता हूँ, इसलिए परीक्षाओं में भी विचलित नहीं होता, स्थिर खड़ा रहता हूँ।"

   यदि हम परमेश्वर के वचन को, जो आत्मा की तलवार भी कहा जाता है, भली भांति जानते हैं और उसका उपयोग करना जानते हैं, तो हम भी शैतान की हर परीक्षा और प्रलोभन पर जयवंत हो सकेंगे। परीक्षाओं और प्रलभनों का सफलता पूर्वक सामना करना है तो प्रभु यीशु में अपने विश्वास में दृढ़, उसकी पवित्र आत्मा से परिपूर्ण और उसके वचन में बने रहें - आप परीक्षाओं और प्रलोभनों में छिपे पाप को उसके सच्चे स्वरूप में सरलता से पहचान लेंगे तथा उसका सफलता से सामना भी कर सकेंगे। - रिचर्ड डी हॉन


यदि परीक्षाओं और प्रलोभनों पर जयवंत रहना है तो प्रभु यीशु के आधीन बने रहिये।
 
जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो: - मरकुस १४:३८
 
बाइबल पाठ: मरकुस १४:३२-५०
    Mar 14:32  फिर वे गतसमने नाम एक जगह में आए, और उस ने अपने चेलों से कहा, यहां बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूं।
    Mar 14:33  और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया: और बहुत ही अधीर, और व्याकुल होने लगा।
    Mar 14:34  और उन से कहा; मेरा मन बहुत उदास है, यहां तक कि मैं मरने पर हूं: तुम यहां ठहरो, और जागते रहो।
    Mar 14:35  और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिर कर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए।
    Mar 14:36  और कहा, हे अब्‍बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो।
    Mar 14:37  फिर वह आया, और उन्‍हें सोते पा कर पतरस से कहा; हे शमौन तू सो रहा है क्‍या तू एक घड़ी भी न जाग सका?
    Mar 14:38  जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, पर शरीर र्दुबल है।
    Mar 14:39  और वह फिर चला गया, और वही बात कह कर प्रार्थना की।
    Mar 14:40  और फिर आ कर उन्‍हें सोते पाया, क्‍योंकि उन की आंखे नींद से भरी थीं और नहीं जानते थे कि उसे क्‍या उत्तर दें।
    Mar 14:41  फिर तीसरी बार आ कर उन से कहा अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुंची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
    Mar 14:42  उठो, चलें: देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।
    Mar 14:43  वह यह कह ही रहा था, कि यहूदा जो बारहों में से था, अपने साथ महायाजकों और शास्‍त्रियों और पुरिनयों की ओर से एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियां लिए हुए तुरन्‍त आ पहुंची।
    Mar 14:44  और उसके पकड़ने वाले ने उन्‍हें यह पता दिया था, कि जिस को मैं चूमूं वही है, उसे पकड़ कर यतन से ले जाना।
    Mar 14:45  और वह आया, और तुरन्‍त उसके पास जाकर कहा; हे रब्‍बी और उस को बहुत चूमा।
    Mar 14:46  तब उन्‍होंने उस पर हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया।
    Mar 14:47  उन में से जो पास खड़े थे, एक ने तलवार खींच कर महायाजक के दास पर चलाई, और उसका कान उड़ा दिया।
    Mar 14:48  यीशु ने उन से कहा, क्‍या तुम डाकू जान कर मेरे पकड़ने के लिये तलवारें और लाठियां लेकर निकले हो?
    Mar 14:49  मैं तो हर दिन मन्‍दिर में तुम्हारे साथ रह कर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्‍तु यह इसलिये हुआ है कि पवित्र शास्‍त्र की बातें पूरी हों।
    Mar 14:50  इस पर सब चेले उसे छोड़ कर भाग गए।
 
