ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 31 मई 2010

सम्मान

सन १९४८ में अमेरिकी वायुसेना के प्रमुख ने जाना कि आरलिंगटन के कब्रिस्तान में वायुसेना के एक सैनिक की अंतिम क्रीया में कोई सम्मिलित नहीं हुआ। वह इससे बहुत विचिलित हुआ। उसने अपनी पत्नी से अपनी इस चिंता के बारे में बात करी कि हर सैनिक को उसकी अंतिम यात्रा के समय उचित सम्मान मिलना चाहिये। उसकी पत्नी ने इस बात के समाधान के लिये एक समूह बनाया जिसके सद्स्य "आरलीगटन महिलाओं" के नाम से जाने गए।

उस समूह की कोई न कोई सद्स्या प्रत्येक सैनिक की शवयात्रा में सम्मिलित होकर उसे सम्मान देती है। वे शोकित परिवार को सहानुभूति के व्यक्तिगत पत्र लिखती हैं और परिवार के सद्स्यों से उनके इस बलिदान के प्रति कृत्ज्ञता प्रगट करती हैं। जहां तक संभव होता है, इस समूह का कोई प्रतिनिधि उस परिवार से कई महीनों तक सम्पर्क बनाए रखता है।

उस समूह कि एक सद्स्या मार्ग्रेट मेनश्च का कहना है कि, "आवश्यक बात यह है कि उन दुखी परिवारों के साथ कोई बना रहे, यह एक आदर की बात है कि हम सेना के इन शूरवीरों का सम्मान करें।"

यीशु ने भी सम्मान देने के महत्व के बारे में दर्शाया। जब एक स्त्री ने बहुमूल्य इत्र उसके सिर पर उंडेला तो यीशु ने कहा कि उस स्त्री का यह कार्य आते समय में सदा स्मरण किया जायेगा (मत्ती २६:१३)। चेले उस स्त्री से क्रोधित हुए और इस बात को पैसा बरबाद करने वाली कहा, लेकिन यीशु ने इस "एक अच्छा कार्य" (पद १०) कहा, जिसके लिये वह स्मरण करी जायेगी।

हम ऐसे शूरवीरों को जानते होंगे जिन्होंने परमेश्वर और देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। हम आज उनका सम्मान करें। - ऐनि सेटास


एक दूसरे को स्म्मान देकर हम परमेश्वर का सम्मान करते हैं।


बाइबल पाठ: मत्ती २६:६-१३


सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहां उसके इस काम का वर्णन भी उसके स्मरण में किया जाएगा। - मत्ती २६:१३


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १३, १४
  • यूहन्ना १२:१-२६

रविवार, 30 मई 2010

क्या बात है!

जून महीने में हम सपरिवार कैनडा के पहाड़ी इलाके में छुट्टीयां मनाने गये। एक दिन हमें एक ऐसे पर्यटक स्थान को देखने जाना था जिसके बारे में कहा जाता है कि पर्यटकों को उसे अवश्य देखना चाहिये। तेज़ ठंडी हवा के कारण मैं और आगे उस स्थान तक जाने से हिचकिचा रहा था। मैंने उस स्थान से लौटते कुछ अन्य पर्यटकों को देखा तो उनसे पूछा कि क्या वह स्थान वास्तव में ऐसे मौसम में भी जाकर देखने योग्य है? उनका उत्तर था "अवश्य"। उनके इस उत्तर ने हमें हौंसला दिया कि हम आगे बढ़ें और उस स्थान तक जाएं। अन्ततः जब वहां पहुंचकर हम ने उस स्थान की सुन्दरता को देखा तो हम अवाक् रह गए और हमारे मुंह से केवल "क्या बात है" ही निकल सका।

पौलुस भी अपनी आत्मिक यात्रा में एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा जब वह परमेश्वर के गुणों के बारे में जानकर अवाक् रह गया। रोमियों को लिखी अपनी पत्री में उसने इस के बारे में लिखा, कि कैसे बड़ी अद्भुत रीति से परमेश्वर ने यहूदियों और अन्यजातियों को उद्धार दिया।

परमेश्वर के बारे में तीन बातों ने उसे अति प्रभावित किया:

पहली, परमेश्वर सर्वबुद्धिमान है (रोमियों ११:३३) - उद्धार के लिये उसकी सिद्ध योजना दिखाती है जीवन की समस्याओं के लिये उसके द्वारा दिये गए समाधान, हमारे द्वारा बनाये गई किसी भी समाधान से कहीं अधिक बेहतर हैं।

दूसरा, परमेश्वर सर्वज्ञानी है (रोमियों ११:३४) - उसका ज्ञान असीमित है, उसे किसी सलाहकार की आवश्यक्ता नहीं है, कुछ ऐसा नहीं है जो उसे चकित कर सके।

तीसरा, परमेश्वर सर्वसंपन्न है (रोमियों ११:३५) - कोई परमेश्वर को ऐसा कुछ नहीं दे सकता जो पहले परमेश्वर ने उसे न दिया हो। ना ही कोई परमेश्वर कि भलाई के बदले उसे कुछ प्रत्युत्तर में लौटा सकता है।

हम मूसा के साथ कह सकते हैं, " हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपनी स्तुति करने वालों में भय के योग्य, और आश्चर्य कर्म का कर्त्ता है" (निर्गमन १५:११)। - सी. पी. हिया


परमेश्वर के चरित्र और उसकी सृष्टि में हम उसके महान गौरव और विभव को देखते हैं।


बाइबल पाठ: रोमियों ११:३३-३६


हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपनी स्तुति करने वालों में भय के योग्य, और आश्चर्य कर्म का कर्त्ता है - निर्गमन १५:११


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १०-१२
  • यूहन्ना ११:३०-५७

शनिवार, 29 मई 2010

युद्ध के लिये तैयार

प्रेरित पौलुस, आत्मिक युद्ध का एक साहसी योद्धा था। अपने संघर्षपूर्ण जीवन के अन्त में उसने अपने जीवन की गवाही के लिये कहा, "मैं अच्‍छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है" (२ तिमुथियुस ४:७)।

इससे कुछ साल पहले यीशु मसीह के इस वीर योद्धा ने अपने संगी मसीहीयों से आग्रह किया था कि वे परमेश्वर के सारे हथियार बांध लें जिससे वे अंधकार की शक्तियों से होने वाले अपने आत्मिक युद्ध में स्थिर खड़े रह सकें। इन हथियारों को प्रतिदिन पहनने की अनिवार्यता से पौलुस भली भांति परिचित था। मसीह की सेवकाई में पौलुस ने कोड़े खाए, मार खाई, उसे पत्थरवाह किया गया, बन्दिगृह में डाला गया, वह कई बार भूखा, प्यासा, थकान से चूर और ठंड में ठिठुरता रहा (२ कुरिन्थियों ११:२२-२८)।

कमर में सत्य की पेटी और सीने पर धार्मिकता का कवच बांध कर, पैरों में मेल-मिलाप की जूती पहिने, हाथ में विश्वास की ढाल लिये और सिर पर उद्धार का टोप पहनकर, आत्मा की तलवार अर्थात पारमेश्वर का वचन लिये वह शैतान के जलते हुए तीरों का सामना करके, इन हथियारों के द्वारा उन तीरों को नाकाम कर सका (इफिसियों ६:१४-१७)। परमेश्वर के इन हथियारों से पौलुस की तरह हम भी युद्ध के लिये पूरी तरह तैयार और सुरक्षित करे गए हैं।

अंधकार का राजकुमार अपने शैतानी सेना के साथ एक बहुत ही धूर्त शत्रु है। इसलिये हमें ज़रूरत है उसकी धोखेबाज़ युक्तियों से सदा सतर्क रहने की, और प्रतिदिन परमेश्वर के हथियारों को बांधे रखने की। यदि हम ऐसा करते हैं, तो पौलुस की तरह अपने जिवन के अन्त के निकट पहुंच कर, हम भी कह सकते हैं कि हमने "विश्वास की रखवाली की है।" - वेर्नन ग्राउंड्स


परमेश्वर के हथियार आपके लिये और आप्के नाप के बनाये गये हैं, बस आपको उन्हें धारण करना है।


बाइबल पाठ: इफिसियों ६:१०-१८


परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको। - इफिसियों ६:११


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ७-९
  • यूहन्ना ११:१-२९

शुक्रवार, 28 मई 2010

गवाह

आपराधिक मुकद्दमों में गवाह अपराध के बारे में बहुत अहम जानकारी प्रदान करते हैं। गवाह होने का मतलब है अदालत को जो भी जानते हैं उसकी सच्ची जानकारी देना।

जैसे आपराधिक न्याय विधि गवाहों पर निर्भर करती है, वैसे ही यीशु भी साहसी, विश्वासयोग्य और खरे गवाहों पर निर्भर करता है, उसके वचन और उसकी मण्डली के प्रचार और प्रसार के लिये।

अपने पिता के पास अपने स्वर्गारोहण से पहले यीशु ने अपने चेलों को अन्तिम आज्ञा दी - एक विश्वव्यापी गवाही का अभियान आरंभ करने की। यीशु ने चेलों को बताया कि पवित्र आत्मा उन पर आयेगा और उन्हें आलौकिक सामर्थ देगा, ताकि वे सारे जगत में उसके गवाह हो सकें (प्रेरितों १:८)।

यीशु ने उन आरंभिक प्रेरितों को बुलाया कि वे जगत में जायें जहां लोग उसके बारे में नहीं जानते थे, और जो प्रेरितों ने देखा, सुना और अनुभव किया उसकी सच्ची गवाही दें (प्रेरितों ४:१९, २०)। क्योंकि प्रेरितों ने यीशु का सिद्ध जीवन, उसकी शिक्षाएं, दुखः उठाना, मृत्यु, दफनाया जाना और मुर्दों से जी उठना देखा था (लूका २४:४८, प्रेरितों १-५), उन्हें जाकर यीशु की सच्ची गवाही देनी थी।

सुसमाचार को जगत के छोर तक ले जाने के लिये हमें बुलाया गया है, कि हम यीशु की सच्चाई की गवाही दें और बताएं कि कैसे उसने हमारे जीवन को बदला है। "फिर जिस पर उन्‍होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्‍योंकर लें और जिस की नहीं सुनी उस पर क्‍योंकर विश्वास करें?" (रोमियों १०:१४)।

दूसरों को गवाही देने के लिये आप क्या कर रहे हैं? - मारविन विलियम्स


परमेश्वर ने हमें संसार में गवाह होने के लिये छोड़ा है।


बाइबल पाठ: प्रेरितों के काम १:१-११


परन्‍तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे, और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे। - प्रेरितों के काम १:८


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ४-६
  • यूहन्ना १०:२४-४२

गुरुवार, 27 मई 2010

कितने अंधे?

