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सोमवार, 1 मार्च 2010

पोषण की आवश्यकता

हमारा पोता कैमरौन वक्त के छः हफ्ते पहले पैदा हुआ था, इसलिये वह छोटा था और उसकी जान खतरे में थी। दो हफ्तों तक उसे अस्पताल के नवजात शिशुओं के कक्ष में रखा गया और उसकी देखभाल की गई, जब तक वह घर ले जाने लायक नहीं हो गया। उसकी सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि भोजन अंदर लेने और पचाने के लिये उसके शरीर को, भोजन से मिलने वाले पोषण की शक्ति से अधिक शक्ति खर्च करनी पड़ती थी। यह उसके विकास में बाधा थी। ऐसा लगता था कि मानो अपने विकास में वह एक कदम आगे लेता तो दो कदम पीछे।

उसकी हालत सुधारने के लिये कोई दवा या चिकित्सा की नहीं वरन केवल उचित शक्तिदायक पोषण देने की ज़रूरत थी।

इस पतित जगत के जीवन की चुनौतियों के सामने हम मसीहियों की भावनात्मक और आत्मिक शक्ति का नाश होता जाता है। इन अवसरों पर हमें स्फूर्तिदायक पोषण की ज़रूरत है। भजन ३७ में दाऊद हमें सिखाता है कि आत्मा को पोषित रखकर ही हम मन को मज़बूत रख सकते हैं। वह भलाई करने, देश में बने रहने, परमेश्वर पर भरोसा रखने और उसकी सच्चाई में मन लगाए रखने का प्रोत्साहन देता है (पद ३)।

जब हम कमज़ोर पड़ते हैं, तब परमेश्वर की अटूट विश्वासयोग्यता का निश्चय हमें उसके नाम से आगे बढ़ने की शक्ति देती है। उसका नाम और उसकी सच्ची देख-रेख का पोषण ही हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है, जैसे गीतकार कहता है, "तेरी सच्चाई महान है, आज के लिये सामर्थ और कल के लिये प्रकाशमान प्रत्याशा।" - Bill Crowder


आवश्यक शक्ति पाने के लिये परमेश्वर की सच्चाई का पोषण पाओ।


बाइबल पाठ: भजन ३७:१-११


यहोवा पर भरोसा रख और भला कर; देश में बसा रह, और उसकी सच्चाई में मन लगाए रह। - भजन ३७:३


एक साल में बाइबल:
  • गिन्ती २३-२५
  • मरकुस ७:१४-३७