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रविवार, 20 जून 2010

हमारी विरासत

मेरे एक मित्र ने लिखा, "यदि कल हम मर जयें तो जिस कंपनी में हम काम करते हैं वह कुछ ही दिनों में हमारी जगह किसी दुसरे को नियुक्त कर लेगी। परन्तु हमारा परिवार जो पीछे रह जायेगा, वह इस हानि की भरपाई कभी नहीं कर पायेगा और सदा हमारी कमी उसे खलेगी। तो फिर क्यों हम अपने आप को अपने काम में इतना अधिक और अपने बच्चों के जीवन में इतना कम खर्च करते हैं?"

क्यों हम अकसर सुबह जल्दी उठकर और देर शाम तक काम करते रहने से अपने आप को थका लेते हैं, और "दुख भरी रोटी खाते हैं" (भजन १२७:१, २)? हम दुनिया पर अपनी छाप छोड़ने में तो व्यस्त रहते हैं, लेकिन हमारे जीवन में जो बहुमूल्य हैं - हमारे बच्चे, उनकी उपेक्षा कर जाते हैं।

राजा सुलेमान ने सन्तान के लिये कहा कि वे "लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं। जैसे वीर के हाथ में तीर, वैसे ही जवानी के लड़के होते हैं" (भजन १२७:३, ४)। हमारे समय और सामर्थ का हकदार इनसे अधिक और कोई नहीं हो सकता।

राजा सुलेमान ने कहा, रात-दिन मेहनत करने के व्यर्थ परिश्रम की आवश्यक्ता नहीं है, क्योंकि परमेश्वर हमारी ज़रूरतों का ध्यान रखता है (भजन १२७:२)। हम निश्चिंत होकर अपने बच्चों के लिये समय दे सकते हैं और विश्वास रख सकते हैं कि परमेश्वर हमारी भौतिक आवश्यक्ताओं को पूरा करेगा। बच्चे, चाहे हमारे अपने हों या वे जिन्हें हम प्रशिक्षित करते हैं, हमारी स्थायी विरासत हैं। उनपर व्यय किये गये समय और सामर्थ के विष्य में हमें कभी निराशा नहीं होगी। - डेविड रोपर


अपने बच्चों के साथ बिताया गया समय बुद्धिमानी से विनियोग किया गया समय है।


बाइबल पाठ: भजन १२७


लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं। - भजन १२७:३


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर १, २
  • प्रेरितों के काम ५:१-२१