गायक रे स्टीवन्स को इस वाक्यांश "उसके जैसा कोई अंधा नहीं जो देखना न चाहे" कहने का श्रेय दिया जाता है, यह रे के एक गीत "Everything is Beautiful" (सब कुछ सुन्दर है) की एक पंक्ति है। किंतु २५० वर्ष पहले मैथ्यू हेनरी नामक प्रचारक ने इस वाक्यांश को प्रयोग किया था, बाइबल के एक भजनकार आसफ के एक भजन पर करी गई अपनी टिप्पणी में।

आसफ के भजन स्टीवन्स के गीतों जैसे लोकप्रीय नहीं थे। परमेश्वर द्वारा दिये गये उद्देश्यों को पूरा न करने के लिये आसफ के इस भजन में इस्त्राएल को डांट लगाई गई है। परमेश्वर ने इस्त्राएल को चुना था संसार को दिखाने के लिये कि कैसे सही रीति से जीवन व्यतीत किया जाता है और सच्चा न्याय चुकाया जाता है, किंतु इस उद्देश्य में वे बुरी तरह से नाकाम रहे। कमज़ोर और अनाथों की रक्षा करने के स्थान पर वे अन्यायियों और दुष्टों का पक्ष ले रहे थे (भजन ८२:२, ३)।

भजन ८२ पर अपनी व्याख्या में मैथ्यु हैनरी ने लिखा, "गुप्त में दिया गया उपहार उन्हें अंधा कर देता है। वे जानते नहीं क्योंकि वे जानना चाहते ही नहीं। उनके जैसा कोई अंधा नहीं जो देखना नहीं चाहते। उन्होंने अपनी अन्तरात्मा को दबा दिया है, इसलिये अन्धकार में चलते हैं।"

यीशु ने कमज़ोर और असहाय लोगों के प्रति परमेश्वर की रुचि को दिखाया; उसने कहा कि जो कुछ भी "इन छोटे से छोटों" के लिये किया जाता है, वह परमेश्वर के लिये किया जाता है ( पढ़ें मत्ती २५: ३४-४०)। उसने अपने चेलों को डांटा छोटे बच्चों को उस के पास ना आने देने के लिये ( पढ़ें लूका १८:१६)।

जो वैसे देखते हैं जैसे परमेश्वर देखता है, वे असहायों की सहायता के उपाय करते हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


सच्चे मसीही प्रेम की परख: क्या आप उनकी सहायता करते हैं जो प्रत्युत्तर में आपकी सहायता नहीं कर सकते?


बाइबल पाठ: भजन ८२


तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया। - मत्ती २५:४०


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १-३
  • यूहन्ना १०:१-२३

बुधवार, 26 मई 2010

बुरे को भला कहना

कई वर्षों से "विज़रड ऑफ ओज़" नामक पुस्तक लोकप्रीय रही है। उसके पात्रों, जैसे डौरोथी, स्केअरक्रो, टिनमैन और कायर सिंह से लोगों ने कई नैतिक शिक्षाएं लीं हैं। मूल कथानक में जिस बड़े शत्रु पर जय पानी है वह है पश्चिम में रहने वाली दुष्ट डाईन। मूल कथानक में बुराई को और उस पर भलाई की विजय को स्पष्ट दिखाया गया है।

ब्रॉडवे की एक संगीत नाटक मंडली ने इस कहानी के नैतिक तत्व को पलट दिया है। उनकी परिवर्तित कहानी में दुष्ट डाईन को एक सहनुभूति क पात्र बनाया गया है। वह हरे रंग की खाल के साथ पैदा हुई, इसलिये अपने आप को अकेली और अलग महसूस करती है। मुख्य पात्र और उनकी भूमिकाएं तथा कहानी की घटानाएं इस तरह बदल दी गईं हैं दुष्ट डाईन एक गलतफहमी का शिकार हुए व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत की जाती है। दर्षक इस परिवर्तित नाटक से यह भ्रम लेकर आ सकते हैं कि बुरा भला है और भला बुरा।

यशायाह भविष्यद्वक्ता की सेवाकाई के दिनों में इस्त्राएल में नैतिक मूल्यों का परिवर्तन हो गया था। कुछ लोग हत्या, मूर्तिपूजा और व्यभिचार जैसे पापों को भला मानने लगे थे। प्रत्युत्तर में यशायाह ने उन्हें एक कड़ी चेतावनी दी, "हाय उन पर जो बुरे को भला और भले को बुरा कहते हैं" (यशायाह ५:२०)। हमारे इस तुलनात्मक संसार में, लोकप्रीय संस्कृति सदा बाइबल के मूल्यों को चुनौती देती रहती है। परमेश्वर के वचन को सीखना, याद करना और उसपर मनन करना यह सुनिश्चित कर सकता है कि हम भले और बुरे की पहचान कर सकें। - डेनिस फिशर


यदि हम सत्य को जानते हैं तो असत्य को पहचान सकते हैं।


बाइबल पाठ: यशायाह ५:१८-२३


हाय उन पर जो बुरे को भला और भले को बुरा कहते हैं - यशायाह ५:२०


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २८, २९
  • यूहन्ना ९:२४-४१

मंगलवार, 25 मई 2010

बिकाऊ: एक आत्मा

गोएथे के उपन्यास ’डॉकटर फॉस्टस’ में जैसे फॉस्टस अपनी आत्मा शैतान को बेचता है, हम मान सकते हैं कि यह काल्पनिक कहानीयों में ही होता है। चाहे हमें यह किस्से-कहानीयों की बात लगे, लेकिन आत्मा बेचने की कई घटनाएं हो चुकी हैं।

’वायर्ड’ पत्रिका ने यह समाचार छापा कि २९ वर्षीय विश्व्विद्यालय के एक प्रशीक्षक ने अपनी अमर आत्मा १,३२५ अमेरीकी डॉलर में बेच दी। उसका कहना है कि, "अमेरिका में आप वास्तविक अथवा आलंकारिक रूप से अपनी आत्मा बेच सकते हैं और उसके लिये पुरुस्कृत हो सकते हैं"। यह विसम्य की बात है कि खरीदने वाला, खरीदी हुई आत्मा को प्राप्त कैसे करेगा!

हम वास्तविक रूप में अपनी आत्मा बेच नहीं सकते पर उसे खोकर कुछ और प्राप्त कर सकते हैं। हमें यीशु के प्रश्न पर विचार करना चाहिये "मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?" (मत्ती १६:२६)। आज के समय का हमारा उत्तर, यीशु के ज़माने के लोगों के उत्तर से कुछ ज़्यादा भिन्न नहीं होगा: जगत, शरीर और शैतान। हमें आकर्षित करके वश में करने वाली लालसाएं, वासनओं की बेरोकटोक तृप्ति, बदले की भावना, सांसारिक सफलता और वस्तुओं की प्राप्ति आदि कई लोगों लिये अनन्त काल के स्वर्गीय जीवन की उपेक्षा कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।

संसार की किसी भी चीज़ की तुलना परमेश्वर के प्रेम और क्षमा से नहीं की जा सकती। यदि संसार के सुख-विलास का प्रेम आपको मसीह यीशु में विश्वास करने से रोक रहे हैं तो एक बार फिर विचार कर लीजिए - यह सब आपके अमर आत्मा से अधिक मूल्यवान नहीं हैं। - डेविड एगनर


यीशु ही वह जल स्त्रोत है जोप प्यासी आत्मा को तृप्त कर सकता है।


बाइबल पाठ: मत्ती १६:२४-२८


मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा? - मत्ती १६:२६


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २५-२७
  • यूहन्ना ९:१-२३

सोमवार, 24 मई 2010

मित्रों की गवाही

पुलिट्ज़र पुरुस्कार विजेता डेविड हलबेरस्ट्रोम, कोरिया युद्ध में अमेरिका की भूमिका पर लिखी अपनी महान कृति के प्रकाशन से ५ महीने पूर्व एक सड़क दुर्घटना में चल बसे। उस लेखक की मृत्यु के बाद उसके सहलेखकों और मित्रों ने स्वेच्छापूर्वक उसकी पुस्तक को लेकर सारे देश का दौरा किया। हर स्थान पर जहां वे जाते, वे हलबेरस्ट्रोम के सम्मान में उसकी की पुस्तक के कुछ अंश पढ़ते और अपने दिवंगत मित्र से संबंधित अपनी यादें बांटते।

किसी व्यक्ति की महानता और उसके व्यक्तित्व का बयान एक मित्र से बेहतर कोई नहीं कर सकता। प्रभु यीशु के मृतकों में से पुनुरुत्थान और स्वर्गारोहण के बाद उसके शिष्यों ने उस अनुपम व्यक्ति के साथ अपने अनुभवों बारे में औरों को बताना आरम्भ कर दिया - "हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्‍त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ" (१ यूहन्ना १:२)। उनका उद्देश्य था कि लोग परमेश्वर पिता और उसके पुत्र यीशु को जानें (पद ३)।

कभी कभी हमें लग सकता है कि दूसरों के सामने गवाही देना और मसीह में अपने विश्वास का बयान करना एक भयावह या बोझिल कार्य है। किंतु इसे यदि एक ऐसे मित्र के बारे में बात करने के रूप में देखें, जिसकी उपस्थिति और प्रभाव ने हमारा जीवन बदल दिया है, तो इस कार्य के प्रति हमारा नज़रिया बदल सकता है।

