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शनिवार, 30 अप्रैल 2011

विजयी जीवन का आधार

मैंने एक रिपोर्ट पढ़ी जिसमें दो तथाकथित "विशेष्ज्ञ" इस निष्कर्ष पर पहुँचे थे कि दैत्याकार और अति सामर्थी समझे जाने वाला गोलियत, जिसे दाउद ने युद्ध में हराया और मार डाला, वासत्व में एक कमज़ोर और रोगी व्यक्ति था; उसे मस्तिष्क के अन्दर एक ग्रंथी में रसौली थी जिसके कारण उसका शरीर दैत्याकार हो गया और उसकी नज़र कमज़ोर हो गई, इस कारण वह दाउद द्वारा गोफन से फेंका हुआ पत्थर नहीं देख सका और माथे पर लगी उस पत्थर की चोट से मारा गया।

लेकिन यथार्थ इससे बिलकुल भिन्न है। जिस मस्तिष्क रोग की बात ये तथाकथित "विशेष्ज्ञ" कर रहे हैं, उससे पीड़ित रोगी ठीक से चल नहीं सकता और शरीर के विशाल हो जाने के बावजूद इन रोगियों में एक साधारण मनुष्य के बाराबर भी ताकत नहीं रह जाती। लेकिन गोलियत कोई कमज़ोर मनुष्य नहीं था - वह जो कवच पहनता था केवल उसीका वज़न लगभग ६० किलो था, और उसके भाले के सिरे का वज़न लगभग ७ किलो था। यदि गोलियत वासत्व में रोग से ग्रसित कमज़ोर मनुष्य होता तो इतना वज़न उठा कर चलना उसके लिए संभव नहीं होता।

इस संदर्भ में गोलियत से संबंधित कुछ अन्य बातें भी विचारने योग्य हैं, वह एक प्रबल योद्धा था और समस्त इस्त्राएली उससे डरे हुए थे और उसकी लकार का सामना करने की उनमें हिम्मत नहीं थी। इस्त्राएलियों के दुश्मन फिलिस्तियों ने गोलियत को अपना नायक बना कर युद्ध में उतारा और इस्त्राएलियों को चुनौती दी। कोई सेनापति किसी बीमार और कमज़ोर नज़र वाले व्यक्ति को कभी इस तरह युद्ध में नहीं उतारता और न ही ऐसे बीमार योद्धा की चुनौती से कोई विरोधी भयभीत होता।

अवश्य ही परमेश्वर की सहायता के बिना दाउद के लिए गोलियत को मारना संभव नहीं था, और परमेश्वर में विश्वास के बिना दाउद के लिए गोलियत की चुनौती स्वीकार करके उससे लड़ने युद्ध में उतरना भी संभव नहीं था। दाउद ने केवल परमेश्वर पर विश्वास और परमेश्वर की सहायता के द्वारा गोलियत पर अद्भुत विजय प्राप्त करी।

प्रभु यीशु के अनुयायी चाहे दैत्याकार मनुष्यों अथवा शत्रुओं से शारीरिक युद्ध में संलग्न नहीं हैं, लेकिन उनका एक ऐसा युद्ध है जो निरंतर चलता रहता है और वह भी एक ऐसे शत्रु से जो गोलियत से कहीं अधिक सामर्थी है - वे अपने विरुद्ध शैतान के हमलों का आत्मिक युद्ध अविराम लड़ते रहते हैं, क्योंकि शैतान बार बार और अनेक उपायों से उन्हें पाप और परमेश्वर विरोधी कार्यों में फंसाना चाहता है।

हमारा परमेश्वर सर्वसामर्थी है। दाउद के समान हमें भी उसपर और उसकी सामर्थ पर विश्वास रखना है और तब हम शैतान और उसके षड़यंत्रों पर विजयी हो सकेंगे। जिसने दाउद को दैत्याकार गोलियत पर विजयी किया वही हमें शैतान पर भी विजयी करेगा।

हमारा परमेश्वर और उस पर हमारा विश्वास ही हमारे विजयी होने का आधार है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


हमारे विरुद्ध उठने वाली कोई भी परिस्थिति हमारी सामर्थ के बाहर तो हो सकती है, लेकिन हमारे परमेश्वर के संसाधानों के बाहर कभी नहीं हो सकती।

दाऊद ने पलिश्ती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। - १ शमूएल १७:४५


बाइबल पाठ: १ शमूएल १७:३२-५४

1Sa 17:32 तब दाऊद ने शाऊल से कहा, किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा।
1Sa 17:33 शाऊल ने दाऊद से कहा, तू जाकर उस पलिश्ती के विरूद्ध नहीं युद्ध कर सकता क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है।
1Sa 17:34 दाऊद ने शाऊल से कहा, तेरा दास अपने पिता की भेड़ बकरियां चराता था, और जब कोई सिंह वा भालू झुंड में से मेम्ना उठा ले गया,
1Sa 17:35 तब मैं ने उसका पीछा करके उसे मारा, और मेम्ने को उसके मुंह से छुड़ाया और जब उस ने मुझ पर चढ़ाई की, तब मैं ने उसके केश को पकड़कर उसे मार डाला।
1Sa 17:36 तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मार डाला और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उस ने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है।
1Sa 17:37 फिर दाऊद ने कहा, यहोवा जिस ने मुझे सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा, यहोवा तेरे साथ रहे।
1Sa 17:38 तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहिनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहिनाया।
1Sa 17:39 और दाऊद ने उसकी तलवार वस्त्र के ऊपर कसी, और चलने का यत्न किया, उस ने तो उनको न परखा था। इसलिथे दाऊद ने शाऊल से कहा, इन्हें पहिने हुए मुझ से चला नहीं जाता, क्योंकि मैं ने नहीं परखा। और दाऊद ने उन्हें उतार दिया।
1Sa 17:40 तब उस ने अपनी लाठी हाथ में ले नाले में से पांच चिकने पत्थर छांट कर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात अपने झोले में रखे और अपना गोफन हाथ में लेकर पलिश्ती के निकट चला।
1Sa 17:41 और पलिश्ती चलते चलते दाऊद के निकट पहुंचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिए था वह उसके आगे आगे चला।
1Sa 17:42 जब पलिश्ती ने दृष्टि करके दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती थी, और वह सुन्दर था।
1Sa 17:43 तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, क्या मैं कुत्ता हूं, कि तू लाठी लेकर मेरे पास आता है? तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगा।
1Sa 17:44 फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, मेरे पास आ, मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और बनपशुओं को दे दूंगा।
1Sa 17:45 दाऊद ने पलिश्ती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है।
1Sa 17:46 आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना की लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूंगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है।
1Sa 17:47 और यह समस्त मण्डली जान लेगी की यहोवा तलवार वा भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।
1Sa 17:48 जब पलिश्ती उठकर दाऊद का साम्हना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का साम्हना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा।
1Sa 17:49 फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उस में से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा।
1Sa 17:50 यों दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल होकर उसे मार डाला परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी।
1Sa 17:51 तब दाऊद दौड़कर पलिश्ती के ऊपर खड़ा हुआ, और उसकी तलवार पकड़कर मियान से खींची, और उसको घात किया, और उसका सिर उसी तलवार से काट डाला। यह देखकर कि हमारा वीर मर गया पलिश्ती भाग गए।
1Sa 17:52 इस पर इस्राएली और यहूदी पुरूष ललकार उठे, और गत और एक्रोन से फाटकों तक पलिश्तियों का पीछा करते गए, और घायल पलिश्ती शारैम के मार्ग में और गत और एक्रोन तक गिरते गए।
1Sa 17:53 तब इस्राएली पलिश्तियों का पीछा छोड़कर लौट आए, और उनके डेरों को लूट लिया।
1Sa 17:54 और दाऊद पलिश्ती का सिर यरूशलेम में ले गया और उसके हथियार अपने डेरे में धर लिए।

एक साल में बाइबल:
  • १ राजा ८-९
  • लूका २१:१-१९

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

परमेश्वर की आवाज़

पतरस ने नए नियम की दो पत्रियाँ लिखीं, किंतु उसने यह एहसास किया कि वह केवल एक माध्यम भर है, जिसके द्वारा परमेश्वर अपना संदेश लोगों तक पहुंचा रहा है। पतरस ने अपने पाठकों को लिखा, " क्‍योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्‍छा से कभी नहीं हुई पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे" (२ पतरस १:२१)।

विख्यात सुसमाचार प्रचारक और बाइबल के ज्ञाता सी. एच. स्परजन ने लिखा, "बाइबल जीवित परमेश्वर की कृति है। उसने मूसा को नियुक्त किया कि उसकी प्रजा का इतिहास लिखे और परमेश्वर ने ही मूसा की कलम को निर्देशित किया। अवश्य ही दाउद ने अपनी वीणा के तारों को छेड़ा और मधुर भजन उसके हाथों से निकले, लेकिन परमेश्वर ही उसके हाथों की उंगलियों को वीणा पर चला रहा था और उसके मन में उन भजनों को भर रहा था। सुलेमान ने प्रेम के श्रेष्ठगीत गाए और उत्कॄष्ठ ज्ञान से भरे नीतिवचन बोले, लेकिन परमेश्वर ही था जो उसके होठों का निर्देशन कर उसे सुवक्ता बना रहा था। जब मैं नहूम की गर्जन और हबक्कूक के भविष्यदर्शन को पढ़ता हूँ, या मलाकी में लिखे पृथ्वी के अन्त समय की भविष्यवाणी को देखता हूँ, या पतरस की पत्रियों में परमेश्वर के शत्रुओं के आग में भस्म होने को पाता हूँ, या यहूदा की पत्री में परमेश्वर के विरोधियों पर घोर श्राप को पढ़ता हूँ - तो इन सब में मैं परमेश्वर की वाणी ही को पाता हूँ। हर पुस्तक में परमेश्वर ही बोल रहा है, कोई मनुष्य नहीं!"

"हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है..." (२ तिमुथियुस ३:१६); लेकिन महत्वपूर्ण है यह बात कि पवित्रशास्त्र बाइबल हमारे लिए रचि गई है, बाइबल के द्वारा परमेश्वर हमसे बातें करता है।

क्या अपने परमेश्वर की आवाज़ की ओर ध्यान दिया है? - रिचर्ड डी हॉन


बाइबल ही एक ऐसी पुस्तक है जिसका लेखक सदा वर्तमान है और अपने पाठकों के साथ विद्यमान रहता है।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। - २ तिमुथियुस ३:१६


बाइबल पाठ: २ पतरस १:१६-२१

2Pe 1:16 क्‍योंकि जब हम ने तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह की सामर्थ का, और आगमन का समाचार दिया था तो वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया था वरन हम ने आप ही उसके प्रताप को देखा था।
2Pe 1:17 कि उस ने परमेश्वर पिता से आदर, और महिमा पाई जब उस प्रतापमय महिमा में से यह वाणी आई कि यह मेरा प्रिय पुत्र है जिस से मैं प्रसन्न हूं।
2Pe 1:18 और जब हम उसके साथ पवित्र पहाड़ पर थे, तो स्‍वर्ग से यही वाणी आते सुना।
2Pe 1:19 और हमारे पास जो भविष्यद्वक्ताओं का वचन है, वह इस घटना से दृढ़ ठहरा है और तुम यह अच्‍छा करते हो, कि जो यह समझकर उस पर ध्यान करते हो, कि वह एक दीया है, जो अन्‍धियारे स्थान में उस समय तक प्रकाश देता रहता है जब तक कि पौ न फटे, और भोर का तारा तुम्हारे हृदयों में न चमक उठे।
2Pe 1:20 पर पहिले यह जान लो कि पवित्र शास्‍त्र की कोई भी भविष्यद्वाणी किसी के अपने ही विचारधारा के आधार पर पूर्ण नहीं होती।
2Pe 1:21 क्‍योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्‍छा से कभी नहीं हुई पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे।

एक साल में बाइबल:
  • १ राजा ६-७
  • लूका २०:२७-४७

गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

शांत समय

खान में कठिन परिश्रम करने वाले कुछ मज़दूरों ने शाम के समय काम करते हुए एक पक्षी की मधुर चहचहाहट सुनी। उसे सुनकर वे एकदम शांत हो गए; उस शांत वातवरण में उनके मनों में बचपन की यादें ताज़ा हो गईं, जब वे इसी चहचहाहट का आनन्द लेते थे। इसी प्रकार जब हम शांत होते हैं तभी परमेश्वर की आवाज़ को सबसे साफ और प्रभावी रूप में सुन सकते हैं।

सर्दीयों की सुबह के शांत वातवरण में उठकर पाले की सफेद चादर से ढंके खेतों और मकानों का दृश्य अविस्मरणीय होता है। कब और कैसे रात के सन्नाटे में बर्फ खामोशी से आई और चांदी की सी परत से सब कुछ ढक दिया, पता ही नहीं चलता। किसी की अदृश्य उंगलियाँ प्रकृति को छू देती हैं और कायाकल्प हो जाता है। यह स्मरण दिलाता है भजन ४६:१० की पंक्ति को, "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं।" तथा हबक्कूक की बात को, "परन्तु यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में है; समस्त पृथ्वी उसके साम्हने शान्त रहे।" (हबक्कूक २:२०)

न केवल प्रकृति के शांत वातावारण में, वरन हमारे जीवन के अन्य शांत समयों में भी हम परमेश्वर की वाणी सुन सकते हैं। सभी के जीवन में ऐसे समय आते हैं जब किसी बिमारी, दुख या परेशानी के कारण नींद आंखों से दूर हो जाती है और वे बिसतर पर चुपचाप लेटे होते हैं; ये बहुमूल्य पल होते हैं जब हम परमेश्वर से बातें कर सकते हैं, उससे अपने दिल का हाल बयान कर सकते हैं, उससे कह सकते हैं कि हम उसे प्रेम करते हैं तथा अपने प्रति उसके प्रेम से आनन्दित हो सकते हैं। इन शांत समयों में जो हम सीख सकते हैं, वह किसी अन्य रीति से संभव नहीं है।

परमेश्वर के साथ शांत समय बिताने के खोजी बनें; ये शांत समय हमें एक नई शांति और स्फूर्ति से भर देते हैं, हमारे जीवनों में उसकी उपस्थिति का एक नया एहसास हमारे साथ होता है। इन अनमोल पलों को पाने के लिए आपको किसी अनिद्रा की रात की प्रतीक्षा करने की आवश्यक्ता नहीं है। बस अपने व्यस्त जीवन से बाहर निकलकर कुछ समय परमेश्वर के साथ बिताएं। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


परमेश्वर के साथ बिताया शांत समय सामर्थ और शक्ति संजोने का समय है।

परन्तु यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में है; समस्त पृथ्वी उसके साम्हने शान्त रहे। - हबक्कूक २:२०

बाइबल पाठ: हबक्कूक २:१५-२०

Hab 2:15 हाय उस पर, जो अपने पड़ोसी को मदिरा पिलाता, और उस में विष मिलाकर उसको मतवाला कर देता है कि उसको नंगा देखे।
Hab 2:16 तू महिमा की सन्ती अपमान ही से भर गया है। तू भी पी, और अपने को खतनाहीन प्रगट कर! जो कटोरा यहोवा के दाहिने हाथ में रहता है, सो घूमकर तेरी ओर भी जाएगा, और तेरा विभव तेरी छांट से अशुद्ध हो जाएगा।
Hab 2:17 क्योंकि लबानोन में तेरा किया हुआ उपद्रव और वहां के पशुओं पर तेरा किया हुआ उत्पात, जिन से वे भयभीत हो गए थे, तुझी पर आ पड़ेंगे। यह मनुष्यों की हत्या और उस उपद्रव के कारण होगा, जो इस देश और राजधानी और इसके सब रहने वालों पर किया गया है।
Hab 2:18 खुदी हुई मूरत में क्या लाभ देखकर बनाने वाले ने उसे खोदा है? फिर झूठ सिखाने वाली और ढली हुई मूरत में क्या लाभ देखकर ढालने वाले ने उस पर इतना भरोसा रखा है कि न बोलने वाली और निकम्मी मूरत बनाए?
Hab 2:19 हाय उस पर जो काठ से कहता है, जाग; वा अबोल पत्थर से, उठ! क्या वह सिखाएगा? देखो, वह सोने चान्दी में मढ़ा हुआ है, परन्तु उस में आत्मा नहीं है।
Hab 2:20 परन्तु यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में है; समस्त पृथ्वी उसके साम्हने शान्त रहे।

एक साल में बाइबल:
  • १ राजा ३-५
  • लूका २०:१-२६

बुधवार, 27 अप्रैल 2011

"प्रभु मुझे संवेदनशील बनाईये!"

