ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

आँसुओं के लिये खेद?

मेरी एक सहेली अपने जीवन में एक बड़ा परिवर्तन कर रही थी - ५० वर्ष से जिसके लिये वह कार्य करती रही, उसे छोड़कर अब वह एक नए काम के लिये जा रही थी। अपने सहकर्मियों से विदा लेते समय वह रोती भी जा रही थी और अपने आँसुओं के लिये क्षमा भी मांगती जा रही थी।

अपने आँसुओं के लिये हम कभी कभी खेदित क्यों होते हैं? शायद हम आँसुओं को कमज़ोरी की निशानी और हमारे चरित्र में किसी बात के लिये असहाय होने का सूचक मानते हैं और अपनी कमज़ोरी को लोगों के सामने लाना नहीं चाहते। या, हो सकता हो कि हमें लगता है कि हमारे आँसु दूसरों को दुखी कर रहे हैं इसलिये हम उनसे क्षमा मांगते हैं।

हमें स्मरण रखना चाहिये कि हमारी भावनाएं हमें परमेश्वर द्वारा दी गई हैं, हम उसके स्वरूप में सृजे गए हैं (उत्पत्ति १:२७)। परमेश्वर भी खेदित होता है, दुखी होता है - उत्पत्ति ६:६, ७ में बताया है कि वह अपने लोगों के पापों और उनके कारण जो उसमें और लोगों में विच्छेद आया, उससे वह दुखी और क्रोधित हुआ। देहधारी परमेश्वर, प्रभु यीशु, अपने मित्रों मरियम और मार्था के साथ उनके भाई लाज़र की मृत्यु पर शोकित हुआ, उसकी आत्मा दुखी हुई और इस दुख में वह सबके सामने रोया भी (यूहन्ना ११:२८-४४), किंतु अपने दुख के खुले प्रगटिकरण के लिये उसने किसी से क्षमा नहीं मांगी।

जब अन्ततः हम स्वर्ग पहुंचेंगे, तो वहां कोई दुख, वियोग या दर्द नहीं होगा। परमेश्वर हमारी आँखों से सब आँसु पोंछ डालेगा (प्रकाशितवाक्य २१:४); लेकिन तब तक जो आँसु बहते हैं उनके लिये खेदित होने और क्षमा मांगने की आवश्यक्ता नहीं है। - एनी सेटास


जब मन में सन्देह उठे कि क्या प्रभु यीशु मेरी परवाह करता है, तो उसके आँसुओं को स्मरण करना।

जब यीशु ने उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ - यूहन्ना ११:३३


बाइबल पाठ: यूहन्ना ११:३२-४४

जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता।
जब यीशु ने उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?
उन्‍होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले।
यीशु के आंसू बहने लगे।
तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था।
परन्‍तु उन में से कितनों ने कहा, क्‍या यह जिस ने अन्‍धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?
यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
यीशु ने कहा पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मार्था उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्‍योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।
यीशु ने उस से कहा, क्‍या मैं ने तुझ से न कहा कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
तब उन्‍होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठाकर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।
और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्‍तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
यह कहकर उस ने बड़े शब्‍द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ।
जो मर गया या, वह कफन से हाथ पांव बन्‍धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था और यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ३२, ३३
  • कुलुस्सियों १