मसीह का सुसमाचार सदा उसके मित्रों की गवाही के द्वारा ही सबसे प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया जाता है। - डेविड मैककैस्लैंड


आप यीशु से जितना अधिक प्रेम रखेंगे, उतना ही अधिक आप उसके बारे में बताएंगे।


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना १:१-७


हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्‍त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ। - १ यूहन्ना १:२


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २२-२४
  • यूहन्ना ८:२८-५९

रविवार, 23 मई 2010

मार्ग बनाओ

डवाईट डी. आईज़नहावर, द्वितीय विश्वयुद्ध में अपने साहसी नेतृत्व के लिये प्रसिद्ध थे। उनके युद्धकौशल से उनकी सेना ने योरप पर पुनः कब्ज़ा किया। एक वीर नायक के रूप में अमेरिका वापस लौटने के कुछ समय बाद उन्हें वहां का राष्ट्रपति चुन लिया गया।

जब वे योरप में थे तो आईज़नहावर ने वहां टेढ़े-मेढ़े रास्ते पार करने की कठिनाइयों और खतरों का अनुभव किया था। इसलिये अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये उन्होंने सड़कों का एक जाल सारे देश में फैलाने की योजना बनाई जो राष्ट्रिय़ राजमार्ग प्रणाली बनी। इसके लिये पहाड़ों में सुरंगें बनाईं गईं और तराईयों पर विशाल पुल बांधे गये।

प्राचीन कल में भी कब्ज़ा करने वाले राजा, नये इलाकों में अपनी सेना के लिये बनाये गये मार्गों से प्रवेश पाते थे। यशायाह के मन में यह रूपक था जब उसने कहा, "जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो" (यशायाह ४०:३)। तथा यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने लोगों को पश्चाताप के लिये पुकारा, आने वाले राजा यीशु के लिये उनके मनों में मार्ग बनाने के लिये।

आपके हृदय में यीशु के निर्बाध्य प्रवेश के लिये किस तैयारी की आवश्यक्ता है? क्या वहां कोई कड़ुवाहट की चट्टाने हैं जिन्हें क्षमा के द्वारा ढाया जाना ज़रूरी है? क्या शिकायत की खाईयां हैं जिन्हें सन्तुष्टि से भरा जाना ज़रूरी है?

हम इस आत्मिक कार्य को नज़रांदाज़ नहीं कर सकते। आईये राजा के लिये राजमार्ग तैयार करें। - जो स्टोवैल


मनफिराव राजा के साथ हमारे संबंध को ठीक करने के मार्ग को साफ कर देता है।


बाइबल पाठ: यशायाह ४०:३-५


जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो। - यशायाह ४०:३


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १९-२१
  • यूहन्ना ८:१-२७

शनिवार, 22 मई 2010

मैं तो सही हूं; आप ही गलत होंगे!

मेरी सहेली रिया, विशाल नीले सारस के पंखों के ६ फुट के फैलाव और उसके शनदार रूप से बहुत प्रभावित है। उसके घर के पास एक तालाब में स्थित एक छोटे टापु पर उस सारस को नीचे उतरने के लिये पंख फैलाये हुए आते देखना उसे बहुत अच्छा लगता है।

अब, मैं भी मानती हूं कि सारस एक अनुपम और अद्‍भुत पक्षी है, किंतु अपने घर के पिछवाड़े में मैं उसे कभी देखना नहीं चाहती। यह इसलिये क्योंकि मैं जनती हूं कि यदि वह वहां आया तो केवल बाग़ की सुन्दरता निहारने नहीं आयेगा; यह अवांछित आगन्तुक तालाब से मछलियां खाने आयेगा।

तो अब मैं सही हूं या रिया? हम सहमत क्यों नहीं हो सकते? अलग अलग व्यक्तित्व, अनुभव, या ज्ञान लोगों के दृष्टिकोण में फर्क ला सकते हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि एक व्यक्ति सही है और दूसरा गलत; फिर भी कभी कभी यदि आपसी सहमति न हो तो हम निर्दयी, कठोर और दोष लगाने वाले बन जाते हैं। मैं पाप के विष्य में बात नहीं कर रही हूं - केवल दृष्टिकोण या विचारों की भिन्नता की। किसी के विचारों, उद्देश्यों या कार्यों की आलोचाना करने या उनपर दोष लगाने से पहले हमें सतर्क रहना चाहिये, क्योंकि हम भी नहीं चाहेंगे कि हम पर दोष लगाया जाय (लूका ६:३७)।

जो हमसे भिन्न दृष्टिकोण रखते हैं क्या उनसे हम कुछ सीख सकते हैं? क्या हमें कुछ धीरज और प्रेम के व्यवहार का पालन करने की आवश्यक्ता है? मैं बहुत धन्यवादी हूं कि परमेश्वर मुझसे बहुत प्रेम रखता है और मेरे प्रति अति धैर्यवान रहता है। - सिंडी हैस कैस्पर


थोड़ा प्यार बड़ा बदलाव लाता है।


बाइबल पाठ: लूका ६:३७-४२


दोष मत लगाओ; तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा: दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे। - लूका ६:३७


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १६-१८
  • यूहन्ना ७:२८-५३

शुक्रवार, 21 मई 2010

क्या वह काफी है?

क्या यीशु काफी है? कई मसीहियों को यह प्रश्न अपने आप से पूछने की आवश्यक्ता है। उनके पास सांसारिक संपत्ति तो बहुत है, किंतु क्या वे मसीह पर निर्भर करते हैं? या वे अपनी धन-संपत्ति पर निर्भर करते हैं?

बाइबल में धनी होने की निन्दा नहीं की गई है, यदि आपकी प्राथमिकताएं सही हैं और आप दूसरों की आवश्यक्ताओं का ध्यान रखते हैं। जो बहुत धन्वान नहीं हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना है कि हमें संभालने वाला सांसारिक धन नहीं, वरन यीशु है।

पतरस प्रेरित, यरुशलेम के मन्दिर के दरवाज़े के बाहर बैठ कर भीख मांगने वाले भिखारी की घटना के द्वारा, हमें इस बात को समझने में सहायता करता है। इस मनुष्य ने पतरस से पैसे मांगे, परन्तु पतरस ने उसे उत्तर दिया, "चान्‍दी और सोना तो मेरे पास है नहीं, परन्‍तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूं: यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर" (प्रेरितों ३:६)।

मन्दिर के दरवाज़े पर पड़े उस मनुष्य की धारणा थी कि उसकी समस्याओं का समाधान पैसा है, किंतु पतरस ने उसे दिखाया कि समाधान यीशु है। और आज भी संसार की हर समस्या का समाधान यीशु ही है।

मैंने एक चीनी मसीहियों के गुट के बारे में पढ़ा था जो अपने देश में मसीह का सुसमाचार प्रचार करते हैं, हम उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। इन विश्वासियों का कहना है कि "हमारे पास सुसमाचार प्रचार करने के लिये कोई बड़े कार्यक्रम आयोजित करने की सामर्थ नहीं है। हमारे पास लोगों को देने के लिये केवल यीशु है।"

चीन के इन भाई बहिनों के लिये यीशु काफी है। निर्धनों के लिये भी यीशु काफी है। सोचने की बात है कि क्या वह आपके लिये काफी है? - डेव ब्रैनन


हमारी सबसे बड़ी संपत्ति मसीह में हमारा धन है।


बाइबल पाठ: प्रेरितों के काम ३:१-१०


चान्‍दी और सोना तो मेरे पास है नहीं, परन्‍तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूं: यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर। - प्रेरितों ३:६


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १३-१५
  • यूहन्ना ७:१-२७

गुरुवार, 20 मई 2010

आत्मिक दृष्टि लौटाना

सन्डुक रूइत एक नेपाली डॉकटर है जिसने अपने ऑपरेशन के ऑज़ारों का प्रयोग एक बहुत सरल विधि द्वारा मोतियाबिंद (cataract) का इलाज करने के लिये किया है। पिछले २३ वर्षों में वह लगभग ७०,००० लोगों की दृष्टि लौटा चुका है। बिल्कुल निर्धन मरीज़ भी जो काठमान्डु में उसके द्वारा चलाये जा रहे ’बिना लाभ के अस्पताल’ में आते हैं, वे केवल अपने आभार से इलाज की कीमत चुकाते हैं।

हमारा प्रभु यीशु मसीह भी जब पृथ्वी पर था तो उसने कई शारीरिक रूप से अंधों को आंखें दीं। किंतु उसकी ज़्यादा चिंता आत्मिक अन्धेपन के प्रति थी। जब यीशु ने एक जन्म के अन्धे को चंगा किया तो कई धार्मिक अधिकारियों ने इस बात की छान-बीन करी, किंतु यह मानने से सर्वथा इन्कार किया कि यीशु पापी नहीं है (यूहन्ना ९:१३-३४)। उनके इस रवैये पर यीशु ने कहा कि, "मैं इस जगत में न्याय के लिये आया हूं, ताकि जो नहीं देखते वे देखें, और जो देखते हैं वे अन्‍धे हो जाएं" (यूहन्ना ९:३९)।

पौलुस प्रेरित ने इस आत्मिक अंधेपन के संबंध में लिखा "परन्‍तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है। और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्‍धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके" (२ कुरिन्थियों ४:३, ४)।

भजनकार ने कहा "तेरी बातों के प्रवेश से प्राकाश होता है" (भजन ११९:१३०)।

केवल परमेश्वर का वचन ही है जो हमारे मन की आंखों को खोल देगा और हमारे आत्मिक अंधेपन को चंगा करेगा। - सी. पी. हीया


अंधकार से भरे संसार को यीशु के प्रकाश की आवश्यक्ता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना ९:१-११


तेरी बातों के प्रवेश से प्राकाश होता है; उस से भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं। - भजन ११९:१३०


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १०-१२
  • यूहन्ना ६:४५-७१

बुधवार, 19 मई 2010

स्वर्ग में युद्ध

फिलिप पुलमैन एक गुणी लेखक हैं। उन्होंने तीन पुस्तकों ( The Golden Compass, The Subtle Knife & The Amber Spyglass) में एक क्रमिक कथा लिखी है जो जवान पाठकों में बहुत लोकप्रीय है। इन कथाओं के संवेदनशील पात्रों और बांध के रखने वाले कथानकों के पीछे एक कुटिल उद्देश्य है। इस कथा का अन्त परमेश्वर के विरुद्ध होने वाले एक बड़े युद्ध में होता है।

इन पुस्तकों में पुलमैन जताता है कि शैतान का स्वर्ग से गिराया जाना एक ’नेक’ कार्य - शैतान की परमेश्वर के अत्याचारी शासन से आज़ादी पाने की इच्छा, का परिणाम था। पुलमैन जताना चाहता है कि शैतान का परमेश्वर के सिंहासन को हड़पने का प्रयास करना एक वाजिब और सही कार्य था!