एक चर्च में प्रचार करते हुए प्रचारक ने देखा कि उसकी सुनहरी घड़ी रौशनी में जगमगा रही थी। उसने लिखा, "मैं देख रहा था कि लोगों का ध्यान उस चमकती हुई घड़ी की वजह से बंट रहा है। परमेश्वर ने मुझसे कहा, ’इस घड़ी को उतार दो; यह लोगों का ध्यान सन्देश से हटा रही है।’ मैंने कहा, ’प्रभु अपने पिता की दी हुई घड़ी को तो मैं पहने रह सकता हूँ!’ लेकिन परमेश्वर मुझे छोटी छोटी बातों के लिए संवेदनशील होना सिखा रहा था। मैंने बात को समझा और घड़ी को उतार दिया, और उसके बाद कभी प्रचार करते समय उसे नहीं पहना।" परमेश्वर की आत्मा द्वारा छोटी छोटी बातों के लिए भी किये गए इशारों के प्रति संवेदनशील रहना एक परिपक्व मसीही विश्वासी की निशानी है।

हर बार निश्चित रूप से परमेश्वर की वाणी को पहचानना आसान नहीं है। अन्दर से उठने वाली आवाज़ कई बार किसी भय, किसी स्वार्थ या शैतान द्वारा भी उत्पन्न हो सकती है। किंतु फिर भी यदि हम परमेश्वर के वचन के अध्ययन द्वारा परमेश्वर के सिद्धांत समझ लें और अपने आप को परमेश्वर के आत्मा के आधीन कर दें तो हम उसके कही गई बातों को भी पहचान सकेंगे। इब्रानियों की पत्री का लेखक कहता है कि परिपक्व विश्वासीयों की ज्ञानेन्द्रियाँ अभ्यास द्वारा सही और गलत की पहचान करने में सक्षम हो जाती हैं (इब्रानियों ५:१४)।

जो भी मसीह को स्वयं से प्रथम स्थान देता है वह परमेश्वर की ओर से है और उसे हम आश्वस्त होकर मान सकते हैं। परन्तु जो कुछ भी दया रहित, प्रेम रहित या स्वार्थपूर्ण है वह परमेश्वर की ओर से नहीं है और यदि हम ऐसे कार्य करते हैं तो परमेश्वर के आत्मा को दुखी करते हैं। जब कभी किसी भी विश्वासी से ऐसा कोई भी कार्य हो जाए जिससे परमेश्वर का आत्मा दुखी होता है तो उसे तुरंत परमेश्वर के सम्मुख अपने पाप को मान लेना चाहिए और क्षमा प्रार्थना द्वारा परमेश्वर के साथ अपने संबंध को ठीक कर लेने चाहिएं।

प्रत्येक विश्वासी को परमेश्वर की वाणी के समझने के लिए सदा परमेश्वर से माँगना चाहिए - "प्रभु मुझे संवेदनशील बनाईये!" - डेनिस डी हॉन


अपना नियंत्रण परमेश्वर के आत्मा को सौंप देने से हम आत्म-नियंत्रण से विहीन नहीं हो जाते।

और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। - इफिसियों ४:३०


बाइबल पाठ: इब्रानियों १५

Heb 5:1 क्‍योंकि हर एक महायाजक मनुष्यों में से लिया जाता है, और मनुष्यों ही के लिये उन बातों के विषय में जो परमेश्वर से सम्बन्‍ध रखती हैं, ठहराया जाता है: कि भेंट और पाप बलि चढ़ाया करे।
Heb 5:2 और वह अज्ञानों, और भूले भटकों के साथ नर्मी से व्यवहार कर सकता है इसलिये कि वह आप भी निर्बलता से घिरा है।
Heb 5:3 और इसी लिये उसे चाहिए, कि जैसे लोगों के लिये, वैसे ही अपने लिये भी पाप-बलि चढ़ाया करे।
Heb 5:4 और यह आदर का पद कोई अपने आप से नहीं लेता, जब तक कि हारून की नाई परमेश्वर की ओर से ठहराया न जाए।
Heb 5:5 वैसे ही मसीह ने भी महायाजक बनने की बड़ाई अपने आप से नहीं ली, पर उस को उसी ने दी, जिस ने उस से कहा था, कि तू मेरा पुत्र है, आज मैं ही ने तुझे जन्माया है।
Heb 5:6 वह दूसरी जगह में भी कहता है, तू मलिकिसिदक की रीति पर सदा के लिये याजक है।
Heb 5:7 उस ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊंचे शब्‍द से पुकार पुकार कर, और आंसू बहा बहा कर उस से जो उस को मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्यनाएं और बिनती की और भक्ति के कारण उस की सुनी गई।
Heb 5:8 और पुत्र होने पर भी, उस ने दुख उठा उठा कर आज्ञा माननी सीखी।
Heb 5:9 और सिद्ध बनकर, अपने सब आज्ञा मानने वालों के लिये सदा काल के उद्धार का कारण हो गया।
Heb 5:10 और उसे परमेश्वर की ओर से मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक का पद मिला।
Heb 5:11 इस के विषय में हमें बहुत सी बातें कहनी हैं, जिन का समझना भी कठिन है; इसलिये कि तुम ऊंचा सुनने लगे हो।
Heb 5:12 समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्‍या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए? और ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।
Heb 5:13 क्‍योंकि दूध पीने वाले बच्‍चे को तो धर्म के वचन की पहिचान नहीं होती, क्‍योंकि वह बालक है।
Heb 5:14 पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्‍द्रियाँ अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।

एक साल में बाइबल:
  • १ राजा १-२
  • लूका १९:२८-४८

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

शांत हो जाओ

कुछ लोग शांत वातावरण सहन नहीं कर सकते - सुबह उठते ही वे रेडियो चालु कर देते हैं; यदि वे टी.वी. नहीं देख रहे होते तो घर में ऊंची आवाज़ में संगीत बज रहा होता है। परन्तु वे कभी प्रकृति के शांत मधुर संगीत का आनन्द नहीं उठाते। उन्हें परमेश्वर की शांत और धीमी आवाज़ सुनाई नहीं देती।

इस शोर भरे संसार में एकांत में बिताए शांत समय की आशीशों का उल्लेख भजन ४६ में मिलता है। भजनकार भजन का आरंभ सामर्थ से बाहर विनाशकारी शक्तियों का सामना करते हुए भी परमेश्वर मे अटल विश्वास से करता है; वो पृथ्वी के उलट-पुलट होने, गरजते समुद्र की विशाल उफनती लहरों, पहाड़ों के डोलने और कांप कर समुद्र में गिर जाने के बारे में लिखता है। फिर वह शांत नदी के प्रवाह की बात करता है जो जीवनदाई जल लेकर आती है। इसके बाद भजनकार वर्णन करता है परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करने वाली उग्र सांसारिक शक्तियों का जिनका विनाश होता है। तब लेखक परमेश्वर की महान विजय का चित्रण करके परमेश्वर का सन्देश कहता है, "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं।" पूरा भजन शांत होकर अशांत संसार की उथल-पुथल में भी परमेश्वर के कार्य को होता हुए देखने का आहावन है - परमेश्वर किसी परिस्थिति से हारता नहीं, उसका कार्य निरंतर होता रहता है।

हम परमेश्वर की आवाज़ प्रकृति की मधुर तथा सौम्य आवाज़ में और उसके वचन में दिये गई प्रतिज्ञाओं में सुनते हैं। वह चाहता है कि हम जाने कि वो उपस्थित है और सब कुछ उसके नियंत्रण में है। लेकिन उसकी आवाज़ कोलाहल में नहीं सुनाई देती; उसकी आवाज़ सुनने के लिए हमें बाहर से ही नहीं, अन्दर से भी शांत होना होगा। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


परमेश्वर की शांत और धीमी आवाज़ वे ही सुन सकते हैं जो शांत होकर उसकी सुनने के लिए समय देते हैं।

चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। - भजन ४६:१०


बाइबल पाठ: भजन ४६

Psa 46:1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
Psa 46:2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
Psa 46:3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें।
Psa 46:4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Psa 46:5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Psa 46:6 जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
Psa 46:7 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psa 46:8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उस ने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
Psa 46:9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है, वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Psa 46:10 चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
Psa 46:11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल २३-२४
  • लूका १९:१-२७

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

उसकी सुनो!

मैं एक किशोर को जानता हूँ जिसके पास एक पुरानी कार है जिसे वह ठीक करने का प्रयास कर रहा है। इस किशोर का पिता एक अनुभवी कार मैकिनिक है और अपने पुत्र की सहायता करने को तैयार है। लेकिन इस किशोर को अपने पिता की सलाह पसंद नहीं आती, वह अपने मित्रों की ही सुनता है जो कार ठीक करने के बारे में उतना ही जानते हैं जितना वह स्वयं जानता है।

यह मुझे पतरस की याद दिलाता है; प्रभु यीशु मसीह अपने साथ प्रार्थना करने के लिए याकूब, यूहन्ना और पतरस को पहाड़ पर लेकर गए। कुछ देर में उन तीनों चेलों को तो नींद आ गई और वे सो गए, किंतु प्रभु प्रार्थना में लगे रहे। पिता परमेश्वर से प्रार्थना करते करते प्रभु का दिव्य तेज चमकने लगा तथा मूसा और एलियाह उससे बातें करने उस पहाड़ पर उतर आए। इतने में पतरस की आँख खुल गई और इस अद्भुत दृश्य से भावाभिभूत होकर उसने वहाँ मूसा, एलियाह और प्रभु यीशु के लिए तीन मण्डप बनाने का प्रस्ताव रखा। तब वहाँ परमेश्वर की वाणी पभु यीशु के संदर्भ में सुनाई दी, "...यह मेरा पुत्र और मेरा चुना हुआ है, इस की सुनो" (लूका ९:३५)।

मूसा व्यवस्था का प्रतीक था जो अपना कार्य कर चुकी थी, एलियाह भविष्यवाणीयों का प्रतीक था जो पूरी हो रहीं थीं और अब उनके साथ परमेश्वर का जीवित वचन प्रभु यीशु था और उन्हें यीशु की बात सुननी तथा माननी थी।

परमेश्वर की वह आज्ञा "उसकी सुनो" आज भी हमारे जीवनों के लिए है, किंतु उस किशोर की तरह हम अपने स्वर्गीय पिता की सुनने के बजाए संसार की व्यर्थ आवाज़ें ही सुनना पसन्द करते हैं। परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह द्वारा इस संसार से बातें कर रहा है, उसका लिखित वचन बाइबल संसार के लिए उसका आधिकारिक संदेश है। बाइबल की शिक्षाओं के विरुद्ध किसी अन्य सलाह का पालन करना निराशा और दुख को आमंत्रित करना है।

प्रभु यीशु परमेश्वर का दिव्य पुत्र है - उसकी सुनो! - डेव एगनर


जीवित वचन को जानना ही लिखित वचन को समझने की कुंजी है।

और उस बादल में से यह शब्‍द निकला, कि यह मेरा पुत्र और मेरा चुना हुआ है, इस की सुनो। - लूका ९:३५


बाइबल पाठ: मरकुस ९:१-८

Mar 9:1 और उस ने उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कई ऐसे हैं, कि जब तक परमेश्वर के राज्य को सामर्थ सहित आता हुआ न देख लें, तब तक मृत्यु का स्‍वाद कदापि न चखेंगे।
Mar 9:2 छ: दिन के बाद यीशु ने पतरस और याकूब और यूहन्ना को साथ लिया, और एकान्‍त में किसी ऊंचे पहाड़ पर ले गया, और उन के साम्हने उसका रूप बदल गया।
Mar 9:3 और उसका वस्‍त्र ऐसा चमकने लगा और यहां तक अति उज्ज़वल हुआ, कि पृथ्वी पर कोई धोबी भी वैसा उज्ज़वल नहीं कर सकता।
Mar 9:4 और उन्‍हें मूसा के साथ एलिय्याह दिखाई दिया, और वे यीशु के साथ बातें करते थे।
Mar 9:5 इस पर पतरस ने यीशु से कहा, हे रब्‍बी, हमारा यहां रहना अच्‍छा है: इसलिये हम तीन मण्‍डप बनाएं; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिय्याह के लिये।
Mar 9:6 क्‍योंकि वह न जानता या, कि क्‍या उत्तर दे इसलिये कि वे बहुत डर गए थे।
Mar 9:7 तब एक बादल ने उन्‍हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्‍द निकला, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है उस की सुनो।
Mar 9:8 तब उन्‍होंने एकाएक चारों ओर दृष्‍टि की, और यीशु को छोड़ अपने साथ और किसी को न देखा।

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल २१-२२
  • लूका १८:२४-४३

रविवार, 24 अप्रैल 2011

नए जीवन की ज़िम्मेदारी

ईस्टर के अगले दिन अखबार की सुर्खियाँ थीं "सारे संसार ने मसीह का पुनरुत्थान मनाया"; और उसी मुख्यपृष्ठ पर अन्य समाचार संसार में विभिन्न स्थानों पर चल रहे युद्ध, जातिवाद की हिंसा, संघर्ष एवं मृत्यु के थे। इन सब निराशाजनक समाचारों को पढ़कर मुझे लगा, "यह सब परसपर कितना विरोधी है!" समाचार सुर्खियाँ बताती हैं कि संसार मसीह का पुनरुत्थान मना रहा है, लेकिन शेष पृष्ठ दर्षा रहा है कि कैसे संसार के लोग मसीह के पुनरुत्थान से मिलने वाले अनुग्रह, शांति और आशीश को व्यर्थ कर रहे हैं। संसार भर के वो करोड़ों लोग जो ईस्टर के दिन चर्च जाकर मसीह के पुनरुत्थान का पर्व मनाते हैं, उनमें से अधिकांश्तः अपने जीवनों द्वारा इस एतिहासिक तथ्य को और उसके आत्मिक अभिप्राय को दर्शाते ही नहीं हैं।