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १३-१५ 
  • २ कुरिन्थियों ५

रविवार, 11 सितंबर 2011

सदैव प्रबल

   मेरी माँ की मृत्यु के एक दिन पहले मुझे तथा मेरे भाई को उनसे मिलने उनके पास बुलाया गया। बहुत कमज़ोरी के कारण वे ज़्यादा बातचीत कर सकने लायक नहीं थीं; तौ भी उन्होंने परमेश्वर के वचन बाइबल के दो पद हमसे कहे - यशायाह ४१:१० तथा युहन्ना १०:२९ - केवल हमें सांत्वना देने के लिए नहीं वरन अपने विश्वास को दृढ़ बनाए रखने के लिए भी। उन्होंने अन्त तक परमेश्वर के वचन को थामे रखा और परमेश्वर के वचन ने उन्हें अन्त तक थामे रखा।

   परमेश्वर के वचन, बाइबल में सशक्त करने की अद्भुत सामर्थ है। हम प्रभु यीशु के जीवन के उदाहरण से देखते हैं कि उन्होंने श्त्रु शैतान के प्रलभनों पर परमेश्वर का वचन उद्वत करके ही जय पाई। वचन के आधार से उन्हें सामर्थ मिली और शैतान उन्हें घबरा न सका। बाइबल स्पष्ट करती है कि प्रभु यीशु को भी हमारे समान परीक्षाओं का सामना करना पड़ा था "क्‍योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाई परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला (इब्रानियों४:१५)। प्रभु यीशु ने परमेश्वर के वचन को इसलिए उद्वत नहीं किया क्योंकि उसमें कोई जादूई शक्ति है; वरन उद्वत करने के द्वारा उन्होंने अपने लिए आवश्यक मार्गदर्शक बातों को स्मरण किया और अपने विश्वास को दृढ़ किया, जिससे वे परमेश्वर की इच्छा में बने रह सके। क्योंकि उन्हों अपने जीवन को परमेश्वर के वचन की आधीनता में रखा, शैतान उन्हें परमेश्वर पिता की इच्छा को पूरा करने से विचलित नहीं कर पाया।

   जब कभी हम परीक्षाओं और प्रलोभनों से होकर निकलें - वे चाहे कितने भी कठिन हों, या किसी घबरा देने वाले अथवा मृत्यु के डर का सामना हमें करना पड़े, ऐसे में परमेश्वर का वचन हमें बल देने और दृढ़ करने का साधन बनेगा। सदियों से परमेश्वर के सन्त परमेश्वर के वचन पर अपना भरोसा रख कर परिस्थितियों पर प्रबल होते रहे हैं; आज यह वचन हमारे लिए भी वैसा ही दृढ़ और प्रबल है जैसा उनके लिए रहा है। - डेनिस डी हॉन


आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, उसके सामने शैतान का सबसे सामर्थी हथियार भी कुछ सामर्थ नहीं रखता।

मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहाथता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। - यशायाह ४१:१०

बाइबल पाठ: मती ४:१-११
    Mat 4:1  तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्‍लीस से उस की परीक्षा हो।
    Mat 4:2  वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्‍त में उसे भूख लगी।
    Mat 4:3  तब परखने वाले ने पास आ कर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं।
    Mat 4:4  उस ने उत्तर दिया कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्‍तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।
    Mat 4:5  तब इब्‍लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्‍दिर के कंगूरे पर खड़ा किया।
    Mat 4:6  और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे क्‍योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।
    Mat 4:7  यीशु ने उस से कहा यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।
    Mat 4:8  फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखा कर
    Mat 4:9  उस से कहा, कि यदि तू गिर कर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा।
    Mat 4:10  तब यीशु ने उस से कहा, हे शैतान दूर हो जा, क्‍योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।
    Mat 4:11  तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्‍वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १०-१२ 
  • २ कुरिन्थियों ४