प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में हमें अन्त के समय के बारे में बताया गया है। वहां लिखा है, "फिर स्वर्ग में लड़ाई हुई....और शैतान पृथ्वी पर गिरा दिया गया" (प्रकाशितवाक्य १२:७-९)। इस भावी युद्ध से पहले इस पथ्वी पर हमारे मनों की युद्धभूमि पर एक संघर्ष चल रहा है।

हमें शैतान की वास्तविकता - उसका झूठा होना (युहन्ना ८:४४), को ध्यान रखना है। उसकी चाल है कि परमेश्वर के वचनों को उसके संदर्भ से निकालकर और उन्हें तोड़-मरोड़ कर झूठा कर देना (उत्पत्ति ३:१-७)। उसकी चालकियों के विरुध्द अपनी रक्षा करने का सबसे कारगर तरीका है परमेश्वर के वचन की सच्चाई को दृढ़ता से थामे रहना (इफिसियों ६:१०-१८)।

हमारा प्रेमी स्वर्गीय पिता नहीं चाहता कि हममें से कोई नाश हो (२ पतरस ३:९) परन्तु वह हमें आज्ञाकारिता के लिये मजबूर भी नहीं करता। उसने निर्णय हम पर छोड़ रखा है। - डेनिस फिशर


जब शैतान हमला करे तो परमेश्वर के वचन से पलटवार कर उसे पराजित करो।


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य १२:७-१२


फिर स्वर्ग में लड़ाई हुई....और शैतान पृथ्वी पर गिरा दिय गया। (प्रकाशितवाक्य १२:७-९)


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास ७-९
  • यूहन्ना ६:२२-४४

मंगलवार, 18 मई 2010

स्वर्गीय विकल्प

हाल ही में मैंने अपने एक मित्र को उसके जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और उससे पूछा कि एक साल और बुज़ुर्ग होना कैसा लगा? उसने विनोद के भाव में चुटकी लेते हुए कहा, "मुझे लगता है कि बुज़ुर्ग होना उसके विकल्प से बेहतर है।" उस समय हम एक साथ इस बात पर हंसे, लेकिन बाद में मैंने सोचा - क्या बुज़ुर्गी अपने विकल्प, अर्थात मृत्यु, से वाकई बेहतर है?

मुझे गलत मत समझिये। जितने भी दिन प्रभु मुझे जीवित रखना चाहता है, मैं जीना चाहता हूं और अपने बच्चों तथा नाती-पोतों को बढ़ते और जीवन के अनुभव लेते देखना चहता हूं। मृत्यु का अवश्यंभावी होना मुझे उत्साहित नहीं करता। लेकिन एक मसीही विश्वासी होने के नाते, मेरे लिये बुज़ुर्ग होने का विकल्प है स्वर्ग - और यह विकल्प ज़रा भी बुरा नहीं है!

२ कुरिन्थियों ५ में पौलुस जीवन कि वास्तविकता - दुख और दर्द के साथ इस शरीर के ’डेरे’ में जीने की बात करता है। किंतु हमें बुढ़ापे के कारण निराशा में रहने की आवश्यक्ता नहीं है; पौलूस तो ऐसी निराशा के विपरीत भावना रखने को प्रोत्साहित करता है। उसने लिखा, "इसलिये हम ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं" (पद ८)। ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं! और भी उत्तम समझते हैं! यह सब क्यों? क्योंकि हमारे लिये शारीरिक जीवन का एक ऐसा विकल्प है जो किसी और के पास नहीं है - अनन्त काल तक प्रभु के साथ चिरस्थायी जीवन। आने वाले स्वर्गीय जीवन का दृष्टिकोण बनाए रखने से हम वर्तमान के जीवन के लिये ढाढ़स पा सकते हैं।

यदि हम ने मसीह के साथ अपना संबंध ठीक जोड़ा है, तो मसीह की प्रतिज्ञाएं, एक भजनकार के शब्दों के अनुसार, हमें "आज के लिये सामर्थ और कल के लिये भव्य आशा" दे सकतीं हैं।

यह कितना उत्तम विकल्प है! - बिल क्राउडर


मत्यु लाभ है क्योंकि उसके बाद स्वर्ग, पवित्रता और प्रभु का साथ है।


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:१-११


इसलिये हम ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं। - २ कुरिन्थियों ५:८


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास ४-६
  • यूहन्ना ६:१-२१

सोमवार, 17 मई 2010

जागृति का संगीत

कीनिया देश के नायरोबी शहर के एक कसबे में, अन्तराष्ट्रीय शरणार्थियों का एक समूह गीत-संगीत द्वारा अपनी मातृभूमी के लोगों को जागृत करने का प्रयास कर रहा है। बी.बी.सी. के अनुसार, ’वायाह कुसुब’ नाम की यह टोली, रेडियो और टेलिविज़न पर काफी समय पा रही है, क्योंकि वे स्पष्ट और दबंग गीतों के द्वारा सामाजिक समस्याओं को संबोधित करते हैं। उनमें से एक संगीतज्ञ ने कहा, " जो हमारे देश में हो रहा है हम उससे खुश नहीं हैं; हमने एक उकसाने वाला गाना रिकॉर्ड किया है और आशा रखते हैं कि इस गीत से हमारे नेता जागृत होंगे।"

सामाजिक तकलीफ और हिंसा को गीत-संगीत द्वारा रोकने के वायाह कुसुब के इस प्रयास से बहुत पहिले परमेश्वर ने स्पष्ट और दबंग गीत-संगीत का प्रयोग को मूसा को सिखाया। यह जानते हुए कि उसकी प्रजा के लोग जब वाचा के देश में सुख-समृधी का जीवन जीने लगेंगे, तो पापमय पृवृतियां उनका ध्यान परमेश्वर से दूर खींचेंगी (व्यवस्थाविवरण ३२:१), परमेश्वर ने मूसा के द्वारा उन्हें एक गीत सिखाया (व्यवस्थाविवरण ३२)। यह गीत चेतावनियों से भरा एक चौंकाने वाला गीत है, जिसका उद्देश्य उन लोगों का ध्यान आकर्षित करना है जो परमेश्वर को भुला कर अपने जीवन को समस्याओं से भर लेते हैं।

क्या हमारा प्रेमी और बुद्धिमान परमेश्वर, यही युक्ति हमारे साथ तो नहीं दोहरा रहा है? क्या कोई भजन, स्तुति या आत्मिक बातों का गीत हमें वापस उसकी विश्वासयोग्यता और अद्‍भुत अनुग्रह की ओर तो नहीं खींच रहा है? क्या वह किसी गीत उपयोग कर रहा है हमारी स्वाभाविक सांसारिक पृवृति को भेद कर हमारे हृदयों को पुनः उसके प्रति सजीव करने के लिये? - मार्ट डी हॉन


जहां शब्द कारगर नहीं हो पाते, वहां संगीत कारगर हो जाता है। - हैन्स क्रिशच्यन एंडर्सन


बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ३१:१६-२२


मसीह के वचन को अपने ह्रृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। - कुलिसियों ३:१६


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १-३
  • यूहन्ना ५:२५-४७

रविवार, 16 मई 2010

स्वेच्छापूर्ति की भेंट

लन्दन में एक सम्पन्न इलाके के स्टोर ने एक नया भेंट कार्ड आरम्भ किया जिसका उद्देश्य था लोगों को स्वेच्छापूर्ति के लिये प्रेरित करना, उस कार्ड पर लिखा नारा था ’स्वेच्छापूर्ति की भेंट’। पूरे स्टोर में जगह जगह इस बात के विज्ञापने लगाये गये। स्टोर के एक कर्मचारी के अनुसार, इन भेंट कार्डों की बिक्री, आरम्भ के कुछ सप्ताहों में ही, कम्पनी के अनुमान से कहीं अधिक हो गई। हमारी उदारता, अपने किसी प्रीय को कोई कीमती भेंट देने को प्रोत्साहित कर सकती है, किंतु अपनी पसन्द की कोई चीज़ अपने ही लिय्रे लेना ज़्यादा आसान होता है।

यहेजेकेल भविष्यद्वक्ता ने एक प्राचीन नगर के लोगों के बारे में कहा जिन्होंने परमेश्वर के प्रकोप को सहा, जिसका एक कारण था उनका स्वेच्छापूर्ति का जीवन जीना। भविष्यद्वक्ता ने कहा "देख, तेरी बहिन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरके खाती, और सुख चैन से रहती थी: और दीन दरिद्र को न संभालती थी। सो वह गर्व करके मेरे साम्हने घृणित काम करने लगी, और यह देखकर मैं ने उन्हें दूर कर दिया।" (यहेजकेल १६:४९, ५०)।

यह इतिहास की सच्चाई है कि परमेश्वर ने अपने लोगों को भी दंड दिया जब वे घमन्डी, बेपरवाह और लोभी हो गए (पद ४९)। स्वेच्छापूर्ति के ज़हर का उपाय है परमेश्वर को प्रसन्न करने की तत्परता रखना और अपनी नहीं वरन दूसरों की सेवा करना (फिलिप्पियों २:४)।

