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शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ुंगा

अच्छा संगीत सुनने की मेरी सबसे प्रथम यादें उस समय की हैं जब समूहगान के अभ्यास के लिये कुछ पुरुष मेरे घर पर आते थे और मेरे पिता के साथ अभ्यास करते थे। मैं सबसे अधिक ध्यान अपने पिता पर रखता था जिन्हें समूहगान में सबसे ऊंचे सुर पर गाना होता था। उस समूह के एक मन्पसन्द भजन का शीर्षक था "मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ।" उस छोटी उम्र में भी मैंने न केवल उस भजन संगीत को चाहा वरन उस गीत के सन्देश को भी समझा।

अपने स्वर्गरोहण से ठीक पहले यीशु द्वारा अपने चेलों से कहे गए वायदे, "मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ" को, उस भजन की पंक्ति "खिली धूप हो या गहरी छांव, तू जहां जाएगा मैं तेरे साथ रहूंगा" ने मेरे लिये और भी बहुमूल्य बना दिया।

परमेश्वर की सदैव साथ रहने वाली उपस्थिति का पहला उल्लेख व्यवस्थाविवरण ३१:६-८ में मिलता है जहां मूसा ने अपने उत्तराधिकारी यहोशु को परमेश्वर के लोगों को वाचा के देश में ले जाने के निर्देश दिये। फिर यहोशु ने भी वही वचन परमेश्वर से सुने, "जैसे मैं मूसा के संग था वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा। मैं न तुझे कभी छोड़ूंगा न त्यागुंगा।" (यहोशु १:५)।

नये नियम में यही प्रतिज्ञा फिर से दी गई जब इब्रानियों को लिखी पत्री में लेखक कहता है, "उसने स्वयं ही कहा है, ’मैं न तुझे कभी छोड़ूंगा न त्यागुंगा’" (इब्रानियों १३:५)।

आप आज जहां भी हों, आप अकेले नहीं हैं। अगर आपने अपने अनन्त उद्धार के लिये यीशु पर भरोसा रखा है तो आप यह निश्चय जान रखिये कि वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा। - क्लेयर हैस


पहले यह निश्चय कर लें कि आप प्रभु के साथ हैं, फिर यह निश्चय जान लें कि वह सदैव आपके साथ बना रहेगा।


बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ३१:१-८


मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ। - मत्ती २८:२०


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा ८, ९
  • लूका २१:१-१९