ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ुंगा

अच्छा संगीत सुनने की मेरी सबसे प्रथम यादें उस समय की हैं जब समूहगान के अभ्यास के लिये कुछ पुरुष मेरे घर पर आते थे और मेरे पिता के साथ अभ्यास करते थे। मैं सबसे अधिक ध्यान अपने पिता पर रखता था जिन्हें समूहगान में सबसे ऊंचे सुर पर गाना होता था। उस समूह के एक मन्पसन्द भजन का शीर्षक था "मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ।" उस छोटी उम्र में भी मैंने न केवल उस भजन संगीत को चाहा वरन उस गीत के सन्देश को भी समझा।

अपने स्वर्गरोहण से ठीक पहले यीशु द्वारा अपने चेलों से कहे गए वायदे, "मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ" को, उस भजन की पंक्ति "खिली धूप हो या गहरी छांव, तू जहां जाएगा मैं तेरे साथ रहूंगा" ने मेरे लिये और भी बहुमूल्य बना दिया।

परमेश्वर की सदैव साथ रहने वाली उपस्थिति का पहला उल्लेख व्यवस्थाविवरण ३१:६-८ में मिलता है जहां मूसा ने अपने उत्तराधिकारी यहोशु को परमेश्वर के लोगों को वाचा के देश में ले जाने के निर्देश दिये। फिर यहोशु ने भी वही वचन परमेश्वर से सुने, "जैसे मैं मूसा के संग था वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा। मैं न तुझे कभी छोड़ूंगा न त्यागुंगा।" (यहोशु १:५)।

नये नियम में यही प्रतिज्ञा फिर से दी गई जब इब्रानियों को लिखी पत्री में लेखक कहता है, "उसने स्वयं ही कहा है, ’मैं न तुझे कभी छोड़ूंगा न त्यागुंगा’" (इब्रानियों १३:५)।

आप आज जहां भी हों, आप अकेले नहीं हैं। अगर आपने अपने अनन्त उद्धार के लिये यीशु पर भरोसा रखा है तो आप यह निश्चय जान रखिये कि वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा। - क्लेयर हैस


पहले यह निश्चय कर लें कि आप प्रभु के साथ हैं, फिर यह निश्चय जान लें कि वह सदैव आपके साथ बना रहेगा।


बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ३१:१-८


मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ। - मत्ती २८:२०


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा ८, ९
  • लूका २१:१-१९

गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

दूरी

शांत समुद्र पर, रब्बर की डिंगी में आंखें मूंदे हुए निश्चिंत लेटकर सूर्य की गरमाहट को शरीर में सोखना और लहरों की आवाज़ का आनन्द लेना कितना अच्छा लगता है। जब तक आंख न खुले, कोई चिंता नहीं! किंतु ऐसे में कभी नाव, धीरे धीरे बह कर किनारे से दूर भी हो जाती है; और तब जब आंख खुलती है तो किनारा दूर और भय साथ होता है।

आत्मिक तौर पर भी कुछ इसी तरह हम अन्जाने में ही परमेश्वर से दूर बह जाते हैं, फिर अचानक किसी कारण जब ध्यान आता है तो मालूम पड़ता है कि दूरी कितनी हो गई है। दूरी की यह प्रक्रिया आरंभ होती है जब शैतान सृष्टीकर्ता परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम को चुराकर, उसके स्थान पर सन्देह डाल देता है। हमारे जीवन के किन्हीं अनुभवों के कारण, छल से वह हमारे मन में परमेश्वर पर विश्वास के स्थान पर सन्देह उत्पन्न कर देता है।

अय्युब और उसकी पत्नी का उदाहरण देखिये। दोनो के पास परमेश्वर पर क्रोधित होने के कई कारण थे। उनके बच्चे मर गए, धन-संपत्ति जाती रही, अय्युब की सेहत नाश हो गई। उसकी पत्नि ने कहा, "परमेश्वर की निन्दा कर और मर जा!" लेकिन अय्युब ने उत्तर दिया, " क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दुख न लें?" (अय्युब २:९, १०)।

कई स्थितियां ऐसी होती हैं जो हमारा परमेश्वर से दूर बहना आरंभ करा सकती हैं, जैसे: यह मानना कि खुश रहने के लिये हमें परमेश्वर से अधिक भी कुछ आवश्यक है; कुछ करीबी संबंधों को परमेश्वर से अधिक महत्वपूर्ण मानना; यह मान के चलना कि परमेश्वर को हमारी हर इच्छा को पूरा करना अनिवार्य है; उसकी चेतावनियों को अन्देखा करना; जब उसका वचन हमारे मन के अनुसार न हो और हमें विचिलित करे तो उसे ठुकरा देना, आदि।

यदि आपने भी बहकर दूर जाना आरंभ कर दिया है तो शांति और संतुष्टि के एकमात्र स्त्रोत के पास आ जाएं। - जो स्टोवेल


परमेश्वर से दूर बहने से बचने के लिये अपना लंगर चट्टान (यीशु) पर डाले रहें


बाइबल पाठ: अय्युब १:१३-२२


क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दुख न लें? अय्युब २:१०


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा ६, ७
  • लूका २०:२७-४७

बुधवार, 28 अप्रैल 2010

कुटिल शत्रु

इंगलैंड के दक्षिणी तट पर एक स्थान है ’स्लैप्टन सैंड्स’। इस सुंदर तटीय इलाके के साथ एक पुरानी दुखद घटना जुड़ी है।

अप्रैल २८, १९४४ के दिन, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, यहाँ पर मित्र राष्ट्रों की सेना युद्ध प्रशिक्षण के अभ्यास में लगी हुई थी। वे नौरमैन्डी के तट पर कब्ज़ा करने की तैयारी कर रहे थे। अचानक ही शत्रु की नावों ने वहाँ पर धावा बोल दिया और उस आक्रमण में ७०० अमेरीकी सिपाही मार डाले गए। आज ’स्लैप्टन सैंड्स’ में उनके इस बलिदान की याद में एक स्मारक खड़ा है, इस बात को याद करने के लिये कि वे युद्ध में भाग नहीं ले सके, प्रशिक्षण में ही मारे गए।

यह दुर्घटना एक रूपक है, जो मसीह के हर विश्वासी के लिये चेतावनी देती है। हम भी एक आत्मिक युद्ध में लगे हैं और हमारा शत्रु बहुत धूर्त और बलवान है। इसी लिये हमें पतरस प्रेरित सावधान करता है कि "सचेत हो और जागते रहो; क्योंकि तुम्हारा शत्रु शैतान एक गरजने वाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किसको फाड़ खाए" (१ पतरस ५:८)।

हमारा शत्रु भी हमारे विनाश की चाह रखता है, जैसे ’स्लैप्टन सैंड्स’ के सैनिकों के साथ हुआ। अपने राजा परमेश्वर की सेवा में, सिपाहियों के समान हमें सदा जागरूक रहना चाहिये। युद्ध के मोर्चे पर डटे सैनिक के समान, शत्रु के अचानक हमलों का सामना करने के लिये भी हमें सचेत और तैयार रहना है (२ तिमुथियुस २:३, ४) जिससे हम नाश न हों वरन आगे भी अपनी सेवा निभाते रहें। - बिल क्राउडर


शैतान की युक्तियाँ हमारे प्रभु उद्धारकर्ता की सामर्थ के सामने कुछ भी नहीं हैं।


बाइबल पाठ: १ पतरस ५:१-११


सचेत हो और जागते रहो; क्योंकि तुम्हारा शत्रु शैतान एक गरजने वाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किसको फाड़ खाए - १ पतरस ५:८


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा ६, ७
  • लूका २०:१-२६

मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

प्राथमिकताएं

एक शिक्षक अपने शिष्यों को एक महत्वपूर्ण बात समझाना चाहता था। उसने एक चौड़े मुँह वाला मर्तबान लिया और उसे पत्थरों से भर दिया। फिर उसने कक्षा से पूछा, "क्या यह मर्तबान भर गया?" उत्तर मिला "हाँ।" उसने कहा "क्या सच में?" और फिर उस मर्तबान में पत्थरों के बीच की जगह में कंकर भर दिये, और फिर पूछा, "क्या अब यह भर गया?" फिर उत्तर मिला "हाँ।" उसने फिर कहा, "वाकई?" और फिर पत्थरों और कंकरों के बीच की जगह को रेत से भर दिया। उसने फिर पूछा, " क्या अब यह भर गया?" अब उत्तर मिला "शायद नहीं।" उसने एक बर्तन में पानी लेकर उस मर्तबान में डाल दिया, और पानी पत्थर, कंकर और रेत के बीच की जगहों में भर गया।

तब उसने कक्षा से पूछा, "इस से हम क्या सीखते हैं?" किसी ने कहा कि "मर्तबान जितना भी भरा क्यों न दिखे, उसमें और डालने के लिये जगह रहती है।" शिक्षक बोला "नहीं, यह नहीं। वास्तविक शिक्षा है कि मर्तबान में सब कुछ भरना है तो सबसे पहले सबसे बड़ी चीज़ डालो और फिर क्रमशः छोटी।"

अपने पहाड़ी उपदेश में भी यीशु ने कुछ ऐसा ही सिद्धांत दिया। वह जानता था कि हम अपना समय छोटी छोटी बातों की चिंता करके व्यर्थ कर देते हैं क्योंकि वे हमें महत्वपूर्ण लगती हैं, किंतु होती नहीं हैं; और उन के कारण हमारे अनन्तकाल के लिये महत्वपूर्ण बड़ी बातों की उपेक्षा हो जाती है। यीशु ने अपने सुनने वालों को याद दिलाया "तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें यह सब वस्तुएं चाहियें। इसलिये पहले तुम उसके राज्य और धार्मिकता की खोज करो तो यह सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी" (मत्ती ६:३३)।