शनिवार, 10 सितंबर 2011

संयम

   गाड़ी चलाने का लाईसेंस मिलने की आयु से पहले मुझे गाड़ी चलाने के बारे में सोचने मात्र से ही अजीब सा डर लगता था। मुझे लगता था कि अपने सामने खुली सड़क देखकर मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाऊंगा और जितनी तेज़ संभव हो उतनी तेज़ गाड़ी चलाने लगूंगा। मुझे लगता ही नहीं था कि मुझ में इतना आत्म संयम होगा कि मैं नियमों और परिस्थितियों की आज्ञा से अधिक तेज़ गाड़ी को न चलाऊं। लेकिन जब समय आने पर मुझे गाड़ी चलाने का लाईसेंस मिला, तो साथ ही मैंने यह भी जाना कि गाड़ी को नियंत्रित करना मेरे वश में है न कि मैं गाड़ी के वश में हूँ। यद्यपि मैं गाड़ी का एक्सलरेटर पूरा दबाकर तेज़ चला सकता हूँ, लेकिन इसका यह तात्पर्य नहीं है कि मुझे ऐसा करना ही है; कर पाने की क्षमता या संभावना अनिवार्यतः करना नहीं है।

   यही जीवन में होने वाले पापों के लिए भी लागू होता है। लोग बहाने बनाते हैं कि उनके सामने अचानक संयम की सीमा से बाहर परीक्षा आ गई, और वे पाप कर बैठे। कभी कोई पाप के लिए यह भी बहाना बनाता है कि जिस समय किसी बात की उन्हें बहुत आवश्यक्ता थी उसे पाने का सरल मार्ग उन्हें मिल गया, चाहे वह अनुचित ही था, लेकिन यदि अवसर आवश्यक्ता का पूरक हो गया तो इसमें बुरा क्या है?

   प्रभु यीशु पर आई परीक्षाओं के अध्ययन से हम सीखते हैं कि जब भी पाप और गलती करने की परीक्षा आएगी, परमेश्वर उसका सामना करने की सामर्थ और उससे निकासी का मार्ग भी देगा। परमेश्वर हमसे आशा रखता है कि हम ऐसी परिक्षाओं और परिस्थितियों की पहचान में सक्षम हों तथा इस बात का भी बोध रखें, जैसे अपनी परीक्षा के समय प्रभु यीशु ने रखा, कि हम भी परीक्षा से निकलने और पाप से बचने के लिए उसके वचन और उसकी आत्मा की सामर्थ पर प्रभु यीशु के समान भरोसा रख सकते हैं।

   हमारा मसीह यीशु में विश्वास और उससे उत्पन्न संयम हमें हर परीक्षा तथा पाप करने की लालसा से बचा कर रख सकता है। - मार्ट डी हॉन

प्रत्येक परीक्षा परमेश्वर की निकटता में आने का अवसर है।

तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्‍लीस से उस की परीक्षा हो। - मत्ती ४:१
बाइबल पाठ: लूका ४:१-१३
    Luk 4:1  फिर यीशु पवित्र आत्मा से भरा हुआ, यरदन से लौटा और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा; और शैतान उस की परीक्षा करता रहा।
    Luk 4:2  उन दिनों में उस ने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी।
    Luk 4:3  और शैतान ने उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए;
    Luk 4:4  यीशु ने उसे उत्तर दिया कि लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा।
    Luk 4:5  तब शैतान उसे ले गया और उस को पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए।
    Luk 4:6  और उस से कहा मैं यह सब अधिकार, और इन का वैभव तुझे दूंगा, क्‍योंकि वह मुझे सौंपा गया है: और जिसे चाहता हूं, उसी को दे देता हूं।
    Luk 4:7  इसलिये, यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा।
    Luk 4:8  यीशु ने उसे उत्तर दिया, लिखा है कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर और केवल उसी की उपासना कर।
    Luk 4:9  तब उस ने उसे यरूशलेम में ले जाकर मन्‍दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहां से नीचे गिरा दे।
    Luk 4:10  क्‍योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें।
    Luk 4:11  और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पांव में पत्थर से ठेस लगे।
    Luk 4:12  यीशु ने उस को उत्तर दिया, यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना।
    Luk 4:13  जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया।
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन ८-९ 
  • २ कुरिन्थियों ३