स्वेच्छापूर्ति एक ऐसी भेंट है जिसकी हमें कोई आवश्यक्ता नहीं है। - डेविड मैककैस्लैंड


हम जितना अधिक मसीह की सेवा करंगे, उतनी ही कम हम अपनी सेवा करेंगे।


बाइबल पाठ: यहेजकेल १६:४८-५७


वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरके खाती, और सुख चैन से रहती थी: और दीन दरिद्र को न संभालती थी। - यहेजकेल १६:४९


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा २४, २५
  • यूहन्ना ५:१-२४

शनिवार, 15 मई 2010

भेद की बात

यदि आप प्रसिद्ध पुस्तक ’द सीक्रिट’ की जानी-मानी लेखिका रहोंडा बायर्ने की मानें तो, "जीवन में कुछ भी पाने का आसान मार्ग है अब, वर्तमान में, खुश रहना"। उनकी राय में इसका संबंध ’आकर्षण के नियम’ से है - यदि आप केवल उन ही बातों के बारे में सोचें जो आपको खुश रखती हैं, तो खुश रखने वाली बातें आपकी ओर आकर्षित होंगी।

यह बहुत आसान लगता है।

परन्तु बाइबल सिखाती है कि जीवन के ’भेद की बात’ कुछ और ही है; और उसका संबंध ’जीवन की आत्मा की व्यवस्था’ से है, जिसने हमें ’पाप की और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया’ (रोमियों ८:२)।

पौलुस प्रेरित के अनुसार, जानने योग्य सबसे महत्वपूर्ण बात है ’यीशु मसीह वरन क्रूस पर चढ़ाया गया मसीह’ (१ कुरिन्थियों २:२)। जिन लोगों की धारणा केवल वर्तमान की खुशी के बारे में ही है, उन्हें आत्मा की यह बातें मूर्खता लगती हैं (पद १४)। वे इन्हें कमज़ोरी मानते हैं और इनमें उन्हें परमेश्वर की सामर्थ नज़र नहीं आती।

परमेश्वर ने हम में रहस्य की बातें जानने की उत्सुक्ता रची है। उसने, अपनी बुद्धिमानी में कुछ बातों को कुछ समय के लिये गुप्त रखा। परन्तु अब, अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा उसने इन बातों को प्रगट किया है। जो भेद की बात अब उसने प्रगट करी है उसका संबंध अच्छे विचारों द्वारा अच्छी वस्तुएं पाने से बिलकुल नहीं है। उन बातों का संबंध है मसीह जैसा मन होने से (पद १६)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


अनन्त आनन्द यीशु मसीह को जानने में है।


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों २:६-१६


हम परमेश्वर का यह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया है। - १ कुरिन्थियों २:७


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा २२, २३
  • यूहन्ना ४:३१-५४

शुक्रवार, 14 मई 2010

चुने जाना

हर साल स्कूल के छात्र अपने पसंद के विश्वविद्यालयों में आगे की पढ़ाई के लिये आवेदन देते हैं और प्रतीक्षा करते हैं विश्वविद्यालय में अपने चुने जाने और दाखिला पाने की सूचना के पत्र की।

यीशु के पृथ्वी के जीवन के समय के बालकों के लिये यह भिन्न होता था। यहूदी बालक १३ वर्ष की आयु तक अपने क्षेत्र के रब्बी (धर्मगुरू) की पाठशला में जाते थे, फिर उनमें से जो सबसे अच्छे और बुद्धिमान होते थे उन्हें चुना जाता था उस रब्बी के साथ बने रहने और सीखने के लिये। ये चुने हुए छात्र अपने गुरू के साथ आते जाते थे और जैसे भी वो रहता-खाता, वे भी रहते-खाते, अपने गुरू के अनुसार अपने जीवन को ढालते थे। जो चुनाव में अयोग्य निकलते थे वे कोई व्यवसाय सीखते थे, जैसे बढ़ई, मछुआ, चरवाहा आदि।

शमौन, अन्द्रियास, याकूब, यूहन्ना वे लोग थे जो इस चुनाव में योग्य नहीं पाये गये थे। इस कारण अपने रब्बी के साथ होने के स्थान पर वे तट पर अपने पैत्रिक व्यवसाय - मछली पकड़ने में मगन थे। यह रोचक है कि यीशु ने ऐसे लोगों को ढूंढा जिन्हें वहां के रब्बी ने तिरिस्कृत कर दिया था। सबसे अच्छे और बुद्धिमान लोगों को बुलाने की बजाये, यीशु ने अपने पीछे आने का निमंत्रण साधारण मछुआरों को दिया। उन्हें कैसा सम्मान मिला, कि वे सर्वोत्तम रब्बी के चेले हुए!

यीशु इसी सम्मान का निमंत्रण आपको और मुझे भी देता है - इसलिये नहीं कि हम सबसे अच्छे या बुद्धिमान हैं, वरन इसलिये कि उसे हमारे जैसे साधारण लोग चाहियें जो उसका अनुसरण करें और अपने जीवन उसके अनुसार ढालें, तथा प्रेम से उसके लिये लोगों को बचा सकें।

इसलिये यीशु का अनुसरण करो और उसे अपने जीवन को सार्थक करने दो। - जो स्टोवैल


साधारण और ठुकाराये गये भी यीशु के योग्य होने के लिये चुने जा सकते हैं।


बाइबल पाठ: मत्ती ४:१८-२२


यीशु ने उन से कहा: मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुमको मनुष्यों का पकड़ने वाले बनाउंगा। - मत्ती ४:१९


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १९ - २१
  • यूहन्ना ४:१-३०

गुरुवार, 13 मई 2010

भक्ति का शोक

चोरों ने वेस्ट विर्जीनिया के एक चर्च से ५००० डॉलर मूल्य का सामान चुरा लिया। अगली रात उन्होंने चुपचाप से चर्च में घुसकर सारा सामान वापस रख दिया। सम्भवतः एक चर्च में चोरी करने के दोष ने उनकी अन्तरात्मा को बोझिल किया और उन्हें लगा कि "तू चोरी न करना" (निर्गमन २०:१५) आज्ञा के उल्लंघन के अपने इस आपराधिक व्यवहार को उन्हें सुधारना चाहिये। उनके इस व्यवहार ने मुझे सांसरिक रीति के शोक और परमेश्वरीय भक्ति के शोक के बारे में सोचने का अवसर दिया।

पौलुस ने कुरिन्थियों की मण्डली द्वारा इस फर्क को समझने के लिये उनकी सराहना करी। उस मण्डली को लिखी गई पौलुस की पहली पत्री काफी तीखी थी, क्योंकि उसमें उस ने उन में पाये जाने वाले पापों के बारे में लिखा था। पौलुस की बातों से उनमें शोक उत्पन्न हुआ और इससे पौलुस आनन्दित हुआ। क्यों? क्योंकि उनका शोक पापों के पकड़े जाने या पापों के बुरे परिणाम भोगने से ही संभधित नहीं था। उनक शोक परमेश्वरीय भक्ति का शोक था, अपने पापों के लिये सच्चा पछ्तावा। इस शोक ने उन्हें पश्चाताप करवाया - उनकी विचारधारा में एक परिवर्तन जिससे वे पापों को त्यागकर सच्चे मन से परमेश्वर की ओर मुड़े। पश्चाताप ने अन्ततः उन्हें उनके पापम्य स्वभाव से मुक्ति दिलाई।

पश्चाताप या मनफिराव ऐसा कार्य नहीं है जिसे हम स्वतः ही कर सकें, इसके लिये पवित्र आत्मा की प्रेरणा आवश्यक है; यह परमेश्वर की ओर से दिया गया वरदान है। परमेश्वर से आज ही मनफिराव के लिये प्रार्थना करें (२ तिमुथियुस २:२४-४६)। - मार्विन विलियम्स


मनफिराव का अर्थ है कि पाप से ऐसी घृणा करना के उससे हट जाएं।


बाइबल पाठः २ कुरिन्थियों ७:५-१०


मैं आनन्दित हूं, पर इसलिये नहीं कि तुम को शोक पहुंचा, वरन इसलिये कि तुमने उस शोक के कारण मन फिराया, क्योंकि तुम्हारा शोक परमेश्वर की इच्छा के अनुसार था। - २ कुरिन्थियों ७:(


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १७, १८
  • यूहन्ना३:१९-३६

बुधवार, 12 मई 2010

बेहतर होता जा रहा है

१९६० के दशक का एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी गाना था "Getting Better" - अर्थात बेहतर होता जा रहा है। इस गीत में गायक अपनी जवानी तक के थोड़े से जीवन के बारे में सोचता है और उसे लगता है कि सब कुछ बेहतर ही होता जा रहा है। यह आशावादी गाना अवश्य है, किंतु इस आशा के किसी ठोस आधार के बिना।

इसकी तुलना में बाइबल हमें चिताती है कि हम एक ऐसे संसार में रहते हैं जो बदतर ही होता जा रहा है ( २ तिमुथियुस ३:१३)। प्रतिदिन हमें संसार के इस बिगाड़ के प्रमाण अधिकाधिक मिलते रहते हैं। तो इसे बिगड़े हुए संसार में हम जीवन की सच्चाईयों का सामना कैसे करेंगे? खोखले आशावाद के साथ? घोर निराशा के साथ? पौलूस प्रेरित हमें सिखाता है कि कैसे करें।

रोम में बन्दी बनाए जाने पर, बन्दीगृह में से फिलिप्पी की मण्डली को पौलुस ने पत्र लिखा, उन्हें इस बिगड़े संसार में सच्ची आशा देने के लिये। उसने अपने पाठकों का हौसला बढ़ाया, उन्हें बताकर कि इस संसार में जीवन अकसर कठिन और दुखदायी होता है लेकिन मसीही के लिये अन्तत: में सब कुछ अच्छा ही होगा। उसने लिखा, "जी चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूं क्योंकि यह बहुत अच्छा है" (फिलिप्पियों १:२३)। यह हमें स्मरण दिलाता है कि मसीह के लिये जीने से संबंधित हर दुख हम झेल सकते हैं क्योंकि एक दिन हम उसके साथ होंगे महिमा और भरपूरी के अनन्त घर में।