आप अपने जीवन में किसे प्राथमिकता देते हैं? - डेनिस डी हॉन

व्यवाहारिक उपाय:
  • योजना से पहले प्रार्थना करो।
  • वस्तुओं से अधिक मनुष्यों से प्रेम करो।
  • हर कार्य परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिये करो।

पृथ्वी पर सबसे धनी वे हैं जिन्होंने स्वर्ग में ख़ज़ाना जमा किया है।


बाइबल पाठ: मत्ती ६:२५-३४


पहले तुम उसके राज्य और धार्मिकता की खोज करो। - मत्ती ६:३३


ऎक साल में बाइबल:
  • १ राजा १, २
  • लूका १९:२८-४८

सोमवार, 26 अप्रैल 2010

बनावटी सेवकाई

जै, जो मुझे कार में चर्च लेकर जा रहा था, मुझसे बोला "मुस्कुराओ, तुम दुखी लग रही हो।" मैं दुखी नहीं थी, केवल विचारों में थी और एक साथ दो काम नहीं कर सकती थी। तो भी उसे प्रसन्न करने के लिये मैं मुस्कुराई। वह बोला "ऐसे नहीं, एक सच्ची मुस्कान।"

उसकी इस टिपण्णी ने मुझे और गंभीर सोच में डाल दिया। क्या किसी को मुस्कुराने की आज्ञा देकर उससे सच्ची मुस्कुराहट की आशा रखना संभव है? सच्ची मुस्कान तो अन्दर से आती है, वह मन की भावना की अभिव्यक्ति होती है, चेहरे की नहीं।

फोटो खींचने के समय हम कृत्रिम हंसी स्वीकार कर लेते हैं। हम प्रसन्न होते हैं जब सब लोग फोटो खींचने वाले के साथ सहयोग करके मुस्कुराते चेहरों के साथ फोटो खींचवाते हैं। आखिरकर हम खुशी की तस्वीर ही तो बना रहें हैं, ज़रूरी नहीं कि वह वास्तविक हो।

परन्तु परमेश्वर के सामने ऐसी दिखावटी बातें स्वीकार्य नहीं हैं। चाहे हम प्रसन्न हों, उदास हों या विचिलित हों, उसके समक्ष ईमान्दारी अनिवार्य है। परमेश्वर आराधना के झूठे भाव नहीं चाहता और न ही वह लोगों या परिस्थितियों से सम्बंधित झूठी बातें सुनना चाहता है (मरकुस ७:६)।

चेहरे के भाव बदलना, मन की भावना बदलने से अधिक आसान है किंतु सच्ची आराधना के लिये अनिवार्य है कि हम पूरे मन, पूरी आत्मा और पूरी शक्ति से मानें कि परमेश्वर उपासना के पूर्ण्तः योग्य है। यदि हमारी परिस्थिति प्रतिकूल भी हो, हम तब भी परमेश्वर के अनुग्रह और करुणा के लिये उसके धन्यवादी हो सकते हैं, जिनकी कीमत दिखावटी मुस्कान या बनवटी सेवकाई से कहीं अधिक है। - जूली ऐकरमैन लिंक


यदि हृदय में गान है तो चेहरे पर मुस्कान होगी।


बाइबल पाठ: मरकुस ७:५-१५


ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनका मन मुझसे दूर रहता है। - मरकुस ७:६


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल २३, २४
  • लूका १९:२८-४८

रविवार, 25 अप्रैल 2010

दीवार के सामने

२५ अप्रैल १९१५ को ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की सामूहिक सेना गल्लीपोली प्रायद्वीप पर शीघ्र विजय की आशा से उतरी। किन्तु तुर्की की सेना ने उनका जमकर मुकाबल किया और युद्ध ८ महीने तक खिंचा जिसमें दोनो पक्षों के हज़ारों सैनिक घायल हुए या मारे गए।

ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैन्ड के जो घायल सैनिक युद्धक्षेत्र से निकाल कर मिस्त्र भेजे गए, उनमें से कई मिस्त्र की राजधानी कायरो के बाहर स्थित YMCA के एक कैंप में गए। वहाँ के पादरी ओस्वाल्ड चैम्बर्स ने युद्ध से अत्यंत निराश और टूटे हुए इन सिपाहियों की बहुत अच्छी देखभाल करी और उन्हें आशा बंधाई। बड़ी सहनुभूति और समझदारी से चैम्बर्स ने उन्हें कहा, "कोई भी व्यक्ति किसी भारी विपत्ती से निकलकर पहले जैसा नहीं रहता। वह पहले से या तो बेहतर हो जाता है या बदतर। किसी व्यक्ति के दुख के अनुभव अक्सर उसके मन को खोलते हैं कि वह यीशु के द्वारा किये गये उद्धार के कार्य को पहचाने। जब सन्सार में निराशा की दीवार किसी के सामने हर मार्ग को रोक देती है तो वहाँ परमेश्वर अपने हाथ फैलाये खड़ा होता है। जो कोई उस दीवार तक आता है, वह परमेश्वर के पास आता है कि परमेश्वर उसे अपनी बाहों में भर सके। यीशु का क्रूस, परमेश्वर के प्रेम का उच्चत्त्म प्रमाण है।"

पौलुस ने पूछा: "कौन हमको मसीह के प्रेम से अलग करेगा?" (रोमियों ८:३५)। उसका विश्वास भरा उत्तर था कि कुछ भी हमें परमेश्वर के प्रेम से जो प्रभु यीशु मसीह में है, अलग नहीं कर सकेगा (पद ३८, ३९)।

जब हम रास्ता रोकने वाली दीवार के सामने होते हैं तो परमेश्वर वहाँ हमारे लिये अपनी बाहें फैलाये खड़ा होता है। - डेविड मैक कैसलैण्ड


जब सब कुछ नष्ट हो जाता है तब भी परमेश्वर का प्रेम स्थिर खड़ा मिलता है।


बाइबल पाठ: रोकियों ८:३१-३९


कौन हमको मसीह के प्रेम से अलग करेगा? - रोमियों ८:३५


  • एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल २१, २२
  • लूका १८:२४-४३

शनिवार, 24 अप्रैल 2010

परमेश्वर पिता की विश्वासयोग्यता

हडसन टेलर परमेश्वर का एक बहुत विनम्र सेवक था, जिसे परमेश्वर ने चीन में सेवकाई के लिये बहुतायत से प्रयोग किया। उसने परमेश्वर के प्रति एक असाधारण विश्वासयोग्यता प्रदर्षित की।

उसने अपनी डायरी में लिखा:
"हमारा स्वर्गीय पिता बहुत अनुभवी है। वह जानता है कि उसके बच्चों को सुबह अच्छी भूख लगती है...उसने ४० साल तक बियाबान में ३० लाख इस्त्राएलियों का पालन-पोषण किया। शायद परमेश्वर ३० लाख मिशनरी सेवकों को चीन नहीं भेजेगा; किंतु अगर भेजे भी तो इस बात पर पूरा भरोसा रखिये कि उन सबका पालन पोषण करने के लिये उसके पास बहुतायत से संसाधान होंगे। परमेश्वर का कार्य यदि परमेश्वर द्वारा बताए तरीके से किया जाय तो उस कार्य के लिये परमेश्वर के साधनों का अभाव कभी नहीं होगा।"

हम थके-मांदे हो सकते हैं लेकिन हमारा स्वर्गीय पिता सर्वशक्तिमान है। हमारी भावनाएं घट-बढ़ सकती हैं पर हमारा परमेश्वर कभी न बदलने वाला है। सृष्टि स्वयं ही उसके स्थिर और विश्वासयोग्य होने की गवाह है। इसलिये थॉमस चिश्‍होल्म के एक भजन कि पंक्तियों को हम गा सकते हैं, जिनके भाव हैं: "ग्रीष्मकाल और शीतकाल, बसन्त और पतझड़, ऊपर अपने अपने कक्ष में चलने वाले सूर्य, चन्द्रमा और नक्षत्र, सारी सृष्टि के साथ मिलकर तेरी महान विश्वासयोग्यता, अनुग्रह और प्रेम के गवाह हैं।"

उस महान परमेश्वर के लिये जीने के लिये यह कितना उत्साहवर्धक है! वर्तमान के लिये हमारी सामर्थ और भविष्य के लिये हमारी आशा हमारे अपने परिश्रम की स्थिरता पर नहीं परन्तु परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर आधारित हैं। हमारी जो भी आवश्यक्ता हो, हम उसके लिये पिता की विश्वासयोग्यता पर भरोसा कर सकते हैं।

हे प्रभु मेरे प्रति आपकी विश्वासयोग्यता कितनी महान है। - पौल वैन गॉर्डर


जो अपने आप को परमेश्वर पर छोड़ देता है परमेश्वर उसे कभी नहीं छोड़ता।


बाइबल पाठ: भजन १०७:१-१६


हम मिट नहीं गए, यह यहोवा की महान करुणा क फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है।...तेरी विश्वास्योग्यता महान है।


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल १९, २०
  • लूका १८:१-२३

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

परमेश्वर से सहमति

एक रेडियो कार्यक्रम में एक फोन करने वाले ने धर्म के संबंध में कुछ कहा। इस पर उस कार्यक्रम के संचालक ने धर्म के नाम पर पाखण्ड करने वालों के विरुद्ध बोलना शुरू कर दिया। वह कहने लगा कि "मुझे इन धर्मी ढोंगियों से घृणा है। वे केवल धर्म के बारे में बोलते ही हैं, लेकिन वे वास्तव में मुझ से ही बेहतर नहीं हैं। इसलिये मुझे धर्म की बातें पसन्द नहीं हैं।"

