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बुधवार, 30 जून 2010

ढूंढना और बचाना

लगभग हर सप्ताह समाचारों में हम किसी न किसी के ढूंढे और बचाए जाने के बारे में सुनते और देखते हैं। यह किसी बच्चे के लिये हो सकता है जो परिवार के साथ घूमने निकल और उनसे अलग होकर भटक गया, या कोई पर्वतारोही जो किसी दुर्गम स्थान पर फंस गया, या लोग जो किसी भूकम्प के कारण ध्वस्त इमारतों में फंस गये। ऐसी प्रत्येक स्थिति में यही होता है कि जोखिम में पड़े वे लोग, अपनी सहायता करने में असमर्थ होते हैं। जो उन परिस्थितियों से बचा लिये जाते हैं, अक्सर वे अपने बचाने वालों के प्रति बहुत कृतज्ञ और आभारी रहते हैं।

ज़क्कई की कहानी (लूका १९:१-१०) भी एक ढूंढने और बचाने की कहानी है। पहली झलक में लगता है कि सब संयोगवश होने वाली घटनाएं थीं - यीशु यरीहो से होकर गुज़र रहा है, एक धनी किंतु नाटा चुंगी लेनेवाला आश्चर्यकर्म करने वाले यीशु को देखने की उत्सुक्ता में उसके मार्ग के एक पेड़ पर चढ़ जाता है और यीशु उसे बुला कर उसके साथ उसके घर जाता है। किंतु इस वृतांत के अंत में, लेखक लूका ने, ज़क्कई से कहे यीशु के वचनों - "तब यीशु ने उस से कहा, आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है। क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है" (लूका १९:९, १०) के द्वारा सपष्ट किया है कि यह यीशु का कार्य था।

यीशु ने अपने जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान द्वारा अपनी ढूंढने और बचाने की सेवाकाई आरंभ करी, और आज भी इस सेवकाई को पवित्र आत्मा की सामर्थ से जारी रखे हुए है। वह अनुग्रहपूर्वक हमें भी बुलाता है कि उसके साथ हम भी इस सेवाकाई में साझी हों और जो पाप में भटके हुए हैं उन्हें प्रेमपूर्वक लौटा लाएं। - डेविड मैक्कैसलैंड।


जो स्वयं पाप से बचाए गए हैं वे ही पापीयों को बचाव का मार्ग दिखाने के लिये सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक हो सकते हैं।


बाइबल पाठ: लूका १९:१-१०


क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है। - लूका १९:१०



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब १७-१९
  • प्रेरितों के काम १०:१-२३