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गुरुवार, 4 मार्च 2010

स्याही का महासमुद्र

एक भक्तिगीत ’दि लव ऑफ गौड’ शब्द चित्र के द्वारा परमेश्वर के प्रेम की अद्भुत महानता प्रकट करता है - "अगर समुद्र का सारा पानी स्याही बन जाए, सारा आकाश कागज़, भूमि की हर डंठल कलम और सारे मनुष्य लेखक हों, तो भी परमेश्वर के प्रेम का वर्णन करते करते सारी स्याही खत्म हो जायेगी, आकाश के छोर से छोर तक फैलाने पर भी काग़ज़ फैलाने के लिये जगह कम रहेगी; फिर भी उसके प्रेम का वर्णन अधूरा ही रहेगा।"

परमेश्वर के प्रेम के विष्य में पौलुस का विचार भी ऐसा ही था। उसने प्रार्थना थी कि विश्वासी दूसरे सब पवित्र लोगों के साथ मसीह के प्रेम को, जो ज्ञान से परे है जान सकें। वे उसकी चौड़ाई, लंबाई, ऊंचाई और गहराई के बारे में जान सकें, (इफिसियों ३:१८,१९)। कुछ बाइबल के विद्वान इन पदों में परमेश्वर के प्रेम की ’चौड़ाई’ का अर्थ समस्त संसार को अपने प्रेम में समेट लेने को बताते हैं (यूहन्ना ३:१६); ’लंबाई’ से वे हर युग में विद्यमान उसके अस्तित्व को मानते हैं (इफिसियों ३:२१); ’गहराई’ का अर्थ उसका गहरा ज्ञान मानते हैं (रोमियों ११:३३) और ’ऊंचाई’ का अर्थ, पाप के ऊपर विजय पाकर स्वर्ग का मार्ग खोलने की उसकी शक्ति को समझते हैं (इफिसियों ४:८)।

यद्यपि हमें इस अद्भुत प्रेम और उसके महत्त्व को पहचानने के लिये प्रयासरत रहने को कहा गया है, तो भी जैसे जैसे हम परमेश्वर के प्रेम को समझने के प्रयास में अग्रसर होते हैं, हमें एहसास होता है कि उसकी संपूर्ण विशालता हमारी बुद्धी के परे है। सारे समुद्र का पानी स्याही बनाया जाये, तो भी परमेश्वर के प्रेम का वर्णन लिख पाने को पर्याप्त नहीं होगा। - Dennis Fisher


परमेश्वर के प्रेम का वर्णन नहीं किया जा सकता, उसका अनुभव ही किया जा सकता है।


बाइबल पाठ: इफिसियों ३:१८,१९


मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है। इफिसियों ३:१९


एक साल में बाइबल:
  • गिनती ३१-३३
  • मरकुस ९:१-१२