उस व्यक्ति को यह एहसास नहीं हुआ कि अपनी इस राय में वह परमेश्वर के साथ पूर्ण सहमत है। परमेश्वर भी ढोंगियों को बिलकुल पसन्द नहीं करता। विडम्बना यह है कि जिस बात का परमेश्वर विरोध करता है, उसी को आधार बनाकर लोग परमेश्वर से दूर रहते हैं।

यीशु ने ढोंगीयों के लिये कहा: "यह लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनके मन मुझसे दूर रहते हैं। ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्य की विधियों को धर्म उप्देश करके सिखाते हैं" (मत्ती १५:८,९)।

ध्यान दीजिये कि यीशु ने अपने समय के सम्भवतः सबसे बड़े ढोंगियों - धर्म के अगुवे उन फरीसीयों को क्या कहा। मत्ती के २३वें अध्याय में उसने उन्हें एक नहीं, दो नहीं, वरन सात बार ढोंगी कहा। वे लोगों के सामने धर्म का दिखावा करते थे पर परमेश्वर उनके मन को जानता था। वह जानता था कि वे उससे बहुत दूर हैं।

जब गैरमसीही हम विश्वासियों में ढोंग का दोष दिखाते हैं तो सही करते हैं। वे परमेश्वर के साथ सहमत हैं जो स्वयं भी इससे घृणा करता है। हमारी ज़िम्मेदारी है कि हमारे जीवन परमेश्वर आदर करें जो हमारे सम्पूर्ण समर्पण के योग्य है। - डेव ब्रैनन

शैतान हमसे प्रसन्न रहता है अगर हमारा मसीही प्रचार और जीवन मेल नहीं खाता।


बाइबल पाठ: मत्ती १५:१-१९


यह लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनके मन मुझसे दूर रहते हैं। - मत्ती १५:८


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल १६-१८
  • लूका १७:२०-३७

गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

बहुत बूढ़े?

जब परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की कि उसे और उसकी पत्नि सारा के पुत्र होगा तो अब्राहम अविश्वास के कारण हंसा और उसने कहा, "क्या सौ वर्ष के पुरूष के भी सन्तान होगी और क्या सारा जो नव्वे वष की है पुत्र जनेगी?" (उत्पत्ति १७:१७)।

बाद में सारा भी इसी कारण हंसी: "मैं तो बूढ़ी हूँ और मेरा पति भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा?" (उत्पत्ति १८:१२)।

हम भी बूढ़े होते हैं और सन्देह करते हैं कि क्या परमेश्वर के लिये हमसे किये गए वायदे पूरे करना संभव होगा? बुढ़ापे में हमारा पद और महत्त्व कम हो गए, हमारे दिमाग़ पहले जैसे सक्रीय नहीं रहे। हमारे शरीर में कई परेशानियाँ हो जाती हैं जो हमारे चलने फिरने में बाधा डलती हैं और हमें घर के आस पास ही रहने को मजबूर करती हैं। प्रतिदिन हम उन चीज़ों को खोते जाते हैं जिन्हें पाने के लिये हमने उम्र बिता दी। रॉबर्ट फ़्रॉस्ट हमारे मन में उठने वाले प्रश्न को पूछता है: "प्रश्न है...किसी घटती हुई वस्तु से क्या हासिल होगा?"

अगर हम केवल अपनी सामर्थ पर ही निर्भर हैं तो कुछ खास हासिल नहीं होगा। लेकिन परमेश्वर हमारी कलपना से कहीं बढ़कर हमारा उपयोग कर सकता है। जैसे उसने सारा से पूछा, वह हमसे भी पूछता है, "क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है?" (उत्पत्ति १८:१४) - बिलकुल नहीं!

यदि हम अपने आप को परमेश्वर के लिये उपलब्ध कराते हैं कि वह हमसे अपने उद्देश्यों को पूरा करे, तो उसके लिये उपयोगी होने में हम कभी बहुत बूढ़े नहीं होंगे। - डेविड रोपर


जैसे जैसे परमेश्वर आपके जीवन में वर्ष जोड़ता जाता है, उससे मांगें कि वह आपके वर्षों में जीवन भरता जाए।


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १७:१५-२२


मेरी वाचा तेरे साथ बंधी रहेगी, इसलिये तू जातियों के समूह का मूल पिता हो जायेगा। - उत्पत्ति १७:४


एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल १४, १५
  • लूका १७:१-१९

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

आंधी के शोर

जब भी मैं रेडियो पर एक व्यवसायिक प्रचार कार्यक्रम सुनता हूँ तो मुझे हंसी आती है। उस कार्यक्रम में एक स्त्री अपनी सहेली से बहुत ऊंची आवाज़ में बात करती है। क्योंकि उस स्त्री का घर एक आंधी में क्षतिग्रस्त हो गया था और बीमा कंपनी ने उसकी क्षति पूर्ति नहीं की थी तो उसे अपने अन्दर आंधी का शोर ही सुनाई देता रहता था और वह उस शोर से अधिक ऊंची आवाज़ में बात करने का प्रयास करती थी।

मैंने और आपने भी अपने जीवन में अपने अन्दर आंधीयों के शोर सुने हैं। यह होता है जब कोई दुर्घटना घटती है - हमारे साथ या हमारे किसी प्रीय जन के साथ, या हम किसी के बारे में बुरे समाचार सुनते हैं। तब हमारे मन ’क्या हो अगर’ जैसे सवालों की आंधी से भर जाते हैं। हम हर सम्भव बुरे परिणाम के विचारों से भर जाते हैं, और हमारा ध्यान उन्हीं पर केंद्रित हो जाता है। हमारे भय, चिंताएं, परमेश्वर में विश्वास सब बढ़ते-घटते रहते हैं और हम प्रतीक्षा करते हैं, प्रार्थना करते हैं, दुख मनाते हैं इस चिंता में कि अब परमेश्वर क्या करेगा।

किसी भी आंधी या परेशानी में डरना एक स्वभाविक प्रतिक्रीया है। चेलों के साथ प्रभु यीशु वहीं नाव में था, किंतु फिर भी वे भयभीत हुए (मत्ती ८:२३-२७)। उसने आंधी को शांत करके उन्हें सिखाया कि वह सर्वशक्तिशाली परमेश्वर है, और उनकी चिंता भी करता है।

हम इच्छा रखते हैं कि जैसे प्रभु ने उन चेलों की आंधी को शांत किया, हमारे जीवन कि आंधियों को भी सदा वैसे ही शांत करे। लेकिन हम शांति के पल पा सकते हैं यदि हम इस विश्वास पर स्थिर हैं कि जैसे चेलों के साथ वह नाव में था, वैसे ही हमारे साथ भी सदा रहता है और हमारी देख रेख करता है। - ऐनी सेटास


लंगर का महत्त्व और सामर्थ आंधी के हिचकोलों में ही होती है।


परमेश्वर जो शांति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा। - फिलिप्पियों ४:९


बाइबल पाठ: मत्ती ८:२३-२७


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल १२, १३
  • लूका १६

मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

विश्वासी गयुस

युहन्ना की तीसरी पत्री में एक मंडली के दो सदस्यों की तुलना की गई है। उन दोनो के व्यवहार उस मंडली में आने वाले मेहमान विश्वासीयों के प्रति बिलकुल भिन्न थे। युहन्ना ने यह पत्री अपने प्रीय गयुस के नाम लिखी जिससे वह सच्चा प्रेम करता था (पद १)। गयुस में सत्य व्यवहार था (पद ३) क्योंकि वह परमेश्वर के भय में चलता था। जो भी वह अपने ’भाइयों’ - यात्री मसीही प्रचारकों और उपदेशकों के लिये करता था, प्रेम और विश्वासयोग्यता के साथ करता था (पद ५, ६)।

इससे विपरीत दायोत्रिफेस का व्यवहार था। वह घमंडी और अधिकार जताने वाला था और जो मसीह के नाम में आते थे उनका विरोध करता था (पद १०), शायद पौलुस का भी। मण्डली का जो भी जन उन लोगों को ग्रहण करता था, वह उन्हें मण्डली से निकल देता था। निसन्देह वह ऐसा अपने पद और स्वार्थ को बचा के रखने और सबका ध्यान अपने पर केंद्रित रखने के लिये करता था।

मेरी पत्नी शरली, मेरी पोती ब्री और मुझे एक ऐसे देश में जाने का अवसर मिला जो कभी सुसमाचार के लिये बन्द थी। वहां के विश्वासीयों ने हमें सच्चे प्रेम, विश्वास, खुले मन और आतिथ्य से स्वीकार किया। उनके पास सीमित साधन थे किंतु उनकी उदारता अदभुत थी। उनसे हमें बहुत प्रोत्साहन मिला। वे वास्तव में गयुस के उदहरण का अनुसरण कर रहे थे।

परमेश्वर हमें एक प्रेम और विश्वासयोग्यता से भरी आत्मा दे जो हमें सहविश्वासियों के प्रति ऐसा व्यवाहार करने को उभारे जो ’परमेश्वर के उप्युक्त हो’ (पद ६)। - डेव एगनर


एक खुला हृदय और खुला घर ही मसीही आतिथ्य है।


बाइबल पाठ: ३ युहन्ना


हे प्रीय [गयुस], जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्वासी की नाई करता है। - ३ युहन्ना १:५


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल ९-११
  • लूका १५:११-३२

सोमवार, 19 अप्रैल 2010

सबसे अच्छा मिटाने वाला

स्मरण शक्ति क्या है? वह क्या है जो हमारे बीते एहसास, दृष्य, आवाज़ें और अनुभवों को फिर से उभार कर सामने ले आता है। किस प्रक्रिया द्वारा हमारे मस्तिष्क में सब घटनाएं रिकॉर्ड की जाती हैं, संजो कर सुरक्षित की जाती हैं और फिर आवश्यक्ता पड़ने पर उभार कर सामने लाई जाती हैं। यह सब बातें अभी रहस्यमय बनी हुई हैं।