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

गोदाम की सफाई

   मैं नहीं जानता कि वह सब कहाँ से आ जाता है। इधर-उधर से, कहीं-कहीं से, लकड़ी के तख़ते, टूटी सीढ़ीयां, बोतलें, गेंद खेलने के बल्ले, फावड़े, कुदाल, पानी देने के पाइप आदि सब आकर मेरे गोदाम में जमा हो जाते हैं। इसलिए जब कभी आवश्यक हो जाता है, मैं अपने पुराने कपड़े पहन कर, आस्तीनें चढ़ा कर, कुछ खाली पीपे लेकर, अपने एक बेटे को सहायता के लिए बुलाकर गोदाम की सफाई में जुट जाता हूँ। साफ गोदाम को देखने से जो सन्तोष मिलता है, वही मेरी मेहनत के योग्य प्रतिफल के रूप में काफी है।

   हमारे मन-मस्तिष्क के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है; वे भी अनचाही बातों से भरते रहते हैं, जिनसे छुटकारा पाना हमारे लिए आवश्यक है। मन को लगी चोटों के घाव, दूसरों के प्रति शिकायतें, द्वेष, कुढ़न, कड़ुवाहट आदि एकत्रित होते रहते हैं। कई अनजाने में किये गए पाप भी जमा हो जाते हैं। अधूरे वायदों की कसक को भी ठीक करना होता है। जब कुंठाएं हमारे मन-मस्तिष्क में एकत्रित होती रहती हैं तो वे फिर परमेश्वर और उसे प्रसन्न रखने के विचारों के लिए जगह ही नहीं छोड़तीं। तब हमारा ध्यान प्रार्थना से हट जाता है, हमारा परमेश्वर के वचन बाइबल का अध्ययन भी बिगड़ जाता है। यह लक्षण बताते हैं कि हमारे मन-मस्तिष्क के गोदाम को सफाई की बहुत आवश्यक्ता हो गई है।

   जब सांसारिक बातों के भर जाने से हमारे जीवन से आत्मिक बातों की उपेक्षा होने लगती है, और हमें अपने अन्दर सफाई की आवश्यक्ता का आभास होने लगता है, तो हमें परमेश्वर की पवित्र आत्मा की सहायता से उस कार्य को कर डालना चाहिए। परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमारा सहायक है; जिन बातों के लिए वह हमें कायल करे, पश्चाताप के लिए उभारे, किसी से ठीक-ठाक करने के लिए स्मरण दिलाए हमें उन्हें बिना किसी आनाकानी के तुरंत कर लेना चाहिए। जैसे जैसे हम पवित्र आत्मा की अगुवाई में अपने जीवनों को संचालित करेंगे, हम पाएंगे कि परमेश्वर के साथ हमारे संबंध बेहतर बनते जा रहे हैं, परमेश्वर की शांति हमारे जीवनों में वास कर रही है और हमारे मसीही जीवन में एक नया आनन्द भरता जा रहा है।

   क्या आपके मन-मस्तिष्क के गोदाम को सफाई की आवश्यक्ता है? देर मत कीजिए। उससे जो आनन्द मिलेगा, वह आपकी आशा से कहीं अधिक होगा। - डेव एगनर