जीवन कठिन हो सकता है, परन्तु एक दिन जब हम मसीह को देखेंगे तब वास्तव में बेहतर हो जायेगा। - बिल क्राउडर


यीशु के साथ सदैव रहना सारे आनन्द का सार है।


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:१९-२६


मैं दोनो के बीच अधर में लटका हूं, जी तो चाहता हि कि कूच करके मसीह के पास रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है। - फिलिप्पियों १:२३


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १५, १६
  • यूहन्ना ३:१-१८

मंगलवार, 11 मई 2010

संसार देख रहा है

मेरे कुछ मित्र एक सेवकाई में थे जो मुख्यतः मसीही विश्वासियों के लिये थी। उन्हें अवसर मिला कि वे अपना काम में परिवर्तन करें और हज़ारों अविश्वासियों के जीवनों को प्रभावित कर सकें। उन्हों ने यह रोमाँचकारी परिवर्तन कर लेने का निर्णय लिया।

कई लोगों को, जिनमें से कुछ उन्हें व्यक्तिगत रीति से जानते भी नहीं थे, इस बात से बहुत धक्का लगा, और उन्हों ने मेरे मित्रों पर दोष लगाया कि वे सांसारिक ख्याति और खज़ाना पाने के लिये ऐसा कर रहे हैं। किंतु यीशु की इस बात का विश्वास करके, कि वह "खोए हुओं को ढूंढने और उनका उद्धार करने आया" (लूका १९:१०), इसी के अनुसार, मेरे मित्रों ने इस और भी बड़े अवसर का उपयोग अपने समाज के "खोये हुओं" को ढूंढने के लिये करना चाहा।

बाद में उन्होंने बताया कि "कुछ मसीही्यों ने हमारे प्रति बहुत क्रूर व्यवहार किया और हमें घृणापूर्ण ई-मेल भेजे। हमारे नए गैर-मसीही मित्र उन पुराने मसीही मित्रों से अधिक सहृदय थे। हम उनके इस व्यवहार को समझ नहीं सके और बहुत आहत हुए।" उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा तो केवल जगत में ’नमक’ और ’ज्योति’ बनके रहने के परमेश्वर के निर्देश (मत्ती ५:१३, १४) का पालन करना की थी।

जब कोई, जिसे हम जानते हैं, किसी बदलाव के लिये निर्णय ले रहा हो, तो इस बदलव को लेने के पीछे उसके उद्देश्यों के बारे में पूछना मददगार हो सकता है, लेकिन हम किसी के हृदय की बात पूरी रीति से नहीं जान सकते। हमें अपने मसीही भाई-बहिनों को "काटना और फाड़ खाना" नहीं चाहिये (गलतियों ५:१५), अपितु ऐसा प्रेम दिखाना चाहिये जिससे अन्य लोग जान सकें कि हम मसीह के अनुयायी हैं (यूहन्ना १३:३५)।

संसार हमें देख रहा है। - ऐनी सेटास


केवल परमेश्वर ही हृदय देख सकता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना १३:३१-३५


यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो। - यूहन्ना १३:३५


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १३, १४
  • यूहन्ना २

सोमवार, 10 मई 2010

बच्चों जैसा विश्वास

सपारिवार कैंपिंग के एक अवसर से लौटते समय, कार में केवल ६ वर्षीय टान्या और उसके पिता ही जगे हुए थे। कार की खिड़की में से पूर्णिमा के चमकते चांद को देखकर टान्या ने अपने पिता से पूछा "पापा, अगर मैं अपने पंजों के बल खड़े होकर अपने हाथ उपर बढ़ाउं तो क्या मैं चांद को छू पाउंगी?" उसके पिता ने उत्तर दिया, "नहीं, यह संभव नहीं लगता।" टान्या ने फिर प्रश्न किया, "क्या आप उस तक पहुंच सकते हैं?" पिता ने फिर उत्तर दिया, "नहीं, मैं भी नहीं कर सकता।" टान्या कुछ देर शांत रही, फिर बड़े विश्वास से बोली, "पापा, अगर आप मुझे अपने कंधों पर उठा लें तो यह संभव होगा।"

विश्वास? हां - बच्चे का विश्वास कि उसका पिता सब कुछ कर सकता है। लेकिन वास्तविक विश्वास का आधार हैं परमेश्वर की लिखित प्रतिज्ञाएं। इब्रानियों ११:१ में हम पढ़ते हैं, "विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय और अन्देखी वस्तुओं का प्रमाण है"। यीशु ने विश्वास के बारे में बहुत कुछ कहा, और सुसमाचारों में हम विश्वास रखने वालों के प्रति उसकी प्रतिक्रीया के बारे में पढ़ते हैं।

जब एक लकवे के मारे व्यक्ति को उसके मित्र यीशु के पास लाए, तो "उनका विश्वास देखकर" यीशु ने उसके पाप क्षमा करे और उसे चंगा किया (मत्ती ९:२-६)। जब सूबेदार ने यीशु से निवेदन किया कि "केवल मुख से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जायेगा" तो यीशु ने अचंभा किया और कहा कि, "मैंने इस्त्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया" (मत्ती ८:८, १०)।

जब हम परमेश्वर पर विश्वास रखेंगे तो पायेंगे कि सब कुछ संभव है (लूका १८:२७)। - सिंडी हैस कैस्पर


बच्चे जैसा विश्वास स्वर्ग के दरवाज़ों को खोल देता है।


बाइबल पाठ: मत्ति ८:५-१०


जो मनुष्यों से नहीं हो सकता, वह परमेश्वर से हो सकता है। - लूका १८:२७


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १०-१२
  • यूहन्ना १:२९-५१

रविवार, 9 मई 2010

चुंबक और माताएं

एक अध्यापिका ने अपनी दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को चुंबक (’Magnet’) के बारे में और वह क्या करता है, एक पाठ पढ़ाया। अगले दिन उसने उनकी लिखित परीक्षा ली। परीक्षा में उसने एक प्रश्न रखा "मेरे नाम में छः अक्षर हैं जिनमें पहला है 'M'; मैं वस्तुएं उठाता हूँ; मैं क्या हूँ?" अध्यापिका को आश्चर्य हुआ कि लगभग ५०% बच्चों ने उत्तर लिखा माता ('Mother').

हाँ, माताएं चीज़ें उठाती हैं, जैसे घर में बिखरे हुए कपड़े और खिलौने; लेकिन वे ’चुंबक’ से कहीं बढ़कर हैं। चाहे बहुत सी माताएं ऐसे काम खुशी खुशी कर देती हैं, लेकिन उनकी बुलाहट और जीवन का उद्देश्य इससे कहीं बढ़कर है।

एक अच्छी माँ अपने परिवार से प्रेम करती है और घर में ऐसा वातवरण बनाती है जहाँ घर का हर सदस्य स्वीकृति, सुरक्षा और समझबूझ पाता है। जब बच्चों को कोई सुनने वाला, सांत्वना देने वाला, गर्मजोशी से आलिंगन देने वाला या सहृदयता का स्पर्श देने वाला चाहिये होता है, तो वह उपस्थित होती है। एक मसीही माँ के लिये, सबसे आनन्ददायक बात होती है अपने बच्चों को सिखाना कि प्रभु यीशु ही उद्धारकर्ता है, तथा उसके प्रेम और उसके प्रति विश्वास के बारे में उन्हें सिखाना।

ऐसी माताएं आदर के योग्य हैं - साल के एक दिन ही नहीं वरन प्रत्येक दिन। यह आदर केवल शब्दो में प्रगट नहीं, उससे भी बढ़कर, उनके प्रति किये गए आदर और प्रेमपूर्ण कार्यों के द्वारा प्रदर्शित होना चाहिये। - रिचर्ड डी हॉन


परमेश्वर के भय में चलने वाली माताएं केवल आपकी परवरिश ही नहीं करतीं, वे आपको परमेश्वर के निकट भी लाती हैं।


बाइबल पाठ: नीतिवचन ३१:२६-३१


अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जैसा कि परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी है।


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा ७-९
  • यूहन्ना १:१-२८

शनिवार, 8 मई 2010

बुराई से भलाई

जब मेरी लगभग नई कार की टक्कर एक ट्रक से हुई तो मेरे मन में तुरन्त कोई सकारात्मक विचार नहीं आये। मैं उस समय खर्चे, असुविधा और अपने अहं को पहुंची चोट के बारे में सोच रहा था। किंतु एक ऐसा विचार से, जिसमें मैं अन्य लेखकों के साथ सहमत हूं, कि ’प्रत्येक बुरे अनुभव से एक अच्छी शिक्षा ली जा सकती है’ मुझे कुछ आशा मिली।

ऐसे में अच्छाई को ढूंढना एक चुनौती हो सकती है, परन्तु परमेश्वर का वचन सिखाता है कि परमेश्वर बुरी परिस्थितियों को भी, भले उद्देश्यों के लिये प्रयोग कर सकता है।

बाइबल में २ राजा के ५ अध्याय में दो व्यक्तियों का उल्लेख है जिनके साथ बुरी घटनाएं हुईं। एक थी इस्त्राएल की एक लड़की जिसे अराम की सेना बंदी बनाकर ले गई थी; और दुसरा अराम की सेना का सेनापती जो कोढ़ से पीड़ित था। यद्यपि अपने आक्रमणकारियों और बंदी बनाने वालों के लिये बुरा चाहने का लड़की के पास पर्याप्त कारण था, फिर भी उसने नामान की सहायता करनी चाही। उसने नामान को बताया कि इस्त्राएल का भविष्यद्वक्ता एलाईशा उसे चंगा कर सकता है। चंगाई पाने को आतुर नामान इस्त्राएल चला गया। वहां उसे एलाईशा द्वारा दिये गए निर्देश अपमानजन्क लगे और उसने उन्हें मानने से संकोच किया। आखिरकर जब उसने उन निर्देशों क पालन किया तो उसे चंगाई मिली; जिस कारण उसने यह घोषणा करी कि इस्त्राएल का परमेश्वर ही सच्चा परमेश्वर है (पद १५)।