हम जानते हैं कि स्मृतियाँ हमारे लिये आशीश हो सकती हैं - सांत्वना, भरोसे और आनन्द से भरी। बुढ़ापा हमारे लिये एक संतुष्टि और आनन्द से भरा अनुभव हो सकता है यदि हमने पवित्र विचार, विश्वास, सहभागिता और प्रेम की यादें सुरक्षित करी हैं। अगर एक विशवासी संत अपने पिछले मसीही जीवन को देखता है और उसे स्मरण रखता है जिसने वायदा किया है कि "मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूंगा और कभी नहीं त्यागूंगा" (इब्रानियों १३:५), तो उसका बुढ़ापा सबसे अधिक मधुर होगा।

किंतु यादें एक अभिशाप और बहुत पीड़ादायक भी हो सकती हैं। कई लोग जीवन की संध्या में प्रवेश करते समय, मन से अपने बीते पापों की यादें मिटाने की युक्ति हर कीमत पर पाने के लिये लालायित रहते हैं क्योंकि वह पाप उन्हें सताते रहते हैं। वह व्यक्ति जो ऐसी यादों से पीड़ित है, क्या कर सकता है? - केवल एक बात; वह उन्हें परमेश्वर के सन्मुख ले जाये, क्योंकि परमेश्वर ही है जो उन पापों को माफ कर सकता है और उनहें हमेशा के लिये मिटा सकता है। वही परमेश्वर जिसने वायदा दिया है, " मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण ना करूंगा" (इब्रानियों १०:१७)।

हो सकता है कि आप अपने भूतकाल को न भूल सकें किंतु परमेश्वर काली घटा के समान आपके पापों को मिटाने का आपको अवसर दे रहा है। - एम. आर. डी हॉन


परमेश्वर के सन्मुख इमान्दारी से अपने पापों को मानना ही उन्हें मिटाने का सबसे अच्छा तरीका है।


बाइबल पाठ: लूका १६:१९-३१


मैंने तेरे अपराधों को काली घटा के समान मिटा दिया है। - यशायाह ४४:२२


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल ६-८
  • लूका १५:१-१०

रविवार, 18 अप्रैल 2010

आगे क्या?

एक अमेरीकी टेलीविज़न धारावहिक ’द वेस्ट विंग’ में कल्पित अमेरीकी राष्ट्रपति जोसियाह बार्टलेट, कर्मचारियों के साथ होने वाली अपनी सभा का अन्त हमेशा दो शब्दों के साथ करता है - ’आगे क्या?’ यह उसका बताने का तरीका है कि चर्चा का यह विष्य अब यहां समाप्त हुआ और अब दुसरे विष्यों पर और इससे आगे की सोचना है। अमेरीकी राष्ट्रपति भवन ’व्हाईट हाउस’ के जीवन के दबाव और ज़िम्मेदारियों की मांग है कि उसे बीती बातों पर ध्यान केंद्रित रखने की बजाए उनसे आगे की ओर देखना है और आगे आने वाली बातों पर ध्यान देना है।

प्रेरित पौलुस का भी जीवन के प्रति ऐसा ही दृष्टीकोण था। वह जानता था कि वह अपने आत्मिक लक्ष्य पर अभी नहीं पहुंचा है, मसीह के जैसा होने के लिये उसे एक बहुत लंबा रास्ता तय करना है। ऐसे में वह क्या कर सकता था? या तो वह भूत कल की बातों पर, अपनी पराजयों, निराशाओं, संघर्षों और विवादों पर अपना ध्यान केंद्रित रख सकता था, या फिर उन बातों से शिक्षा लेकर आगे बढ़ सकता था।

फिलिप्पियों ३ में पौलुस बताता है कि उसने इन में से कौन सा मार्ग चुना। वह कहता है, "जो बातें पीछे रह गई हैं उनको भूलकर आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ ताकि वह इनाम पाऊं जिसके लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है" (पद १३, १४)।

यही वह दृष्टीकोण है जो आगे बढ़ने और फिर जो भी आगे आने वाला है उसे गले लगाने को तैयार रहता है। यदि हम अपने उद्धारकर्ता के स्वरूप में ढलकर उसके साथ अनन्तकाल को बिताना चाहते हैं तो हमें भी यही दृष्टीकोण अपनाना होगा। - बिल क्राउडर


अपनी नज़रें इनाम पर केंद्र्ति रखो।


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ३:७-१६


निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ ताकि वह इनाम पाऊं जिसके लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है - फिलिप्पियों ३:१४


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल ३-५
  • लूका १४:२५-३५

शनिवार, 17 अप्रैल 2010

बस चालक

यात्रा के सामान के ७० नग, एक इलैकट्रौनिक पियानो और कुछ अन्य सामान को हवाई अड्डों से होकर और यात्रा की बस से एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना कभी मन में प्रश्न उठाता है कि हम यह सब क्यूं कर रहे हैं?

११ दिन की मसीही सेवा यात्रा पर २८ किशोरों के झुण्ड को समुद्र पार कर एक नये इलाके में ले जाना कोई आसान काम नहीं है। परन्तु यात्रा के अन्त में हमारे बस चालक ने बस का माईक्रोफोन उठाया और भीगी आंखों से उन किशोरों का उनके साथ और अदभुत सहयोग के लिये धन्यवाद किया। जब हम घर पहुंचे तो उसने हमें ई-मेल करके अवगत काराया कि उन किशोरों के धन्यवादी कार्ड उसे मिले हैं और वह उनकी सराहना करता है। कई कार्डों में सुसमाचार लिखा हुआ था।

उन किशोर छात्रों ने अपने इस यात्रा में अपने गीतों के द्वारा सैंकड़ों की सेवा की, किंतु शायद यह बस चालक ही था जिसने उनके मसीही गुणों से सबसे अधिक लाभ पाया।

इफीसियों की पत्री में हमसे परमेश्वर के सदृश्य होने और प्रेम में चलने को कहा गया है (इफिसीयों ५:१, २)। जब हम आपस में प्रेम का व्यवाहार करते हैं तो दूसरे हममें परमेश्वर को देखते हैं (१ युहन्ना ४:१२)। बस चालक ने छात्रों में यीशु को देखा और उनसे प्रभावित होकर कहा कि वे उसे मसीह में विश्वास लाने के लिये कायल कर देंगे। शायद इस एक व्यक्ति के लिये ही हमने यह यात्रा की थी।

आप जो करते हैं, वह क्यों करते हैं? आप किस के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं? कभी कभी हमारा सबसे अधिक प्रभाव उन लोगों पर नहीं होता जो हमारा लक्ष्य होते हैं; कई दफा यह प्रभाव संसार के बस चालकों पर होता है! - डेव ब्रैनन


मसीही गवाही केवल शब्द बोलकर नहीं होती, वह मसीही के जीवन से होती है।


बाइबल पाठ: १ युहन्ना ४:७-१२


परमेश्वर के सदृश्य बनो...और प्रेम में चलो - इफिसियों ५:१, २


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल १, २
  • लूका १४:१-२४

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

द्वारपालक

पत्रकारिता में "द्वारपालक" शब्द प्रयोग होता है उन संवाददाताओं, संपादकों और प्रकाशकों के लिये जो विविध समाचारों का विशलेषण करके निर्धारित करते हैं कि कौन सा समाचार प्रकाशण के योग्य है। कुछ अनुभवी पत्रकार सावधान करते हैं कि ’इन्टरनैट’ के प्रयोग से समाचार बिना जांच की इस प्रक्रिया से गुज़रे ही अन्दर आ जाते हैं।

पुराने नियम के समय में द्वारपालक मन्दिर के दरवाज़ों की पहरेदारी करते थे, अशुद्ध लोगों को मन्दिर में प्रवेश करने से रोकने के लिये (२ इतिहास २३:१९)। सन ७० ईस्वीं में रोमी सम्राट तीतुस कि सेनाओं द्वारा मन्दिर नाश कर दिया गया। वास्तव में मन्दिर का नाश तो कई साल पहले ही आरंभ हो चुका था, जब मन्दिर की पहरेदारी करने को नियुक्त लेवियों ने सीरीया के राजा ऐन्टिओकस चतुर्थ के दुशप्रभाव में आकर अपना काम ठीक से करना छोड़ दिया था।

पौलुस ने हमारी देह को परमेश्वर का मन्दिर बताया (१ कुरिन्थियों ३:१६, १७), और इस मन्दिर पर हमला करने को कई ताकतें तत्पर रहती हैं। हमारे आत्मिक जीवन के अरक्षित स्थानों में होकर बुराई को जड़ पकड़ने का अवसर मिल सकता है - उन स्थानों द्वारा जहां ईर्ष्या, झगड़े और आपसी मतभेद आदि हमारे आत्मिक जीवन को कमज़ोर कर देते हैं (३:३)। हममें से प्रत्येक को अपनी आत्मा के शत्रु से सावधान होकर शैतान को कभी अवसर नहीं देना चाहिये (इफिसियों ४:२७)।

हमारे मनों में किन चीज़ों ने प्रवेश पाना है, इसके निर्धारण के नाप फिलिप्पियों ४:८ में मिलते हैं: जो बातें सत्य, आदरणीय, उचित, पवित्र, सुहावनी, मन-भावनी, सदगुण और प्रशंसा के योग्य हैं। इनसे जो शांति मिलेगी वह हमारे मन और हृदय के द्वार की रक्षा करेगी। - जूली ऐकरमैन लिंक


यदि आप बुराई से सावधान नहीं रहेंगे तो बुराई से प्रभावित हो जाएंगे।


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ३:१-१७


परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है और वह तुम हो। - १ कुरिन्थियों ३:१७


