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मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

विश्वासी गयुस

युहन्ना की तीसरी पत्री में एक मंडली के दो सदस्यों की तुलना की गई है। उन दोनो के व्यवहार उस मंडली में आने वाले मेहमान विश्वासीयों के प्रति बिलकुल भिन्न थे। युहन्ना ने यह पत्री अपने प्रीय गयुस के नाम लिखी जिससे वह सच्चा प्रेम करता था (पद १)। गयुस में सत्य व्यवहार था (पद ३) क्योंकि वह परमेश्वर के भय में चलता था। जो भी वह अपने ’भाइयों’ - यात्री मसीही प्रचारकों और उपदेशकों के लिये करता था, प्रेम और विश्वासयोग्यता के साथ करता था (पद ५, ६)।

इससे विपरीत दायोत्रिफेस का व्यवहार था। वह घमंडी और अधिकार जताने वाला था और जो मसीह के नाम में आते थे उनका विरोध करता था (पद १०), शायद पौलुस का भी। मण्डली का जो भी जन उन लोगों को ग्रहण करता था, वह उन्हें मण्डली से निकल देता था। निसन्देह वह ऐसा अपने पद और स्वार्थ को बचा के रखने और सबका ध्यान अपने पर केंद्रित रखने के लिये करता था।

मेरी पत्नी शरली, मेरी पोती ब्री और मुझे एक ऐसे देश में जाने का अवसर मिला जो कभी सुसमाचार के लिये बन्द थी। वहां के विश्वासीयों ने हमें सच्चे प्रेम, विश्वास, खुले मन और आतिथ्य से स्वीकार किया। उनके पास सीमित साधन थे किंतु उनकी उदारता अदभुत थी। उनसे हमें बहुत प्रोत्साहन मिला। वे वास्तव में गयुस के उदहरण का अनुसरण कर रहे थे।

परमेश्वर हमें एक प्रेम और विश्वासयोग्यता से भरी आत्मा दे जो हमें सहविश्वासियों के प्रति ऐसा व्यवाहार करने को उभारे जो ’परमेश्वर के उप्युक्त हो’ (पद ६)। - डेव एगनर


एक खुला हृदय और खुला घर ही मसीही आतिथ्य है।


बाइबल पाठ: ३ युहन्ना


हे प्रीय [गयुस], जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्वासी की नाई करता है। - ३ युहन्ना १:५


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल ९-११
  • लूका १५:११-३२