कई बार हम मसीह में अपने विश्वास को दर्शाने के बाहरी हाव-भाव तो दिखाते हैं, लेकिन मसीह के साथ अपने जोड़े जाने के अर्थ को जी कर नहीं दिखाते। रोमियों के नाम अपनी पत्री के ६ अध्याय में पौलुस बताता है कि हम मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ा दिये गए हैं और अब पाप के लिए मर गए हैं, लेकिन हम मसीह के साथ जीवित भी किए गए हैं कि हम एक नया जीवन जी कर दिखाएं। इसलिए वह अपनी एक अन्य पत्री में कहता है, "सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है। पृथ्वी पर की नहीं परन्‍तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ।" (कुलिस्सियों ३:१, २)

मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाए जाने के कारण अब हमें यह सौभाग्य है कि हम उसके लिए जिएं भी। ऐसा करके हम मसीह के पुनरुत्थान से मिली आशीश और सामर्थ के लिए उसे अपना आभार प्रगट करते हैं। - रिचर्ड डी हॉन


जिस सामर्थ ने मसीह की कब्र को खोल दिया, वही सामर्थ हमारे लिए जीवन की भरपूरी के द्वार भी खोलती है।

...जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। - रोमियों ६:४


बाइबल पाठ: रोमियों ६:१-१३

Rom 6:1 सो हम क्‍या कहें क्‍या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो?
Rom 6:2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्‍यों कर जीवन बिताएं?
Rom 6:3 क्‍या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया?
Rom 6:4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
Rom 6:5 क्‍योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुड़ गए हैं, तो निश्‍चय उसके जी उठने की समानता में भी जुड़ जाएंगे।
Rom 6:6 क्‍योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्‍व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्‍व में न रहें।
Rom 6:7 क्‍योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
Rom 6:8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
Rom 6:9 क्‍योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठकर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
Rom 6:10 क्‍योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया, परन्‍तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
Rom 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्‍तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Rom 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
Rom 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जान कर परमश्‍ेवर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल १९-२०
  • लूका १८:१-२३

शनिवार, 23 अप्रैल 2011

उम्मीद का जीवन

जब यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने के काले दिन का अन्त हुआ, तो ऐसा लगा कि सबसे अनोखे जीवन का अन्त हो गया। कुछ वर्षों से मसीह ने अपने चेलों और लोगों की भीड़ को अपनी शिक्षाओं और आश्चर्यकर्मों की विलक्षणता द्वारा अचंभित कर रखा था। लेकिन क्रूस पर चढ़ाए गए यीशु ने न तो क्रूस से बचना चाहा और न ही क्रूस से उतर आना चाहा, और अब उसकी मृत्यु हो चुकी थी। अब उससे कोई उम्मीद रखना व्यर्थ लग रहा था।

लेकिन पुनरुत्थान की उस पहली सुबह उम्मीद फिर से जाग उठी। सूर्योदय के कुछ ही समय के बाद मरियम मगदलीनी ने यीशु के चेलों, पतरस और युहन्ना को बताया कि उसने तथा उसकी साथियों ने यीशु की कब्र को खाली पाया। चित्रकार यूजीन बर्नेन्ड ने पतरस और युहन्ना को इस समचार के सुनने के पश्चात कब्र दौड़ कर यीशु की कब्र पर जाते हुए चित्रित किया है। बर्नेन्ड के चित्र में उन दोनो के चेहरों पर उभरते मनोभावों को दर्शाया गया है। दोनो के चेहरों पर परसपर विरोधाभास वाले भावे दिखाई देते हैं - वेदना तथा राहत, दुख तथा अचंभा, निराशा तथा अचरज; उनकी निगाहें उत्सुकता से आगे की ओर लगीं हुई हैं, और उनके झुके हुए शरीर खाली कब्र और जीवित उद्धारकर्ता की ओर हमारा ध्यान खींचते हैं।

मसीह यीशु आज भी जीवित है, तथा आज भी अपने अनुयायियों के जीवन में उद्धार का आश्चर्यकर्म करता है। परन्तु हम में से कई आज भी ऐसे अपने दिन बिताते हैं जैसे वह अभी भी कब्र में ही हो।

कितना भला हो कि हम उम्मीद से भरकर और खाली कब्र के आगे उस जीवित मसीह की ओर अपनी निगाहें लगाएं जो हमें अपने पुनरुत्थान की शक्ति से भर सकता है। - डेव एग्नर


कलवरी का बलिदान पुनरुत्थान द्वारा विजेता हो गया।

तब पतरस और वह दूसरा चेला निकल कर कब्र की ओर चले। और दोनों साथ साथ दौड़ रहे थे, परन्‍तु दूसरा चेला पतरस से आगे बढ़कर कब्र पर पहिले पहुंचा। - यूहन्ना २०:३, ४


बाइबल पाठ: यूहन्ना २०:१-१०

Joh 20:1 सप्‍ताह के पहिले दिन मरियम मगदलीनी भोर को अंधेरा रहते ही कब्र पर आई, और पत्थर को कब्र से हटा हुआ देखा।
Joh 20:2 तब वह दौड़ी और शमौन पतरस और उस दूसरे चेले के पास जिस से यीशु प्रेम रखता था आकर कहा, वे प्रभु को कब्र में से निकाल ले गए हैं और हम नहीं जानतीं, कि उसे कहां रख दिया है।
Joh 20:3 तब पतरस और वह दूसरा चेला निकल कर कब्र की ओर चले।
Joh 20:4 और दोनों साथ साथ दौड़ रहे थे, परन्‍तु दूसरा चेला पतरस से आगे बढ़कर कब्र पर पहिले पहुंचा।
Joh 20:5 और झुककर कपड़े पड़े देखे: तौभी वह भीतर न गया।
Joh 20:6 तब शमौन पतरस उसके पीछे पीछे पहुंचा और कब्र के भीतर गया और कपड़े पड़े देखे।
Joh 20:7 और वह अंगोछा जो उसके सिर से बन्‍धा हुआ या, कपड़ों के साथ पड़ा हुआ नहीं परन्‍तु अलग एक जगह लपेटा हुआ देखा।
Joh 20:8 तब दूसरा चेला भी जो कब्र पर पहिले पहुंचा था, भीतर गया और देखकर विश्वास किया।
Joh 20:9 वे तो अब तक पवित्र शास्‍त्र की वह बात न समझते थे, कि उसे मरे हुओं में से जी उठना होगा।
Joh 20:10 तब ये चेले अपने घर लौट गए।

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल १६-१८
  • लूका १७:२०-३७

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

वैध वसीयत

एडिनबर्ग के रौबी फ्लोकहार्ट नामक एक सुसमाचार प्रचारक ने प्रभु यीशु की मत्यु और पुनरुत्थान को समझाने के लिए दो आपबीति कहानियाँ सुनाईं।

रौबी की मित्रता एक ऐसे कैदी से हुई जिसे मृत्युदण्ड दिया गया था। जब उस कैदी का अपनी वसीयत बनाने का समय आया तो जो भी थोड़ा सा पैसा उसके पास था, उसने रौबी के नाम कर दिया। इसके कुछ समय पश्चात कैदी को मृत्युदण्ड से क्षमा मिल गई, इसलिए उसकी बनाई हुई वाचा कार्यान्वित नहीं हुई; रौबी ने कहा, "क्योंकि वो जीवित रहा, इसलिए मुझे वसीयत से कुछ नहीं मिला।"

रौबी ने उसके नाम वसीयत करने वाले एक दूसरे व्यक्ति के बारे में बताया। इस वसीयत से भी उसे कुछ नहीं मिला, क्योंकि वसीयत बनाने वाले की मृत्यु के पश्चात कोई कपटी वकील आया और सब कुछ हड़प कर गया। रौबी ने कहा, "यदि मेरा मित्र जीवित होता तो निश्चित करता कि उसके मित्र रौबी को कुछ मिले; किंतु क्योंकि वह मर चुका था इसलिए अब अपनी वसीयत का सही रीति से निभाया जाना वह सुनिश्चित नहीं कर सकता था।"

प्रभु यीशु, नई वाचा का महान वाचाकर्ता निसन्देह मरा, इसलिए उसके रक्त द्वारा प्रमाणित उसकी अनमोल वाचा वैध है और लागू है। प्रायश्चित के लिए यीशु की मृत्यु के कारण उसने हम सब के लिए अनन्त उद्धार को हासिल कर लिया है।

लेकिन वह कब्र में पड़ा नहीं रहा, तीसरे दिन वह फिर जी उठा। आज वह जीवित है तथा सुनिश्चित करता है कि उसकी वाचा पूर्ण रूप से निभायी जाए। उसका जीवित होना इस बात की गारंटी है कि उसकी नई वाचा में जिन आशीशों की प्रतिज्ञा दी गई है वे उसे अपना व्यक्तिगत उद्धारकर्ता मानने वाले प्रत्येक विश्वासी को सम्पूर्णतया प्राप्त होंगी।

मसीह की मृत्यु उसकी वाचा के लागू होने को सुनिश्चित करती है; उसका पुनरुत्थान हमारे अमूल्य मीरास की गारंटी है। - पौल वैन गोर्डर


केवल एक जीवित उद्धारकर्ता ही मरते संसार को बचा सकता है।

क्‍योंकि जहां वाचा बान्‍धी गई है वहां वाचा बान्‍धने वाले की मृत्यु का समझ लेना भी अवश्य है। - इब्रानियों ९:१६


बाइबल पाठ: इब्रानियों ९:१६-२८

Heb 9:16 क्‍योंकि जहां वाचा बान्‍धी गई है वहां वाचा बान्‍धने वाले की मृत्यु का समझ लेना भी अवश्य है।
Heb 9:17 क्‍योंकि ऐसी वाचा मरने पर पक्की होती है, और जब तक वाचा बान्‍धने वाला जीवित रहता है, तब तक वाचा काम की नहीं होती।
Heb 9:18 इसी लिये पहिली वाचा भी बिना लोहू के नहीं बान्‍धी गई।
Heb 9:19 क्‍योंकि जब मूसा सब लोगों को व्यवस्था की हर एक आज्ञा सुना चुका, तो उस ने बछड़ों और बकरों का लोहू लेकर, पानी और लाल ऊन, और जूफा के साथ, उस पुस्‍तक पर और सब लोगों पर छिड़क दिया।
Heb 9:20 और कहा, कि यह उस वाचा का लोहू है, जिस की आज्ञा परमेश्वर ने तुम्हारे लिये दी है।
Heb 9:21 और इसी रीति से उस ने तम्बू और सेवा के सारे सामान पर लोहू छिड़का।
Heb 9:22 और व्यवस्था के अनुसार प्राय: सब वस्‍तुएं लोहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं और बिना लोहू बहाए क्षमा नहीं होती।
Heb 9:23 इसलिये अवश्य है, कि स्‍वर्ग में की वस्‍तुओं के प्रतिरूप इन के द्वारा शुद्ध किए जाएं पर स्‍वर्ग में की वस्‍तुएं आप इन से उत्तम बलिदानों के द्वारा।
Heb 9:24 क्‍योंकि मसीह ने उस हाथ के बनाए हुए पवित्र स्थान में जो सच्‍चे पवित्र स्थान का नमूना है, प्रवेश नहीं किया, पर स्‍वर्ग ही में प्रवेश किया, ताकि हमारे लिये अब परमेश्वर के साम्हने दिखाई दे।
Heb 9:25 यह नहीं कि वह अपने आप को बार बार चढ़ाए, जैसा कि महायाजक प्रति वर्ष दूसरे का लोहू लिये पवित्रस्थान में प्रवेश किया करता है।
Heb 9:26 नहीं तो जगत की उत्‍पत्ति से लेकर उस को बार बार दुख उठाना पड़ता पर अब युग के अन्‍त में वह एक बार प्रगट हुआ है, ताकि अपने ही बलिदान के द्वारा पाप को दूर कर दे।
Heb 9:27 और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है।
Heb 9:28 वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस की बाट जोहते हैं, उन के उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा।

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल १४-१५
  • लूका १७:१-१९

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

पिता के प्रेम का दर्द

वियतनाम युद्ध के समय, सन १९६८ अमरीकी नौसेना के कमान एडमिरल एल्मो ज़ुम्वौल्ट ने संभाली। अमरीकी सेना के सैनिकों के हताहत होने को कम करने के लिए उन्होंने जल मार्गों के किनारों पर एक रासायनिक Agent Orange छिड़कने का आदेश दिया, जिससे जल तट पर वनस्पति मर गई और शत्रु के सैनिकों के छुप कर हमला बोलने के रास्ते बन्द हो गए।

उन जल मार्गों पर गश्त करने वाली नौसेना की नौकाओं में से एक की कमान एडमिरल एल्मो के २१ वर्षीय पुत्र के हाथ में थी। विडंबना यह हुई कि उस छिड़के हुए रासायनिक के संपर्क में आने के कारण उनके पुत्र को एक घातक किस्म का कैंसर हो गया। पिता और पुत्र दोनो यह जानते थे कि कैंसर का कारण वह रासायनिक ही है। यह एक हृदय विदारक कहानी है एक पिता की जिसके एक निर्णय का दुख उसके पुत्र को उठाना पड़ा, किंतु दोनो ही का यह मानना था कि उस समय रासायनिक छिड़कवाए जाने का वह निर्णय सही था।

मानव जाति के लिए पाप और मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिए परमेश्वर पिता ने जान-बूझ कर एक ऐसा निर्णय लिया जिसके कारण उसके एकमात्र और प्रीय पुत्र को बयान से बाहर कष्ट और दुख उठाने पड़े। मानव जाति को उसके बलिदान द्वारा उद्धार दिलवाने के निर्णय के बाद पिता को अपने निर्दोष और निष्कलंक पुत्र का भीड़ द्वारा ठ्ठा उड़ाये जाने, कोड़ों की मार खाने और क्रूस पर हाथों और पैरों में कीलों द्वारा ठोके जाने का दर्दनाक दृश्य देखना और सहना पड़ा। परमेश्वर पिता को खामोशी से बर्दाशत करना पड़ा जब समस्त मानव जाति के पाप उसके निष्पाप पुत्र पर लाद दिये गए और वह दीन और नम्र पुत्र जिसने सदा सबका भला चाहा और किया, वर्णन से बाहर पीड़ा और तिरिस्कार से होकर गुज़रा।

ऐसे में यीशु के प्रति हमारी कृतघन्ता पिता परमेश्वर के दुख को और बढ़ा देती है। उसके अद्भुत बलिदान के लिए हमें सदा उसका कृतज्ञ और धन्यवादी रहना चाहिए तथा साधारण विश्वास के साथ उसके क्रूस पर किए गए कार्य को ग्रहण कर के उद्धार स्वीकर करना चाहिए। - मार्ट डी हॉन


परमेश्वर के प्रेम का सच्चा माप यही है कि उसके प्रेम को कभी मापा नहीं जा सकता।

तब उन्‍होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया... - मत्ती २७:३५