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल ३०, ३१
  • लूका १३:२३-३५

गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

अपने व्यवहार को जाँचें

एक बड़े चर्च के समूहगान की मुख्य पुरुष आवाज़ एक प्रशिक्षित संगीत अध्यापक की थी और अधिकतर वही समुहगान के मुख्य एकल भाग गाया करता था। उसी समुह में एक जवान व्यक्ति बॉब था, जिसे संगीत का कोई प्रशिक्षण प्राप्त नहीं था और वह कुछ छोटे एकल भाग गा लिया करता था। क्रिसमस के गानों की तैयारी करते समय समूहगान की संचालिका को लगा कि बॉब की आवाज़ और गाने की शैली उसके मुख्य गायक होने के लिये उपयुक्त है। किंतु उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि बॉब को मुख्य गायक बनाने से यदि वह प्रौढ़ संगीत अध्यापक बुरा मान जाए तो स्थिति को कैसे संभाला जाए।

उसकी यह चिंता व्यर्थ निकली क्योंकि उस संगीत अध्यापक का भी ऐसा ही सोचना था, और उस अध्यापक ने संचालिका से कहा कि बॉब को ही मुख्य भाग दिया जाए। वह अध्यापक वफादारी से समूह में अपनी भूमिक निभाता रहा और समूह में केवल कोरस गाता रहा तथा बॉब को भी प्रोत्साहित करता रहा।

जो लोग अपनी स्वार्थी अभिलाषा छोड़ कर वास्तव दूसरों की भलाई चाहते हैं उनके व्यवहार से परमेश्वर प्रसन्न होता है। क्या आपको ध्यान है कि युहन्ना बपतिस्मा देने वाले की क्या प्रतिक्रीया थी जब उसके अनुयायी उसे छोड़कर प्रभु यीशु के पीछे हो लिये? उसने कहा "अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं" (युहन्ना ३:३०)।

युहन्ना बपतिस्मा देने वाले और उस संगीत अध्यापक में क्या समानता थी? यही कि वे दोनो स्वार्थी नहीं थे। सामूहिक भलाई के लिये वे दूसरों को अपने से ऊपर उठते देखने में प्रसन्न हो सके। क्या ऐसा ही व्यवहार आप में भी है? - हर्ब वैन्डर लुट


जब हम अपने बारे में सोचना छोड़ देते हैं तो हम ऐसे कार्य कर पाते हैं जिन्हें दूसरे याद करते हैं।


बाइबल पाठ: युहन्ना ३:२२-३१


अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं। - युहन्ना ३:३०


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल २७-२९
  • लूका १३:१-२२

बुधवार, 14 अप्रैल 2010

परमेश्वर स्मरण रखता है

एक चीनी त्योहार ’क्विंग मिंग’ बिछड़े हुए रिश्तेदारों को याद करने और उनके लिये दुख मनाने का समय होता है। परंपरा के अनुसार इस समय में लोग कब्रों की मरम्मत करते हैं और प्रीय जनों के साथ खुले इलाकों में घूमते हैं। किवंदन्ती है कि इस प्रथा का आरंभ एक युवक के अपनी माँ से किये अशिष्ट और मूर्खता पूर्ण व्यवहार के कारण हुआ जिससे उसकी माता की मृत्यु हो गयी। तब उस युवक ने निश्चय किया कि वह अपनी माँ द्वारा उसके लिये किये गए कार्यों को समरण करने के लिये वह हर साल उसकी कब्र पर जाया करेगा। दुख की बात है कि माँ की मृत्यु के बाद ही उसे माँ की याद आयी।

परमेश्वर हमसे कितना भिन्न व्यवहार करता है! बाइबल की उत्पत्ती की पुस्तक में हम पढ़ते हैं कि कैसे जल प्रलय ने सारे संसार को नष्ट किया। केवल वे ही जो नूह के साथ जहाज़ में थे बच सके। परमेश्वर ने उनको याद किया (८:१), हवा चला कर पानी को सुखाया ताकि वे जहाज़ से निकल कर भूमि पर आ सकें।

परमेश्वर ने हन्ना को भी याद रखा जब उसने पुत्र के लिये प्रार्थना करी (१ शमुएल १:१९), और उसे एक बेटा दिया - शमुएल।

क्रुस पर मरते हुए चोर को भी प्रभु यीशु ने याद रखा जिसने उससे याचना की थी कि "प्रभु, जब तू अपने राज्य में आये तो मेरी सुधी लेना" और यीशु ने उत्तर दिया कि "आज ही तू मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा" (लूका २३:४२, ४३)।

हम कहीं भी हों, परमेश्वर हमें सदा याद रखता है। हमारी चिंताएं उसकी चिंताएं हैं। हमारे दर्द उसके दर्द हैं। अपनी सब परेशानियों और चुनौतियों को उसे सौंप दो। जैसे एक मां अपने बच्चों को सदा याद रखती है, वह भी हमें सदा याद रखता है, वह सब कुछ देखता और जानता है और हमारी हर आवश्यक्ता को पूरा करने की प्रतीक्षा करता है। - सी. पी. हिया


यह जानना कि परमेश्वर हमें देखता रहता है, हमें तसल्ली भी देता है और कायल भी करता है।


बाइबल पाठ: उत्पत्ती ८:१-१७


परमेश्वर ने नूह की और जितने बनैले पशु और घरेलु पशु उसके संग जहाज़ में थे, उन सभों की सुधि ली। - उत्पत्ति ८:१


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल २५, २६
  • लूका १२:३२-५९

मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

उमड़ता हुआ आत्मा

कुछ दशक पहले मैं पश्चिमी अफ्रीका के एक मसीही सेवा केंद्र को देखने गया। वहां मैंने देखा कि एक छोटी लड़की एक लाउडस्पीकर लगी लॉरी में चढ़कर एक गीत गाने लगी, जिसका सार इस प्रकार था: "मेरी आत्मा में खुशी के बुलबुले उमड़ रहे हैं, मैं गा रही हूं, मैं प्रसन्न हूं क्योंकि यीशु ने मुझे स्वस्थ किया है, मेरे हृदय को पाप से स्वच्छ किया है और अब मेरे अन्दर रहता है।" मैंने उसे केवल एक बार गाते सुना लेकिन उसके गाने में इतना आनन्द और सामर्थ भरा था कि मुझे आज तक उस गाने के बोल और राग याद है।

इस गाने में की गई जल और आत्मिक आनन्द की समान्ता बाइबल से उद्वत है। यहूदीयों के एक पर्व - मण्डपों का पर्व मनाते समय, एक याजक पानी उण्डेलता था; यह उस समय की याद के प्रतीक में था जब परमेश्वर ने इस्त्राएलियों को बियाबान में चट्टान में से जल उपलब्ध कराया था। अपने समय में "फिर पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्‍त्र में आया है उसके ह्रृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी" (युहन्ना ७:३७, ३८)। यीशु ने यह बात पवित्र आत्मा दिये जाने के उस वायदे के विष्य में की जो उसपर विश्वास करने वालों के लिये था (पद३९)। प्यास बुझाने वाले पानी का यह चित्रण उस आत्मिक प्यास की सन्तुष्टी के लिये है जो केवल यीशु ही दे सकता है।

संभवतः आप अपने उस आनन्द को खो चुके हैं जिसे आपने उद्धार पाने के समय अनुभव किया था। जो भी पाप आपको याद आते हैं उन्हें अभी मान कर पश्चाताप कर लें (१ युहन्ना १:९) और परमेश्वर के पवित्र आत्मा से भर जाएं (इफिसियों ५:१८)। वह आपकी आत्मा में भी खुशी के बुलबुले उमड़ने का अदभुत अनुभव देगा। - डैनिस फिशर


मसीह का संसार से जाना पवित्र आत्मा का संसार में आने के लिये था।


बाइबल पाठ: युहन्ना ७:३३-३९


यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए...उसके ह्रृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी।" युहन्ना ७:३७, ३८


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल २२-२४
  • लूका १२:१-३१

सोमवार, 12 अप्रैल 2010

दीनता और महानता

सात साल का बालक रिचर्ड बर्नस्टईन, जैकी रॉबिन्सन के खेल कुशलता और साहस का बहुत प्रशंसक था क्योंकि वह आधुनिक युग में बड़े और नामी खेल संगठनों में बेसबॉल खेलने वाला पहला अश्वेत अमेरिकी था। कुछ साल पश्चात, एक छोटे शहर के गोल्फ खेलने के मैदान पर काम करते हुए रिचर्ड ने अपने आप को अचानक ही अपने बचपन के इस खेल नायक के साथ पाया, उसे अवसर मिला जैकी के गोल्फ खेलने के सामान को लेकर उसके साथ चलने और उसकी सहायता करने का। वर्षा के कारण खेल स्थगित हुआ तो जैकी ने छाता खोलकर दोनो के सिर पर स्वयं पकड़ा और अपना चॉकलेट रिचर्ड के साथ बांटा। बाद में एक प्रसिद्ध अख़बार ’दि इन्टर्नैशनल हैरल्ड ट्रिब्यून’ में लिखे अपने एक लेख में रिचर्ड ने इस घटना का उदाहरण दिया और कहा कि महानता की पहचान के रूप में, नम्रता और दयालुता के इस व्यव्हार को वह कभी नहीं भूला।

सच्चा बड़प्पन नम्रता से प्रदर्शित होता है न कि घमंड से। प्रभु यीशु मसीह ने इस तत्त्व को बड़े प्रभावकारी ढंग से दिखाया और सिखाया। उसने अपने महत्वकांक्षी चेलों से कहा - "...परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने। जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल की जाए, परन्‍तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिये अपने प्राण दे" (मत्ती २०:२६-२८)।