जब मसीही जीवन बोझ बनने लगे तो कारण सांसारिक बातों का एकत्रित हो जाना ही होता है।
जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी। - नीतिवचन२८:१३
बाइबल पाठ: रोमियों ६:११-२३
    Rom 6:11  ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्‍तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
    Rom 6:12  इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
    Rom 6:13  और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जान कर परमश्‍ेवर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
    Rom 6:14  और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्‍योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
    Rom 6:15  तो क्‍या हुआ? क्‍या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं? कदापि नहीं।
    Rom 6:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्‍त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्‍त धामिर्कता है?
    Rom 6:17  परन्‍तु परमश्‍ेवर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।
    Rom 6:18  और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
    Rom 6:19  मैं तुम्हारी शारीरिक र्दुबलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास करके सौंप दो।
    Rom 6:20  जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्‍वतंत्र थे।
    Rom 6:21  सो जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उन से उस समय तुम क्‍या फल पाते थे?
    Rom 6:22  क्‍योंकि उन का अन्‍त तो मृत्यु है परन्‍तु अब पाप से स्‍वतंत्र हो कर और परमेश्वर के दास बन कर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्‍त होती है, और उसका अन्‍त अनन्‍त जीवन है।
    Rom 6:23  क्‍योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्‍तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्‍त जीवन है।
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन ६-७ 
  • २ कुरिन्थियों २

गुरुवार, 8 सितंबर 2011

पश्चाताप का समय

   एक दंपति की गाड़ी से एक शराब के नशे में धुत चालक ने अपनी गाड़ी टकरा दी और उस दंपति की मृत्यु हो गई। वे दोनो बहुत अच्छे लोग थे, नियमित रूप से अपने चर्च जाते थे और सब ही उनसे बहुत प्रेम रखते थे। गाड़ी चलाने में उन्होंने कोई गलती भी नहीं की थी; फिर उनके साथ ऐसा क्यों हुआ? क्या दूसरी गाड़ी के चालक के नशे में धुत होकर गाड़ी चलाने के लिए परमेश्वर को दोषी ठहराया जा सकता है?

   कुछ लोग शैतान को ऐसी दुर्घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार ठहरा देते हैं, लेकिन हमें यह तथ्य नज़रअन्दाज़ नहीं करना चाहिए कि नशे की हालत में गाड़ी चलाने वाला जब भी सन्तुलन खो देगा तो किसी को भी नुकसान पहुँचा सकता है, मार सकता है।

   प्रभु यीशु ने अपने समय में घटने वाली दो दुर्घटनाओं को उदाहरण बना कर अपने चेलों को कुछ सिखाया। एक दुर्घटना में उस इलाके के हाकिम पिलातुस ने कुछ गलीलियों को मारकर उनके खुन को उनके चढ़ाए बलिदानों के साथ मिलवा दिया (लूका १३:१)। दूसरी में १८ इस्त्राएली मारे गए क्योंकि एक गुम्मुट उन पर गिर पड़ा (लूका १३:४)। लोगों की धारणा थी कि जो लोग इस प्रकार अप्राकृतिक रूप से मरते हैं, अवश्य उन्होंने कोई घोर पाप किये होंगे।

   प्रभु यीशु ने ऐसी विचारधारा का खंडन किया। उन्हों ने अपने साथ के लोगों को समझाया कि बजाए किसी को दोषी ठहराने के, इन घटनाओं को मनुष्य के क्षणभंगुर होने और पश्चाताप के लिए उपलब्ध समय का सदुपयोग करने की शिक्षा लेनी चाहिए। यदि वे जनबूझकर अपने पाप में बने रहेंगे और प्रभु यीशु को मुक्तिदाता के रूप में ग्रहण करने से इन्कार करते रहेंगे, तो एक समय उन्हें भी अपने न्याय और पाप की भयानक दशा का सामना करना पड़ेगा।

   जब हम समझ से बाहर दुर्घटनाओं के विष्य में सुने, तो उनके होने के कारण और "ज़िम्मेदार कौन" के प्रश्न को लेकर परेशान होने के बजाए परमेश्वर के प्रेम का दृढ़ निश्चय ध्यान में रखकर (रोमियों ८:३९), इन घटनाओं को अपने आप को जाँचने और पश्चाताप कर के अपने जीवन परमेश्वर के साथ ठीक-ठाक करने के अवसर की तरह उनका सदुपयोग करें। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