परमेश्वर ने दो बुरी बातों - पहली, बंदी बनाया जाना और दूसरी, एक भयानक रोग, के द्वारा इस्त्राएल के शत्रु को मित्र बनाने के लिये प्रयोग किया। चाहे हम समझ ना पाएं कि कोई बुराई हमारे साथ क्यों हुई, हम यह जानते हैं कि परमेश्वर उस बुराई को भी भलाई के लिये प्रयोग कर सकता है। - जूली एकर्मैन लिंक


परमेश्वर कष्टों को आशीश में परिवर्तित करने में निपुण है।


बाइबल पाठ: २ राजा ५:१-१५


अब मैंने जान लिया है कि समस्त पृथ्वी में इस्त्राएल को छोड़ और कहीं परमेश्वर नहीं है। - २ राजा ५:१५


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा ४-६
  • लूका २४:३६-५३

शुक्रवार, 7 मई 2010

प्रार्थना का प्रभाव

क्या प्रार्थना का वास्तव में संसार पर कोई प्रभाव होता है या यह केवल परमेश्वर से एक निज वार्तालाप है?

न्यू जर्सी में रहने वाले एक दंपत्ति ने जब यह जाना कि उनके इलाके में बंदीगृह से छूटकर आया एक व्यक्ति रहने लगा है तो उन्होंने उसके लिये प्रार्थना करनी आरंभ करी। फिर वे उससे मिलने गए, और उस जैसे पूर्व अपराधियों को सप्ताह में एक बार भोजन के लिये अपने घर बुलाने लगे। अब, २२ साल बाद, उस स्थान के तिरिस्कृत लोगों के लिये एक जगह है जहां उनका स्वागत किया जाता है और उनके साथ आदर से व्यवहार किया जाता है।

अगर हर व्यक्ति यीशु की इस शिक्षा, अपने बैरियों से प्रेम और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो, का पालन करने लगे तो क्या हो? क्या हो, यदि हमारी ख्याति समाज के निष्कासित और अप्रीय लोगों के लिये प्रार्थना करने वालों के रूप में हो?

प्रकाशितवाक्य में एक स्थान पर प्रेरित यूहन्ना अदृश्य और दृश्य जगत के बीच होने वाले एक सीधे संबंध को देखता है। इतिहास के एक अति महत्वपूर्ण क्षण पर स्वर्ग मौन है। सात स्वर्गदूत सात तुरहियां लिये प्रतीक्षा में खड़े हैं, स्वर्ग में पूर्ण सन्नाटा है, मानो सब वहां कुछ सनने को आतुर हैं। तब एक स्वर्गदूत पृथ्वी से परमेश्वर के लोगों की प्रार्थनाएं एकत्रित करके लाता है - स्तुति, विलाप, तजे जाने, निराशा, शिकायत की प्रर्थनाएं - उन्हें सुगंधित धूप के साथ मिलाकर परमेश्वर के सिंहासन के सामने प्रस्तुत करता है (प्रकाशितवाक्य ८:१-४)। आखिरकर सन्नाटा टूटता है और वे सुगंधित प्रार्थनाएं पृथ्वी पर उंडेल दी जाती हैं और तब गर्जन, बिजली कड़कना और भूकंप होने लगता है (पद५)।

सन्देश स्पष्ट है - बुराई, कष्ट और मृत्यु पर मिलने वाली अन्तिम विजय के लिये, प्रार्थना करने वाले लोग आवश्यक कार्यकर्ता हैं। - फिलिप यैन्सी


परमेश्वर के कार्य प्रार्थना करने वालों के द्वारा संपन्न होते हैं।


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ८:१-५


उस धूप का धुआं पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं सहित....परमेश्वर के सामने पहुंच गया। - प्रकाशितवाक्य ८:४


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १-३
  • लूका २४:१-३५

गुरुवार, 6 मई 2010

सही समय पर

कुछ लोगों के लिये किसी भी जगह समय पर पहुंचना एक कठिन चुनौती होती है। कभी कभी हम चाहे कितनी भी जल्दी निकलें, देर करने के लिये कोई न कोई परिस्थिती उत्पन्न हो ही जाती है।

लेकिन एक खुशख़बरी है: परमेश्वर हमेशा ठीक समय पर रहता है। प्रभु यीशु के आगमन के विष्य में बताते हुए, पौलुस कहता है, "जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा" (गलतियों४:४)। जिस वायदा किये हुए उद्धारकर्ता की लंबे समय से प्रतीक्षा करी जा रही थी, वह बिल्कुल ठीक समय पर आया।

यीशु का रोमी साम्राज्य के शांति के समय पर आना बिल्कुल ठीक समय था। वह समय था जब देश एक सार्वजनिक भाषा - व्यापार से जुड़े हुए थे। विश्वव्यापी व्यापार को सहज बनाने के लिये रास्तों और साधनों का जाल फैला हुआ था। यह सब सुनिश्चित करता था कि सुसमाचार शीघ्रता से फैले; किसी देश की कोई बन्द सीमाएं या किसी देश में जाने की अनुमति लेने की आवश्यक्ता नहीं थी। सब बातें और परिस्थितियां मिलकर, हमारे पापों के लिये उस उद्धारकर्ता के क्रूस पर चढ़ाए जाने की भविश्यद्वाणी (यशायाह ५३) के पूरा होने के सुसमाचार को निर्बाध्य होकर फैलाने में सहायक हुए। परमेश्वर के सिद्ध समय का एक अदभुत उदहरण!

यह सब हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर जानता है कि हमारे लिये कौन सा समय सर्वोत्तम है। यदि आप किसी प्रार्थना के उत्तर की या किसी दी गई प्रतिज्ञा के पूरी होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो हताश होकर उम्मीद मत छोड़िये। यदि आप सोचते हैं कि परमेश्वर आपको भूल गया है, तो पुनः विचार कीजिये। जब समय आप के लिये सर्वथा उपयुक्त होगा, वह तब आ जाएगा; और कार्य करने के उसके अदभुत समय को देखकर आप दंग रह जाएंगे। - जो स्टोवेल


परमेश्वर का समय सदा सिद्ध होता है।


बाइबल पाठ: गलतियों ४:१-७


जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा - गलतियों ४:४


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा २१, २२
  • लूका २३:२६-५६

बुधवार, 5 मई 2010

स्थिर शांत आवाज़

जब होरेब पर्वत पर परमेश्वर ने एलियाह से बात करी, तो वह आंधी, भूकंप अथवा अग्नि में होकर कर सकता था। किंतु उसने ऐसा नहीं किया। एलियाह से परमेश्वर ने एक स्थिर शांत आवाज़ में बातें करीं, जब वह जेज़बेल से जान बचाने को छुप रह था, क्योंकि उसने उसे मार डालने की धमकी दी थी। परमेश्वर ने उससे पूछा, "एलियाह, तू यहां क्या कर रहा है?" (१ राजा १९:१२, १३)

एलियाह के उत्तर ने वही बात उजागर करी जो परमेश्वर पहले से जानता था - उसकी घोर निराशा और भय। एलियाह के उत्तर का सार था (देखिये पद १४), "प्रभु, जब औरों ने तुझे छोड़ दिया तब भी मैं अकेला ही तेरे लिये बहुत उत्साहित रहकर तेरे लिये कार्य करता रहा। मुझे ऐसे तेरे लिये अकेले खड़े रहने से क्या मिला?"

क्या वास्तव में एलियाह अकेला ही परमेश्वर के लिये खड़ा रहने वाला था? नहीं; परमेश्वर ने ७००० इस्त्राएलियों को बचा रखा था जिन्होंने बल देवता के आगे घुटने नहीं टेके थे (पद १८)।

अपनी निराशाओं में घिरकर हम भी यह सोच सकते हैं कि केवल हम ही हैं जो परमेश्वर के लिये काम कर रहे हैं; या ऐसा किसी बड़ी उपलब्धी के तुरन्त बाद भी हो सकता है, जैसा एलियाह के लिये हुआ। भजन ४६:१० हमें स्मरण दिलाता है कि "शांत हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं।" जितना जल्दी हम हम उस पर और उसकी सामर्थ पर केंद्र्ति होंगे, उतनी ही शीघ्र हम अपने भय और निराशाओं से मुक्ति पाएंगे।

दोनो ही बातें, हमारी विफलताओं के पीटे जाते कर्कश झांझ या हमारी उपलब्धियों की फुंकी जाती तुरहियां, हमारे जीवन में परमेश्वर के शांत और स्थिर स्वर को दबा सकती हैं। यह समय है कि हम अपने मनों को शांत कर, उसके वचन पर मनन करते हुए उसकी आवाज़ को सुने। - एल्बर्ट ली


अगर परमेश्वर की आवाज़ सुननी है तो हमें संसार की आवाज़ से कान मोड़ने होंगे।


बाइबल पाठ: १ राजा १९:११-१८


शांत हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान् हूं, मैं पृथ्वी भर में महान् हूं! - भजन ४६:१०


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा १९, २०
  • लूका २३:१-२५

मंगलवार, 4 मई 2010

संपर्क कर्ता

बाज़ार के विशेषज्ञ, वर्षों से यह बात जनते हैं कि किसी भी वस्तु के सर्वश्रेष्ठ विज्ञापनों में से एक है किसी मित्र द्वारा उस वस्तु की सिफारिश करना। इसीलिए बहुत सी बड़ी व्यापरिक कंपनियां ऐसे उपभोक्ताओं को अपने लिये नियुक्त करती हैं, जिन्हें वे अपने उत्पादों के मुफ्त नमूने दें और वे उन उत्पादों की सिफारिश अपने रिश्तेदारों और मित्रों में करें। अमेरिका की एक बड़ी कंपनी नियमित रूप से ऐसे ७२५,००० ’संपर्क कर्ताओं’ को मुफ्त कूपन और उत्पाद भेजती है, जो फिर उनका प्रचार दूसरों के मध्य करते हैं।