जब परमेश्वर स्वयं इस धरती पर एक मनुष्य - प्रभु यीशु बनकर रहा तो उसने लोगों के पांव धोये, बच्चों को अपने पास बुलाया, और स्वेछा से अपने प्राण हमें पाप के स्वार्थ और अत्याचार से छुड़ाने के लिये दे दिये। उसके जीवन का उदहरण उसकी आज्ञा की पुष्टी करता है। - डेविड मैक्कैसलैन्ड


यदि हम दूसरे मनुष्यों के लिये छोटे कार्य करने को तैयार हैं तो प्रभु के लिये महान कार्य भी कर सकेंगे।


बाइबल पाठ: मत्ती २०:२०-२८


परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। - मत्ती २०:२६


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल १९ - २१
  • लूका ११:२९-५४

रविवार, 11 अप्रैल 2010

घर की यात्रा

बिल ब्राइट, जो "कैम्पस क्रुसेड फोर क्राईस्ट" नामक संस्था का संस्थापक था एक लाइलाज और नाशक रोग "पलमोनरी फाइब्रोसिस" से ग्रसित था। अन्ततः उसे लम्बे समय तक कार्य से आराम लेना पड़ा। ब्राईट ने अपने विश्राम के समय का सदुप्योग किया एक पुस्तक "द जर्नी होम" (घर की यात्रा) लिखने में।

इस पुस्तक में ब्राईट, चार्ल्स हैड्डन सपर्जन को उद्वत करता है "हम यहां अजनबियों की तरह रहें और संसार को घर नहीं पर एक सराय समझें, जिसमें हमें भोजन करना और ठहरना तो है, लेकिन अगले दिन यात्रा आरंभ करने को भी तैयार रहना है।"

सपर्जन के इस दृष्टीकोण से ब्राईट अपने आने वाले अंजाम को लेकर बहुत प्रभावित हुआ। ब्राईट ने लिखा " यह जानकारी कि स्वर्ग ही हमारा वास्तविक घर है, पृथवी पर की कठिन परिस्थितियों को पार करना आसान कर देती है। मैंने अकसर इस बात से सांत्वना पाई है कि स्वर्ग में मिलने वाली महिमा के सामने पृथ्वी की यात्रा के क्लेश कुछ भी नहीं हैं।"

परमेश्वर के मित्र इब्राहिम का जीवन इसी दृष्टीकोण का एक उदहरण है: "विश्वास ही से उसने प्रतिज्ञा किये हुए देश में परदेसी होकर...तंबुओं में वास किया। क्योंकि वह उस स्थिर नेंव वाले नगर की बाट जोहता था, जिसका रचने वाला...परमेश्वर है" (इब्रानियों ११:९, १०)। इब्राहिम एक परदेसी यात्री की तरह रहा, जो परमेश्वर द्वारा निर्मित अनन्त नगर कि बाट विश्वास से जोहता हो।

मृत्यु चाहे निकट हो या दूर, हम एक ऐसा विश्वास प्रदर्शित करें जो हमारे अनन्तकालीन घर पर केंद्रित हो। - डैनिस फिशर


चाहे हम मरुभूमि के मार्ग पर यात्रा करें, परन्तु स्मरण रखें कि उस मार्ग के अन्त में परमेश्वर की वाटिका है।


बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:१-१०


इब्राहिम उस नगर की बाट जोहता था जिसका रचने वाला और बनाने वाला परमेश्वर है। - इब्रानियों ११:१०


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल १७, १८
  • लूका ११:१-२८

शनिवार, 10 अप्रैल 2010

उसकी ज़िम्मेदारी; हमारी ज़िम्मेदारी

जब परमेश्वर हमें कोई कठिन काम सौंपता है तो उसे पूरा करने के लिये आवश्यक संसाधन भी देता है। जॉन वैसली ने लिखा कि "हमारी आरंभिक सेवा में उठने वाली कई मुश्किलों में मेरा भाई चार्लस कहता था कि यदि परमेश्वर मुझे पंख देता तो मैं उड़ता। तब मैं उसे उत्तर देता कि यदि परमेश्वर चाहेगा कि मैं उड़ुँ तो मैं उसपर भरोसा रखुंगा कि वह मुझे पंख भी देगा।"

आज का बाइबल पाठ हमें बताता है यहोशु के बारे में जिसे एक बड़ा दायित्व सौंपा गया। उस बड़ी चुनौती के सामने, निसन्देह वह डर से थरथरया होगा। वह कैसे मूसा जैसे महान अगुवे का स्थान लेकर लोगों की मूसा के समान ही अगुवाई कर सकेगा? उसकी अपनी सामर्थ में उसके लिये लोगों को वायदा किये हुए देश में लेजाकर बसाना असंभव था। लेकिन कूच के आदेश के साथ परमेश्वर ने उसे एक हिम्मत बढ़ाने वाला वायदा भी दिया - "न तो मैं तुझे धोखा दूंगा और न तुझे छोड़ुंगा" (यहोशु १:५)। फिर परमेश्वर ने उससे कहा "क्या मैंने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बांधकर दृढ़ हो जा; भय न खा और तेरा मन कच्चा न हो; क्योंकि जहां जहां तू जायेगा वहां वहां तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा" (पद९)। यहोशु को ऐसे ही आश्वासन की आवश्यक्ता थी।

यदि परमेश्वर ने आपको कोई विशेष काम दिया है जिससे आप घबरा रहे हैं, तो यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि उस कार्य को तुरंत निसंकोच हो कर स्वीकार कर लें। उससे पार लगाना परमेश्वर की ज़िम्मेदारी है। आप विश्वासयोग्यता के साथ अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कीजिए, और वह अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करेगा। - रिचर्ड डी हॉन


परमेश्वर जहां ले चलता है, वहां उसके लिये आवश्यक संसाधन भी देता है।


बाइबल पाठ: यहोशु १: १-९


तू उठ, यरदन पार होकर जा।...न तो मैं तुझे धोखा दूंगा और न तुझे छोड़ुंगा। - यहोशु १:२, ५


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल १५, १६
  • लुका १०:२५-४२

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

मित्रता का सम्मान

इंगलैंड में एक शादी के समय दूल्हे के साथ खड़ा होने वाला उसका साथी बिल्कुल बिना हिले-डुले खड़ा रहा। शादी की रस्म पूरी होने के बाद भी वह नहीं हिला।

वह वास्तव में दूल्हे के मित्र एन्डी का उसी के नाप का गत्ते पर लगया गया एक चित्र था। एन्डी प्रयास में था कि एक साथ दो स्थानों पर हो सके। वह कार रेसिंग में तीन बार विश्व-विजेता रह चुका एक रेस ड्राईवर था, और अपने अनुबंध की मजबूरी के कारण उसे अपने मित्र से उसकी शादी में उपस्थित होने का किया गया वायदा तोड़ना पड़ा। इस कमी को पूरा करने के प्रयास में उसने अपना जीवित नाप का चित्र और टेप पर रिकॉर्ड किया हुआ शुभकामनाओं का सन्देश अपने मित्र की शादी के लिये भिजवा दिया। बाद में वधु ने कहा कि उनकी शादी को सम्मान देने के उसके इस प्रयत्न ने उसके दिल को छू लिया।

एन्डी का यह प्रयत्न बहुत क्रियात्मक था और हमें उस पर टिप्पणी करने की आवश्यक्ता नहीं है। किंतु यीशु ने मित्रता का एक दूसरा और ऊंचा मापदण्ड दिया, उसने अपने चेलों से कहा कि यीशु के प्रति अपनी मित्रता दिखाने के लिये उन्हें एक दुसरे से ऐसा प्रेम प्रदर्शित करना है जैसा यीशु ने उनसे किया। फिर उसने मित्रता के नाप को और ऊंचा करते हुए कहा कि "इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे" (युहन्ना १५:१३)।

मित्रता की ऐसी गहराई का संबन्ध केवल सही व्यवहार करने से नहीं है। इसका संबन्ध है त्याग से, और यह उत्पन्न होता है उसके साथ संबन्ध से जिसने हमारे लिये अपने प्राण दिये।

क्या हम दुसरों को यह दिखाते हैं कि यीशु ने हमसे वैसा ही प्रेम किया जैसा पिता ने उसके साथ किया (पद ९)? - मार्ट डि हॉन


प्रेम केवल एक भावना से बढ़कर है, वह दूसरों की आवश्यक्ताओं को अपनी आवश्यक्ताओं से बढ़कर रखने में है।


बाइबल पाठ: युहन्ना १५:९ - १७


मैंने तुम्हें मित्र कहा है। - युहन्ना १५:१५


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल १३, १४
  • लूका १०:१ - २४

गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

सेवक - मित्र

डॉन टैक बेघर और बेआसरा लोगों के जीवन के बारे में गहराई से जानना चाहता था। इसके लिये उसने अपनी पहचान छुपाकर अपने शहर की सड़कों पर रहना शुरू किया। उसने जाना कि बहुत सी संस्थाएं हैं जो ऐसे लोगों को खाना और रहने का स्थान देती हैं। एक ऐसे रैन-बसेरे में रात बिताने से पहले उसे एक प्रचार में एक संदेश सुनने को कहा गया। उसे वहां निमंत्रित वक्ता का सन्देश अच्छा लगा और उसने सन्देश के बाद उस वक्ता से बात करनी चाही। किंतु जब डॉन ने उस वक्ता से मिलने, हाथ मिलाने और बात करने का प्रयत्न किया तो वह वक्ता उसे ऐसे अन्देखा करता हुआ चला गया, जैसे डॉन वहां हो ही नहीं।

डॉन ने जाना कि उसके इलाके में हो रही बेघर लोगों की सेवकाई में ऐसे लोगों की कमी थी जो संबन्ध बनाने को तैयार हों। इस के समाधान के लिये उसने स्वयं अपनी संस्था आरंभ की "सेवक - मित्र" जिसका उद्देश्य मित्रता द्वारा सहायता करना है।

डॉन का अनुभव, पौलुस प्रेरित के प्रचार को सुनने और उसकी सेवाकाई का अनुभव करने वालों से विपरीत था। पौलुस सुसमाचार के साथ में अपने आप को भी बांटता था। थिस्सलुनीकियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस ने इस बात का ज़िक्र किया; उसने कहा "परन्‍तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रहकर कोमलता दिखाई है। और वैसे ही हम तुम्हारी लालसा करते हुए, न केवल परमेश्वर का सुसमाचार, पर अपना अपना प्राण भी तुम्हें देने को तैयार थे, इसलिये कि तुम हमारे प्यारे हो गए थे। " ( १ थिस्सलुनीकियों २:७, ८)।

परमेश्वर के प्रति अपनी सेवकाई में क्या हम केवल अपने शब्द और पैसा ही देते हैं या अपना समय और मित्रता भी देते हैं? - ऐनि सेटास


हमारी मसीह से समानता का एक नाप दुसरों के कष्ट के प्रति हमारी सहृयता है।


बाइबल पाठ: १ थिस्सलुनीकियों २:१-८


परन्‍तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रहकर कोमलता दिखाई है। - १ थिस्सलुनीकियों २:७


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल १० - १२
  • लूका ९:३७ - ६२

बुधवार, 7 अप्रैल 2010

मेरे अतिथियों की सूची में कौन है?

