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शनिवार, 13 मार्च 2010

होना है या नहीं होना है

बचपन में मेरे मित्र खेल के मैदान में मज़ाक में शेक्सपियर का यह प्रसिद्ध वाक्य कहा करते थे: "होना है या नहीं, यही प्रश्न है" (To be or not to be - that is the question)। हम उस समय में उस वाक्य का वास्तविक अर्थ नहीं जानते थे। बाद में मैंने जाना कि यह शब्द शेक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक हैमलेट के हैं। हैमलेट एक दुखी राजकुमार था, क्योंकि उसे मालूम पड़ा कि उसके चाचा ने उसके पिता की हत्या करवा के उसकी माँ से शादी कर ली। उसे इस सच्चाई की भयानकता इतना व्याकुल करती थी कि वह अत्महत्या करने की सोचता था। उसके सामने यही प्रश्न रहता था कि "होना है" (जीवित रहना चाहिये) "या नहीं होना है" (आत्महत्या करनी चाहिये)।

कभी कभी दुख जीवन में इतने असहनीय हो जाते हैं कि हम बहुत निराश हो जाते हैं। प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थियों से कहा कि एशिया के इलाकों में उसे इतनी कठोर ताड़ना और पीड़ा सहनी पड़ी कि वह जैसे "जीवन से ही हाथ धो बैठा" (२ कुरिन्थियों १:८)। परन्तु जब उसने जीवन के रक्षक परमेश्वर पर ध्यान लगाया, तब उसकी निराशा का बादल छंट गया, उसका मन विश्वास में दृढ़ हुआ और उसने सीखा कि हम अपने पर भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर पर रखें (पद ९)।

क्लेशों में कई दफा जीवन जीने योग्य नहीं लगता, लेकिन केवल अपनी ओर ध्यान करना निराशा ही लाता है। परन्तु परमेश्वर पर भरोसा करना हमारा दृष्टीकोण बदल देता है। हम निश्चित रह सकते हैं कि हमारा सर्वशक्तिमन परमेश्वर जीवन भर हमारी रक्षा करेगा, और उसके अनुयायी होने के कारण हमारे जीवन का सदा एक दिव्य लक्ष्य होगा। - डैनिस फिशर


क्लेश में हम सोच-विचार करते हैं, सोच-विचार हमें समझ-बूझ देते हैं; समझ-बूझ से जीवन लाभान्वित होता है।


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों १:३-११


हम...ऐसे भारी बोझ से दब गए थे जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहाँ तक कि जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। - २ कुरिन्थियों १:८


एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण २०-२२
  • मरकुस १३:२१-३७८