प्रभु यीशु का सुसमाचार किसी उत्पाद से कहीं बढ़कर है। वह एक ऐसी योजना है जिससे लोगों को परमेश्वर के साथ एक जीवित और महत्त्वपूर्ण संबंध बनाने का मार्ग मिलता है। यह सुसमाचार सबसे प्रभावकारी रूप में प्रसारित होता है इसके अनुयायियों के जीवन के उदाहरण और वचनों के द्वारा। पौलुस ने थिस्सलुनिके के मसीही विश्वासियों की सराहना करी उनके जीवन और गवाही के लिये, जो उस इलाके के लोगों के लिये एक नमूना थीं। उसने उन्हें कहा, "क्‍योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं" (१ थिस्सुलुनीकियों १:८)। क्योंकि उनके जीवन जड़-मूल से बदले गये थे, इसलिये उनके लिये सुसमाचार के लिये शांत रहना असंभव हो गया था, वे मसीह के लिये एक स्वाभविक ’संपर्क कर्ता’ बन गए थे।

लोगों के मध्य किसी उत्पाद के विज्ञापनों को पहुंचाने के बारे में प्रशिक्षण देने वाले एक प्राध्यापक का कहना है कि "लोगों के लिये यह एक स्वाभाविक व्यवहार की बात है कि जो भी चीज़ उन्हें उकसाती या उभारती है, उसकी चर्चा औरों से करें।" परमेश्वर का अनुग्रह, किसी मित्र तक परमेश्वर के सुसमाचार को ले जाने की उपयुक्त प्रेरणा है। - डेविड मैककैस्लैंड


अगर आप लोगों को बताना चाहते हैं कि मसीह उनके जीवन में क्या कर सकता है, तो उन्हें दिखाइये कि मसीह ने आप के जीवन में क्या किया है।


बाइबल पाठ: १ थिस्सुलुनीकियों १:२-१०


क्‍योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं - १ थिस्सुलुनीकियों १:८


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा १६-१८
  • लूका २२:४७-७१

सोमवार, 3 मई 2010

स्मृति चिन्ह

हमारी बेटी जब स्कूल दिनों में पढ़ाने जाती है तो मेरी पत्नी हमारी नातिन एलियाना की देखभाल करती है। उसके लिये हम कई ऐसे कार्य करते थे जिनसे एलियाना को हमारे घर में स्वाभाविक लगे। जैसे, उसके कद की उंचाई पर उसके माता -पिता और उनके साथ उसकी कुछ तसवीरों को रख देते, ताकि वह उन्हें देखे और तस्वीरों को उठा कर घर में घूमें। हम चाहते थे कि वह अपने माता-पिता के बारे में अक्सर सोचे।

हमें ऐसा करने की क्या आवश्यक्ता थी? क्या यह संभव था कि वह उन्हें भूल जाती? कदापि नहीं। परन्तु उनको निरंतर स्मरण करने से उसे मन में शांति मिलती।

अब इसके बारे में सोचें। अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले, यीशु ने अपनी एक यादगार चेलों के लिये दी। उसने अपने चेलों से कहा (और हमारे लिये भी), कि "मेरे स्मरण के लिये यही किया करो" (उसकी देह और लहु के प्रतीक, एक रोटी और एक प्याले में हिस्सा लेना) (लूका २२:१९)। क्या यह इसलिये किया कि हम यीशु को भूल न जाएं? कभी नहीं। हम उसे कैसे भूल सकते हैं जो हमारे पापों के लिये मरा? उसने यह यादगार इस लिये स्थापित करी जिससे उसके महान बलिदान, उसकी उपस्थिति, उसकी सामर्थ और उसकी वाचाओं की याद द्वारा उसकी शांति हममें बनी रहे।

जैसे एलियाना को वे फोटो उसके माता-पिता के प्रेम की याद दिलाते रहते थे, वैसे ही प्रभु भोज एक बहुमूल्य स्मृति चिन्ह है हममें उसकी याद बनाए रखने के लिये, जो हमारे सदा के घर में हमें ले जाने के लिये फिर आएगा। - डेव ब्रैनन


जो अपने पाप का सच्चा पछतावा करते हैं, वे बहुत कृतज्ञता के साथ मसीह के क्रूस को स्मरण रखते हैं।


बाइबल पाठ: लूका २२:७-२०


मेरे स्मरण के लिये यही किया करो - लूका २२:१९


एक साल में बाइबल: १ राजा १४, १५ लूका २२:२१-४६

रविवार, 2 मई 2010

हमारी सेवा

प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करके उद्धार पाने के तुरंत बाद हमें स्वर्ग ले जाने की बजाए पृथ्वी पर ही रहने देने के पीछे परमेश्वर का एक उद्देश्य है; वह हमें कुछ सेवाकाई देना चाहता है। परमेश्वर के एक संत - अगस्तीन ने कहा कि "मनुष्य, जब तक उसके ज़िम्मे दिये काम पूरे नहीं कर लेता, अमर है।"

हमारी मृत्यु का समय इस पृथ्वी पर किसी व्यक्ति या परिस्थिति द्वारा निर्धारित नहीं किया जाता, यह निर्णय तो स्वर्ग में होता है। जब हम वह सब पूरा कर चुकते हैं जो परमेश्वर ने हमारे लिये निर्धारित किया है, तब और केवल तब ही वह हमें अपने पास बुलाता है, उससे एक भी क्षण पहले नहीं। जैसा पौलुस ने कहा "दाऊद, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा करके सो गया।" (प्रेरितों १३:३६)।

परमेश्वर के द्वारा हमें बुलाए जाने से पहले अभी बहुत काम करना बाकी है। यीशु ने कहा "जिसने मुझे भेजा है, हमें उसके काम दिन ही में करना आवश्यक है। वह रात आने वाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता" (यूहन्ना ९:४)। वह रात आयेगी जब हम सदा के लिये अपनी आंखें इस सन्सार से मूंद लेंगे, या हमारा प्रभु हमें ले जाने के लिये आ जाएगा। हर दिन उस पल को और निकट ले आता है।

जब तक हमारे पास दिन की रौशनी है, हमें काम करना है - कुछ जीतने, प्राप्त करने, जमा कर लेने या सेवा निवृत होने के लिये नहीं, परन्तु मसीह के प्रेम से लोगों को छू लेने के द्वारा अदृश्य मसीह का उन्हें दर्शन कराने के लिये। तब हम निश्चिंत हो सकते हैं कि "हमारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है" (१ कुरिन्थियों १५:५८)। - डेविड रोपर



परमेश्वर की दृष्टि में सच्ची महानता दूसरों की सेवा करने में है।


बाइबल पाठ: भजन ११२


धर्मी का स्मरण सदा तक बना रहेगा। - भजन ११२:६


एक साल में बाइबल: राजा १२, १३ लूका २२:-२०

शनिवार, 1 मई 2010

नैतिक मार्गदर्षक

एक प्रसिद्ध सन्स्थान - मैसाचूस्टस इंस्टिट्यूट ऑफ टैकनौलजी में काम करने वाले अर्थशास्त्र के प्राध्यापक डैन आरली ने मानवीय व्यवहार पर कुछ परिक्षण किये। उसने उन परिक्षणों में भाग लेने वालों को अलग अलग समूहों में बांट दिया। एक परिक्षण में, भाग लेने वाले समूह के लोगों को एक परीक्षा लेनी थी जिसमें प्रत्येक सही उत्तर देने के लिये उन्हें कुछ पैसे मिलने थे। आरली ने परीक्षा को कुछ इस तरह आयोजित किया कि भाग लेने वालों को लगे कि बेईमानी करके परीक्षा पास करना आसान है। परीक्षार्थी यह नहीं जानते थे कि आरली उनके ज्ञान की नहीं वरन नैतिकता की जांच कर रहा है।

परिक्षा के पूर्व आरली ने एक समूह के लोगों से कहा कि बाइबल में दी गई परमेश्वर की ’दस आज्ञाओं’ में से जितनी भी उन्हें याद हों वे लिख दें, उसके बाद परीक्षा में भाग लें। आरली को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि ’दस आज्ञाएं’ लिखने वाले समूह में से किसी ने भी परीक्षा में बेईमानी नहीं की, लेकिन बाकी समूहों में से हर एक समूह में कुछ लोग ऐसे अवश्य थे जिन्होंने बेईमानी की। परीक्षा से पूर्व, एक नैतिक स्तर को याद करने ने ही उस समूह के लोगों में यह फर्क उत्पन्न किया।

सदियों पहले भजनकार ने एक नैतिक स्तर को जीवन में रखने के महत्त्व को समझा और उस स्तर का पलन करने के लिये परमेश्वरीय सामर्थ की सहायता की प्रार्थना करी। उसने परमेश्वर से कहा, "मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे....मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा" (भजन ११९:१३३-१३५)।

आरली का बेईमानी का परीक्षण इस बात का प्रमाण है कि हमें नैतिक मार्ग दर्शन की आवश्यक्ता है। परमेश्वर ने अपना वचन हमारे पैरों के लिये लिये दीपक और मार्ग के लिये उजियाले के रूप में दिया है (पद १०५) ताकि हम जीवन की परीक्षाओं के समय, सही और नैतिक विकल्प का चुनाव कर सकें। - डैनिस फिशर


कुतुबनुमा (compass) के समान बाइबल हमें सदा सही राह दिखाती है।


बाइबल पाठ: भजन ११९:१२९ - १३६


मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे। - भजन ११९:१३३


एक साल में बाइबल: १ राजा १०, ११ लूका २१:१०-३८