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शनिवार, 23 जनवरी 2010

आकार और बढ़ाइए

आम तौर पर किसी लोकप्रीय होटल में अपने खाने की चीज़ों का ऑर्डर देने के बाद, पैसे लेने वाले क्लर्क अक्सर पूछते हैं "क्या आप अपने चयन को और बढ़ाना चाहते हैं?" उनके पूछने का अर्थ है कि क्या आप अपने ऑर्डर की मात्रा या विविधा बढ़ाना चहते हैं?

शायद जब हम प्रार्थना में परमेश्वर के सामने उपस्थित होते हैं, मेरा विश्वास है, वह पूछता है कि "क्या तू मेरे बारे में अपनी समझ को और विशाल करना चाहता है?"

यशायाह का एक ऐसा अनुभव था। उसके जीवन में एक दुखदाई अनुभव के द्वारा, यशायाह ने प्रभु को "ऊँचे पर विराजमान देखा" (यशायाह ६:१)। इस मुलाकात से परमेश्वर ने यशायह के मन में अपनी पवित्रता का ज्ञान बढ़ाया। उसने परमेश्वर की संपूर्ण नैतिक महानता देखी, जिसमें उसकी दूसरी सब विशेषताएं एकीकृत हुई।

परमेश्वर ने यशायाह का स्वयं का पाप-बोध भी बढ़ाया (पद ५)। इससे परमेश्वर की संपूर्ण पाप क्षमा और पवित्रीकरण के विष्य में भी उसकी समझ बढ़ी (पद ६,७)। जब यशायाह को अपने पापों की गहराई की सच्ची अनुभूति होती है, तभी वह परमेश्वर की क्षमा और शुद्धता ग्रहण कर सका। इस अनुभव ने उसे परमेश्वर के सामने समर्पण करने और उसके द्वारा निर्देशित कार्य को करने के लिए कटिबद्ध कर दिया, जिससे परमेश्वर उसका प्रयोग दूसरों को समझाने और मदद करने में कर सका।

आज हम परमेश्वर से माँगें कि उसकी महानता के विषय में वह हमारी समझ को और बढ़ाए। - मार्विन विलियम्स

परमेश्वर के विष्य में जानना आकर्षक हो सकता है, लेकिन परमेश्वर को व्यक्तिगत रीति से जानना जीवन बदल देता है।

बाइबल पाठ: यशायाह ६:१-२०

जिस वर्ष उज्जियाह राजा मरा, मैं ने प्रभु को बहुत ही ऊंचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मंदिर भर गया।-यशायाह ६:१

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ७,८
  • मत्ती १५:१-२०