जीवन में होने वाली दुर्घटनाएं अपनी जाँच करने और पश्चाताप के साथ मन फिराने की पुकार हैं।
 
यदि तू ऐसा मनुष्य देखे जो अपनी दृष्टि में बुद्धिमान बनता हो, तो उस से अधिक आशा मूर्ख ही से है। - नीतिवचन २६:१२

बाइबल पाठ: लूका ५:१७-३२
    Luk 5:17  और एक दिन हुआ कि वह उपदेश दे रहा था, और फरीसी और व्यवस्थापक वहां बैठे हुए थे, जो गलील और यहूदिया के हर एक गांव से, और यरूशलेम से आए थे; और चंगा करने के लिये प्रभु की सामर्य उसके साथ थी।
    Luk 5:18  और देखो कई लोग एक मनुष्य को जो झोले का मारा हुआ था, खाट पर लाए, और वे उसे भीतर ले जाने और यीशु के साम्हने रखने का उपाय ढूंढ़ रहे थे।
    Luk 5:19  और जब भीड़ के कारण उसे भीतर न ले जा सके तो उन्‍होंने कोठे पर चढ़ कर और खप्रैल हटाकर, उसे खाट समेत बीच में यीशु के साम्हने उतरा दिया।
    Luk 5:20  उस ने उन का विश्वास देखकर उस से कहा; हे मनुष्य, तेरे पाप क्षमा हुए।
    Luk 5:21  तब शास्त्री और फरीसी विवाद करने लगे, कि यह कौन है, जो परमेश्वर की निन्‍दा करता है परमेश्वर को छोड़ कौन पापों की क्षमा कर सकता है?
    Luk 5:22  यीशु ने उन के मन की बातें जान कर, उन से कहा कि तुम अपने मनों में क्‍या विवाद कर रहे हो?
    Luk 5:23  सहज क्‍या है क्‍या यह कहना, कि तेरे पाप क्षमा हुए, या यह कहना कि उठ, और चल फिर?
    Luk 5:24  परन्‍तु इसलिये कि तुम जानो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है (उस ने उस झोले के मारे हुए से कहा), मैं तुझ से कहता हूं, उठ और अपनी खाट उठा कर अपने घर चला जा।
    Luk 5:25  वह तुरन्‍त उन के साम्हने उठा, और जिस पर वह पड़ा था उसे उठा कर, परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ अपने घर चला गया।
    Luk 5:26  तब सब चकित हुए और परमेश्वर की बड़ाई करने लगे, और बहुत डर कर कहने लगे, कि आज हम ने अनोखी बातें देखी हैं।
    Luk 5:27  और इसके बाद वह बाहर गया, और लेवी नाम एक चुंगी लेने वाले को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उस से कहा, मेरे पीछे हो ले।
    Luk 5:28  तब वह सब कुछ छोड़ कर उठा, और उसके पीछे हो लिया।
    Luk 5:29  और लेवी ने अपने घर में उसके लिये बड़ी जेवनार की; और चुंगी लेने वालों की और औरों की जो उसके साथ भोजन करने बैठे थे एक बड़ी भीड़ थी।
    Luk 5:30  और फरीसी और उन के शास्त्री उस के चेलों से यह कह कर कुड़कुड़ाने लगे, कि तुम चुंगी लेने वालों और पापियों के साथ क्‍यों खाते-पीते हो?
    Luk 5:31  यीशु ने उन को उत्तर दिया कि वैद्य भले चंगों के लिये नहीं, परन्‍तु बीमारों के लिथे अवश्य है।
    Luk 5:32  मैं धमिर्यों को नहीं, परन्‍तु पापियों को मन फिराने के लिये बुलाने आया हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन ३-५ 
  • २ कुरिन्थियों १