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बुधवार, 11 अगस्त 2010

चिंता या परमेश्वर

क्या आप अपने खर्चों, भविष्य, स्वास्थ्य, कर्ज़, पारिवारिक जीवन आदि बातों के कारण सदा चिंतित रहते हैं? क्या कोई न कोई चिंता आप पर सदा हावी रहती है? यदि ऐसा है तो संभवतः आपको चिंता करने का मानसिक रोग है। इस रोग का रोगी लगातार, जीवन की लगभग हर बात के लिये, चिंता करता रहता है। थोड़ी सी चिंता करना तो स्वभाविक है, परन्तु हर बात के लिये लगातार अनियंत्रित चिंता करते रहना असामान्य और अस्वभाविक है।

क्लेश और उत्पीड़न से प्रताड़ित प्रथम शताब्दी के मसीही विश्वासी यरुशलेम से खदेड़े जकर सारे एशिया में फैल गए (१ पतरस १:१-७)। प्रभु यीशु के इन अनुयायीयों में से कई, जीवन के खतरे और इधर उधर भटकने के कारण चिंतित थे। पतरस ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे स्व्यं चिंता न करें, वरन अपनी सारी चिंता परमेश्वर पर डाल दें (१ पतरस ५:७)। उसने उन्हें समझाया कि उनका अपनी चिंताओं का बोझ उठाकर चलना व्यर्थ है जबकि वे अपनी सारी चिंता परमेश्वर पर छोड़ सकते हैं, जो उनके साथ घटित होने वाली हर बात का ध्यान रखता है।

क्या आप को चिंता करने की आदत है? अपनी चिंताएं परमेश्वर को उठाने दीजिए। चिंता करना छोड़िये, परमेश्वर पर विश्वास करना आरंभ कीजीए। - मारविन विलियम्स


हम चिंताओं का बोझ उठाएं, परमेश्वर की कभी ऐसी मन्सा नहीं रही।

और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्‍योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है। - १ पतरस ५:७


बाइबल पाठ: १ पतरस ५:६-११

इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए।
और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्‍योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।
सचेत हो, और जागते रहो, क्‍योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।
विश्वास में दृढ़ होकर, और यह जान कर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं।
अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिस ने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्‍त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्‍त करेगा।
उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ८१-८३
  • रोमियों ११:१९-३६