बाइबल पाठ: मत्ती २७:२७-५०

Mat 27:27 तब हाकिम के सिपाहियों ने यीशु को किले में ले जाकर सारी पलटन उसके चहुं ओर इकट्ठी की।
Mat 27:28 और उसके कपड़े उतार कर उसे किरिमजी बागा पहिनाया।
Mat 27:29 और काटों को मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा, और उसके दाहिने हाथ में सरकण्‍डा दिया और उसके आगे घुटने टेक कर उसे ठट्ठे में उड़ाने लगे, कि हे यहूदियों के राज नमस्‍कार।
Mat 27:30 और उस पर थूका और वही सरकण्‍डा लेकर उसके सिर पर मारने लगे।
Mat 27:31 जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो वह बागा उस पर से उतार कर फिर उसी के कपड़े उसे पहिनाए, और क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले चले।
Mat 27:32 बाहर जाते हुए उन्‍हें शमौन नाम एक कुरेनी मनुष्य मिला, उन्‍होंने उसे बेगार में पकड़ा कि उसका क्रूस उठा ले चले।
Mat 27:33 और उस स्थान पर जो गुलगुता नाम की जगह अर्थात खोपड़ी का स्थान कहलाता है पहुंचकर।
Mat 27:34 उन्‍होंने पित्त मिलाया हुआ दाखरस उसे पीने को दिया, परन्‍तु उस ने चख कर पीना न चाहा।
Mat 27:35 तब उन्‍होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया और चिट्ठियां डाल कर उसके कपड़े बांट लिए।
Mat 27:36 और वहां बैठ कर उसका पहरा देने लगे।
Mat 27:37 और उसका दोषपत्र, उसके सिर के ऊपर लगाया, कि यह यहूदियों का राजा यीशु है।
Mat 27:38 तब उसके साथ दो डाकू एक दाहिने और एक बाएं क्रूसों पर चढ़ाए गए।
Mat 27:39 और आने जाने वाले सिर हिला हिला कर उस की निन्‍दा करते थे।
Mat 27:40 और यह कहते थे, कि हे मन्‍दिर के ढाने वाले और तीन दिन में बनाने वाले, अपने आप को तो बचा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ।
Mat 27:41 इसी रीति से महायाजक भी शास्‍त्रियों और पुरिनयों समेत ठट्ठा कर करके कहते थे, इस ने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता।
Mat 27:42 यह तो इस्राएल का राजा है। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें।
Mat 27:43 उस ने परमेश्वर का भरोसा रखा है, यदि वह इस को चाहता है, तो अब इसे छुड़ा ले, क्‍योंकि इस ने कहा था, कि मैं परमेश्वर का पुत्र हूं।
Mat 27:44 इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे उस की निन्‍दा करते थे।
Mat 27:45 दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक उस सारे देश में अन्‍धेरा छाया रहा।
Mat 27:46 तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्‍द से पुकारकर कहा, एली, एली, लमा शबक्तनी अर्थात हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्‍यों छोड़ दिया?
Mat 27:47 जो वहां खड़े थे, उन में से कितनों ने यह सुन कर कहा, वह तो एलिय्याह को पुकारता है।
Mat 27:48 उन में से एक तुरन्‍त दौड़ा, और स्‍पंज लेकर सिरके में डुबोया, और सरकण्‍डे पर रख कर उसे चुसाया।
Mat 27:49 औरों ने कहा, रह जाओ, देखें, एलिय्याह उसे बचाने आता है कि नहीं।
Mat 27:50 तब यीशु ने फिर बड़े शब्‍द से चिल्ला कर प्राण छोड़ दिए।

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल १२-१३
  • लूका १६

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

केवल यीशु द्वारा

यदि कोई मनुष्य जो तैरना न जानता हो और गहरे पानी में गिर पड़े तथा सहायता के लिए पुकारे तो आप क्या करेंगे? क्या आप उसकी ओर एक पुस्तक फेंकेंगे जो तैरने के पाठ सरलता से सिखाती हो? क्या आप उसे प्रोत्साहित करने के लिए कोई प्रवचन सुनाएंगे? क्या आप भी पानी में कूदकर उसे कहेंगे कि मेरा अनुसरण करो, जैसा मैं कर रहा हूँ, वैसा ही करते रहो और मैं तुम्हें तैरना सिखा दूँगा? इनमें से कोई भी कार्य उस डूबते हुए मनुष्य को नहीं बचा पाएंगे। उस डूबते हुए मनुष्य को किसी पुस्तक की शिक्षाओं की या किसी उत्साहवर्धक प्रवचन की या तैरना सीखने के उपायों की आवश्यक्ता नहीं है। उसे एक बचाने वाला चाहिए, कोई ऐसा जो जहाँ और जिस स्थिति में वह है वहीं से हाथ बढ़ाकर उसे पकड़ ले और उन जानलेवा परिस्थितियों से खींच ले तथा सुरक्षित बाहर निकाल लाए।

हमारी पाप के दलदल में धंसी ज़िंदगी को भी ऐसे ही बचाने वाले की आवश्यक्ता है। बाइबल बताती है कि "सबने पाप किया" (रोमियों ३:२३), और "पाप की मज़दूरी मृत्यु है" (रोमियों ६:२३)। इस संसार में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति पाप से ग्रसित है और विनाश की ओर अग्रसर है। हम अपने आप को धर्म पुस्तकों के ज्ञान द्वारा, अथवा और बेहतर धार्मिकता के कार्य करके या किसी अन्य मनुष्य का अनुसरण करके बचा नहीं सकते क्योंकि इनमें से कोई भी मार्ग पाप का नाश नहीं कर सकता। हमारी एकमात्र आशा मसीह यीशु ही है जिसने पाप के डंक को तोड़कर पाप के दलदल में फंसी मनुष्य जाति को बाहर निकालने के लिए अपने बड़े अनुग्रह में पापियों की ओर अपने हाथ बढ़ाए हैं, कि वह उन्हें खींच कर बाहर निकाल ले।

बाइबल बताती है कि, "क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है" (लूका १९:१०)। वह उन सबका उद्धार करता है जो उसपर विश्वास करते हैं। जैसे डूबते हुए को अपने बचाने वाले के हाथों में अपने आप को विश्वास के साथ सौंप देना होता है, हम पापियों को भी पाप से निकलने के लिए अपने आप को विश्वास के साथ प्रभु यीशु के हाथों में सौंप देना है। - रिचर्ड डी हॉन


मसीह में विश्वास का अर्थ है उद्धार।

यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया... - १ तिमुथियुस १:१५


बाइबल पाठ: रोमियों ५:१-१०

Rom 5:1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
Rom 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्‍ड करें।
Rom 5:3 केवल यही नहीं, बरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जान कर कि क्‍लेश से धीरज,
Rom 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है।
Rom 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्‍योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।
Rom 5:6 क्‍योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Rom 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्‍तु क्‍या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Rom 5:8 परन्‍तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Rom 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहु के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्‍यों न बचेंगे?
Rom 5:10 क्‍योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्‍यों न पाएंगे?

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल ९-११
  • लूका १५:११-३२

मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

यीशु के बहाए लहु द्वारा

युद्ध में बुरी तरह घायल और मृत्यु के निकट एक सैनिक के साथ एक महिला प्रार्थना कर रही थी कि एक नर्स वहाँ पहुंची और सैनिक से कहने लगी, "तुम्हें अपने पापों की चिंता करने की आवश्यक्ता नहीं है; जो भी अपने प्राण अपने देश पर न्योछावर कर सकता है, वह गलत नहीं हो सकता।" सैनिक मुस्कुराया और बोला, "यह बात सही नहीं है। मैं जब युद्ध भूमि में घायल पड़ा था, तब मैं जानता था कि मैं जो कुछ अपनी मातृभूमि के लिए कर सकता था, मैंने किया है, लेकिन इस विचार ने मुझे परमेश्वर के सामने अपना हिसाब देने का साहस नहीं दिया। मुझे ज्ञात था कि मैं मर कर न्याय का सामना नहीं कर पाऊंगा। लेकिन इस महिला ने मुझे यह समझने में सहायता करी है कि यीशु ने मेरे समस्त पापों के लिए दण्ड उठा लिया है और मुझे पापों से क्षमा कर दिया है, अब मैं मरने से नहीं डरता।"

उस नर्स ने कुछ बुरा तो नहीं कहा, परन्तु जो कहा वह अज्ञानता में कहा। सैनिक ने सुसमाचार के मर्म को समझ लिया - यीशु हमारे पापों के लिए मरा। कलवरी के क्रूस पर प्रभु यीशु की मृत्यु हमारे स्थान पर थी - जहाँ हमें होना था, वह चला गया; हम अधर्मियों के स्थान पर वह धर्मी मरा तथा वही हमारे अनन्त उद्धार की एकमात्र आशा है।

एक कवि ने लिखा: "हे यीशु, वो पापों का बोझ था जिसने तेरे सिर को झुका दिया,/ मेरे पाप तुझे उठाने पड़े;/ तूने मेरा बोझ उठा लिया और मेरे संति मर गया,/ अपने प्राण मेरे प्राण के लिए बलिदान कर दिये,/ तेरा लहु बलिदान बन कर बह गया!/ अपने अनुग्रह से तूने मुझे बचा लिया।"

हमें आवश्यक्ता है कि हम बार बार रुक कर प्रभु यीशु का धन्यवाद करें कि उसने हमारे पापों के दण्ड को अपने उपर लिया और हमारे लिए अपने प्राण दिये।

केवल उसने ही यह किया और केवल वह ही यह कर सकता था। - पौल वैन गौर्डर


स्वर्ग का जायज़ प्रवेशपत्र केवल यीशु के लहु से ही हस्ताक्षरित है।

परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी... - यशायाह ५३:५


बाइबल पाठ: यशायाह ५३

Isa 53:1 जो समाचार हमें दिया गया, उसका किस ने विश्वास कया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?
Isa 53:2 क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर की नाईं, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते।
Isa 53:3 वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना।
Isa 53:4 निश्चय उस ने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया, तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा।
Isa 53:5 परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।
Isa 53:6 हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे, हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।
Isa 53:7 वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उस ने भी अपना मुंह न खोला।
Isa 53:8 अत्याचार करके और दोष लगाकर वे उसे ले गए, उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया; मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
Isa 53:9 और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उस ने किसी प्रकार का अपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी।
Isa 53:10 तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले, उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
Isa 53:11 वह अपने प्राणों का दु:ख उठाकर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।
Isa 53:12 इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया तौभी उस ने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है।

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल ६-८
  • लूका १५:१-१०

सोमवार, 18 अप्रैल 2011

यीशु क्यों मरा?

सदियों से इस प्रश्न ने दुविधा उत्पन्न कर रखी है कि यीशु की मृत्यु का कारण क्या था? मध्य काल में, धर्म के नाम पर युद्ध करने वाले, तुर्कियों के हाथ से यरुशलेम को छुड़ाने योरोप से निकले। उनमे भ्रांति थी कि यहूदियों के कारण ही यीशु को मरना पड़ा, और वे यहूदियों को ’मसीह के हत्यारे’ कहते थे; इसलिए मार्ग में जहाँ भी यहूदी उन्हें मिलते, वे उन्हें मार डालते।

आज भी यीशु की मृत्यु को लेकर लोग संवेदनशील रहते हैं। लेकिन बाइबल इस बारे में क्या कहती है? मत्ती द्वारा लिखित वृतांत के अनुसार, रोमी इस बात के लिए ज़िम्मेदार प्रतीत होते हैं, क्योंकि रोमी शासक पीलातुस ने यीशु को निर्दोष करार देते हुए भी उसे मृत्यु दण्ड के लिए सौंप दिया, तथा रोमी सैनिकों ने उसे ले जाकर क्रूस पर चढ़ा दिया। लेकिन इस घटना के कुछ ही सप्ताह पश्चात, पतरस ने यरुशलेम में अपने प्रचार में यहूदियों को यीशु को क्रूस देने का दोषी ठहराया (प्रेरितों २:२२-२४)।

परन्तु सच्चाई यह है कि हम सब यीशु की मृत्यु के लिए ज़िम्मेदार हैं। क्रूस पर यीशु ने न केवल यहूदियों और रोमियों के पापों की कीमत चुकाई, वरन हम सब के पापों की कीमत भी चुकाई ( १ पतरस २:२४)। यीशु प्रत्येक पापी के लिए मरा (२ कुरिन्थियों ५:१५)। इसलिए इस बात पर बहस करना कि यीशु को किसने मारा, किसी विशवासी के लिए उचित नहीं है - वास्तविक्ता यही है कि हम सब इसके ज़िम्मेदार हैं।

यीशु ने हम सब के लिए अपने प्राण दिये, हमारे पाप ही उसकी मृत्यु का कारण हैं। उसपर विश्वास करने से हमें पापों की क्षमा, परमेश्वर से शांति और मेल-मिलाप तथा अनन्त जीवन मिलता है। - डेव एग्नर


यीशु हमारे स्थान पर मरा ताकि हम उसकी शांति पाएं; उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए जिससे हम उसके उद्धार को प्राप्त कर सकें।

हे इस्‍त्राएलियों, ये बातें सुनो: कि यीशु नासरी एक मनुष्य था जिस का परमेश्वर की ओर से होने का प्रमाण उन सामर्थ के कामों और आश्‍चर्य के कामों और चिन्‍हों से प्रगट है, जो परमेश्वर ने तुम्हारे बीच उसके द्वारा कर दिखलाए जिसे तुम आप ही जानते हो। उसी को, जब वह परमेश्वर की ठहराई हुई मनसा और होनहार के ज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया, तो तुम ने अधमिर्यों के हाथ से उसे क्रूस पर चढ़वा कर मार डाला। प्रेरितों २:२२-२३


बाइबल पाठ: प्रेरितों २:२२-३९

Act 2:22 हे इस्‍त्राएलियों, ये बातें सुनो: कि यीशु नासरी एक मनुष्य था जिस का परमेश्वर की ओर से होने का प्रमाण उन सामर्थ के कामों और आश्‍चर्य के कामों और चिन्‍हों से प्रगट है, जो परमेश्वर ने तुम्हारे बीच उसके द्वारा कर दिखलाए जिसे तुम आप ही जानते हो।
Act 2:23 उसी को, जब वह परमेश्वर की ठहराई हुई मनसा और होनहार के ज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया, तो तुम ने अधमिर्यों के हाथ से उसे क्रूस पर चढ़वाकर मार डाला।
Act 2:24 परन्‍तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्‍धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्‍योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता।
Act 2:25 क्‍योंकि दाऊद उसके विषय में कहता है, कि मैं प्रभु को सर्वदा अपने साम्हने देखता रहा क्‍योंकि वह मेरी दाहिनी ओर है, ताकि मैं डिग न जाऊं।
Act 2:26 इसी कारण मेरा मन आनन्‍द हुआ, और मेरी जीभ मगन हुई, वरन मेरा शरीर भी आशा में बसा रहेगा।
Act 2:27 क्‍योंकि तू मेरे प्राणों को अधोलोक में न छोड़ेगा और न अपने पवित्र जन को सड़ने ही देगा!
Act 2:28 तू ने मुझे जीवन का मार्ग बताया है, तू मुझे अपने दर्शन के द्वारा आनन्‍द से भर देगा।
Act 2:29 हे भाइयो, मैं उस कुलपति दाऊद के विषय में तुम से साहस के साथ कह सकता हूं कि वह तो मर गया और गाड़ा भी गया और उस की कब्र आज तक हमारे यहां वर्तमान है।
Act 2:30 सो भविष्यद्वक्ता होकर और यह जानकर कि परमेश्वर ने मुझ से शपथ खाई है, कि मैं तेरे वंश में से एक व्यक्ति को तेरे सिंहासन पर बैठाऊंगा।
Act 2:31 उस ने होनहार को पहिले ही से देखकर मसीह के जी उठने के विषय में भविष्यद्वाणी की कि न तो उसका प्राण अधोलोक में छोड़ा गया, और न उस की देह सड़ने पाई।
Act 2:32 इसी यीशु को परमेश्वर ने जिलाया, जिस के हम सब गवाह हैं।
Act 2:33 इस प्रकार परमेश्वर के दाहिने हाथ से सर्वोच्‍च पद पाकर, और पिता से वह पवित्र आत्मा प्राप्‍त करके जिस की प्रतिज्ञा की गई थी, उस ने यह उंडेल दिया है जो तुम देखते और सुनते हो।
Act 2:34 क्‍योंकि दाऊद तो स्‍वर्ग पर नहीं चढ़ा परन्‍तु वह आप कहता है, कि प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा;
Act 2:35 मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों तले की चौकी न कर दूं।
Act 2:36 सो अब इस्‍त्राएल का सारा घराना निश्‍चय जान ले कि परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।
Act 2:37 तब सुनने वालों के ह्रृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयो, हम क्‍या करें?
Act 2:38 पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले, तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।
Act 2:39 क्‍योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्‍तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिये भी है जिनको प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।


एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल ३-५
  • लूका १४:२५-३५

रविवार, 17 अप्रैल 2011

आशा अथवा निराश

मैं सोचता हूँ कि उस समय यरुशलेम में कितने ही लोग ऐसे थे जो रविवार को तो प्रभु यीशु के स्वागत के लिए "होशाना" (धन्य-धन्य) के नारे लगा रहे थे और कुछ दिन पश्चात उसे क्रूस की मृत्यु देने के लिए भी चिल्ला रहे थे। लोग निराश थे कि प्रभु यीशु ने रोमी राज्य को हटा कर अपना राज्य स्थापित नहीं किया। प्रभु यीशु ने न तो लोगों द्वारा उत्साहपूर्वक अपने स्वागत को रोकने की कोशिश करी और न ही उन लोगों के जोश का लाभ उठा कर किसी बलवे के लिए उन्हें उकसाया। उस भीड़ में जो केवल विदेशी सत्ता की आधीनता से मुक्ति पाना चाहते थे, वे यीशु से बहुत निराश हुए।

लोग यह नहीं पहचान सके कि यीशु अपना सांसारिक प्रभुत्व स्थापित करना नहीं वरन उनके हृदयों पर राज्य करना चाहता है। उस समय के यहूदियों की सबसे बड़ी आवश्यक्ता रोमी साम्राज्य से छुटकारा नहीं वरन पापों से मुक्ति थी। एक दिन अवश्य यीशु अपनी महिमा और सामर्थ में समस्त संसार राज्य करेगा, लेकिन उससे पहले उसे क्रूस पर बलिदान द्वारा समस्त संसार के पाप के दण्ड की कीमत चुकाने के द्वारा ही संभव था। उसके साम्राज्य की स्थापना की कुंजी संसार में कोई विद्रोह अथवा क्रांति नहीं वरन मनुष्यों में पश्चाताप और समर्पण है; क्योंकि उसका राज्य पृथ्वी पर नहीं वरन लोगों के हृदय में और स्वर्ग में है।

सदीयाँ बीतने पर भी मुद्दा बदला नहीं है, बात वहीं और वैसी ही है। यदि हम प्रभु यीशु का अनुसरण इस उद्देश्य से करते हैं कि वह हमें ज़िन्दगी की मुशकिलों से बचा लेगा, हमारे सारे रोगों को चंगा कर देगा, हमें समृद्धि प्रदान कर देगा तो यकीन जानिए, उस समय की उस भीड़ की तरह आप भी निराशा की ओर अग्रसर हैं।

लेकिन अगर हम अपने पापों से पश्चाताप करके उसे अपने हृदय का राजा बना लें, अपना क्रूस उठाकर उसके पीछे हो लें और उसके लिए जीने की ठान लें क्योंकि वही हमारा सर्जनहार-पालनहार-तारणहार परमेश्वर है, तो हमें कभी यीशु से कोई निराशा नहीं होगी और उसकी शांति और सामर्थ हमारे जीवनों में अनन्तकाल तक राज करेगी, हमें सामर्थ देगी और हम एक जयवंत जीवन जीने वाले लोग होंगे। - डेनिस डी हॉन


अपने जीवन में यीशु को प्रथम रखिये, उसकी शांति और सामर्थ अन्त तक आपके साथ रहेगी।

देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है और गदहे पर बैठा है बरन लादू के बच्‍चे पर। - मत्ती २१:५


बाइबल पाठ: मत्ती २१:१-११

Mat 21:1 जब वे यरूशलेम के निकट पहुंचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलों को यह कहकर भेजा।
Mat 21:2 कि अपने साम्हने के गांव में जाओ, वहां पंहुचते ही एक गदही बन्‍धी हुई, और उसके साथ बच्‍चा तुम्हें मिलेगा; उन्‍हें खोलकर, मेरे पास ले आओ।
Mat 21:3 यदि तुम में से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इन का प्रयोजन है: तब वह तुरन्‍त उन्‍हें भेज देगा।
Mat 21:4 यह इसलिये हुआ, कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया या, वह पूरा हो
Mat 21:5 कि सिय्योन की बेटी से कहो, देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है और गदहे पर बैठा है बरन लादू के बच्‍चे पर।
Mat 21:6 चेलों ने जाकर, जैसा यीशु ने उन से कहा था, वैसा ही किया।
Mat 21:7 और गदही और बच्‍चे को लाकर, उन पर अपने कपड़े डाले, और वह उन पर बैठ गया।
Mat 21:8 और बहुतेरे लोगों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए, और और लोगों ने पेड़ों से डालियां काटकर मार्ग में बिछाईं।
Mat 21:9 और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चली आती थी, पुकार पुकार कर कहती थी, कि दाऊद की सन्‍तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना।
Mat 21:10 जब उस ने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई और लोग कहने लगे, यह कौन है?
Mat 21:11 लोगों ने कहा, यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्ता यीशु है।

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल १-२
  • लूका १४:१-२४

शनिवार, 16 अप्रैल 2011

छिछली निष्ठा

अमेरिका में रविवार की प्रातः समय होता है "इलैकट्रौनिक चर्च" का। अनेक टी. वी. चैनलों द्वारा मसीही कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। कुछ टी.वी. प्रचारक तो स्पष्ट और सटीक सुसमाचार सुनाते हैं, परन्तु कई ऐसे हैं जो सम्मोहित से बैठे दर्शकों के सामने मंच पर इधर से उधर चक्कर लगाते हैं और उन्हें लुभावनी बातों से वशीभूत करने का प्रयास करते हैं, कि यीशु आपको सभी बिमरियों से चंगाई देगा, वह आपको अमीर बना देगा, गरीबी शैतान की ओर से है किंतु यीशु आपको समृद्ध देखना चाहता है। लोग ऐसे चंगाई और स्मृद्धि के "सुसमाचार" को सुनना बहुत पसन्द करते हैं और ऐसे प्रचारकों की सुनने को बड़ी भीड़ एकत्रित रहती है।

अब ज़रा अपने आप को पहली सदी के एक रविवार के दिन में ले चलिए; वर्ष है लगभग ३३ ईस्वीं और शहर है यरुशलेम। यहाँ पर पिछले ३ वर्षों से य़ीशु बिमारों को चंगा करता रहा है, उसने भूखों को भोजन दिया और यहाँ तक कि मुर्दों को भी जिला दिया। अब वह यरुशलेम में गदही के बच्चे पर बैठ कर प्रवेश कर रहा है, और बड़ी भीड़ उसका स्वागत "होशाना" (धन्य-धन्य) के नारों से कर रही है। लेकिन यह भीड़ उसका स्वागत अपने पिछले अनुभव के आधार पर इस सोच से कर रही है कि वह हमें क्या कुछ नहीं दे सकता; उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि वह कौन है और क्यूँ आया है। उन्हें एक सांसारिक मसीहा चाहिए जो उनकी पार्थिव आवश्यक्ताओं को पूरा कर सके। जब यीशु उनकी उम्मीदों के अनुसार नहीं बना तो इसी भीड़ ने उसके लिए क्रूस की मृत्यु भी माँगने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। उन्हें दुख उठाने वाले मसीहा से कोई सरोकार नहीं है जिसकी क्रूस पर की मृत्यु उनके पापों को प्रगट करती है, उन्हें पश्चाताप के लिए उकसाती है, उनसे समर्पण का जीवन चाहती है और उन्हें पापों की क्षमा का मार्ग देती है।

प्रभु यीशु ने कभी यह वायदा नहीं दिया कि वह संसार में संसार के सभी दुखों से छुटकारा देगा। लेकिन उसने यह वायदा अवश्य किया कि वह पापों की क्षमा, शान्ति, अनन्त जीवन और इस संसार में क्रूस उठाने का जीवन देगा।

प्रभु यीशु की सेवा करने के जीवन में क्रूस उठाने के जीवन से कमतर किसी भी बात की आशा रखना प्रभु यीशु के प्रति एक छिछली निष्ठा का प्रमाण है। - डेनिस डी हॉन


सहज (आसान) शब्द सुसमाचारों में केवल एक बार प्रयोग हुआ है, वह भी प्रभु यीशु के साथ उसके जुए में जुतने के संदर्भ में।

और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चली आती थी, पुकार पुकार कर कहती थी, कि दाऊद की सन्‍तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना। - मत्ती २१:९


बाइबल पाठ: युहन्ना १२:१२-१९

Joh 12:12 दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्ब्‍ब में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आता है।
Joh 12:13 खजूर की, डालियां ले लीं, और उस से भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, कि होशाना, धन्य इस्‍त्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।
Joh 12:14 जब यीशु को एक गदहे का बच्‍चा मिला, तो उस पर बैठा।
Joh 12:15 जैसा लिखा है, कि हे सिय्योन की बेटी, मत डर, देख, तेरा राजा गदहे के बच्‍चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।
Joh 12:16 उसके चेले, ये बातें पहिले न समझे थे; परन्‍तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई, तो उन को स्मरण आया, कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थीं और लोगों ने उस से इस प्रकार का व्यवहार किया था।
Joh 12:17 तब भीड़ के लोगों ने जो उस समय उसके साथ थे यह गवाही दी कि उस ने लाजर को कब्र में से बुला कर, मरे हुओं में से जिलाया था।
Joh 12:18 इसी कारण लोग उस से भेंट करने को आए थे क्‍योंकि उन्‍होंने सुना था, कि उस ने यह आश्‍चर्यकर्म दिखाया है।
Joh 12:19 तब फरीसियों ने आपस में कहा, सोचो तो सही कि तुम से कुछ नहीं बन पड़ता: देखो, संसार उसके पीछे हो चला है।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल ३०-३१
  • लूका १३:२३-३५

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

ईर्ष्या से बचाव

डाह और ईर्ष्या ऐसी भावनाएं हैं जो असंतुष्टि और रोष के कारण होती हैं। यह किसी अन्य के भले गुणों या उसकी संपदा को पाने की लालसा से हो सकता है। राहेल ने अपनी बहन लीआः से डाह रखी क्योंकि वह स्वयं बांझ थी किन्तु लिआः के सन्तान उत्पन्न होती थी (उत्पत्ति ३०:१); यूसुफ के भाईयों ने उससे ईर्ष्या करी क्योंकि उसने स्वप्न में भविष्य के दर्शन देखे थे (उत्पत्ति ३७:११); शाउल को दाउद से ईर्ष्या हुई क्योंकि उसके राज्य की महिलाएं दाउद की प्रशंसा करने लगीं (१ शमुएल १८:७-९); यहूदियों को पौलुस से ईर्ष्या हुई क्योंकि उसके प्रचार की सभी सराहना करते थे और प्रभावित होते थे (प्रेरितों १३:४५)।

दूसरे कि कोई भी योग्यता, जैसे बुद्धिमता, सुन्दरता, लोकप्रीयता, यहाँ तक कि आत्मिक बातों की समझ भी लोगों में द्वेश और ईर्ष्या उतपन्न कर सकती है। मसीही विश्वासी भी, चाहे वह कितना भी बड़ा विश्वासी क्यों न हो, इस दुरभावना का शिकार होने के खतरे में रहता है।

जब मैसचूसटस प्रांत के नौर्थफील्ड शहर में एफ. बी. मेयर्स पहली बार प्रचार के लिए आए तो उनके द्वारा दिल छू लेने वाले सन्देश सुनने के लिए लोगों की बड़ी भीड़ एकत्रित होने लगी। कुछ समय पश्चात महान बाइबल शिक्षक कैम्पबल मौर्गन उसी शहर में आए, और भीड़ उनकी सभाओं में जाने लगी। मेयर्स ने स्वीकार किया कि इस बात से उन्हें ईर्ष्या हुई; उन्होंने कहा, "अपनी इस दुर्भावना पर विजयी होने का मेरे पास एक ही उपाय है कि मैं मौर्गन की सफलता के लिए प्रार्थना करूं, और मैं रोज़ यही किया करता हूँ।"

जो हमारे पास नहीं है लेकिन किसी दूसरे के पास है, उसके प्रति नकरात्मक रवैया रखना, हमारे अन्दर पवित्र आत्मा के कार्य को बाधित करता है। लेकिन जब हम उसके भले की कामना करेंगे जिससे हमें ईर्ष्या होती है तभी हम अपने अन्दर से डाह और ईर्ष्या को उखाड़ कर फेंकने पाएंगे और इन दुरभावनाओं पर विजयी होने पाएंगे। - रिचर्ड डी हॉन


मसीह जैसे प्रेम की प्रतिदिन की खुराक ईर्ष्या रोग को हमारे अन्दर पनपने से बचा कर रखती है।

परन्‍तु यहूदी भीड़ को देखकर डाह से भर गए, और निन्‍दा करते हुए पौलुस की बातों के विरोध में बोलने लगे। - प्रेरितों १३:४५


बाइबल पाठ: प्रेरितों १३:४४-५२

Act 13:44 अगले सब्‍त के दिन नगर के प्राय: सब लोग परमेश्वर का वचन सुनने को इकट्ठे हो गए।
Act 13:45 परन्‍तु यहूदी भीड़ को देखकर डाह से भर गए, और निन्‍दा करते हुए पौलुस की बातों के विरोध में बोलने लगे।
Act 13:46 तब पौलुस और बरनबास ने निडर होकर कहा, अवश्य था, कि परमेश्वर का वचन पहिले तुम्हें सुनाया जाता; परन्‍तु जब कि तुम उसे दूर करते हो, और अपने को अनन्‍त जीवन के योग्य नहीं ठहराते, तो देखो, हम अन्यजातियों की ओर फिरते हैं।
Act 13:47 क्‍योकिं प्रभु ने हमें यह आज्ञा दी है कि मैंने तुझे अन्याजातियों के लिये ज्योति ठहराया है ताकि तू पृथ्वी की छोर तक उद्धार का द्वार हो।
Act 13:48 यह सुनकर अन्यजाति आनन्‍दित हुए, और परमेश्वर के वचन की बड़ाई करने लगे; और जितने अनन्‍त जीवन के लिये ठहराए गए थे, उन्‍होंने विश्वास किया।
Act 13:49 तब प्रभु का वचन उस सारे देश में फैलने लगा।
Act 13:50 परन्‍तु यहूदियों ने भक्त और कुलीन स्‍त्रियों को और नगर के बड़े लोगों को उकसाया, और पौलुस और बरनबास पर उपद्रव करवा कर उन्‍हें अपने सिवानों से निकाल दिया।
Act 13:51 तब वे उन के साम्हने अपने पांवों की धूल झाड़कर इकुनियुम को गए।
Act 13:52 और चेले आनन्‍द से और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होते रहे।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल २७-२९
  • लूका १३:१-२२

गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

ईर्ष्या की औषधि

इटली के पादुआ इलाके में एक चर्च में मध्यकालीन चित्रकार जियोटो द्वारा बनाया गया एक चित्र टंगा है। चित्रकार ने इस चित्र में "ईर्ष्या" को दिखाया है - उसके लम्बे लम्बे कान हैं जो किसी दूसरे की उपल्बधियों की सभी बातों की ओर लगे हैं, उसकी लम्बी सी ज़ुबान है, जो सांप की ज़ुबान के समान है जिससे वह अपने ईर्ष्या के पात्र की कीर्ति को विषाक्त करती है। लेकिन चित्र में एक अद्भुत बात भी दिखाई गई है - ईर्ष्य़ा की यह लम्बी सी ज़ुबान मुड़कर उसकी अपनी आंखों में घुसी हुई है, यह दिखाने के लिए कि न सिर्फ ईर्ष्या अन्धी होती है वरन वह अपना नुकसान भी खुद ही करती है।

सच है, ईर्ष्या और द्वेश से भरे मन से दुखी और अभागा और कोई नहीं हो सकता। ईर्ष्यालु व्यक्ति न केवल दूसरों की खुशियों को नाश करते हैं, वे दूसरों की उपल्ब्धियों को भी खराब करते हैं और अपनी ईर्ष्या में स्वयं ही जल जाते हैं।

ईर्ष्या उन पापों में से एक थी जो कुरिन्थुस के चर्च का नाश कर रही थी। उस चर्च के सदस्य एक दूसरे के आत्मिक वरदानों से डाह रखते थे, और वह मण्डली गुटों में विभाजित हो गई थी। हर कोई अपनी ही बड़ाई चाहता था। पौलुस ने उन्हें समझाया "...तुम बड़ी से बड़ी बरदानों की धुन में रहो! परन्‍तु मैं तुम्हें और भी सब से उत्तम मार्ग बताता हूं।" (१ कुरिन्थियों १२:३१) - प्रेम का मार्ग, क्योंकि " प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।" (१ कुरिन्थियों १३:४)

यदि हम दूसरों की सफलता पर अप्रसन्न होते हैं, कुड़कुड़ाते हैं और उनपर लांछन लगाते हैं, उनकी बुराई करते हैं, तो हम "ईर्ष्या रोग" से ग्रसित हैं, जिससे चंगा होने की "प्रेम औषधि" परमेश्वर हमें देना चाहता है।

प्रेम ही वह औषधि है जो हमें "ईर्ष्या रोग" से बचा सकती है। - डेव एगनर


दूसरों पर छोड़े गए ईर्ष्या के बाण, स्वयं हमें ही घायल करते हैं।

क्योंकि मूढ़ तो खेद करते करते नाश हो जाता है, और भोला जलते जलते मर मिटता है। - अय्युब ५:२


बाइबल पाठ: गलतियों ५:१९-२६

Gal 5:19 शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्‍दे काम, लुचपन।
Gal 5:20 मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म।
Gal 5:21 डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के ऐसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।
Gal 5:22 पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज,
Gal 5:23 और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं।
Gal 5:24 और जो मसीह यीशु के हैं, उन्‍होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषों समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है।
Gal 5:25 यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।
Gal 5:26 हम घमण्‍डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल २५-२६
  • लूका १२:३२-५९

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

ईर्ष्या से प्रतिरोध

तकनीक विज्ञान में घर्षण से उतपन्न प्रतिरोध कार्य कुशलता का विरोधी है। इसी कारण वाहन निर्माता वाहन में कम से कम वायु-प्रतिरोध, आसानी से घूम सकने वाले टायर और अधिक से अधिक कार्य कुशल इंजनों पर ज़ोर देते हैं। वे वायु, सड़क और इंजन के पुर्ज़ों के घर्षण प्रतिरोध को कम से कम करना चाहते हैं।

बाइबल की गिनती नामक पुस्तक में हम एक ऐसे प्रतिरोध के बारे में पढ़ते हैं जो आपसी तनाव उतपन्न करता है, हमारी गवाही को खराब करता है, हमारी आराधना को रोकता है और हमारे जीवन में परमेश्वर के आत्मा के कार्य में बाधा डालता है। मिरियम द्वारा अपने भाई के विरुद्ध ईर्ष्या से किये गये विरोध के कारण परमेश्वर का क्रोध उन पर भड़का और इस्त्राएलियों के आगे बढ़ने में बाधा बना। जैसे मिरियम द्वारा उतपन्न प्रतिरोध इस्त्राएल के लिए बाधा बना, ऐसे ही आज भी चर्च के लोगों के आपसी संबंधों में आपसी ईर्ष्या और द्वेश उनकी बढ़ोतरी में बाधा हैं।

हम सबने विद्वेशियों के शब्दबाणों की वेदना का अनुभव किया है, लेकिन विद्वेश से सबसे अधिक तकलीफ उसे होती है जो विद्वेश को अपने मन में पालता है। ईर्ष्या ईर्ष्यालु व्यक्ति को अन्दर ही अन्दर खा जाती है और उसके आत्मिक तथा सांसारिक, दोनो जीवनों का नाश कर देती है। इसीलिए प्राचीन काल के दार्शनिक सुकरात (Socrates) ने ईर्ष्या को "आत्मा की आरी" कहा।

जब कभी हम विद्वेश के प्रतिरोध को अपने अन्दर अनुभव करें, हमें तुरंत परमेश्वर के सामने उसका अंगीकार कर लेना चाहिए और परमेश्वर से उसके ऊपर जयवंत होने की सामर्थ मांगनी चाहिए। साथ ही उन्हें भी क्षमा कर देना चाहिए जिन्होंने हमारा बुरा किया या चाहा; और जिनका हमने बुरा किया या चाहा, उनसे क्षमा मांग लेनी चाहिए।

ऐसा करने से हमारे अन्दर का "घर्षण प्रतिरोध" समाप्त हो जाएगा और हमारे जीवन में कार्य कुशलता पुनः लौट आएगी। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


हम एक ही समय में ईर्ष्यालु और कार्य कुशल नहीं हो सकते।

...क्या यहोवा ने केवल मूसा ही के साथ बातें की हैं? क्या उस ने हम से भी बातें नहीं कीं? - गिनती १२:२


बाइबल पाठ: गिनती १२

Num 12:1 मूसा ने तो एक कूशी स्त्री के साथ ब्याह कर लिया था। सो मरियम और हारून उसकी उस ब्याहता कूशी स्त्री के कारण उसकी निन्दा करने लगे;
Num 12:2 उन्होंने कहा, क्या यहोवा ने केवल मूसा ही के साथ बातें की हैं? क्या उस ने हम से भी बातें नहीं कीं? उनकी यह बात यहोवा ने सुनी।
Num 12:3 मूसा तो पृथ्वी भर के रहने वाले मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था।
Num 12:4 सो यहोवा ने एकाएक मूसा और हारून और मरियम से कहा, तुम तीनों मिलापवाले तम्बू के पास निकल आओ। तब वे तीनों निकल आए।
Num 12:5 तब यहोवा ने बादल के खम्भे में उतर कर तम्बू के द्वार पर खड़ा होकर हारून और मरियम को बुलाया; सो वे दोनों उसके पास निकल आए।
Num 12:6 तब यहोवा ने कहा, मेरी बातें सुनो: यदि तुम में कोई नबी हो, तो उस पर मैं यहोवा दर्शन के द्वारा अपने आप को प्रगट करूंगा, वा स्वप्न में उस से बातें करूंगा।
Num 12:7 परन्तु मेरा दास मूसा ऐसा नहीं है; वह तो मेरे सब घरानों मे विश्वास योग्य है।
Num 12:8 उस से मैं गुप्त रीति से नहीं, परन्तु आम्हने साम्हने और प्रत्यक्ष होकर बातें करता हूं और वह यहोवा का स्वरूप निहारने पाता है। सो तुम मेरे दास मूसा की निन्दा करते हुए क्यों नहीं डरे?
Num 12:9 तब यहोवा का कोप उन पर भड़का, और वह चला गया;
Num 12:10 तब वह बादल तम्बू के ऊपर से उठ गया, और मरियम कोढ़ से हिम के समान श्वेत हो गई। और हारून ने मरियम की ओर दृष्टि की, और देखा, कि वह कोढ़िन हो गई है।
Num 12:11 तब हारून मूसा से कहने लगा, हे मेरे प्रभु, हम दोनों ने जो मूर्खता की वरन पाप भी किया, यह पाप हम पर न लगने दे।
Num 12:12 और मरियम को उस मरे हुए के समान न रहने दे, जिसकी देह अपनी मां के पेट से निकलते ही अधगली हो।
Num 12:13 सो मूसा ने यह कहकर यहोवा की दोहाई दी, हे ईश्वर, कृपा कर, और उसको चंगा कर।
Num 12:14 यहोवा ने मूसा से कहा, यदि उसका पिता उसके मुंह पर थूका ही होता, तो क्या सात दिन तक वह लज्जित न रहती? सो वह सात दिन तक छावनी से बाहर बन्द रहे, उसके बाद वह फिर भीतर आने पाए।
Num 12:15 सो मरियम सात दिन तक छावनी से बाहर बन्द रही, और जब तक मरियम फिर आने न पाई तब तक लोगों ने प्रस्थान न किया।
Num 12:16 उसके बाद उन्होंने हसेरोत से प्रस्थान करके पारान नाम जंगल में अपने डेरे खड़े किए।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल २२-२४
  • लूका १२:१-३१

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

ईर्ष्या का फन्दा

ईर्ष्या का एक कारण है दूसरे की तुलना में किसी बात अथवा वस्तु की घटी होना। ऐसा प्रतीत होता है कि असमानता ईर्ष्या को जन्म देती है।

जब मैं रेडियो प्रसारण के लिए लोगों से साक्षातकार करता था, तो मैं उनसे पूछता था कि क्या वे मानते हैं कि सब मनुष्य समान बनाए गए हैं? अधिकांशतः लोगों का उत्तर होता था "नहीं"; और अपने उत्तर के पक्ष में वे भिन्न भिन्न योग्यताओं, स्वरूप, परिस्थित्यों आदि का उदाहरण देते। एक व्यक्ति को शिकायत थी कि उसे सस्ते ढाबों या ठेलियों से सस्ता भोजन ही नसीब हो पाता है जबकि कितने ही लोग आलिशान होटलों में भोजन करते हैं। केवल एक ही व्यक्ति ने इस प्रश्न की गहराई को समझ कर उत्तर दिया। उसने कहा, "परमेश्वर की आधीनता में सब मनुष्य समान हैं।"

बाइबल सिखाती है कि सभी मनुष्य परमेश्वर के स्वरूप में सृजे गए हैं, और सभी मनुष्य परमेश्वर द्वारा उन्हें दिए गए गुणों और योग्यताओं के लिए परमेश्वर को जवाबदेह हैं - कि उन्होंने उन गुणों और योग्यताओं का कैसे उपयोग किया; सभी मनुष्यों को एक दिन मरना भी है और परमेश्वर के न्यायासन के सामने खड़ा भी होना है। इस लिए परमेश्वर के आधीन - और केवल परमेश्वर के आधीन सभी के लिए समानता है। लेकिन परमेश्वर और उसके सच्चे तथा खरे न्याय के बाहर, संसार में बहुत कुछ है जो अन्यायपूर्ण है।

मसीही विश्वासी सही परिपेक्ष रखते हुए इस बात को अच्छे से समझ सकते हैं क्योंकि वे सब परमेश्वर के पास पापी आए और सब ने परमेश्वर ही से पापों की क्षमा प्राप्त करी, अपनी किसी योग्यता के कारण नहीं वरन केवल उसके अनुग्रह के कारण। परमेशवर के सन्मुख वे सभी कलवरी के क्रूस पर प्रभु यीशु के बलिदान के वसीले से ही आ सके हैं, वहाँ अमीर गरीब सब एक समान हैं। परमेश्वर की आधीनता में अमीर आनन्दित हैं क्योंकि उन्होंने सांसारिक धन के खोखलेपन और व्यर्थता को समझ लिया है, और गरीब भी आनन्दित है क्योंकि उन्हें स्वर्ग का अनन्त धन मिल गया है।

यही ज्ञान वह ज्ञान है जो ईर्ष्या के फन्दे से बचा कर रखता है। - मार्ट डी हॉन


जो परमेश्वर हमें देता है, उसे कोई हमसे छीन नहीं सकता।

...जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है? - नीतिवचन २७:४


बाइबल पाठ: नीतिवचन (संकलित)

Pro 3:31 उपद्रवी पुरूष के विषय में डाह न करना, न उसकी सी चाल चलना।
Pro 6:34 क्योंकि जलन से पुरूष बहुत ही क्रोधित हो जाता है, और पलटा लेने के दिन वह कुछ कोमलता नहीं दिखाता।
Pro 14:30 शान्त मन, तन का जीवन है, परन्तु मन के जलने से हड्डियां भी जल जाती हैं।
Pro 23:17 तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
Pro 27:4 क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है?