मुझे भोज आयोजित करना और लोगों को उन्में आमंत्रित करना पसन्द है। मैं कभी कभी टोनिया से कहता हूं, "कुछ समय से हमने किसी को भोज पर आमंत्रित नहीं किया है। हमें किसे आमंत्रित करना चाहिये?" फिर अपने मित्रों और जानकारों की सुची पर ध्यान करके हम देखते हैं कि कौन हैं जिन्हें हमने लंबे समय से या कभी नहीं बुलाया। अकसर यह सूचि उन लोगों की होती है जो हमारे जैसे ही विचार और रहन-सहन वाले होते हैं और जो हमें वापस भोज पर निमंत्रित कर सकते हैं। लेकिन अगर हम यीशु से पूछें कि हमें किसे बुलाना है तो उसकी सूची बिलकुल भिन्न होगी।

एक दिन एक प्रमुख फरीसी ने यीशु को अपने घर बुलाया, शायद भोज पर, संभवतः उसे किसी बात में फंसाने के अवसर की तलाश में। वहां पर यीशु ने एक आदमी को चंगा किया और अपने न्यौता देने वाले को एक प्रभावी पाठ पढ़ाया: भोज के लिये आमंत्रित करते समय केवल अपने मित्रों, सम्बंधियों और अमीर पड़ौसियों को ही मत बुलाओ, जो तुम्हें वापस भोज दे सकते हैं। तुम्हें गरीब, लूले-लंगड़े और अन्धे लोगों को भी बुलाना चाहिये। यीशु ने उसे निश्चय दिया कि ऐसे लोग उसे बदले में कुछ नहीं दे सकेंगे, लेकिन परमेश्वर उसे आशीष देगा और वह धन्य होगा।

जैसे यीशु दीन-दुखियों से प्रेम करता है, वह हमें भी उन्हें प्रेम करने के लिये आमंत्रित करता है, अपने हृदय और अपने घर उनके लिये खोल देने द्वारा। - मार्विन विलियम्स


अपने हृदय और अपने घर खोलने से दुसरे ही नहीं हम भी आशीशित होते हैं।


बाइबल पाठ: लूका १४:७-१४


जब तू भोज करे तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला। तब तू धन्य होगा। - लुका १४:१३, १४


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल ७-९
  • लूका ९:१८-३६

मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

केवल परमेश्वर

एक बाइबल शिक्षक ने कहा, "परमेश्वर स्वावलंबी लोगों को ऐसी स्थिति में ले आता है जहां उनके पास परमेश्वर के अलावा कोई आसरा नहीं बचता - कोई सामर्थ नहीं, कोई जवाब नहीं, केवल परमेश्वर। यदि उसकी सहयाता न हो तो वे नाश हो जाएंगे।

फिर उसने एक हताश व्यक्ति के बारे में बताया, जिसने अपने पास्टर के सामने स्वीकार किया कि "मेरा जीवन बहुत बुरी दशा में है।" पास्टर ने पूछा "कितना बुरा?" अपने सिर को झुकाकर अपने मुंह को अपने हाथों में छुपाते हुए उसने रुआंसी आवाज़ में कहा "मैं बताता हूं कितना बुरा - परमेश्वर को छोड़ अब मेरे पास कुछ नहीं है।" पास्टर का चेहरा खिल उठा और वह बोला "मैं खुशी के साथ तुम्हें यह आश्वासन दे सकता हूं कि जिस व्यक्ति के पास परमेश्वर को छोड़ और कुछ नहीं है, उसके पास एक महान सफलता के लिये उसकी आवश्यक्ता से कहीं अधिक उपलब्ध है।"

आज के बाइबल पाठ में यहूदा के लोग एक बहुत बड़ी मुश्किल में थे। उन्होंने माना कि दुशमनों से लड़ने के लिये उनके पास सामर्थ और युक्ति नहीं है। उनके पास जो था वह केवल परमेश्वर था। राजा यहोशापात और उसकी प्रजा ने अपनी इस मजबूरी को निराशा का नहीं वरन अपनी आशा का कारण माना। उन्होंने परमेश्वर को दोहाई दी "हमारी आंखें तेरी ओर लगीं हैं" (२ इतिहास २०:१२)। उनकी आशा को निराश नहीं हुई, परमेश्वर ने अपनी प्रतिज्ञा "युद्ध तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है" (पद १५) उनके लिये पूरी करी।

क्या आप किसी ऐसी स्थिति में हैं जहां आपको लगता है कि आपकी अपनी कोई सामर्थ नहीं बची है? अपनी सम्पूर्ण आशा परमेश्वर में रखकर उसकी ओर दृष्टि करें। उसकी आश्वस्त करने वाली प्रतिज्ञा आपके साथ है कि उसके अलावा आपको किसी अन्य की आवश्यक्ता नहीं है। - जोनी योडर


जब आपके पास केवल परमेश्वर है, तब आपके पास सब कुछ है।


बाइबल पाठ: २ इतिहास २०:३-१७


तुम इस बड़ी भीड़ से मत डरो और तुम्हारा मन कच्चा न हो; क्योंकि युद्ध तुम्हारा नहीं परमेश्वर का है। - २ इतिहास २०:१५


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल ४-६
  • लूका ९:१-१७

सोमवार, 5 अप्रैल 2010

क्या आपने ’टिप’ दिया?

बहुत से देशों में ’टिप’ (धन्यवाद के रूप में कुछ पैसे) देना एक आम रिवाज़ है। लेकिन मुझे लगता है कि इस प्रथा का असर चर्च में भेंट देने की हमारी प्रवृति पर भी पड़ा है।

कई मसीही चर्च में पैसे देने को, परमेश्वर द्वारा किये गये उपकारों के प्रत्युत्तर में उसे दी गई एक भेंट के रूप में देखते हैं। कुछ की राय में अपनी आमदनी का दसवां भाग परमेश्वर के नाम से देने के बाद शेष पैसे को वह चाहे जैसे प्रयोग कर सकते हैं। किंतु मसीही जीवन धन के अतिरिक्त और बहुत कुछ से संबंधित है।

बाइबल सिखाती है कि हमारा सृष्टिकर्ता इस जगत और उसकी हर चीज़ का मालिक है (भजन ५०:१२) और हज़ारों पहाड़ों के जानवर भी उसी के हैं (पद १०)। वो ही हर चीज़ का स्त्रोत है और हमारे पास जो कुछ भी हो, वह उसी का है। उसने हमें केवल भौतिक वस्तुएं ही नहीं दीं लेकिन उसने अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह को भी हमारे लिये दे दिया, जो हमें उद्धार देता है।

पौलुस ने मकिदूनिया के मसीहियों को एक उदाहरण के रूप में रखा, यह दर्शाने के लिये कि परमेश्वर की अद्‍भुत उदारता के सामने हमारी दानशीलता कैसी होनी चाहिये। मकिदूनिया के मसीही "क्लेश और भारी कंगालपन" की बड़ी परीक्षा में भी उदारता में बढ़ते गये (२ कुरिन्थियों ८:२); लेकिन उन्होंने पहले अपने आप को प्रभु को दिया (पद ५)।

सृष्टिकर्ता परमेश्वर को हमारी किसी वस्तु कि आवश्यक्ता नहीं है। वह हमसे कोई ’टिप’ नहीं चाहता। वह चाहता है कि हम अपने आप को उसे समर्पित कर दें। - सी. पी. हीया


हम चाहे कितना भी दें, परमेश्वर से अधिक कभी नहीं दे पायेंगे।


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ८:१-९


वह धनी होकर भी तुम्हारे लिये कंगाल बन गया। - २ कुरिन्थियों ८:९


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल १-३
  • लूका ८:२६-५६

रविवार, 4 अप्रैल 2010

कहीं अधिक

ईस्टर के सन्देश में सुनी एक बात मुझे सदा स्मरण रहती है: "प्रभु यीशु के पुनुरुत्थान द्वारा जो मिला वह उससे कहीं अधिक है जो आदम के पतन के कारण गंवाया गया।" नुकसान से अधिक लाभ? क्या यह हो सकता है?