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल १९-२१
  • लूका ११:२९-५४

सोमवार, 11 अप्रैल 2011

आरंभ

१९८६ की गर्मियों में Black Sea में दो पानी के जहाज़ों की टक्कर से कई लोगों की मृत्यु हो गई। यह दुर्घटना और भी दुखदाई हो गई जब जाँचकर्ताओं ने दुर्घटना के कारण का पता लगाया। दुर्घटना न तो रडार प्रणाली की असफलता से हुई और न ही वहाँ घना कोहरा था। पता लगा कि दोनो जहाज़ों के कप्तानों को एक दूसरे की स्थिति का पता था और वे दोनो ही बचाव के लिए समय रहते अपना मार्ग बदल सकते थे, लेकिन दोनों ही ने ऐसा नहीं किया, क्योंकि दोनो में से कोई भी अपने घमंड के कारण अपना मार्ग छोड़ने की बजाए दूसरे से मार्ग छोड़ने की उम्मीद कर रहे थे।

इससे भी अधिक नुकसान मानवीय संबंधों में ऐसे ही स्वार्थ, घमंड और जलन से होती है। हम संसार की समस्याओं के लिए राजनैतिक, धार्मिक या विचारधारा के मतभेदों को दोष देते हैं, लेकिन याकूब बताता है कि इसका मूल कारण है घमंड और स्वार्थ। घमंड ही ने प्रधान स्वर्गदूत लूसिफर को स्वर्ग से गिराकर शैतान बना दिया। पश्चताप न करने और क्षमा न मांगने के कारण ही हमारे आदि माता-पिता - आदम और हव्वा में होकर पाप आज मनुष्य जाति में विनाश कर रहा है।

घमंड, ईर्ष्या और स्वार्थ को बड़ा विनाश उत्पन्न करने से रोकने का एक ही मार्ग है कि हम उस समझबूझ का प्रयोग करें जो ऊपर से आता है, क्योंकि "जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्‍छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है" (याकूब ३:१७)।

इसी "ज्ञान" से मृदु भाव और एकता और आपसी सहनशीलता संभव होगी। - मार्ट डी हॉन


कुछ मुसीबतें लोगों द्वारा अपनी मन मर्ज़ी करने की ठान लेने से होती हैं, तो कुछ अन्य मुसीबतें लोगों को मन मर्ज़ी करने देने से होती हैं।

इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्‍कर्म भी होता है। - याकूब ३:१६

बाइबल पाठ: याकूब ३:१४-४:६

Jas 3:14 पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्‍ड न करना, और न तो झूठ बोलना।
Jas 3:15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है।
Jas 3:16 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्‍कर्म भी होता है।
Jas 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्‍छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।
Jas 3:18 और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है।
Jas 4:1 तुम में लड़ाइयां और झगड़े कहां से आ गए? क्‍या उन सुख-विलासों से नहीं जो तुम्हारे अंगों में लड़ते-भिड़ते हैं?
Jas 4:2 तुम लालसा रखते हो, और तुम्हें मिलता नहीं; तुम हत्या और डाह करते हो, ओर कुछ प्राप्‍त नहीं कर सकते, तुम झगड़ते और लड़ते हो तुम्हें इसलिये नहीं मिलता, कि मांगते नहीं।
Jas 4:3 तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिये कि बुरी इच्‍छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।
Jas 4:4 हे व्यभिचारिणयों, क्‍या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।
Jas 4:5 क्‍या तुम यह समझते हो, कि पवित्र शास्‍त्र व्यर्थ कहता है जिस आत्मा को उस ने हमारे भीतर बसाया है, क्‍या वह ऐसी लालसा करता है, जिस का प्रतिफल डाह हो?
Jas 4:6 वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल १७-१८
  • लूका ११:१-२८

रविवार, 10 अप्रैल 2011

ईर्ष्या से हानि

बर्मा की एक लघुकथा है कि एक कुम्हार अपने पड़ौसी धोबी को फलता-फूलता देख उससे ईर्ष्या करने लगा, और उसे बरबाद करने की ठान ली। उसने राजा के कान भरे कि वह आज्ञा दे कि धोबी राजा के एक काले हाथी को धो कर सफेद कर दे। धोबी ने राजा की आज्ञा स्वीकार करी और उससे निवेदन किया कि उसके कार्य की आवश्यकतओं के अनुसार उसे एक इतना बड़ा पात्र दिया जाए जिसमें खड़ा करके वह हाथी को धो सके। राजा ने तुरंत ही उस कुम्हार को आज्ञा दी कि वह मांगा गया पात्र तैयार करके दे। बड़ी कठिनाई से कुम्हार ने एक बड़ा पात्र तो बनाया लेकिन हाथी के उसमें खड़ा होते ही वह हाथी के वज़न से टुकड़े-टुकड़े हो गया। कुम्हार ने बहुत प्रयास किए और कितने ही बर्तन बनाए लेकिन सबका अन्जाम वही रहा और राजा की आज्ञा के अनुसार बर्तन बनाने के प्रयास में उसकी अपनी रोज़ी रोटी भी जाती रही। अन्ततः कुम्हार का ईर्ष्या में रचाया गया ष्ड़यंत्र उसे ही ले डूबा।

ईर्ष्या का स्वभाव है कि वह अपने पालने वाले का ही विनाश कर देती है। बाइबल के पुराने नियम में ईर्ष्या के लिए जो शब्द मूल भाषा में प्रयोग हुआ है, उसका अर्थ होता है "जलाने या भस्म करने वाला" और यह ईर्ष्यालु व्यक्ति के मन की सही दशा का विवरण भी है, क्योंकि ईर्ष्यालु के मन में ईर्ष्या ज्वाला की तरह धधकती रहती है। राजा शाउल भी अपनी दाउद के प्रति ईर्ष्या के कारण नाश हो गया।

नीतिवचन ६:२७ में लिखा है, "क्या हो सकता है कि कोई अपनी छाती पर आग रख ले और उसके कपड़े न जलें?" ईर्ष्या के अंगारे थोड़े ही समय में भस्म करने वाली धधकती ज्वाला बन जाते हैं और खाक कर देते हैं।

यदि ईर्ष्या के अंगारों को अंगीकार और पश्चाताप द्वारा न बुझाया गया तो वे ईर्ष्यालु को भस्म कर देंगे। - पौल वैन गोर्डर


...ईर्ष्या कब्र के समान निर्दयी है। उसकी ज्वाला अग्नि की दमक है... - श्रेष्ठगीत ८:६

जैसे दीमक काठ को अन्दर ही अन्दर खा लेती है, वैसे ही ईर्ष्या भी मनुष्य को अन्दर ही से नाश कर देती है।


बाइबल पाठ: याकूब ३:६-१८

Jas 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्‍ड की आग से जलती रहती है।
Jas 3:7 क्‍योंकि हर प्रकार के वन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
Jas 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रूकती ही नहीं, वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
Jas 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्‍पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
Jas 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
Jas 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नही होना चाहिए।
Jas 3:12 क्‍या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलता है? हे मेरे भाइयों, क्‍या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।
Jas 3:13 तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्‍छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्‍पन्न होती है।
Jas 3:14 पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्‍ड न करना, और न तो झूठ बोलना।
Jas 3:15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है।
Jas 3:16 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्‍कर्म भी होता है।
Jas 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्‍छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।
Jas 3:18 और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल १५-१६
  • लूका १०:२५-४२

शनिवार, 9 अप्रैल 2011

ईर्ष्या पर जय

रोम के वैटिकन चर्च को सुन्दर बनाने के लिए मशहूर कलाकार माईकलएंजलो और रफैल अपनी कलकृतियों से उसे सजा रहे थे। उनमें बड़ा विद्वेष उत्पन्न हो गया यहां तक कि उन्होंने आपस में बात करना भी बन्द कर दिया। तौभी दोनो अपनी ओर से परमेश्वर की महीमा के लिए कार्य कर रहे थे।

ईर्ष्या कई दफा धार्मिक उत्साह का रूप ले कर सामने आती है। मरियम और हारून ने अपने भाई मूसा की आलोचना करी, लेकिन परमेर्श्वर के क्रोध ने प्रगट किया कि उनकी यह आलोचना ईर्ष्या के कारण थी। ईर्ष्यावश ही शाउल ने दाउद को मारने के प्रयत्न किए क्योंकि परमेश्वर ने दाउद को शाउल के बाद इस्त्राएल का राजा होने के लिए चुन लिया था। जब पौलुस रोम में बन्दी था तो कुछ लोग इस आश्य से सुसमाचार प्रचार करते थे कि उनके ऐसा करने से पौलुस को और दुख मिल सके, क्योंकि वे लोग परमेश्वर द्वारा उसे इतना उत्तम रीति से प्रयोग किए जाने से बहुत ईर्षालु थे।

ईर्ष्या एक बहुत हानिकारक व्यवहार है जो सबसे अधिक ईर्ष्या करने वाले को ही नुकसान पहुंचाता है। ईर्ष्या का कारण है हमारा यह मानना कि किसी और को हम से अधिक मिल रहा है जो हमें मिलना चाहिए था - वह चाहे पैसा हो, कीर्ति हो, सम्मान हो या अन्य कोई भी उपलबधि हो।

इस पर जयवंत हो सकने के लिए तीन बातों का पालन करना होगा:
१. इसे अपने जीवन में पहिचानना होगा और स्वीकार करना होगा।
२. इसे पाप के रूप में स्वीकार करके इसके लिए परमेश्वर से क्षमा मांगनी होगी।
३. हमें अपने अन्दर एक धन्यवादी मन बनाना होगा। जब हम किसी को कोई लाभ पाते देखें तो उसके लिए परमेश्वर का धन्यवाद करके प्रसन्नता से इस परिस्थिति को स्वीकार करें।

जब हम दूसरों की तुलना अपने आप से करना छोड़ देते हैं तो ईर्ष्या के पनपने का माध्यम भी समाप्त कर देते हैं।

जब हम अपनी संतुष्टि परमेश्वर में पाने लगते हैं तो उसका अनुग्रह हमें दूसरों के आनन्द में आनन्दित होने की क्षमता देता है, और ऐसा में ईर्ष्या के लिए कोई स्थान नहीं रहता। - डेनिस डी हॉन


जब हम ईर्ष्या से भरे होते हैं तो अपने विनाश के निकट भी होते हैं।

कितने तो डाह और झगड़े के कारण मसीह का प्रचार करते हैं और कितने भली मनसा से। - फिलिप्पियों १:१५


बाइबल पाठ: गिनती १२

Num 12:1 मूसा ने तो एक कूशी स्त्री के साथ ब्याह कर लिया था। सो मरियम और हारून उसकी उस ब्याहता कूशी स्त्री के कारण उसकी निन्दा करने लगे;
Num 12:2 उन्होंने कहा, क्या यहोवा ने केवल मूसा ही के साथ बातें की हैं? क्या उस ने हम से भी बातें नहीं कीं? उनकी यह बात यहोवा ने सुनी।
Num 12:3 मूसा तो पृथ्वी भर के रहने वाले मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था।
Num 12:4 सो यहोवा ने एकाएक मूसा और हारून और मरियम से कहा, तुम तीनों मिलापवाले तम्बू के पास निकल आओ। तब वे तीनों निकल आए।
Num 12:5 तब यहोवा ने बादल के खम्भे में उतर कर तम्बू के द्वार पर खड़ा होकर हारून और मरियम को बुलाया; सो वे दोनों उसके पास निकल आए।
Num 12:6 तब यहोवा ने कहा, मेरी बातें सुनो: यदि तुम में कोई नबी हो, तो उस पर मैं यहोवा दर्शन के द्वारा अपने आप को प्रगट करूंगा, वा स्वप्न में उस से बातें करूंगा।
Num 12:7 परन्तु मेरा दास मूसा ऐसा नहीं है; वह तो मेरे सब घरानों मे विश्वास योग्य है।
Num 12:8 उस से मैं गुप्त रीति से नहीं, परन्तु आम्हने साम्हने और प्रत्यक्ष होकर बातें करता हूं और वह यहोवा का स्वरूप निहारने पाता है। सो तुम मेरे दास मूसा की निन्दा करते हुए क्यों नहीं डरे?
Num 12:9 तब यहोवा का कोप उन पर भड़का, और वह चला गया;
Num 12:10 तब वह बादल तम्बू के ऊपर से उठ गया, और मरियम कोढ़ से हिम के समान श्वेत हो गई। और हारून ने मरियम की ओर दृष्टि की, और देखा, कि वह कोढ़िन हो गई है।
Num 12:11 तब हारून मूसा से कहने लगा, हे मेरे प्रभु, हम दोनों ने जो मूर्खता की वरन पाप भी किया, यह पाप हम पर न लगने दे।
Num 12:12 और मरियम को उस मरे हुए के समान न रहने दे, जिसकी देह अपनी मां के पेट से निकलते ही अधगली हो।
Num 12:13 सो मूसा ने यह कहकर यहोवा की दोहाई दी, हे ईश्वर, कृपा कर, और उसको चंगा कर।
Num 12:14 यहोवा ने मूसा से कहा, यदि उसका पिता उसके मुंह पर थूका ही होता, तो क्या सात दिन तक वह लज्जित न रहती? सो वह सात दिन तक छावनी से बाहर बन्द रहे, उसके बाद वह फिर भीतर आने पाए।
Num 12:15 सो मरियम सात दिन तक छावनी से बाहर बन्द रही, और जब तक मरियम फिर आने न पाई तब तक लोगों ने प्रस्थान न किया।
Num 12:16 उसके बाद उन्होंने हसेरोत से प्रस्थान करके पारान नाम जंगल में अपने डेरे खड़े किए।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल १३-१४
  • लूका १०:१-२४

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

जब असफलता असफलता नहीं होती

महान ब्रिटिश राजनैतिज्ञ विन्सटन चर्चिल १९२० के दशक में दो दफा चुनाव हारे। १९३० के दशक में उनका कोई राजनैतिक महत्व नहीं था। लेकिन वे अपनी प्रतिभा निखारने में लगे रहे और १९४० में एंगलैंड के प्रधान मंत्री बन गए। आज वे ब्रिटेन के महान नायकों में गिने जाते हैं।

पौलुस प्रेरित एक स्वतंत्र व्यक्ति होते हुए सुसमाचार प्रचार करने के लिए रोम जाना चाहता था, लेकिन वह जब रोम पहुंचा तो बन्दी बनाया जा चुका था। ऐसा प्रतीत हुआ कि वह अपने महान उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाएगा। लेकिन बन्दी गृह से भी उसने बड़ी दृढ़ता से मसीह यीशु की गवाही और सुसमाचार दिया। पौलुस ने न केवल बन्दी गृह के सभी सैनिकों को सुसमाचार सुना दिया वरन बन्दी गृह से कई प्रभावी पत्रियां भी लिखीं जो आज भी प्रेरणा और मसीही शिक्षा के लिए बहुत उपयोगी हैं। इसलिए वह फिलिप्पी के मसीहियों को लिख सका कि, " हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है।" (फिलिप्पियों १:१२)

जब बड़ी मेहनत से बनाई हुई हमारी योजनाएं विफल हो जाती हैं, तो यह समय होता है अपनी असफलता का विशलेषण करने और उसके अनुसार उप्युक्त कदम उठाने का। यदि हम अपनी गलती को पहचान जाएं तो हम उसे सुधारने के लिए सही कदम भी उठा सकते हैं। यदि हमारी असफलता किन्ही ऐसे कारणों से है जो हमारे वश के बाहर हैं तो परमेश्वर से प्रार्थना करके उससे मांग सकते हैं कि वह इस असफलता से भी हमें सिखाए तथा असफलता में से भी हमारी लिए भलाई करके हमें निराशाओं से निकले।

यदि हम असफलता को स्थायी ना समझ लें तो असफलता असफलता नहीं रहती, वह सफलता की सीढ़ी चढ़ने का ज़रिया बन जाती है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