प्रतिदिन हम अनुभव करते हैं उस नुकसान को जो संसार में पाप के आने से हुआ। लोभ, अन्याय, दुष्टता आदि सब बुराईयों का आरंभ आदम और हव्वा के पाप से है, जो उन्होंने परमेश्वर की इच्छा की जगह अपनी इच्छा पर चलने के द्वारा किया (उतपत्ति ३)। उनकी इस अनाज्ञाकारिता का परिणाम, उनके प्रत्येक वंशज को, विरासत में मिला है। यदि परमेश्वर इसका उपाय न करते तो हम बिलकुल आशारहित और बहुत ख़राब स्थिति में होते। किंतु यीशु ने क्रूस के द्वारा पाप पर और पुनुरुत्थान द्वारा मृत्यु पर विजय पाई।

मसीह की इसी विजय का उत्सव रोमियों ५ अध्याय में मनाया गया है, जिसे "कहीं अधिक" का अध्याय भी कहा जाता है। इस अध्याय में पौलुस पाप द्वारा हुए विनाश की तुलना करता है परमेश्वर के अनुग्रह की बहाल करने की सामर्थ से। अध्याय के निषकर्ष में पौलुस कहता है: "...परन्‍तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। कि जैसे पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्‍त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे" (रोमियों ५:२०, २१)।

व्यक्तिगत रूप में पाप के कारण हमने चाहे जितना भी नुकसान उठाया हो, उससे कहीं अधिक लाभ हमें मसीह के पुनुरुत्थान की विजय से मिलता है। - डेविड मैक्कैसलैन्ड


हमारा पाप बड़े हैं - परमेश्वर का अनुग्रह उन सबसे कहीं अधिक बड़ा है।


बाइबल पाठ: रोमियों ५:१२-२१


...परन्‍तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। - रोमियों ५:२०


एक साल में बाइबल:
  • रूत १-४
  • लूका ८:१-२५

शनिवार, 3 अप्रैल 2010

बेनाम दिन

लुईसियाना में १५० साल पुराने एक कब्रिस्तान में एक स्त्री की कब्र है जिसपर एक ही शब्द खुदा है - "Waiting" (प्रतीक्षा में)।

मेरा मित्र एक वृद्ध पास्टर को जानता है जिसने एक शुभ शुक्रवार को एक उत्साहवर्धक संदेश दिया, जिसका शीर्षक था "आज शुक्रवार है, रविवार आने वाला है"। उस उपदेश में उसने एक लगतार ऊपर उठते हुए क्रम में तुलना करी कि संसार ने उस शुक्रवार को बुराई की शक्तियों को विजयी प्रतीत किया लेकिन रविवार को वास्तविकता सामने आ गई। शिष्यों ने, जिन्होंने उन दोनो दिनों की परिस्थितियों को अनुभव किया, फिर कभी परमेश्वर पर सन्देह नहीं किया। उन्होंने सीखा कि जब प्रतीत होता है कि परमेश्वर अनुपस्थित है, तब ही वह सबसे अधिक निकट होता है।

किंतु उस सन्देश में एक दिन का कोई ज़िक्र नहीं था - शनिवार - बेनाम दिन; जिसे शिष्यों ने एक छोटे रूप में बिताया, आज हम एक व्यापक रूप में बिता रहे हैं। वर्तमान हमारे लिये उस शनिवार के समान है, प्रतीक्षा है कि रविवार कब आएगा?

उस अंधकार से भरे शुक्रवार को "शुभ" इसलिये कहा जा सकता है क्योंकि उसके बाद वह रविवार आया जिसमें सब कुछ बदल गया, यीशु का पुनुरुत्थान हुआ और विनाश में जाते पतित संसार के लिये उद्धार का मार्ग खुल गया। एक दिन, उस रविवार के आश्चर्य कर्म के समान, परमेश्वर एक विश्वव्यापी रूप में बुराई पर अपनी चिरस्थायी विजय स्थापित करेगा।

तब तक हम उस अदभुत भविष्य की उस भव्य आशा के साथ, इस पृथ्वी के अपने ’बेनाम दिन’ को बिता रहे हैं। अब शनिवार है, किंतु रविवार आ रहा है! - फिलिप यैन्सी


परमेश्वर ने इतिहास के सबसे घृणित कृत्य को लेकर उसे सबसे महन विजय में परिवर्तित कर दिया।


बाइबल पाठ: रोमियों ८:१८-२५


जिस वस्तु को हम नहीं देखते यदि उसकी आशा रखते हैं तो धीरज से उसकी बाट भी जोहते हैं। - रोमियों ८:२५


एक साल में बाइबल:
  • न्यायियों १९-२१
  • लूका ७:३१-५०

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

यीशु को क्रूस पर किसने चढ़ाया?

प्रसिद्ध चित्रकार रेम्ब्रान्ड के चित्र "तीन क्रूस" को देखते समय हमारा ध्यान पहले उस क्रूस की तरफ जाता है जिसपर यीशु मरा था, फिर जब हम उस क्रूस के नीचे एकत्रित भीड़ को देखते हैं जिसने परमेश्वर के पुत्र को क्रूस पर चढ़ाने का घोर अपराध किया, तो उनके चेहरों पर झलकते अलग अलग भाव और उनके हाव भाव की विभिन्न मुद्राएं हमें प्रभावित करती हैं। उसी भीड़ में, एक कोने में परअछाईंयों में छिपा खड़ा एक व्यक्ति भी है। कुछ चित्रकला के आलोचकों का मानना है कि यहां रेम्ब्रान्ड ने स्वयं को दिखाया है, क्योंकि उसे एहसास था कि अपने पापों के कारण यीशु के क्रूस पर चढ़ाये जाने में वह भी ज़िम्मेदार था।

किसी ने कहा है, "यह कहना बहुत साधारण बात है कि यीशु जगत के पापों के लिये मरा, लेकिन यह कहना कि यीशु मेरे पापों के लिये मरा, एक बिलकुल अलग और बहुत गंभीर बात है। यह विचार कि हम भी पीलतुस के जैसे लापरवाह हो सकते हैं, कैफा के जैसे षड़यंत्र करने वाले, उन सैनिकों के जैसे कठोर, भीड़ जैसे निर्दयी या चेलों के जैसे कायर हो सकते हैं, हमारे मन को आहत करता है। केवल वो ही यीशु को क्रूस पर चढ़ाये जाने के लिये ज़िम्मेदार नहीं थे, मैं भी उनमें शामिल था; मैंने भी परमेश्वर के मसीह को क्रूस पर चढ़वाया तथा उसका परिहास किया।"

परछाईयों में केवल रेम्ब्रान्ड ही नहीं खड़ा, अपने आप को भी वहाँ उसके साथ रखकर सोचिये। लेकिन साथ ही स्मरण कीजिये कि क्रूस पर से यीशु ने क्या प्रार्थना करी - "हे पिता इन्हें क्षमा कर"। परमेश्वर का धन्यवाद हो कि इस क्षमा में आप और मैं भी शामिल हैं। - हेनरी बॉश


मसीह का क्रूस परमेश्वर के प्रेम के सर्वोच स्वरूप तथा पापमय संसार के सबसे घृणित रूप को प्रगट करता है।


बाइबल पाठ: लूका २३:३३-३८


जब वे उस जगह जिसे खोपड़ी कहते हैं पहुंचे तो उन्होंने वहां उसे क्रूस पर चढ़ाया। - लूका २३:३३


एक साल में बाइबल:
  • न्यायियों १६-१८
  • लूका ७:१-३०

गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

दूसरा बकरा

डैफने डयु मौरियर का एक उपन्यास - द स्केपगोट (The Scapegoat) दो व्यक्तियों के बारे में है जो अपने एक समान दिखने से चकित हैं। वे एक शाम एक साथ बिताते हैं, लेकिन उनमें से एक वहाँ से दूसरे की पहचान चुराकर भाग जाता है, और दूसरे को सम्स्याओं से भरा जीवन जीने को बाध्य होना पड़ता है; पहले के स्थान पर स्केपगोट (scapegoat) या बलिदान का बकरा बनकर।

इस शब्द का मूल यहूदियों की एक धार्मिक रीति में है, जहाँ ’योम किप्पूर’ या छुटकारे का दिन मनाया जाता है। इस दिन प्रधान याजक दो बकरे लेता है, और एक को पाप बलि के लिये चढ़ाता है तथा दुसरे बकरे के सिर पर अपने लोगों के सारे पाप सांकेतिक रूप से लाद कर, उसे जंगल में छोड़ देता है (लैव्यवस्था १६:७-१०)। यह रीति भविष्य में आने वाले मसीह की सेवकाई का एक प्रतिक थी।

यीशु मसीह के पृथ्वी पर आने के बाद वह हमारा स्केपगोट बना। उसने सारे जगत के पापों का प्रायशचित एक ही बार हमेशा के लिये, क्रूस पर अपना बलिदान देकर किया (१ यूहन्ना २:२, इब्रानियों ७:२७)। पहला बकरा परमेश्वर के लोगों के पापों के प्रायशचित के रूप में चढ़ाया जाता था जो प्रभु यीशु के क्रूस पर दिये गये बलिदान का प्रतीक था। दुसरा बकरा एक पूर्णतया निर्दोष यीशु के दुसरों के पापों को उनपर से हटा कर अपने उपर ले लेने का प्रतीक था।

हममें से कोई भी पापों से रहित नहीं है, लेकिन परमेश्वर पिता ने हम सबके पापों को प्रभु यीशु पर रख दिया "हम सब भटक गये थे...यहोवा ने हम सब के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया" (यशायाह ५३:६)। यीशु ने हम सबके पाप अपने उपर ले लिये, इसलिये परमेश्वर अपने पुत्र के अनुयायियों को निर्दोष मानता है। - सिंडी हैस कैस्पर


यीशु हमारे पाप ले लेता है और अपना उद्धार हमें दे देता है।


बाइबल पाठ: लैव्यवस्था १६:५-२२


वही हमारे पापों का प्रायशचित है और केवल हमारे ही नहीं वरन सारे जगत के पापों का भी। - १ युहन्ना २:२


एक साल में बाइबल:
  • न्यायियों १३-१५
  • लूका ६:२७-४९