अधिकांश सफलताएं अनेक असफलताओं के बाद आतीं हैं।

हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है। - फिलिप्पियों १:१२


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:८-१८

Php 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति करके तुम सब की लालसा करता हूं।
Php 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Php 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्‍चे बने रहो और ठोकर न खाओ।
Php 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।
Php 1:12 हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है।
Php 1:13 यहां तक कि कैसरी राज्य की सारी पलटन और शेष सब लोगों में यह प्रगट हो गया है कि मैं मसीह के लिये कैद हूं।
Php 1:14 और प्रभु में जो भाई हैं, उन में से बहुधा मेरे कैद होने के कारण, हियाव बान्‍ध कर, परमेश्वर का वचन निधड़क सुनाने का और भी हियाव करते हैं।
Php 1:15 कितने तो डाह और झगड़े के कारण मसीह का प्रचार करते हैं और कितने भली मनसा से।
Php 1:16 कई एक तो यह जान कर कि मैं सुसमाचार के लिये उत्तर देने को ठहराया गया हूं प्रेम से प्रचार करते हैं।
Php 1:17 और कई एक तो सीधाई से नहीं पर विरोध से मसीह की कथा सुनाते हैं, यह समझ कर कि मेरी कैद में मेरे लिये क्‍लेश उत्‍पन्न करें।
Php 1:18 सो क्‍या हुआ केवल यह, कि हर प्रकार से चाहे बहाने से, चाहे सच्‍चाई से, मसीह की कथा सुनाई जाती है, और मैं इस से आनन्‍दित हूं, और आनन्‍दित रहूंगा भी।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल १०-१२
  • लूका ९:३७-६२

गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

जीवन का लक्षण

एक कहानी है, उस समय की जब कि अमेरिका में गुलाम बनाने की कुप्रथा का प्रचलन था। एक ज़मींदार अपने एक दास को लेकर बतख़ के शिकार पर निकला। ज़मींदार तो नास्तिक था परन्तु दास मसीही विश्वासी था। रास्ते में उनकी बघ्घी के पहिए पर लगा लोहे का घेरा उतर गया। दास उस घेरे को पहिए पर वापस चढ़ाने के लिए हथौड़े का प्रयोग कर रहा था और उसके ऊंगुली में चोट लग गई, और तुरंत ही उसके मुँह से गाली निकल गई। वह दास तुरंत अपने घुटनों पर गिर पड़ा और परमेश्वर से क्षमा की प्रार्थना करने लगा।

यह देखकर उसके मालिक ने कहा, "तुम मसीही हो, तो तुम्हें मसीही जीवन जीने के लिए इतना संघर्ष क्यों करना पड़ता है? मुझे देखो,मैं नास्तिक हूँ और जैसे चाहे जीता हूँ, मुझे तो कोई परेशानी नहीं होती।" दास के पास कोई उतर नहीं था। इतने में कुछ बतखें उनके ऊपर से उड़ती हुई निकलीं। मालिक ने अपनी बन्दूक ऊपर की ओर करके दो कार्तूस दाग़ दिए और दो बतखें नीचे गिर पड़ीं। उनमें से एक मर गई थी और दूसरी का पंख टूट गया था और वह छाटपटा रही थी। मालिक ने दास को कहा, "जल्दी जाओ और पहले उस छटपटाती हुई को पकड़ लो, दूसरी की चिंता मत करो, वह कहीं नहीं जा सकेगी।" दास जब बतखें लेकर आया तो मालिक से बोला, "श्रीमान, मेरे पास अब आपके प्रश्न का उतर है। आपका कहना है कि मसीही विश्वास का कोई लाभ नहीं क्योंकि उसके लिए संघर्ष करते रहना पड़ता है। इन दोनो बतखों की ओर देखिए, मैं उस बतख़ की तरह हूँ जो छटपटा रही है, क्योंकि इसकी तरह मुझमें भी जीवन है और शैतान मुझे घायल करता है कि मुझे मार सके और मैं घायल होकर छटपटाता हूँ। परन्तु आप इस मरी हुई बतख़ के समान अपने पापों में मरे हुए हैं और शैतान आपकी ओर से चिंतित नहीं है, क्योंकि आप उसकी मुठ्ठी में हैं। मेरा संघर्ष मुझ में विद्यमान जीवन का लक्षण है।"

जब हम मसीह को आदर देने वाला जीवन जीने का प्रयास करते हैं तो कभी कभी असफलताओं से निराश होते हैं। हम यह जानते हैं कि हम विजयी हो सकते हैं फिर भी कमज़ोर होकर गिर भी पड़ते हैं। लेकिन ऐसे में भी परमेश्वर का प्रेम भरा आलिंगन हमें फिर से उठकर आगे बढ़ने की नयी सामर्थ देता है।

सांसारिक बातों से हमारा संघर्ष हम में विद्यमान परमेश्वरीय जीवन का लक्षण है। - डेनिस डी हॉन


धार्मिकता में आनन्दित होना और दुष्टता पर दुखी होना सच्चे मसीही का लक्षण है।

चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है। - भजन ३७:२४


बाइबल पाठ: भजन ३७:१७-२४
Psa 37:17 क्योंकि दुष्टों की भुजाएं तो तोड़ी जाएंगी; परन्तु यहोवा धर्मियों को सम्भालता है।
Psa 37:18 यहोवा खरे लोगों की आयु की सुधि रखता है, और उनका भाग सदैव बना रहेगा।
Psa 37:19 विपत्ति के समय, उनकी आशा न टूटेगी और न वे लज्जित होंगे, और अकाल के दिनों में वे तृप्त रहेंगे।
Psa 37:20 दुष्ट लोग नाश हो जाएंगे और यहोवा के शत्रु खेत की सुथरी घास की नाई नाश होंगे, वे धूएं की नाई बिलाय जाएंगे।
Psa 37:21 दुष्ट ऋण लेता है, और भरता नहीं परन्तु धर्मीं अनुग्रह करके दान देता है;
Psa 37:22 क्योंकि जो उस से आशीष पाते हैं वे तो पृथ्वी के अधिकारी होंगे, परन्तु जो उस से शापित होते हैं, वे नाश को जाएंगे।
Psa 37:23 मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है;
Psa 37:24 चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल ७-९
  • लूका ९:१८-३६

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

नई शुरुआत

यद्यपि हम कभी भी किसी असफलता को मिटा तो नहीं सकते, परन्तु उसके अनुभव से हम शिक्षा अवश्य ले सकते हैं। एक खिलाड़ी के गेन्द को गलत जगह फेंकने के कारण उसकी टीम हार सकती है, लेकिन वही खिलाड़ी चार दिन बाद किसी नए खेल में अपनी टीम को जिता भी सकता है। वह खिलाड़ी अपने नाम के आगे से वह हार तो कभी नहीं मिटा पाएगा, लेकिन उस हार से बहुमूल्य सीख लेकर वह भविष्य में जीतने के लिए कई मूल्यवान सबक सीख लेगा।

जब पौलुस और बरनबास अपनी पहली सुसमाचार प्रचार यात्रा पर निकले तो मरकुस भी उनके साथ गया (प्रेरितों १३:५), लेकिन किसी कारणवश वह उन्हें यात्रा के बीच ही में छोड़कर लौट गया (प्रेरितों १३:१३)। घर पर उसे अपने लिये पर पछतावा हुआ और उसने अपने दोनो मित्रों से अगली यात्रा पर फिर से उसे ले जाने का आग्रह किया। बरनाबास तो उसे एक और मौका देने को तैयार था किंतु पौलुस इसके लिए तैयार नहीं हुआ, इसलिए बरनाबास मरकुस को लेकर एक तरफ निकला तो पौलुस ने सिलास को अपने साथ लिया और अलग यात्रा पर निकल पड़ा। आगे चलकर मरकुस एक आदर्णीय मसीही अगुवा बना और परमेश्वर ने उसके द्वारा एक सुसमाचार वृतांत भी लिखवाया जो बाइबल का भाग बना। पौलुस ने तिमिथियुस को लिखी अपनी दूसरी पत्री में मरकुस को भी बुलवाया और उसके लिए लिखा, "मरकुस को लेकर चला आ; क्‍योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है।" (२ तिमुथियुस ४:११)

गलतियों को दिल पर लगाए रखने से कोई लाभ नहीं होता। यही सोचते रहना कि काश हम किसी काम को फिर से कर पाते, व्यर्थ माथापच्ची है। हर एक दिन एक नई शुरुआत का अवसर है। यदि हम अपने बीते कल की गलतियों से शिक्षा लें और उन्के लिए पश्चतापी हों तो परमेश्वर की सहायता से हम नए दिन में नयी सफलताएं भी पा सकते हैं; क्योंकि मसीही विश्वासी के लिए परमेश्वर सदा क्षमादान के साथ नई शुरुआत देने के लिए तत्पर रहता है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


असफलता का यह अर्थ नहीं है कि आप कभी सफल नहीं होंगे; बस थोड़ा समय अधिक लगेगा।

तब बरनबास ने यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया। परन्‍तु पौलुस ने उसे जो पंफूलिया में उन से अलग हो गया था, और काम पर उन के साथ न गया, साथ ले जाना अच्‍छा न समझा। - प्रेरितों १३:३७, ३८
मरकुस को लेकर चला आ; क्‍योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है। - २ तिमुथियुस ४:११

बाइबल पाठ: प्रेरितों १५:३६-४१

Act 15:36 कुछ दिन बाद पौलुस ने बरनबास से कहा, कि जिन जिन नगरों में हम ने प्रभु का वचन सुनाया था, आओ, फिर उन में चलकर अपने भाइयों को देखें कि कैसे हैं।
Act 15:37 तब बरनबास ने यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया।
Act 15:38 परन्‍तु पौलुस ने उसे जो पंफूलिया में उन से अलग हो गया था, और काम पर उन के साथ न गया, साथ ले जाना अच्‍छा न समझा।
Act 15:39 सो ऐसा टंटा हुआ, कि वे एक दूसरे से अलग हो गए: और बरनबास, मरकुस को लेकर जहाज पर कुप्रुस को चला गया।
Act 15:40 परन्‍तु पौलुस ने सीलास को चुन लिया, और भाइयों से परमेश्वर के अनुग्रह पर सौंपा जाकर वहां से चला गया।
Act 15:41 और कलीसियाओं को स्थिर करता हुआ, सूरिया और किलिकिया से होते हुआ निकला।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल ४-६
  • लूका ९:१-१७

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

अपने पीछे द्वार बन्द कर दीजिए

दो जन खुले मैदान में होकर जा रहे थे। अपना रास्ता छोटा करने के लिए उन्होंने पास के मैदान में होकर जाने का निर्णय लिया। उस मैदान को पशुओं के चराने के लिए बाड़े से घेरा हुआ था, और वे बाड़ का द्वार खोलकर मैदान से होकर जाने लगे। वे अपने वार्तलाप में इतना खोए हुए थे कि उन्हें बाड़े का द्वार बन्द ध्यान नहीं रहा। थोड़ी देर में उनमें से एक को यह याद आया और वह भाग कर वापस गया कि द्वार बन्द कर दे। ऐसा करते समय उसे अपने एक बुज़ुर्ग व्यक्ति की दी हुई सलाह याद आई, "जीवन के मार्गों पर चलते हुए अपने पीछे द्वार बन्द करना कभी नहीं भूलना।"

वह बुज़ुर्ग जानता था कि जीवन के मार्ग में समस्याएं, कठिनाईयाँ, असफलताएं और दुख भरे कड़वे अनुभव अवश्य आएंगे। परन्तु वह नहीं चाहता था कि उसके बच्चे इन बातों को जीवन भर अपने साथ लिए फिरें: वरन उसकी इच्छा थी कि वे इन बातों को पीछे छोड़कर आगे की ओर देखने और बढ़ने वाले हो सकें।

मसीही विश्वासियों के लिए यह विशेषकर सत्य है। एक बार जब हम अपना पाप मान लेते हैं और अपनी गलती सुधारने के लिए जो भी आवश्यक है वह कर लेते हैं, तो फिर उस बात को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाना चाहिए; उसकी यादों में पड़े रहकर अपना आता समय और आते अवसर खराब नहीं करने चाहिएं।

प्रेरित पौलुस ने भी हमें सिखाया है कि बीती बातों को भूलकर उन चीज़ों की ओर ध्यान दें जो आगे हैं - "हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्‍तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।" (फिलिप्पियों ३:१३, १४)

जब बीती असफलताओं की बात आती है तो हमें अपने पीछे सदा द्वार बन्द कर देना चाहिए। - रिचर्ड डी हॉन


वह स्मरण रख कर जो हमें भूल जाना चाहिए हम असफलता को निमंत्रण देते हैं।

मत डर, क्योंकि तेरी आशा फिर नहीं टूटेगी; मत घबरा, क्योंकि तू फिर लज्जित न होगी और तुझ पर सियाही न छाएगी; क्योंकि तू अपनी जवानी की लज्जा भूल जाएगी, और, अपने विधवापन की नामधराई को फिर स्मरण न करेगी। - यशायाह ५४:४

बाइबल पाठ: यशायाह ५४:१-१०
Isa 54:1 हे बांझ तू जो पुत्रहीन है जयजयकार कर; तू जिसे जन्माने की पीड़े नहीं हुई, गला खोलकर जयजयकार कर और पुकार! क्योंकि त्यागी हुई के लड़के सुहागिन के लड़कों से अधिक होंगे, यहोवा का यही वचन है।
Isa 54:2 अपने तम्बू का स्थान चौड़ा कर, और तेरे डेरे के पट लम्बे किए जाएं; हाथ मत रोक, रस्सियों को लम्बी और खूंटों को दृढ़ कर।
Isa 54:3 क्योंकि तू दाहिने-बाएं फैलेगी, और तेरा वंश जाति-जाति का अधिकारी होगा और उजड़े हुए नगरों को फिर से बसाएगा।
Isa 54:4 मत डर, क्योंकि तेरी आशा फिर नहीं टूटेगी; मत घबरा, क्योंकि तू फिर लज्जित न होगी और तुझ पर सियाही न छाएगी; क्योंकि तू अपनी जवानी की लज्जा भूल जाएगी, और, अपने विधवापन की नामधराई को फिर स्मरण न करेगी।
Isa 54:5 क्योकि तेरा कर्त्ता तेरा पति है, उसका नाम सेनाओं का यहोवा है; और इस्राएल का पवित्र तेरा छुड़ाने वाला है, वह सारी पृथ्वी का भी परमेश्वर कहलाएगा।
Isa 54:6 क्योंकि यहोवा ने तुझे ऐसा बुलाया है, मानो तू छोड़ी हुई और मन की दुखिया और जवानी की त्यागी हुई स्त्री हो, तेरे परमेश्वर का यही वचन है।
Isa 54:7 क्षण भर ही के लिये मैं ने तुझे छोड़ दिया था, परन्तु अब बड़ी दया करके मैं फिर तुझे रख लूंगा।
Isa 54:8 क्रोध के झकोरे में आकर मैं ने पल भर के लिये तुझ से मुंह छिपाया था, परन्तु अब अनन्त करूणा से मैं तुझ पर दया करूंगा, तेरे छुड़ाने वाले यहोवा का यही वचन है।
Isa 54:9 यह मेरी दृष्टि में नूह के समय के जलप्रलय के समान है; क्योंकि जैसे मैं ने शपथ खाई थी कि नूह के समय के जलप्रलय से पृथ्वी फिर न डूबेगी, वैसे ही मैं ने यह भी शपथ खाई है कि फिर कभी तुझ पर क्रोध न करूंगा और न तुझ को धमकी दूंगा।
Isa 54:10 चाहे पहाड़ हट जाएं और पहाडिय़ां टल जाएं, तौभी मेरी करूणा तुझ पर से कभी न हटेगी, और मेरी शान्तिदायक वाचा न टलेगी, यहोवा, जो तुझ पर दया करता है, उसका यही वचन है।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल १-३
  • लूका ८:२६-५६